सफेद भेड़िया, सफेद चुड़ैल जमे हुए जंगल के छिपे हुए सरगना थे। चुड़ैल का लॉकेट बस एक गहना था इसलिए नीलधारा को इसे छोड़ देने में कोई तकलीफ नहीं हुई पर सफेद भेड़िए के पैने पंजे बहुत कीमती थे।
जमा हुआ जंगल शुरुआती गांव की कोठरियों की तरह सिखाने के कार्यक्रम का हिस्सा नहीं था। हर आदमी ज्यादा से ज्यादा 4 बार उसमें घुस सकता था। यह कहना कठिन था की छिपा हुआ सरगना उनसे चार बार में मिलेगा या नहीं। इससे भी ज्यादा दो तिहाई मौका था, छिपा हुआ सरगना एक सफेद भेड़िया न हो।
अगर ये क्सिऊ केवल ये 8 सफेद भेड़िए के पैने पंजे चाहता था तो नीलधारा को उन्हें देने में कोई तकलीफ न होती। पर 72 मजबूत मखमल के धागे और 8 सफेद भेड़िये के पंजे नीलधारा को लगा कि यह आदमी कुछ ज्यादा ही लालची है और यह इस लायक है की बेशर्म नौसिखिया कहलाए जिसने अपनी पार्टी को मार दिया था, एक छिपे हुए सरगना के लिए। यह मायने नहीं रखती कि यह व्यक्ति कितना कुशल था, उसका व्यक्तित्व बिल्कुल भी अच्छा नहीं था। क्या इस तरह का खिलाड़ी इस लायक है कि उसे संघ में शामिल किया जा सके?
नीलधारा ने अभी से झिझकना चालू कर दिया था, पर ये क्सिऊ ने न तो बहुत तेज, न ही बहुत धीरे कहा "बहुत ज्यादा? तो मुझे चुड़ैल का लॉकेट नहीं चाहिए अब ठीक है?"
नीलधारा समझ नहीं पा रहा था कि उसे हँसना चाहिए या रोना चाहिए और तेजी से जवाब दिया "साथी हम सभी को लगता है कि हमें चुड़ैल के लॉकेट की खास जरूरत नहीं है पर जहाँ तक मखमल के मजबूत धागों और भेड़िए के पैने पंजो का सवाल है ...."
"तो कितना मुनासिब होगा?" ये क्सिऊ ने पूछा।
"दो में से एक को चुनो" नीलधारा ने कहा।
"यह तो.... कठिन है चुनने के लिए" ये क्सिऊ ने कहा।
"तुम अपनी ही मिठाई खुद नहीं खा सकते हो साथी" नीलधारा ने शरीफता से कहा।
"तो सफेद भेड़िए के पैने पंजे" ये क्सिऊ ने कहा।
"ठीक है" नीलधारा ने राहत की सांस ली।
"पर कुछ मखमल के मजबूत धागे अच्छे बर्ताव की निशानी हो सकते हैं, है ना?" ये क्सिऊ ने फिर से कहा।
नीलधारा को लगा कि अब उसे खून की उल्टी हो जाएगी।
"40 कैसा रहेगा?" ये क्सिऊ ने कहा।
"भाई तुम...." नीलधारा लगभग खामोश हो गया था।
"30?"
"आह"
"25 अब ये ठीक है?" ये क्सिऊ ने कहा।
नीलधारा काफी समय तक खामोश रहा। उसके हाथ की बोर्ड पर ठहर गए थे और उसे कोई सही शब्द नहीं मिल रहा था।
"24?"
नीलधारा का दिल अचानक पिघल गया। इस आदमी ने पहले ही एक-एक करके घटाना शुरू कर दिया था। नील नदी संघ जैसे बड़े दल को यह सौदेबाजी शोभा नहीं देती थी वह भी कुछ मखमल के मजबूत धागों के लिए। नीलधारा ने तुरंत लिखते हुए कहा "ठीक है यह सही रहेगा"
"ठीक है"
जैसे ही नीलधारा ने राहत की सांस ली उसने एक और संदेश उभरते हुए देखा "तो क्या तुम मुझे कुछ चुड़ैल के लॉकेट दे सकते हो, है न? मेरा मतलब था कि तुमने कहा था कि तुम्हें खास फर्क नहीं पड़ता उससे"
नीलधारा लगभग अपनी कुर्सी से गिर पड़ा। यह किस तरह का आदमी था? चुड़ैल के लॉकेट का कोई मोल नहीं था फिर भी वह उसके लिए सौदेबाजी कर रहा था?
