यहां पर सुरक्षा का बहुत ही अच्छा बंदोबस्त होता है इस प्रांगण में केंद्रीय सत्ता के 10 से भी ज्यादा अधिकारी सुरक्षा के लिए मौजूद थे साथ में यहां पर लोह मानव के पचास सिपाहियों को तैनात किया हुआ था इस प्रांगण में जो कोई भी आते जा रहा था उसकी एक खास यंत्र से तलाशी ली जा रही थी किसी के भी पास में कोई भी धातु की वस्तु होती तो उसे अंदर प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा था इस प्रांगण में जो रंगमंच बना हुआ था वह बहुत ही भव्य दिव्य बना हुआ होता है यहा राजा वीर प्रताप सिंह के 40 फीट से भी ऊंची भव्य दिव्य मूर्ति बनी हुई होती है इस मूर्ति की आंखों की जगह दो हीरे रखे हुए होते हैं जो की दिन के उजाले में भी चमकते जा रहे थे इस मूर्ति को ऐसा बनाया गया था कि वहां पर सच में राजा वीर प्रताप सिंह खड़े हुए हुए होते हैं ऐसा होने का भास हो रहा था रहा वीर प्रताप सिंह की जैसी मांसपेशियां होती है वैसे ही इस मूर्ति में भी उन मांसपेशियों को उकेरा गया था इस प्रांगण के सामने की ओर 100 मीटर ऊंची इमारतों की बालकनी में भी इस कार्यक्रम को देखने के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठा होने लगी थी चारों तरफ लोगों की भीड़ लगी हुई थी ऐसा लग रहा था कि पूरा आधा शहर यहां पर जमा हो गया है गर्व अपने अंगरक्षक अधिकारी के साथ जल्द ही रंगमंच तक पहुंच गया यहां पर राजा वीर प्रताप सिंह को आने में अभी भी देर थी गर्व ने अपने अंगरक्षक अधिकारी को कहा यहां पर इतनी सारी भीड़ है क्या सुरक्षा का इंतजाम अच्छे से किया है तो फिर उस अंगरक्षक अधिकारी ने कहा अरे तुम चिंता मत करो यहां की सुरक्षा का बंदोबस्त अधिकारी आकाश सिंह ने की है वैसे भी वह तांडव कबिले के लोग पहले ही मारे जा चुके हैं तो फिर डरने की कोई बात नहीं है और साथ में अपने शहर में मौजूद उन तांडव कबीले के सारे हत्यारों को चुन चुनकर गिरफ्तार कर लिया गया है और वैसे भी हम केंद्रीय सत्ता के अधिकारियों के रहते हुए हम किसी की भी चुनौती का आसानी से सामना कर सकते हैं वैसे भी यह भरतपुर राज्य को बने हुए सिर्फ 200 साल ही हो चुके हैं यहां पर ऐसा कोई भी खतरा नहीं है जिससे हम केंद्रीय सत्ता के अधिकारी निपट नहीं सकते वह अधिकारी बहुत ही घमंड में लग रहा होता है गर्व और वह अधिकारी रंगमंच के नीचे बने हुए सैनिकों की जगह पर बैठे हुए थे जिनको आज यहां पर सम्मानित किया जाना था गर्व इनमें से कईयों को जानता था इसमें केदार भी मौजूद था वह उसे आवाज भी देना चाहता था पर वह ऐसा करता तो वहां पर मौजूद लोगों को यह बात पता चल जाती कि यहां पर गर्व मौजूद है और वहां पर खलबली मच सकती थी इसलिए वह अपनी जगह पर ही शांत बैठ गया उस मैदान में इस वक्त हजारों की तादाद में लोग जमे हुए थे और साथ ही दूर मौजूद इमारतों की बालकनी में लोग जमा हुए थे उन सारे लोगों का रंगमंच पर ही ध्यान होता है इस मैदान के लोगों के बीच में एक दो लोह मानव के सैनिक तैनात किए हुए थे क्योंकि अगर उन लोगों में से कोई ऊंच-नीच हरकत करता तो उसका वहीं पर काम तमाम कर दिया जाता यहां मौजूद सारे लोग राजा वीर प्रताप सिंह की राह देखते जा रहे थे और वह वक्त भी आ गया जब राजा वीर प्रताप सिंह अपने पक्षी से हवा से उड़ते हुए रंगमंच की सामने की खुली जगह पर उतर गए उनके वहां पर आते ही वहां मौजूद जनता राजा वीर प्रताप सिंह की जय राजा वीर प्रताप सिंह की जय का नारा लगाने लगे राजा