रात- भाग 2

यह सुनकर, आदमी ने अपना सिर हिला दिया, "मैं नहीं करूँगा"। 

उस आदमी की ऑंखें और विशाल शरीर को देख कर केटी को घबराहट हुई । उसी क्षण, एक कवच सूट पहन, भूरे बालों वाली एक महिला, एक छोटे से धनुष के साथ वहाँ आई । 

महिला ने कहा "प्रभु, अपनी सीमा मे जितने लोग थे हमने उनको बंधक बना लिया है। उनमे कुछ चुड़ैलें भी है। इससे पहले हम उन्हें पकड़ते उनमें से दो भाग गए। इलियट उन्हें पकड़ने के लिए निकल चुका है," जिस पे उस आदमी ने सिर हिला दिया। 

"कौन से लोग बच गए है?"उसने अपने अधीनस्थ से पूछा।

उसने निराशा में अपना सिर हिलाया, "कोई नहीं, सर। उन सभी का खून निकाला जा चुका है।" 

"यही होता है अन्य साम्राज्यों के बदमाशों की वजह से। कानून को तोड़ना, बिना किसी दया के निर्दोष आदमी और औरतों को मारना, हम अनावश्यक रक्त पात को बचा सकते थे यदि उस मूर्ख स्वामी ने पहले निर्णय लिया होता।" आदमी ने ठंडे स्वर में कहा। 

"क्या आधे-वैम्पायर काउंसिल की हिरासत में ले नहीं लिए गए थे? "महिला ने उनसे पूछा।

"या तो परिषद ने ठीक से काम नहीं किया या किसी का परिवर्तन प्रक्रिया गलत होने के कारण इन मानवों को विक्षिप्त वैम्पायर के झुंड मे बदल दिया गया। लगता है कि परिषद हमें एक और नोटिस भेजेगी। सिल्विया, इस जगह को साफ करके शवों को दफन करवा दो । जब इलियट का काम खत्म हो जाये तो उसे मुझसे मिलने के लिए कहो।" 

"जी प्रभु," सिल्विया ने सिर हिलाकर जवाब दिया और बताया कि यह दस्तावेज़ उसे ज़मीन पर पड़ा हुआ मिला था। उसने चर्मपत्र पर लिखे दस्तावेज़ उन्हें सौंप दिए। 

जैसे ही सिल्विया ने उन कागज़ों को देखने की कोशिश की, उसे उस आदमी की बड़बड़ाहट सुनाई दी 

"यह तो नाम हैं"। उस आदमी ने सोचा की यह कोई सामान्य कागज़ नहीं था, इसके अंदर की जानकारी अत्यधिक गुप्त थी।

उस आदमी ने अपनी भौहों को ऊपर करते हुए पूछा, "जब आपको यह मिला तो, क्या आपने इसके आस पास किसी को देखा? क्या इन कागज़ों के पास कोई व्यक्ति भी मिला?"

"बहुत सारे लोगों के शरीर पूरे क्षेत्र में बिखरे हुए हैं," सिल्विया की आँखों ने उस लड़की को देख कर उस आदमी से पूछा, "आप उसके साथ क्या करना चाहते हैं, एलेग्जेंडर?"

सिल्विया ने सोचा की उस लड़की के साथ बहुत बुरा हुआ, कि उसका परिवार खत्म हो गया है और उसके आसपास कोई इंसान नहीं बचा।

"मुझे नहीं पता," एलेग्जेंडर ने जवाब दिया।

जब वे उस कमरे से गुज़रे, तो केटी ने अपनी मां को बेजान फर्श पर पड़ा देखा।वह उसे जगाने की कोशिश में उसकी तरफ भागी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उसकी माँ वापस आने वाली नहीं थी। उसने अपने कंधे पर एक ठंडा हाथ महसूस किया, मुड़ के देखा तो वही आदमी था जिसने उसे बचाया था।

"कोई बात नहीं," उसने लड़की को देखते हुए कहा । केटी सुबकती हुई उसकी बाँहों में चली गयी । इस बात से अनजान कि उसे अब इस स्थिति में क्या करना चाहिए उसने लड़की को अपनी बाहों में लपेट लिया और रोने दिया।

उस लड़की के प्रति प्रभु के अच्छे हावभाव ने सिल्विया आँखों को आश्चर्य में डाल दिया। वह वैलेरिया के स्वामी को जानकर बड़ी हुई थी। उसने एलेग्जेंडर ने कभी भी किसी के प्रति ऐसी भावनाएँ या इशारे नहीं दिखाए थे।लॉर्ड अलेक्जेंडर डेल्क्रोव इस तरह का व्यक्ति नहीं था जो मरने वाले को पानी या फिर रोते हुए की अपना कंधा देने की जेहमत उठाएगा लेकिन यहाँ वह उस लड़की को संतुष्टि दे रहा था और वह भी इंसान के बच्ची को । वह मनुष्यों से केवल तब घुलता मिलता था जब उन के समाज में उच्च सम्बन्ध हों जो उसके लिए लाभदायक हो सकते थे

केटी को पता नहीं था कि उसे क्या करना है, वह अकेला और हारा हुआ महसूस कर रही थी । जब उसे लगा कि उसके आँसू थम गए हैं, तो वह कुछ कदम पीछे हट गई और अपनी बड़ी भूरी आँखों के साथ उस आदमी को देखने लगी ।

ऐसा लगा जैसे वह कुछ बोलने से पहले सोच रहा था।

"अब से वो मेरे साथ रहेगी", सिल्विया ने जब यह सुना तो वो चौंक गयी । उसके मन में कोई संदेह नहीं था कि वैम्पायर लार्ड ने मानव में रुचि ली थी, लेकिन यह अभी छोटी थी । 

"उसके बड़े होते ही, उसको इंसानों के घर में भेज देंगे।" एलेग्जेंडर ने कहा । 

"मुझे ऐसा लगता है की हमारे पास महल में काम करने वाले इंसान हैं इसलिए कोई समस्या नहीं होनी चाहिए," सिल्विया ने उत्तर दिया। 

यदि वे उसे अन्य मनुष्यों के साथ छोड़ देते हैं, तो वे यह नहीं जान पाएंगे कि क्या मनुष्य उसके साथ अच्छा व्यवहार करेंगे, आखिरकार, गुलामी अभी भी अनियंत्रित थी ।

"तुम्हारा नाम क्या है?" एलेग्जेंडर ने उसे रोब से पूछा जिससे केटी डर गयी ।

"तुम लड़की को डरा रहे हो। थोड़ा मुस्कुराओ," सिल्विया ने कहा जिससे एलेग्जेंडर कमरे में चारो ओर देखने लगा ।अपनी निगाहों को नरम करते हुए उन्होंने अपने चेहरे पर एक मुस्कुराहट डालने की कोशिश की और उसको देख कर सिल्विया भी मंद-मंद मुस्कुराने लगी ।

"क्या तुम उसे मुस्कराना कहते हो?" सिल्विया ने उससे पूछा।

"ठीक है तुम ही संभाल लो!" घर से बाहर निकलने से पहले वह उससे झुंझलाहट से बोला।

महिला लड़की के पास गई और अपने घुटनों के बल बैठ गई।

"हेलो, मैं सिल्विया हूं और वह एलेग्जेंडर है," उसने कोमल मुस्कान के साथ परिचय दिया," हम किसी का नुकसान नहीं चाहते और केवल आपकी मदद करना चाहते हैं। प्यारी बच्ची तुम्हारा नाम क्या है? "

"कैथरीन," लड़की के जवाब पे उस औरत ने मुस्कुरा दिया ।