मुझे माफ कर दो, सारी गलती मेरी थी

उसने अपने होंठों से उसके रेशमी बालों को चूमा और एक गहरी आवाज़ में बड़बड़ाया ,

"सब कुछ अब ठीक है मोर । अच्छे से व्यवहार करो। अब और चिंता मत करो! मैं अब यहाँ हूँ।" हालाँकि वह उसे सांत्वना दे रहा था पर वह वास्तव में खुद को सांत्वना देने की कोशिश कर रहा था।

गू मोहन उठा और उसे बिस्तर पर ले गया।

हुओ बाईचेन कमरे से बाहर निकल गया और अपनी प्राथमिक चिकित्सा के डिब्बे लेकर वापस लौटा था। गू मोहन ने पेटी खोली और उसने उसे बहुत बारीकी से खोजा । आखिर में वह जो दवा चाहता था वह उसे मिल गई और उसने उसके घाव की मरहम पट्टी की।

उस समय के दौरान टैंग मोर अंत में अपनी आँखें हल्के से खोलने में कामयाब रही। बहुत कठिनाई के साथ वह अपने बिस्तर के बगल में धुंधली पीली रोशनी के नीचे मौजूद आदमी को देख पाई और वह तुरंत ही रोने लगी।

गू मोहन ने अपनी आँखें उठाई और उसे रोते हुए देखा। उसकी आँखों के कोने से गर्म आँसू गिर रहे थे। वह फिर से बिना कोई आवाज़ किए खामोशी से रो रही थी।

उसे लगा जैसे एक तेज चाकू ने उसके दिल को छेद दिया था और यह चारों ओर घूम रहा था जिससे उसे बहुत दर्द हो रहा था। अपने बड़े हाथों को बाहर निकालते हुए गू मोहन ने उसके रेशमी बालों को अपने कानों के पीछे कर लिया और अपने चेहरे की ओर देखने के लिए उसे मजबूर कर दिया।

 "क्या हुआ मोर मुझे बताओ आखिर तुम क्यों रो रहे हो? क्या यह दर्द हो रहा है?"

टैंग मोर शुरू में खामोशी से रो रही थी लेकिन उसकी सांत्वना के शब्दों को सुनने के बाद वह खुद को रोक नहीं पाई और उसके कमजोर कंधे काँपने लगे और वह जोर-जोर से रोने लगी।

गू मोहन को पता नहीं था कि उसे कैसे प्रतिक्रिया करनी चाहिए या उसे कैसे सांत्वना देनी चाहिए । इस महिला ने हमेशा उसे खुलकर आने पर मजबूर किया था।

अपने जीवन के पिछले 30 वर्षों में उसने अनगिनत अंतर्राष्ट्रीय बैठकों में भाग लिया था और उसने सबसे प्रतिष्ठित मंचों पर खड़े होकर प्रतिष्ठित दर्शकों के सामने खुद को पेश किया था। उसके पूरे जीवन में यह सब चीज़े उसके लिए आसान रही थी और सब कुछ उनके नियंत्रण में था।

लेकिन अब बिना किसी विचार कि उसे क्या करना था वह काफी बेचैन था। टैंग मोर उसकी कमजोरी थी और उसका दिल टूट रहा था।

"अच्छा से व्यवहार करो मोर। रो मत। मैं माफ मांगता हूँ यहाँ सारी मेरी गलती थी।"

गू मोहन उसके चेहरे पर आंसू चूमा और बाद में अवचेतन रूप से उसके छोटे मुँह को चूमने के लिए आगे बढ़ गया।

वह उसे चूमने से कभी थकता नहीं था।

हुओ बाईचेन उनसे काफी दूर था वह कमरे के दरवाज़े के पास खड़ा हुआ था और उसने गू मोहन के लंबे शरीर को टैंग मोर को चूमते हुए देखा। उसकी छोटी गुलाबी जीभ उसके मुँह में थी और उसने उसकी जीभ को चूसा जैसे वह दुनिया की सबसे स्वादिष्ट मिठाई का स्वाद ले रहा हो।

यह उसके टैंग के प्रति मोह का संकेत था।

हुओ बाईचेन की पुतलियों गहरी हो गयी जब उसने खुद के बारे में सोचा। कोई भी गू मोहन और टैंग मोर के बीच नहीं आ सकता था।

यह एक ऐसी दुनिया थी जो उन दोनों की ही थी जिनमें किसी और के लिए कोई जगह नहीं थी।

वह कमरे से बाहर चला गया और उन्हें अकेला छोड़ दिया।

गू मोहन ने टैंग मोर को चूमा और तब उसने अपनी जीभ पर डंक महसूस किया टैंग मोर ने अपने सफेद दाँतों से उसे काट लिया था। 

यद्यपि उसने उसे काटने के लिए एक तुच्छ शक्ति का उपयोग किया था लेकिन इससे उसके प्रति उसका विरोध और अनिच्छा साफ झलकता था ।

गू मोहन जम गया और वह धीरे-धीरे उसके होंठों से दूर चला गया और उसकी बगल में अपने शरीर को अपने हाथ से सहारा दिया। उसके कागज़ से सफेद चेहरे को देखते हुए वह बड़बड़ाया "मोर, क्या लव पी के ज़हर ने तुम पर असर किया है? मुझे खेद है कि मुझे देर हो गई है। जल्दी करो और यह गोली ले लो।"

टैंग मोर का पूरा शरीर अभी भी दर्द कर रहा था। यह दर्द कभी रुका ही नहीं था। हालांकि एक बार जब दर्द सहना मुश्किल हो गया तो उसका मन भ्रमित हो गया था और उससे कुछ भी महसूस होना बंद हो गया था।

हालाँकि उसकी बुद्धिमत्ता गायब नहीं हुई थी।

अपनी हथेली में मौजूद लाल गोली को देखी जो केवल आधी थी और उसने नरम मगर तीखे स्वर में पूछा, "यह क्या है?"

"यह तुम्हारे जहर के लिए विषनाशक है। कुछ परिस्थितियों के कारण केवल आधा ही है लेकिन यह तुम्हारे शरीर में जहर की शक्ति को कम कर देगा। दूसरा आधा हिस्सा भी जल्द ही निर्मित होगा " गू मोहन ने गोली को उसके मुंह के ठीक सामने रखा।

सभी आँसू गिरने के बाद भी टैंग मोर की आँखें स्पष्ट रूप से चमक रही थीं। गोली पकड़ने के लिए उसके छोटे हाथ को बाहर निकालते हुए उसकी आवाज़ नरम हो गयी थी। 

"मेरे लिए एक गिलास पानी ले आओ।"

"ठीक है।"

गू मोहन उठा और उसके लिए कुछ पानी लाने के लिए रात्रिस्तंभ की ओर बढ़ गया ।

जब वह वापस लौटा तो वह पहले ही बिस्तर से उठ चुकी थी और उसकी सफेद पोशाक में वह उदासीन हालत में बालकनी में रेलिंग के पास खड़ी थी।