"तुम्हें यह सब सामान क्यों चाहिए?" नीलधारा उसे समझ नहीं पा रहा था।
"यह सामान तुम्हारी नजरों में बिना किसी भाव के हैं पर औरों के लिए यह अनमोल हैं" ये क्सिऊ ने कहा।
नीलधारा को साफ़ तौर पर पता था कि ये क्सिऊ उन लड़कियों की बात कर रहा था जिन्हें यह गहने पसंद होते थे। क्या ये आदमी सही में उन जैसी किसी लड़की को फंसना चाहता था? अगर वह ऐसा करना चाहता था, तो जो भी हो, पर इतनी सारी एक साथ? इसे कितनी लड़कियां चाहिए? नीलधारा ने गहरे तौर पर इस आदमी से दुखी होते हुए पूछा कि "तुम्हें कितने की जरूरत है?"
"मुझे लगा तुम्हें उनसे खास फर्क नहीं पड़ता? तो क्यों न तुम सारे दे दो?" ये क्सिऊ ने कहा।
"हमारे पास उतने नहीं है, केवल दो..." नीलधारा ने झूठ कहा और उसे बेहद बुरा भी लगा कि कैसे उसने कहा था कि उसे फर्क नहीं पड़ता। वास्तव में यह खिलौने ज्यादा कीमत नहीं रखते थे पर वह फिर भी बहुत ही अनोखे गहने थे। अपनी कुछ महिला साथियों को संघ में यह देना एक अच्छा विकल्प माना जाता था इसलिए उन्हें मुफ्त में बांटना उसके दिल को ठेस पहुंचा रहा था।
"...."
ये क्सिऊ ने कुछ चक्कर और लगाए, जिसने नीलधारा को गुस्से से लाल कर दिया। उसके बोले हुए झूठ साफ साफ पता चल रहे थे पर वह उन्हें पहले ही बोल चुका था। नीलधारा ने गंभीरता से कहा "तो फिर यह तय रहा?"
"अगर कोई छिपा हुआ सरगना आ गया तो हम इसे कैसे बांटेगे?" ये क्सिऊ ने पूछा।
"हर कोई उसके लिए दौड़ पड़ेगा" नीलधारा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
"...."
चक्कर, और चक्कर। नीलधारा ने ठंडी सांस ली। वह किसी आदमी को जो उसका फायदा उठाना चाहता है उसे लाभ नहीं देना चाहता था। पलट जाना ही बेहतर दिख रहा था। पर नीलधारा और अन्य दोस्त थे। अगर अकेला बाहरी पलट सकता था तो उनके पास 'चार पर एक' का मौका था। वो अभी भी भारी फायदे में थे। यह आदमी इस बात को अच्छे से समझ रहा था।
"हा हा हम सिर्फ मजाक कर रहे थे...." नीलधारा ने हा हा लिखने के बाद कहा "छिपे हुए सरगना को मारने के बाद शायद हमारे पास कीर्तिमान तोड़ने का समय न हो इसलिए हम नहीं चाहते कि हम कुछ नहीं के लिए व्यस्त हो जायें। भाई तुम छिपे हुए सरगना के गिरे हुए सामानों को सबसे पहले उठाना, यह कैसा रहा?"
"ठीक है तो यह तय रहा" ये क्सिऊ ने जवाब दिया।
"तो साथी, तुम कब आ सकते हो? हम सब तुम्हारा जमे हुए जंगल में इंतजार करेंगे" नीलधारा ने कहा।
"ओह 1 मिनट का समय दो, मैं यह कोठरी पार करके आता हूँ" ये क्सिऊ ने कहा।
"ठीक है" नीलधारा ने अपना सर हिलाया। उसने एक नजर ये क्सिऊ की मित्र सूची पर डाली "भाई क्या तुम, पहले अपना वर्ग नहीं बदलना चाहते हो?"
