मेरे साथ खेल खेल रहा है (3)

किन जहीए ने मुश्किल से एक कदम ही आगे बढ़ाया होगा कि उसके पीछे से फोन बजा।

फोन को जल्दी उठा लिया गया। किन जहीए को समझ नहीं आ रहा था कि गु यूशेंग किससे बात कर रहा था या किसके बारे में बात चल रहा था, लेकिन अचानक से गु यूशेंग को गुस्सा आ गया। बिना कुछ कहे उसने हाथ में पकड़ा हुआ फोन किन जहीए के ऊपर फेंक दिया। "लियांग डौको, तुमको वास्तव में क्या चाहती हो ?! तुम यह सब कब बंद करोगी?!

फोन को इतनी जोर से फेंका गया था कि वो किन के कान के कोने से गुजरता हुआ ठीक उसके पीछे रखे शीशे के कैबिनेट में जाकर लगा। 

जोरदार धमाके के साथ कांच फर्श पर बिखर गया।

जिस स्थिति को लेकर वह चिंतित थी वह सामने आ गई थी। उसके पैर जेली की तरह लगभग जमीन पर गिरने वाले थे। वह अपने अस्थिर पैरों से दरवाजे को टटोलने के अलावा घूमने की हिम्मत नहीं कर सकती थी।

इससे पहले कि वह दरवाजे तक पहुंच पाती, उसकी कोहनी को गु यूशेंग ने पकड़ लिया। निर्दय ताकत के साथ, किन को अचानक कमरे में वापस खींचा लिया। "बहुत अच्छा, तुम्हरा अभिनय दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है हुह ... मेरे साथ खेल खेलना और दोनों तरफ एक साथ काम करना सीख लिया है तुमने ? पूरा दिन खुद को मेरे सामने लाना काफी नहीं था कि अब तुम भी ...।"

ऐसा लग रहा था कि गु यूशेंग गुस्से में पागल हो रहा था क्योंकि उसकी छाती ऊपर से नीचे तक तप रही थी, अभी तक उसकी नाराजगी थोड़ी सी भी कम नहीं हुई थी। 

कुछ सेकंड के लिए रूकने से पहले उसने किन की कलाई पकड़ ली और उसे वॉशरूम में खींच लिया।

दरवाजा बंद था और उसके पीछे ताला लगा था। ऐसा लग रहा था कि उसका दिमाग उसके वश में नहीं था, किन के ऊपर झपट कर उसके कपड़े फाड़ दिए। 

हर बार जब वे एक-दूसरे से मिले, तो गु यूशेंग गुस्सा में होता था, लेकिन ये सामना उस पल की तरह बहुत ही भयानक था। 

गु यूशेंग की आंखों में खून था, उसके माथे पर नसें साफ दिखाई दे रही थीं। उसकी बेरहम अभिव्यक्ति से ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी भी समय किन को सख्त सजा देगा। 

जो दर्द गु यूशेंग ने इस बार उसे दिया था वो पिछली दो बार से और भी अधिक बुरा था। 

किन जहीए जानती थी कि गु यूशेंग ये सब जानबूझ कर रहा था। 

किन ने पिछली बार की तरह अपने दर्द को कम करने के लिए अपना ध्यान किसी दूसरी ओर करने के कोशिश की थी लेकिन इस बार इसका कोई फायदा नहीं हुआ। 

ऐसे कई बार हुआ था जब वह लगभग रोती थी, दया की भीख मांगती थी, लेकिन अंत में अपने होंठों को थोड़ा सा काट लेती और अपने रोने को सहन कर लेती। 

किन जहीए भी बहुत जिद्दी थी। हालांकि, कभी न खत्म होने वाला यह कष्ट सहन करना बहुत ही मुश्किल था, लेकिन उसने थोड़ी सी भी आवाज नहीं की।

जब गु यूशेंग ने किन को आखिर जाने दिया, इसके बाद ऐसा लगा जैसे सदी बीत गई हो। 

एक सफेद चादर जैसे सफेद रंग के चेहरे के साथ, किन वहां से जितनी जल्दी हो सके भाग गई, खुद को वॉशरूम में एक कोने में निचोड़ते हुए जैसे कि उसका जीवन खत्म हो गया था।

पिछले समय के विपरीत, गु यूशेंग ने अपना काम समाप्त करते ही जगह नहीं छोड़ी थी, और न ही गु ने किन को नजरअंदाज किया जैसे कि वो हमेशा उसे देखकर किया करता था। 

किन के कपड़े छोटे टुकड़ो में हो गए थे, जबकि गु यूशेंग के कपड़े मुड़े हुए और बहुत गंदे थे। 

गु यूशेंग ने किसी भी चीज को नहीं देखा। वह किन जहीए से ज्यादा दूर नहीं खड़ा था। शायद मुमकिन था कि ये वॉशरूम में रोशनी थी, लेकिन उसका चेहरा पीला लग रहा था।

समय बीता, उसने ऊपर किन जहीए को देखा जिसने अपने आपको कोने में छुपा लिया था। 

अपनी बर्फीले ठंडे नजरों से गु यूशेंग ने रूखे तरीके से कहा जैसे वो हमेशा करता था। "अगर तुमको डर नहीं लगता तो मैं तुम्हें हर तरह से तब तक कष्ट देता रहूंगा जब तक कि तुम्हें मौत नहीं आ जाती, क्योंकि तुमने दादजी को हमारे घर में रहने के लिए हालत बना दिए है …"