Poem No 52 घर की तन्हाई

घर की तन्हाई

किसे रास आई

क्या करें हम

तन्हा रहतें हैं हम

ना कोई हमसफ़र

ना ही कोई साथी

काश हम तन्हा ना होते

हमारा भी कोई अपना होते

घर की तन्हाई

किसे रास आई

----Raj