Shairy No 20

अर्ज़ कुछ यूँ किया है जरा गौर फरमाइयेगा

ऐ तकदीर

सितम ढ़ा ले जितना जी चाहे हम नहीं हारने वाले

सितम ढ़ा ले जितना जी चाहे हम नहीं हारने वाले

फौलाद हूं मैं उस आग का जिसे कोई ना बुझा पाए