तुमने सुना मैंने क्या कहा?

"जानकार भाई, क्या तुम्हारी कोई खास मांग है यहाँ पर?"

जब तक ये क्सिऊ ने हेड फोन लगाया, उसने भूमि सप्तम का संदेश देखा।

"मुझे कंकाल योद्धा की माला चाहिए" ये क्सिऊ ने जवाब दिया।

"पहनने वाली माला?" भूमि सप्तम चौंका हुआ था।

"सही समझा तुमने" ये क्सिऊ ने कहा।

"ओह... अगर तुमने मांगा कर ही दी है तो हमें किसी और को नहीं जोड़ना चाहिए। हम चार ही रहते है" भूमि सप्तम के शब्द सही लग रहे थे खासकर वह भाग जहाँ पर मांग की बात कही गई थी। उन्हें काफी समय लगता उस नए आदमी को समझाने में। इसके बाद भी वह आदमी शायद उन पर भरोसा नहीं करता। साथ ही, अगर वो सीधे पार्टी नेता को प्राथमिकता देते तो भी वो अजनबी डर कर भाग जाता। कौन जानता था कि आप उसे लूट का हिस्सा देंगे भी या नहीं? इसलिए यही बहतर था कि वह चार दोस्त ही रहते।

"ठीक है" ये क्सिऊ भी अभी किसी तरह की मुसीबत नहीं चाहता था।

भूमि सप्तम और बाकी कोठरी में घुसे और एक साथ कहा "आओ, छिपे हुए सरगना"

"क्या तुम लोग छिपे हुए सरगनाओं को मारने के आदी हो चुके हो?" ये क्सिऊ हँसा।

बाकी तीनों ने भी हँसी का संदेश "हा हा" लिख कर भेजा। जबसे उन्होंने ये क्सिऊ के पीछे चलना चालू किया था वह सिर्फ एक ही चीज सोच पाते थे, छिपे हुए सरगना को मारना। अगर वहाँ कोई छिपा हुआ सरगना नहीं होता था तो वो आसानी से कोठरी से निकल जाते थे, बिना किसी दबाव के।

"तो चलो फिर" ये क्सिऊ ने कहा। विकेट देव ने एक बार फिर से अपना युद्ध भाला लहराया और लोग को रास्ता दिखाया। भूमि सप्तम, सूर्यास्त मेघ, वरुण लहर कुशलता पूर्वक उसके पीछे चल दिए। हल्की बारिश हो रही थी कंकालो के श्मशान में। गहरा हरा, हर तरफ दूर तक दिखाई दे रहा था। आवाज के असर ऐसा जैसे भूत रो रहे हो। समय-समय पर दो रोने की चीख सुनाई देती थी जिससे उनकी रूह काँप जाती थी।

नहीं... ये सिर्फ रूह कांपने की बात नहीं थी, ऐसा लग रहा था कि हवा उनके कानों में जा रही थी? 

ये क्सिऊ के दिमाग काफी कठोर और बिना उपज वाला था। उसने निश्चय किया था कि यह कोई मनोवैज्ञानिक दबाव नहीं है, पर सही में कुछ उड़ रहा था। उसके हाथ हिलना बंद नहीं किये थे पर उसका सर दाएं बाएं घूमने लग गया था। उसने एक चमकता हुआ सफेद चेहरा देखा और आंखों के काले जोड़े देखे जो उसे घूर रहे थे बिना पलक झपकाए। चेरी जैसे लाल रंग के होंठ ऐसे लग रहे थे जैसे खून में डूबे हुए हो।

"पाउ" ये क्सिऊ के बायाँ हाथ सीधे कंप्यूटर पर पड़ा और उसका पात्र रुक गया। इस समय, उससे सात से आठ बटन दब गयी थी। खेल में विकेट देव ऐसे लग रहा था जैसे चौक गया हो और कई गलतियां एक साथ कर बैठा। ये अच्छा था कि वह सिर्फ छोटे राक्षसों से लड़ रहे थे। भूमि सप्तम और बाकियों ने तुरंत उसे बचाया। जानकार भाई ने कल तक कभी कोई बड़ी गलती नहीं की थी। उसने आज सिर्फ खेलना शुरू किया था, वो कैसे इतनी मूर्खतापूर्ण गलती कर सकता था? ऐसा तो नहीं कि जानकार कुछ हो गया हो? पर उन्होंने अभी उसकी आवाज सुनी थी, अपने जानकार भाई की आवाज।

इस लम्हे पर ये क्सिऊ पहले ही मुड़ चुका था और तुरंत ही स्थिति को संभाल चुका था। भूमि सप्तम और बाकी काफी आराम से थे और उन्हें अपने जानकार भाई को बोलते सुना, "सरकार आप आज देर तक जगे थे, क्या आप चेहरे पर नकाब लगाकर दौड़ रहे थे मानो की सफेद परी हो?" 

