मकड़ी की गुफा (प्रथम)

वह चारों आदमी काफी उत्तेजित थे। वह लगातार चुपके से योजना बना रहे थे और ये क्सिउ सारे मेहनत का काम कर रहा था। यह तो अच्छा था कि उन्होंने पूरी तरह से ये क्सिउ को मूर्ख नहीं समझा था। काफी बहस के बाद वह चारों गए और ये क्सिउ की मदद की राक्षसों को साफ करने में। जब तक वह राक्षसों को साफ कर रहे थे, उन्होंने धीरे से समझाया "कुछ लम्हे पहले हमारे संघ के पास कुछ काम था देखने के लिए। हम थोड़ा ध्यान से भटक गए थे। पर अब हम ठीक हैं" 

"कोई बात नहीं, आओ भाइयों" ये क्सिउ ने हँसी-खुशी यह शब्द कहे जैसे उसे कोई शक ही ना हुआ हो। 

वह चारों काफी खुश थे। अगर उन्होंने इसी तरह से एक दूसरे की सहायता की तो चारों दिग्गज और विशेषज्ञ ये क्सिउ बड़े आराम से इस कोठरी से बाहर हो जाएंगे। हर आदमी खुशी खुशी मार रहा था। उनके बाहरी दिखावे से उनके अंदर की धूर्तता का पता नहीं चल रहा था। 

"क्या तुमने देखा कि इस आदमी की हमला करने की क्षमता काफी तेज है?" भूमि सप्तम और सुषुप्त शेखर ने धीरे से कहा। 

"ऐसा लगता तो है। मैंने इस भाले जैसा कोई हथियार पहले नहीं देखा था" सुषुप्त शेखर ने कहा। 

"मैंने भी नहीं देखा था। मैं तो निचले दर्जे के भालों को देखता ही नहीं हूँ" भूमि सप्तम ने कहा 

"बेहतर होगा कि ये गिर जाए जब हम इस आदमी को मारे" सुषुप्त शेखर ने कहा। 

"तो क्या हुआ अगर गिर जाएगा तो। चाहे कितना भी तेज आक्रमण ये कर सके, फिर भी ये निचले दर्जे का हथियार ही रहेगा। हम कभी भी इसका इस्तेमाल लंबे समय तक नहीं कर पाएंगे" भूमि सप्तम ने कहा।

"सही बात है" सुषुप्त शेखर ने हामी मिलाई। 

दोनों ही दलों ने एक दूसरे को उत्तेजित नहीं किया और एक साथ भाईचारे से काम करते रहे। हरे जंगल के अंदर जाना और बाहर आना उनकी कुशलता काफी ज्यादा थी। ये दुखद था कि वह फिर से छिपे हुए सरगना बागड़ बिल्ले से नहीं मिल पाए। 

कई बार इसे पार करने के बाद, विकट देव पहला आदमी था जो 10 वे दर्जे तक पहुंचा था। पहले छिपे हुए सरगना को मारने से उन्हें अधिक संख्या में अनुभव प्राप्त हुआ था। हरे जंगल में, अब तक केवल एक छिपा हुआ सरगना था। इस बात पर निर्भर होकर विकट देव काफी दूर दसवें दर्जे की अंक तालिका तक आ गए थे। दसवें दर्जे तक पहले पहुंचने वाले वह अकेले नहीं थे पहले पहुंचने वाला खिलाड़ी "नील धारा" था। यह दूसरी बार था जब उसके नाम की घोषणा हुई थी। पहली बार तब था जब उसने और चार अन्य लोगों ने, सबसे पहले हरे जंगलों को साफ किया था। 

जब सुषुप्त शेखर ने देखा कि विकट देव उनमें से सबसे पहले दसवें दर्जे तक पहुंचा है, तो वह काफी घबरा उठा। उन्हें डर था कि ये उन्हें छोड़ न दे। किसे पता था कि विकट देव केवल हँस रहा था और कह रहा था "मैं ऊपरी दर्जे पर पहुंच गया"। कुछ मुबारकबादों के बाद वह हरे जंगल में उन चारों के साथ फिर घुसा। 

उन लोगों के मध्य अनुभव का अंतर बहुत ज्यादा नहीं था। इस कोठरी को पार करने के बाद सुषुप्त शेखर और बाकी अन्य लोग 10 वे दर्जे तक पहुंचे थे। पांचों ने काफी इक्विपमेंट भी इकट्ठे कर लिए थे।