के पक्षी के ऊपर से राजा वीर प्रताप सिंह के साथ अधिकारी आकाश सिंह और बाकी के केन्द्रीय सत्ता के अधिकारी बारी-बारी उतर गए उनके वहां से उतरने के बाद वह राजा का पक्षी वहां से उड़ गया इसके बाद राजा वीर प्रताप सिंह के साथ-साथ वहां मौजूद केंद्रीय सत्ता के अधिकारी रंगमंच की तरफ जाने लगे और सारे अपने आसन पर विराजमान हो गए राजा वीर प्रताप सिंह इस वक्त अपने सिंहासन पर विराजमान हुए होते हैं यह सिंहासन सोने से बना हुआ होता है और वहा पर कई सारे अलग-अलग रत्न जड़े हुए होते हैं वहां मौजूद भरतपुर राज्य की जनता अभी भी राजा वीर प्रताप सिंह के नाम के जयकारे लगा रहे थे राजा की जय जय कार सुनते ही गर्व को लगा कि कहीं यहा पर उसके नाम के मुर्दाबाद के जयकारे लगने नहीं चालू हो जाए वहां पर किसी एक ने भी उसके नाम की मुर्दाबाद के नारा लगाना चालू किया तो उसको देखकर बाकी के लोग भी भेड़ बकरियों की तरह उनका अनुसरण करेंगे और उसके नाम के मुर्दाबाद के नारे की गूंज पूरे आसमान में गूंज जाएगी गर्व ने थोड़ी देर इंतजार किया पर वहां पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जैसा कि गर्व ने सोचा था थोड़ी देर बात राजा वीर प्रताप सिंह खड़े हो गए और वह रंगमंच की आगे की ओर बढ़ने लगे वह रंगमंच के एकदम आगे आ गए और वहां मौजूद सभी जनता को हाथ जोड़कर प्रणाम किया और अपना एक हाथ हवा में उठा कर उठी आवाज में कहा बोलो भरतपुर राज्य की जय उनकी आवाज बहुत ही ऊंची थी वह हवा में चारों तरफ फैल गई साथ में वह आसमान में मौजूद बादलों तक पहुंच गई और वह आसमान से परिवर्तित होकर दो तीन बार सुनाई दिए जा रही थी उनकी आवाज में काफी दम था उनकी आवाज को सुनकर वहां मौजूद जनता को भी जोश आ गया और वह भी भरतपुर राज्य की जय के नारे लगाने लगे फिर उन्होंने महाराज अश्वद की जय के नाम का नारा लगाया यह सुनकर तो गर्व के कान ही खड़े हो गए पर उसके कानों में फिर से वहां मौजूद जनता ने फिर से महाराज अश्वद की जय का नारा सुनने को मिल रहा था गर्व ने मन ही मन में सोचा इस अश्वद के बच्चे ने सच में अपने नाम का बहुत बड़ा कर दिया है भरतपुर राज्य जैसे छोटे से राज्य में भी उसके नाम का इतना जय जयकार होता है और हो भी क्यों ना उसने ऐसी यंत्रणा बनाई थी जिससे कि इस दुनिया में मौजूद सारे लोगों का तांडव कबीले के लोगों से रक्षा हो सके भले ही गर्व ने राजा के साथ-साथ लोह मानवों की जान बचाई हो पर उन सब तांडव कबीले के हत्यारों का उन केन्द्रीय सत्ता के अधिकारियों ने ही किया था राजा वीर प्रताप सिंह ने आगे कहा भाइयों और बहनों आज हम यहां पर हमारे राज्य के शूरवीर और बहादुर योद्धाओं को सम्मानित करने के लिए यहां पर एकत्रित हुए हैं तो पहले सैनिकों के लिए जोरदार तालियां इसके बाद वहां मौजूद सारे लोगों ने एक साथ तालियां बजाना चालू कर दिया मंच पर बैठे अधिकारियों ने भी तालियां बजा चालू कर दी इससे यह पता चलता है कि यह अधिकारी इतने ताकतवर होने के बावजूद भी किसी राज्य के सैनिकों का कितना आदर करते हैं राजा वीर प्रताप सिंह ने आगे कहा हमारे राज्य में इतने शूरवीर सैनिक ना होते तो हम कभी भी उन रक्त पिपासु तांडव कबीले के हत्यारों का सामना नहीं कर पाते हमारा राज्य चुटकी में मिट्टी में मिल गया होता और सारे लोगों की धन संपत्ति लूट ली जाती और हमारी मां बहनों की इज्जत को लूट लिया जाता हमारे राज्य में मौजूद सारे लोग भेड़िया मानव में परिवर्तित हो