"क्या?" भूमि सप्तम चौका हुआ था।

"एक प्रेम कथा" वरुण लहर ने निजी संदेश भेजा। 

तीनों तुरंत ही शांत हो गये और अपने हेडफोन को मजबूती से कान पर लगाए थे।

"मैं सो नहीं सका, इसलिए नीचे आ गया थोड़ी देर के लिए" चेन गुओ ने कहा, अपना नकाब निकालते हुए।

"भूमि सप्तम पीछे हटो। वरुण लहर आगे जाओ। सूर्यास्त मेघ ध्यान दो 4:00 बजे की दिशा पर" ये क्सिऊ ने सभी को युद्ध में आदेश देते हुए कहा।

चेन गुओ ने शांति से देखा कि ये क्सिऊ राक्षसों को मार रहा था और अचानक कहा "मुझे लगता है कि ये किउ को संन्यास नहीं लेना चाहिए था" 

"मैं तुम्हारी बात से सहमत हूँ" ये क्सिऊ ने कहा। 

"ऐसा इसलिए क्योंकि उसका दर्जा बहुत ऊंचा था। जैसे ही सुनहरा दौर को उससे दिक्कत हुई, उसने सब अपने नेता के माथे पर थोप दिया" चेन गुओ ने कहा

"ओह"

"मैंने सुनहरा दौर की सभी लड़ाइयां देखी है। मुझे लगता है कि ये किउ और युद्ध के देवता एक ऑटम लीफ इतने ताकतवर नहीं है जितने पहले हुआ करते थे " 

"...." ये क्सिऊ शांत था।

"आज का प्रोफेशनल अलायन्स बहुत ज्यादा विकसित हो चुका है और हर तरफ जानकार हैं। उदाहरण के लिए बाबूमोशाय बंदूकबाज, तलवार वाला साधू, लड़ाई का जादूगर, ये सब खिलाड़ी ये किउ से खराब नहीं थे और उनके खाते भी उतने ही मजबूत जितना एक ऑटम लीफ " 

" ....." अभी भी सन्नाटा।

"आजकल तो, एक आदमी बहुत ज्यादा देर तक दल को नहीं ले चल सकता। पर लोगों ने हमेशा उम्मीद की थी कि ये किउ अभी भी अपनी ताकत दिखा सकता है जैसे अपने सुनहरे दिनों में दिखाया करता था। उनकी मांगे उसके लिए वैसी ही बड़ी-बड़ी थी" चेन गुओ ने कहा।

"भूमि सप्तम हल्का सा पलटा। तुम बहुत दूर तो नहीं चले गए थे। सूर्यास्त मेघ तुम और वरुण लहर एक साथ खड़े हो जाओ। मैं इन्हें अकेले ही संभाल लूंगा" जब तक ये क्सिऊ उन्हें निर्देश दे रहा था, वह अपने कीबोर्ड पर "पा पा" दबा रहा था।

"धत्त" चेन गुओ ने गुस्से में चिल्लाया। वो उठी और उसने ये क्सिऊ की गर्दन पकड़ ली। जब उसने हिंसात्मक रूप से उसकी गर्दन हिलाई और चिल्लाई "क्या तुमने सुना मैंने क्या कहा? क्या तुमने सुना मैंने क्या कहा? " 

इंटरनेट कैफे के मेहमान कांपने लग गए। लगभग रोज आने वाले ग्राहक अपनी नजरें चुरा के इधर-उधर देखने लगे कि किसने मैडम हें गुओ को उकसाया। इस तरह की तेज चीख से, आज हर कोई डर गया था और सब को लग रहा था कि आज कोई दर्दनाक अंत की ओर बढ़ रहा था। 

ये क्सिऊ के सर पर लगा हेडफोन हिलने लगा और गिर गया। अंदर भूमि सप्तम और बाकी भी धीमी कांपती हुई आवाज में चिल्ला रहे थे "मैंने सुना, मैंने सुना" 

इस हालत में भी, ये क्सिऊ ने हाथों को स्थिर रखा था। खेल में विकेट देव लगातार अच्छा कर रहा था पर उसका मास्टर ये क्सिऊ, कठिन दौर से गुजर रहा था। उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और लग रहा था कि वह घुट के मर जाएगा। 