"भाई, हमने साथ में काफी अच्छा काम किया। अब जब हम 10 वे दर्जे तक पहुंच गए हैं तो क्यों ना हम सब इकट्ठे मकड़ी की गुफा में घुसे?" भूमि सप्तम ऊपर आया और ये क्सिउ से कहा। सुषुप्त शेखर और ये क्सिउ ने एक साथ असहमति जताई। इस तरह के अचानक हृदय परिवर्तन से उसे थोड़ा अजीब लगा। साथ ही सुषुप्त शेखर लगातार ये क्सिउ को बुरी निगाह से देखे जा रहा था और उसने भूमि सप्तम को बिचौलिए की तरह छोड़ दिया था। 

ये क्सिउ ने सुना और मान लिय। उसने बस इतना कहा कि पहले वह जायेगा और कुछ कुशलता सीखेगा। कौशल अंको के लिए यह मायने नहीं रखता था कि उन्हें चुनौतियों से अंक मिले हैं, बराबरी से मिले हैं या किसी खास राक्षस को मारने से मिले हैं या लड़ाई से मिले हैं। यह सब उन्हें सिर्फ 4000 स्किल कुशल अंको तक पहुंचने में मदद करेंगे। 7 वे दर्जे से 10 वे दर्जे तक वो बहुत ज्यादा कौशल अंक नहीं बटोर पाए थे। पर सबसे अहम भाग था 10 वा दर्जा, जहाँ कुछ नए कौशल अंक बटोरे जा सकते थे। 

बाकी चार भी सीखने जरूर जाएंगे। इसलिए हर एक ने एक गुरु खोजने का निश्चय किया। उसके बाद वह सभी मकड़ी गुफा में इकट्ठा हुए। 

मकड़ी गुफा के द्वार पर बहुत ज्यादा लोग नहीं थे। आखिरकार वो सभी सामान्य खिलाड़ियों से काफी तेज ऊपरी दर्जे पर आए थे और नौसिखिए कोटरी तक आने की सोचते भी नहीं थे। 

बाहर केवल कुछ अचानक बने दल थे। क्योंकि कोठरी काफी कठिन थी इसलिए हर कोई एक-दूसरे के इक्विपमेंट के बारे में पूछ रहा था। दल बनाना इतना चिंता मुक्त काम नहीं था। ये क्सिउ और बाकी अन्य एकदम सीधे और साफ विचार रखने वाले थे। बिना कुछ कहे वह सीधे अंदर घुस गए। केवल इस समय सुषुप्त शेखर और बाकी 3 खलनायक की तरह काम कर रहे थे। 

"क्या हम इसे तुरंत मार दे या पहले आने वाली स्थिति को देखें?" पहले व्यक्ति ने कहा 

"क्यों ना हम पहले स्थिति को भाप लें। अगर यह आदमी सही में विद्वान है तो पहले इसका इस्तेमाल कर ले। क्यों ना हम फिर से इस बारे में सोचे, जब सरगना आए?" भूमि सप्तम ने सुझाव दिया।

"ठीक है" लोगों के पास और कोई राय नहीं थी। सही बात तो यह है उन लोगों की ये क्सिऊ से कोई दुश्मनी भी नहीं थी। उनके सामने खड़ा शख्स बेमिसाल था। उनके समूह में वह उन सब में सबसे ज्यादा डीपीएस था। वह सब उससे अलग होने के मन से नहीं थे। पर उन्हें उनके दोस्त सुषुप्त शेखर को देने के लिए और कुछ नहीं था इसलिए वह इस योजना पर काम करने लगे। वैसे तो उनके पास कहने को कुछ नहीं था, पर सभी दुखी थे। 

"आप सभी ने एंटीडोट ली है?" भूमि सप्तम ने सभी से पूछा सब ने हाँ में जवाब दिया। केवल ये क्सिउ सही में हँसा और बोला "कोई जरूरत नहीं" 

"यह आदमी मौत को ढूंढ रहा है" सुषुप्त शेखर को ये क्सिउ का आत्मविश्वास कुछ खास पसंद नहीं आया। 

"तो फिर चलते हैं" भूमि सप्तम ने खुशी-खुशी कहा।

मकड़ी गुफा के अंदर काफी अंधेरा था और मकड़ी के जाले हर तरफ देखे जा सकते थे। समय-समय पर बिखरे हुए कंकाल दिखाई दे रहे थे। वह काफी डरावना और भयानक लग रहा था। सुषुप्त शेखर और बाकी सब कुछ घबराए हुए से थे। जैसे ही ग्लोरी में कोई मरता है वह अपने सारे अनुभव खो देता है। सामान्य दुनिया में, इसमें 10% का घाटा और इक्विपमेंटों के खो जाने की भी संभावना रहती है पर यह संभावना काफी कम रहती है। जब कोई खिलाड़ी दिव्य द्वार पर पहुंचता है तो मरना काफी डरावना हो जाता है। खिलाड़ी अपने अनुभव का 20% खो देता है और इक्विपमेंटों के गिरने की संभावना बढ़ जाती है। 