"कोई जरूरत नहीं है मैं ऐसे ही चलना पसंद करता हूँ"
नीलधारा चौंका हुआ था "ऐसे"
"अभी इस पर बात नहीं करते हैं मुझे तेजी दिखाने की जरूरत है और कोठरी पार करनी है" ये क्सिऊ ने जवाब दिया।
जिसके फलस्वरूप नीलधारा ने बात करनी बंद कर दी और सन्नाटे में चला गया। अतीत के बारे में सोच कर और भविष्य के ख्याल से उसे लगा कि कुछ सही नहीं हो रहा है। उसने ध्यान से इधर-उधर काफी देर तक देखा और फिर अचानक से अपनी जंघा पर एक वार महसूस किया।
क्या सोच रहे हो? उसका मकसद इस आदमी के साथ कोठरी में जाना था ताकि वह उससे दोस्ती कर सके। पर अंत में वह उससे गिरे हुए इनाम के ऊपर ही सौदेबाजी करता रह गया जिसने स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया। इससे ऐसा लगा जैसे वह उसे अपने साथ काम करने के लिए बुला रहा हो। क्या महान नील नदी संघ अब इतना नीचे गिर गया था कि वह भाड़े के हत्यारे रखेगा काम करने के लिए?
ऐसा सोचकर नीलधारा को काफी बुरा लगा अपने उस सौदेबाजी पर जो उसने गिरे हुए सामानों के लिए की थी और पाया कि जैसे उसने उन्हें मुफ्त में दे दिया हो। पर अचानक उसने शर्तों के बारे में सोचा कि उसे कीर्तिमान तोड़ने थे।
नीलधारा अचानक से अंधकार में देख रहा था।
किसी आदमी को खोजना, कीर्तिमान तोड़ना, यह सब सिर्फ बहाने थे। उनके नील नदी संघ ने अब तक कुल 40 जानकार नए सर्वर में बटोर लिए थे। वह कैसे एक पूरा दल बनाने में सक्षम नहीं हो पा रहे थे? एक आदमी की तलाश सिर्फ कारण था उसे बुलाने का। फिर जहाँ तक कीर्तिमान तोड़ने की बात थी, सिर्फ वही एक रास्ता था की की सब एक मकसद से आगे बढ़ सके, साथ लड़ सके और आसानी से एक दूसरे से जुड़ सकें।
सही बात तो यह थी कि नीलधारा ने नहीं सोचा था कि एक आदमी को बुलाने से वह कीर्तिमान तोड़ने में कामयाब हो जाएंगे। 12 बजने के तुरंत बाद ही कोठरी के कीर्तिमान टूट चुके थे। नीलधारा ने पहले ही एक पार्टी को जो नील नदी संघ में सबसे मजबूत जानकारों की थी उनके साथ जमे हुए जंगल में तीन बार गया पर उसने एक धीमी गति बनाए रखी,अपने कीर्तिमान और औषधीय उद्यान के कीर्तिमान के बीच। अगर यह नया आदमी उनकी मदद कर सकता उस कीर्तिमान को तोड़ने में तो क्या उसकी ताकत उसके संघ के बड़े खिलाड़ियों से अच्छी न होती?
नीलधारा को महसूस हुआ कि विकट देव के पास कुशलता तो है पर उसे नहीं लगा कि वह उससे भी ज्यादा मजबूत कला का धनी हो सकता था। पर अंत में उसने काफी गंभीरता से पार करने के बाद मिलने वाले सामानों पर सौदेबाजी की थी, क्या यह सब इतने के लायक था? वह अभी भी 20 वे दर्जे का था और अपना वर्ग भी अभी तक नहीं बदला था। क्या ऐसा आदमी पार करने का एक नया कीर्तिमान रच पाएगा?
"नीलधारा क्या तुमने उससे संपर्क कर लिया?" इसी समय पर नीलधारा के साथ रहने वाले दोस्त गोलू नाविक ने कहा।
"मैंने उसे बुलाया है। वह कुछ ही समय में यहाँ होगा, कौन अपनी स्थिति छोड़ने को तैयार है?" नील नदी ने पार्टी से पूछा।
"ओह, तो मैं कुछ देर के लिए आराम करना चाहूँगा" किसी एक ने कहा।
जैसे ही नीलधारा ने कहा "ठीक है" इस खिलाड़ी ने पार्टी छोड़ दी। बाकी सब कोठरी के दरवाजे के बाहर बैठकर विकट देव का इंतजार करने लगे कि उसका आलीशान रथ आया। नीलधारा के दिल में अभी भी झिझक महसूस हो रही थी।