हर आदमी उसके सामने झुका हुआ था और उसकी पूजा कर रहा था। यहाँ तक कि सुषुप्त शेखर भी अपने आप को रोक नहीं पाया और उसे मानना पड़ा। इस आदमी ने जिस तरह से अपनी कुशलता का परिचय दिया है वह किसी भी दशा में 10 वे दर्जे के खिलाड़ी के लिए कठिन था। वह अतुलनीय था।
"भाई, तुमने जिस तरह से मायावी योद्धा की कुशलता का परिचय दिया है... वह एकदम भयावह था" भूमि सप्तम ने सच्चाई स्वीकार करते हुए कहा। अगर वह ऐसा नहीं कहता तो अपनी बात, अंदर छिपे होने से अपने आप को ही घायल कर बैठता।
"हा, हा, इतना भी बुरा नहीं था" विकट देव सात राक्षसों से घिरा हुआ था। काटना, मारना, बोटी बोटी कर देना, इस तरह से संभालना जैसे कसाई का खंजर हाथ में लिया हो। बाकी अन्य उसे देखकर भी शर्मिंदगी महसूस कर रहे थे। वह सभी अपने अपने समय के दिग्गज थे और सभी अकेले लड़ने की क्षमता रखते थे। पर विकट देव ने जिस तरह से सातों मकड़ियों को संभाला, वो उनके बस की बात नहीं थी। जैसा उन्होंने सोचा था कि बहुत कठिन होगा, अंत में सब बहुत ही आसानी से सुलझ गया। पर बाकी चार समझ गए थे कि यह कठिन समय आ गया था, जब अगर वह नहीं होगा तो उनके लिए भी संभव नहीं होगा।
जैसे ही सात मकड़िया मारी गई उन्होंने एक तेज चीख सुनी। पहला छोटा सरगना आ चुका था। सभी लोगों ने अभी तक मकड़ी को नहीं देखा था। जब उन्होंने पहली चीख सुनी और बैंगनी रंग के बादलों का एक समूह वहाँ फट पड़ा।
"यह तो ज़हरीली मकड़ी है" भूमि सप्तम चिल्लाया। पर ये बैंगनी रंग का बादल अचानक ही उभर आया। इसका फैलाव काफी दूर तक था। 2 सदस्य उस से बच के झुक न सके और तुरंत ही उन्होंने एंटीडोट ले ली। उसका इस्तेमाल करने के बाद वो अधिक रूप से चौकन्ना हो गए, उनकी जीवन रेखा अभी भी घट रही थी।
"यह काम क्यों नहीं कर रहा है" दोनों ने चौंकते हुए कहा।
"इन एंटीडोट की क्षमता बहुत कम है" ये क्सिऊ ने कहा।
"धत तेरी की!" दोनों खिलाड़ियों ने खुद को कोसा। वह इस कोठरी में तब नहीं आए थे जब दर्जा नीचे था। इतने ऊंचे दर्जे में पहुंच कर वापस लौटना, इस कोठरी से बहुत अधिक समस्या नहीं होगी। उस लम्हे पर वह अभी भी उस राक्षस के तुलना में कम पड़ रहे थे। उन्हें क्या सोचा था वह जहर को कैसे नष्ट करेंगे? उन्होंने बड़ी सावधानी से दो एंटीडोट बनाए थे पर अंत में वह उसका इस्तेमाल नहीं कर पाए, जब सरगना आया। क्या उनके साथ धोखा हुआ है?