विकट देव को फिर से देख कर, वो लंबे कदम चलने लगा अपने भाले लेकर मानो वो अभी भी हरे जंगल में हो। सुषुप्त शेखर और अन्य लोगों ने इस आदमी को देखा और खदान खोजने की जिम्मेदारी ली। ये उन के लिए वैसे भी बेहतर था। 

उन निचले दर्जे की कोठरियों में, ये क्सिउ को याद भी नहीं था कि उनमें क्या था। उसे सिर्फ इतना याद था कि उसने मकड़ी की गुफा में मदद करने वाली किताब देखी थी, पर कुछ याद नहीं कर पा रहा था। इस बात को लगभग 10 साल हो गए थे।

जैसे ही ये क्सिउ ने सांस ली, अचानक एक परछाई उछल के उसके सामने आ गई। ये क्सिउ ने बाएं हाथ से कीबोर्ड दबाया और दाहिने हाथ से माउस घुमाया। विकट देव पीछे आकर झुक गए और आकाशीय हमला आरंभ कर दिया। 

एक मध्यम आकार के हरी मकड़ी उसके ऊपर कूदी, पर आकाशीय हमले से बीच में ही टकरा गई। इस हमले में विपक्षी गिर पड़ा जो की ग्लोरी की बुनियादी कुशलता थी। ये क्सिउ यह मौका कैसे छोड़ सकता था? शुरू में कीबोर्ड और माउस पर धमा चौकड़ी मचाने के बाद विकट देव ने उछल के उसने अपना भाला थाम लिया। हवा में ऊपर से लेकर नीचे जमीन तक, वह पागलों की भांति हरी मकड़ी पर कूद पड़ा। "पू पू पू पू पू" चार हमले लगातार हुए, हरी मकड़ी पत्थर से टकरा चुकी थी। 

"धत्त तेरी की, ये नही हो सकता" भूमि सप्तम ने चौकन्ना होते हुए कहा। 

"वो 4 बार हवा में ही उस से भिड़ गया" दूसरे आदमी ने घबराते हुए कहा। 

"वह, चार बार हवाई भिड़ंत, दसवीं दर्जे में ही कर सकता है?" तीसरे आदमी ने कहा। 

सुषुप्त शेखर केवल अपना मुंह आश्चर्य से खोले रहा और उसके पास बोलने के लिए कोई शब्द नहीं थे। 

4 हमले हवा में, यह बहु प्रसिद्ध मायावी योद्धा का वार था। इसे कुछ ही खिलाड़ी कर सकते थे। यह समझने में बहुत आसान था। यह एक आम चाकू घोपने जैसा था। नागदंत से, 10 वे दर्जे में मिली मायावी कुशलता, दो बार घोपना, का प्रयोग कर यह पूरा किया जाता था। 

"मैंने सुना था केवल वह खिलाड़ी जो 170 एपीएम या उससे तेज हो, वही इस तरह के हमलों को कर सकते हैं" भूमि सप्तम ने कहा।

"क्या ऐसा केवल पेशेवर मायावी युद्ध में नहीं होता, जब उसकी गति को बढ़ाकर बताया जाता है?" एक और अन्य व्यक्ति ने कहा।

"वह अभी भी बिना किसी खासियत वाला पात्र है..." 

"बिना खासियत वाले पात्र और मायावी योद्धा, की रफ्तार में क्या ज्यादा अंतर होता होगा?"

"मुझे नहीं पता तुम्हें अभी भी कुछ इक्विपमेंटों की जरूरत पड़ेगी। पर ऐसा नहीं लगता कि कुछ इक्विपमेंट से रफ्तार बढ़ जाती है" विकट देव भी बिल्कुल उन्हीं की तरह सोच और बोल रहा था।

"हथियारों का क्या? क्या यह उसके हथियार हो सकते हैं?" 

"चलो, कारण की चिंता नहीं करते हैं। अगर तुम मायावी योद्धा हो और तुमने कोई इक्विपमेंट पहना हुआ है जिससे रफ्तार बढ़ जाती है फिर भी क्या तुम चार बार बीच हवा में लड़ सकते हो?"

सन्नाटा। 

अगर वह ऐसा कर सकते तो वह सब काफी चौंके से नहीं होते। 

"यह आदमी कौन है?" तीनों सदस्यों ने सुषुप्त शेखर को देखा।