Poem No 43 ख़ामोशी मे जो मजा है

ख़ामोशी मे जो मजा है

वो बहस मे नहीं है

खामोश जब हम रहते है

तो दिमाग़ भी ठीक से काम करते है

नई नई ख़याले आते है

नई कहानियाँ बनती है

ख़ामोशी मे जो मजा है

वो बहस मे नाही है

----Raj