विकट देव ने अपने हाथ लहराए और दोनों पर आरोग्यम का इस्तेमाल किया। उसके बाद वह सरगना नंबर 1 के पास पहुंचा। उसी समय दो खिलाड़ी जिन पर जहर नहीं फैला था, भूमि सप्तम और सुषुप्त शेखर की तरफ पहुंचा और भाले का इशारा पीछे करते हुए चिल्लाया "भूमि सप्तम 1:00 बजे की दिशा में खड़े हो जाओ। नन्हे मुन्ने चंदू तुम 4:00 बजे की दिशा में खड़े हो जाओ"
"नन्हे मुन्ने चंदू" सुषुप्त शेखर ने लगभग खून फेंक दिया था पर वह उस समय बहस करने की स्थिति में नही था। भूमि सप्तम ने बिना कोई सवाल किए 1:00 बजे की स्थिति में खड़ा हो गया। सुषुप्त शेखर भी बिना किसी देरी के, अपनी जगह पर खड़ा हो गया। सरगना 1 का जहर पहले से ही फैलने लगा था। वह बहुत ही बड़ा और भारी था और आम मकड़ियों की तुलना में 3 गुना था। किसी बागड़ बिल्ले की तुलना में, इस तरह का भारी-भरकम जीव मारना और आसान होता है। पर बड़े राक्षस के बड़े फायदे होते हैं। उनके भारी वजन के कारण उन्हें मार के गिरा देना या उन्हें हटा देना कम संभव होता है। कितना कम? यह हमला करने वाले के वजन या उसकी हमला करने की ताकत पर निर्भर करता था।
सरगना नंबर 1 उनके सामने खड़ा था, जिसे बड़ा राक्षस कहा जा सकता था। विकट देव ने सामने से उसे मारा, पर वह कांपा तक नहीं। इससे साफ था कि आम हमलों से वह चित नहीं होगा।
अनुभवी ये क्सिउ बिल्कुल भी अचंभित नहीं हुआ। उसकी उंगलियां चली और विकट देव ने एक बार फिर चार भिडंत एक साथ की। बड़ी मकड़ी चीखी। उसने अपना सर उठाया और एक गहरी धुंध मुंह से निकाली। पर विकट देव पहले ही मुड़ चुका था और धीरे से फिसल के निकल गया।
हालांकि सरगना का शरीर काफी बड़ा था, उसकी हलचल आम मकड़ी से काफी धीरे नहीं थी। उसके कूदने की क्षमता भी अविश्वसनीय थी। वह ऐसे खुदा जैसे माउंट एवरेस्ट से विकट देव को कुचल देना चाहता हो। वह उछल कर लुढ़क गया। वह जिसे 'नन्हा मुन्ना चंदू' कहा गया था, धीरे से बोला, " ओ?, तुम चाहते हो कि हम यहाँ खड़े रहे ताकि तुम अकेले लड़ लो?"
"तो तुम दोनों में से एक 7 बजे पर खड़े हो जाओ और दूसरा 9 बजे पर" ये क्सिउ चिल्लाया।
"हम दोनों में कितनी दूरी होगी" दोनों लोगों ने एक साथ पूछा
"2 मीटर की त्रिज्या पर" ये क्सिऊ चिल्लाया उस मुद्रा में खड़े होने के बाद चारों लोग एक गोला बना लिए थे। वे एक दूसरे को देख रहे थे उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कर रहे हैं। ये देखकर कि वह अभी भी अकेले ही सरगना से लड़ रहा था, क्या वह खेल देखने के लिए सिर्फ उन्हें कुर्सियां दे रहा था बैठने के लिए?
