Name of Story:- DOSTI
Intro...
यह कहानी दो बेस्ट फ्रेंड की...
आज़म और वरुन दोनों अच्छे दोस्त हैं
आज़म:- एक बिज़निस मेन हैं और उसकी लाइफ बहुत अमेजिंग हैं। उसके पास हर वो चीज हैं जिसके लोग सपने देखते हैं आज़म अपनी लाइफ से बहुत खुश हैं और उसकी इस खुशी को डबल कर देने वाला उसका दोस्त वरुन हैं।
क्योंकि आज़म और वरुन एक ही अनाथ आश्रम में बड़े हुए हैं। आज़म को बिज़निस में इंट्रेस्ट था और वरुन को सरकारी जॉब में दोनों ने ही अपनी- अपनी मंज़िलें पाली थी।
एक दिन आज़म की तबीयत अचानक से खराब हो जाती। वरुन, आज़म को जल्दी से हॉस्पिटल में एडमिट करता हैं। और डॉक्टर से कहता हैं। डॉक्टर मेरे दोस्त को कुछ भी करके बचा लीजिए प्लीज़।डॉक्टर आज़म का ट्रीटमेंट स्टार्ट कर देते हैं।
एक घण्टे बाद
कम्पाउण्डर:- वरुन जी आपको डॉक्टर ने अपने केबिन में बुलाया है।
वरुन:- डॉक्टर क्या में अंदर आ सकता हूँ?
डॉक्टर:- जी हाँ
वरुन:- डॉक्टर आज़म को क्या हुआ है अब वो ठीक तो है ना कोई परेशानी वाली बात तो नही?
डॉक्टर:- थोड़ी देर खामोश रहते और बोलते वरुन जी आज़म की हेल्थकेयर बिल्कुल भी सही नही हैं।
( दो दिन बाद )
आज़म की हेल्थकेयर अब पहले से काफी ठीक हैं।
आज़म डॉक्टर से:- डॉक्टर मुझे क्या हुआ था मैं अचानक बीमार कैसे हो गया?
डॉक्टर:- आज़म तुम्हारी दोनो किटनी फेल हो चुकी थी इसीलिए तुम अचानक बिमार पड़ गए।
आज़म:- तो डॉक्टर मुझे किटनी किसने दी?
डॉक्टर:- तुम्हें किटनी तुम्हारे दोस्त वरुन ने दी है।
आज़म:- डॉक्टर आप यह क्या बोल रहे हैं वरुन कहाँ हैं अब वह कैसा है आज़म बहुत ज्यादा परेशान हो जाता हैं।
डॉक्टर:- परेशानी की कोई बात नहीं वरुन बिल्कुल ठीक है।
कुछ देर बाद वरुन,आज़म से मिलने आता हैं।
वरुन:- आज़म मेरे यार अब कैसा हैं?
आज़म:- यार वरुन मैं तेरा यह ऐहसान कैसे अदा करूँगा मेरे दोस्त यह कहते हुए दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया।
वरुन:- दोस्त भी बोलता है और ऐहसान की बात भी करता हैं तूने क्या मेरे ऊपर कम ऐहसान किया हैं आज मैं जो कुछ भी हूँ सब तेरी ही वज़ह से हूँ।
वरुन:- हाँ अगर तू मुझे अपना दोस्त मानता है तो तुझे मेरी एक बात माननी पड़ेगी।
आज़म:- यार जो तू कहेगा वो मैं करुगा. वादा
वरुन:- मैंने अपने लिए भाभी देखली हैं अब तुम दोनों को साथ में रहना है।
आज़म:- वो तो ठीक लेकिन वह हैं कोन?
वरुन:- बुलाता हूँ। वरुन जन्नत कहके आवाज़ लगता हैं
।
आज़म जन्नत को अच्छी तरह से पहचानता हैं क्योंकि जन्नत आज़म के ही ऑफिस में काम करती हैं।
आज़म:- यार यह तो जन्नत हैं।
वरुन:- हाँ आज़म यह जन्नत हैं और तुझे पता है कि जन्नत तुझसे कितना प्यार करती हैं जब तू हॉस्पिटल में एडमिट था तब इस लड़की ने तेरी कितनी देख-भाल की तेरी सलामती के लिए इसने खुदा से कितनी दुआ की हैं यार यह तेरे लिए बेस्ट हैं यार मानजा।
आज़म:- लेकिन कभी जन्नत ने मुझे बताया नही कि वह मुझसे प्यार करती हैं।
जन्नत:- मैंने कई बार बताने की कोशिश की लेकिन कभी हिम्मत नहीं पड़ी। जन्नत...I love you. आज़म।
वरुन:- कितनी खुशी की बात है ना मेरा दोस्त पहले जैसा हो गया और मुझे भाभी भी मिल गई अब तो रोज़ नाशते में आलू के पराठे मिलेगें। ( समाप्त )
इस दुनिया में रिश्ते तो कई हैं लेकिन असली रिश्ता अहसास का होता हैं यदि रिश्तो में अहसास ना हो तो उन रिश्तो का कोई मतलब नहीं होता हैं चाहे वो अपना हो या पराया।
Script by:- M.S Ansari