Poem No 83 कौन सोचता है

कौन सोचता है

आज के ज़माने में

क्या गुजर रहा है

दूसरों के ज़िन्दगी में

अपनी ही पड़ी है

लोगों के दिलों में

वक़्त कहा है

दूसरों को सँभालने में

कौन सोचता है

आज के ज़माने में

क्या गुजर रहा है

दूसरों के ज़िन्दगी में

----Raj