विकट देव दायें और बायें झुका, जिससे अंततः सरगना उसकी और भाग कर आने लगा। चारो लोग लड़ाई के लिए तैयार थे। सरगना अचानक उछला हवा में और ऐसे लगा कि वह सुषुप्त शेखर को कुचल देगा। सुषुप्त शेखर झुकना चाहता था पर उसने ये क्सिऊको चिल्लाते सुना "हिलना मत"
बदला, इस आदमी से बदला लेने का यह सही समय था। सुषुप्त शेखर ने महसूस किया कि उसके दिमाग में एक अलग ही रोशनी चलने लगी थी। बिना सोचे उसने ये क्सिउ के शब्दों को अनसुना कर दिया और लुढ़क गया पर जब वह पलटा तो उसने देखा कि विकट देव ने पहले ही आकाशीयय हमला सरगना मकड़ी के पेट पर कर दिया है। आकाशीयय हमला एक खास तरह के वर्ग की धराशायी कर देने वाली कुशलता थी। किसी साधारण हवाई हमले की तुलना में, इससे जरूर ही एक खास असर पड़ने वाला था। मकड़ी गिरने के बाद हवा में थोड़ी देर लटकी रहे और उसने अपनी दिशा बदल ली। हालांकि आकाशीय हमले का ज्यादा असर नहीं हुआ पर राक्षस अभी भी बीच हवा में लटका हुआ था। जैसे उसने अपनी दिशा बदली बस चार लोगों के बीच में आ गया।
"भूमि सप्तम सामने से मारो। 9 बजे वाला आदमी आगे बढ़ के लात मारो। 7 बजे वाला आदमी पीछे हट के मारो। नन्हे मुन्ने चंदू तेजी करो और वापस अपनी जगह पर पहुंचो" ये क्सिऊ और चारों खिलाड़ियों का साथ काफी देर हो गयी थी। उसने सब की कुशलता को देख लिया था। अब जब वे उसे घेरकर खड़े थे, ये क्सिऊ उनकी कुशलता को भी बड़े आराम से दिशा दे रहा था।
भूमि सप्तम तेजी से भागा और सामने से मारा। यह घूंसा मारने की कुशलता थी और इससे बहुत ही हल्के तौर पर इंसान धराशायी होता था। ऐसे तो इसका असर इस बड़ी मकड़ी सरगना पर नहीं होना था पर फिर भी उसने उसे हल्का सा पीछे ढकेल दिया।
9:00 पर खड़ा खिलाड़ी अचानक से आगे आया। खड्ग कुशलता भी गिरा देने वाली प्रभाव रखती थी जैसा भूमि सप्तम के आगे बढ़ने वाली दुल्लती में था। उन्होंने फिर से सरगना को मारा। इस मौके पर अनुभवी खिलाड़ी समझ गए थे कि ये क्सिऊ क्या चाहता है। 7:00 बजे वाला खिलाड़ी ने इसका स्वागत किया और उसने घूमकर उसको मारा।
यह एक योद्धा की कुशलता थी। नाम से ही इसके असर का पता चलता है पर सरगना 4 बजे वाली स्थिति में पहुंच गया था, जहाँ कोई नहीं था। यह शुरुआत में सुषुप्त शेखर की जगह थी क्योंकि उसने सोचा कि ये क्सिउ उसे मारना चाहता है वह झुककर बगल हो गया। वैसे तो वो आ ही रहा था अपनी जगह पर वापस, पर अब उसे काफी देर हो गई थी।
सभी लोग पहले ही समझ चुके थे कि ये क्सिऊ कैरम खेलना चाहता है जिसमे सरगना गोटियों की तरह था। यह तर्क इसी बात से बनाया जा सकता था कि वह चारों खिलाडियों की ताकत को उभार कर सामने लाता था। पर उनकी ताकत थी क्या? एक दूसरे के बारे में जानकारी! चारों खिलाडी, सभी दिग्गज थे जो दोस्त की तरह एक साथ आये थे। उनके बीच आपसी समझ बढ़िया थी, इसलिए वह इस तरह का घेरा बना पाए थे।
पर अब, यह सरल स्थिति सुषुप्त शेखर द्वारा खत्म कर दी गयी थी। यहाँ तक की भूमि सप्तम और बाकि भी काफी नाखुश थे।
इस कठिन घड़ी में, जब सरगना घेरा तोड़कर भागने को तैयार था, अचानक विकट देव 4 बजे वाली अवस्था पर प्रकट हुआ।
सभी लोग हैरान थे। विकट देव 11:00 वाली अवस्था में खड़ा था। उन्होंने उसे हिलते हुए नहीं देखा वो अचानक वहाँ कैसे पहुंच गया? लोगों ने 11 बजे वाली अवस्था देखी और चौकते हुए पाया कि वहाँ एक और विकट देव खड़ा है
"अच्छा..." भूमि सप्तम ने अचानक समझा।
दसवे दर्जे की निंजा कुशलता: अपनी परछाई से अपना क्लोन बना देने की तकनीक।