जाते यह सुनकर तो वहां मौजूद सारे लोगों में एकदम सन्नाटा फैल गया उस मैदान में इतनी शांति फैल गई की अगर इस मैदान में सुई भी नीचे गिर जाती तो उसकी आवाज चारों तरफ फैल जाती वह लोग एकदम शांत हो गए और एक दूसरे की तरफ देखने लगे उन लोगों ने भेड़िया मानव के बारे में सिर्फ किताबों में ही पड़ा था और उन्होंने असलियत में उन्हें कभी देखा नहीं था वहां सन्नाटा फैलने के बावजूद भी राजा वीर प्रताप सिंह रुकते नहीं है वह आगे कहते हैं सारे लोग भेड़िया मानव में परिवर्तित हो गए होते और
तांडव कबीले के लोगों में शामिल हो गए होते और उनके नेताओं के गुलाम बन गए होते भगवान ने हमारे राज्य के मां के पेट में शूरवीरो को जन्म दिया है जिन के सामने अगर शैतान भी आ जाए तो शैतान को भी हरा कर रख देंगे और उसे मृत्यु देवता के पास भेज देंगे यह सुनकर वहां पर जो भी सैनिकों की माताएं मौजूद थी उनके कंठ भर गए उनकी आंखों में आंसू चलाता है वह पर मौजूद कई सारे माताओं के पुत्र वीर गति को प्राप्त हो गए थे क्योंकि राजा वीर प्रताप सिंह ने सैनिकों के साथ साथ उनकी माताओं की भी तारीफ कर रहे थे वहां का माहौल एकदम से भावनिक हो गया था तभी अचानक से वहा पर हंसने की आवाज आने लगी वह आवाज पहले तो धीरी होती है पर वह अचानक बढ़ते जाती है आवाज वहां पर मौजूद लोगों के बीच से आ रही होती है यह कौन है जो सैनिकों की माताओं की बेइज्जती कर रहा है वहां मौजूद सारे लोग उस आवाज की दिशा में देखने लग जाते हैं राजा वीर प्रताप सिंह भी उस दिशा में आश्चर्य से देखने लगे सब देखते हैं कि वह आवाज एक लोह मानव के कवच के अंदर से आ रही थी वह लोह मानव अपनी छाती को पकड़कर जोर-जोर से हंसे जा रहा था उसके बाजू में खड़े एक आदमी ने उससे पूछा इसमें हंसने की क्या बात है क्या तुम्हारी कोई मां नहीं है क्या तुम सैनिकों कि माताओं की बेज्जती कर रहे हो इसके बाद उस लोह मानव ने हंसना बंद कर दिया और वह चेहरे पर लगे कवच को हटाने लगा उसने जैसे ही अपने चेहरे के नकाब को हटाया गर्व को तो मानो जोर का झटका ही लग गया क्योंकि इस लोह मानव के कवच के अंदर कोई और नहीं बल्कि मंदार ही मौजूद था मंदार ने सामने बैठे राजा अधिकारी और सैनिकों के तरफ देखकर हंसते हुए कहा यह सब तुम्हारे ही कारण हुआ है ना ही तुमने हमसे पंगा लिया होता और ना ही आज भरतपुर राज्य के लोग मारे जाते उसकी तरफ देखकर राजा वीर प्रताप सिंह के पैर की आग मस्तक में चली गई उन्होंने मंदार की तरफ देखकर दहाड़ते हुए कहा गद्दार तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई हमारे सामने राज्य में आने की और उन्होंने वहां मौजूद सैनिकों को मंदार को गिरफ्तार करने का आदेश दिया नवह सैनिक जैसे ही मंदार की तरफ बढ़ने लगे मंदार ने अपने लोह मानव की कवच में लगे एक बटन को दबा दिया जिससे कि उसके आजुबाजू मौजूद दो लोगों के सर फट गए और उनके सर का खून हवा में चारों तरफ फैल गया इसके कारण वहां मौजूद सारे लोगों में भगदड़ मच गई वह जहा रास्ता मिलता वहा से बाहर की तरफ भागने लगे जिन आदमी के सर फट गए थे उनके शरीर का खून वहां मौजूद बाकी के लोगों के शरीर पर भी पडता जा रहा था और वह खून जैसे ही लोगों को लगा उनकी शरीर की नसें अचानक ही बढ़ने लगी और उनके सिर में तेज दर्द उत्पन्न हो गया और उनका भी सर भी किसी खरबूजे की तरह फट गया उनका खून मंदार की तरफ बढ़ने वाले सैनिकों पर भी गिरा उनके भी सर किसी खरबूजे की तरह फट गए