जैसे ही ये क्सिऊ की जबान गिर के बाहर आने को हुई चेन गुओ ने उसे छोड़ दिया। ये क्सिऊ तेजी से खासा पर उसकी नजर अभी भी स्क्रीन पर से हटी नहीं थी। उसने चेन गुओ से पूछा "क्या कहा तुमने?" इस दौरान उसने तेजी से हेडफोन उठाया और चीखते हुए हेड फोन में कहा "भूमि सप्तम वापस आओ, वापस आओ" 

अपना हेडफोन फेंकने के बाद, उसने हाथों को तेजी से कीबोर्ड पर दौड़ाया। उसके पास समय नहीं था कि वह उन्हें फिर से लगा सके। खेल में चारों के पास इस समय एक सरगना था लड़ने के लिए। सही में एक आदमी को इस समय याद कर रहे थे। उन्हें ये क्सिऊ के विकेट देव की जरूरत थी। 

चेन गुओ ने देख लिया था कि यह आदमी बिल्कुल ही पागल नहीं है। मैं सिर्फ उसको यूं ही दम घोट के नहीं मार सकती क्या मैं मार सकती हूँ? असहाय होकर वह फिर से बैठ गई। उसने अपने सामने रखा हुआ कंप्यूटर चालू कर लिया "मेरे साथ खेलो" 

ये क्सिऊ ने फिर से अपना सर घुमाया और देखा "वह सर्वर कंप्यूटर है" 

"मैं यहाँ की मालिक हूँ" चेन गुओ ने कहा। 

ये क्सिऊ ने कुछ नहीं कहा। वह नियम ज्यादा ताकतवर था उन नियमों से जो कभी सर्वर इस्तेमाल नहीं करने देते थे। 

"मैं तुमसे कैसे खेल सकता हूँ?" ये क्सिऊ ने पूछने के लिए अपना सर नहीं हिलाया। वो इस समय छिड़ी हुई गम्भीर लड़ाई लड़ रहा था, सरगना के साथ।

"मेरे पास एक खाता 10 वे सर्वर में भी है" चेन गुओ ने एक कार्ड लहराते हुए ये क्सिऊ को दिखाया। अंत में ये क्सिऊ बस इतना कह पाया "ओह" और अभी भी पीछे नहीं मुड़ा। गुस्सा होकर चेन गुओ ने श्राप दिया। "मुझे तुम्हें दम घोट के ही मार देना चाहिए था और एक गड्ढा खोदकर तुम्हें उस में दफना देना चाहिए था"

"तो पहले तुम जाकर अपने शुरुआती मिशन पूरे कर लो" ये क्सिऊ ने कहा।

"मैं मिशन नहीं करती। मुझे कोठरी में लेकर आओ" चेन गुओ ने थोड़ा निर्दयता से व्यवहार किया। उसने पहले ही निश्चय कर लिया था कि वह जो भी कहेगा वो उसका उल्टा करेगी।

"तुम अभी पहले दर्जे पर हो, मैं तुम्हें कोठरी में कैसे जा सकता हूँ?" ये क्सिऊ ने पूछा। हरे जंगल सबसे निचले दर्जे की कोठरियां हैं पांचवे से 10 वे दर्जे के बीच में। अगर वह 5 वे दर्जे की नहीं थी तो वो उसमें नहीं घुस सकती थी। 

"कुछ सोचो" चेन गुओ ने कहा।

"ठीक है मुझे सोचने दो" ये क्सिऊ ने हामी भरी। उसके बाद उसके हाथ फिर से "पा पा" दबाने लग गए। अचानक उसने अपना हेडफोन उठाया "वरुण लहर तुम अपनी पिछली अवस्था में चले जाओ तुम घिरने वाले हो। तुम लोगों को क्या हो गया है? इतनी सारी गलतियां"

अपना हेडफोन फेंकने के बाद उसने कुछ उँगलियों के चटकने की आवाज अपने पीछे सुनी। चेन गुओ अपने दांत पीसते हुए पूछ रही थी "क्या तुमने कुछ सोचा?" 

"एक चीज सोची है" ये क्सिऊ ने तुरंत जवाब दिया 

"ओह?" चेन गुओ चौक पर पूछी। ये कुछ ऐसा था जो लगभग असंभव था इस बनी हुई व्यवस्था में। उसे कैसे रास्ता मिल गया? 

"मिशन के बारे में सोचना भी मत बस राक्षसों को मार दो जब तक तुम 5 वे दर्जे पर हो" ये क्सिऊ ने कहा। 

"मैं सबसे पहले तुम्हें मारूंगी।"