Poem No 71 ये जानते हुए भी

ये जानते हुए भी

पहचानते हुए भी

अजनबी समझें

प्यार को ठुकरा दिये

कोई गिला नहीं

कोई शिकवा नहीं

खुश रहो तुम सदा

यह दुआ है मेरी

ये जानते हुए भी

पहचानते हुए भी

अजनबी समझें

प्यार को ठुकरा दिये

----Raj