यह देखकर वह सारे मुखिया लोग गर्व के और उसके सैनिकों की तरफ आंखें फाड़ फाड़ कर देखे जा रहे थे क्योंकि वह वहां पर उन लोगों से अलग दिखाई दे जा रहे होते हैं वहां पर गर्व ही अकेला ऐसा होता है जिसके पास उसके सैनिक होते हैं बाकी के सारे सैनिकों के मुखिया सारे के सारे वहां पर अकेले ही आए हुए थे उनके पास उनका एक भी सैनिक मौजूद नहीं होता है गर्व को भी इस वक्त नहीं लग रहा होता है कि उसके ऊपर केंद्रीय अधिकारियों की संस्था के उच्च अधिकारियों को शक हो गया है इसलिए ही गर्व को उसके सैनिकों के साथ बुलाया गया है इस वक्त गर्व के साथ उसके सैनिक मौजूद होते हैं वह तो 15 सैनिकों के साथ जंगल में गया होता है वह भी उनके लोह मानव के कवच के साथ में पर अब उसके पास सिर्फ सात ही सैनिक बाकी रह गए थे और इस वक्त उनके पास उनके लोह मानव के कवच भी नहीं होते हैं वह सारे के सारे हरे कपड़ों को पहने हुए होते हैं जो कि उन्हें अस्पताल में दिए गए होते हैं फिर गर्व ने राज्यवर्धन सिंह से पूछा तुम्हारे कितने सैनिकों की जान बची है उसने गर्व से कहा मेरे कुल 30 सैनिकों की जान बची है उसने आगे गर्व से कहा क्या तुम्हें पता है कि हम सबकी जान कैसे बच गई और वह किसने बचाई तभी वह गोल कमरा एक जगह पर रुक गया और उससे अधिकारी आकाश सिंह बाहर की तरफ निकले और उनके बाद वहां से एक के बाद एक लोग बाहर निकलने लगे इसकी वजह से फिर राज्यवर्धन सिंह अपने सवाल को भूल कर यहां से बाहर की तरफ जाने के लिए निकल गया फिर गर्व ने भी उसे कुछ नहीं कहा वह भी उसके सैनिकों के पीछे-पीछे यहां से बाहर की तरफ निकल गया वह राज्य वर्धन सिंह तो सच में बहुत सवाल पूछता है इसको तो उसे गुलाम ही रहने देना चाहिए था इसको तो उसने फालतू में आजाद करवा दिया गर्व ने राज्यवर्धन सिंह के तरफ देखकर मन ही मन में सोचा पर उसने उससे कुछ भी नहीं कहा उस कमरे के बाहर वह लोग फिर से बड़े हॉल के अंदर आ गए वहां यहां पर एक बड़ा गोल मेज बना होता है और उस मेज के सामने कई सारी खाली कुर्सियां रखी हुई होती है इस मेज की गोलाई 20 मीटर से भी ज्यादा की होती है और गोलाई के बीच में एक एक आदमी खड़ा होता है उसने केंद्रीय अधिकारियों का पोशाख किया होता है और उसके पीठ के पीछे दो बड़ी तलवार होती है वह दोनों तलवार अपने म्यान में होती है गर्व उस आदमी को देखते ही समझ गया था कि यह आदमी जब भी अपनी तलवारों को अपने म्यान में से बाहर निकालता होगा तो वहां पर प्रलय ही आता होगा इस बड़े हाल के दीवारों पर सैनिक खड़े हुए होते हैं उनके भी पीठ पर दो तलवार होती है पर वह इतने खतरनाक नहीं होते हैं कि जितना कि वह गोल मेज के बीच में खड़ा आदमी होता है यहां मौजूद सारे के सारे सैनिक उस बीच में खड़े आदमी के ही लोग होते हैं उस कमरे में जैसे ही अधिकारी आकाश सिंह के साथ-साथ बाकी के लोगों ने प्रवेश किया उस आदमी ने अधिकारी आकाश सिंह और बाकी के लोगों का स्वागत किया और उन सब को इशारे से ही वह खाली कुर्सियों पर बैठने का इशारा किया इसके बाद वहां पर सारे सैनिकों के मुखिया और गर्व उन कुर्सियों पर बैठ गए पर इन कुर्सियों पर अधिकारी आकाश सिंह नहीं बैठे वह दीवार के कोने पर ही खड़े हो गए क्योंकि यहां पर उनका उन सैनिकों के मुखिया को यहां पर लाने के अलावा कोई भी खास काम नहीं होता है इसको देखकर गर्व समझ गया कि यहां पर वह आदमी जो केंद्रीय अधिकारी है वह उनसे बहुत सारे सवालों को पूछने वाला है और उन सब के लिए गर्व को अपने मन को तैयार करना पड़ेगा उस मेज के बीच में खड़े आदमी ने उन सब सैनिकों के मुखिया की तरफ देख कर कहा आप सब लोगों ने मुझको पहले कभी नहीं देखा होगा इसलिए मैं सबसे पहले आप सब को मेरा परिचय करवा देता हूं मेरा नाम अधिकारी अग्निमित्र है और मैं भी केंद्रीय सत्ता का एक अधिकारी हूं क्योंकि अभी तक आप सब की तबीयत ठीक हो चुकी है तो मैं आपसे कोई सवाल पूछना चाहता हूं यह सवाल अपनी दुनिया के भविष्य के लिए जरूरी है आप लोगों के सवालों से ही हमारे आगे की कार्रवाई की दिशा तय होगी और हम उन तांडव कबीले के हत्यारों से लड़ने की योजना बना पाएंगे क्या आप सब लोग मेरे सवालों के जवाब को देने के लिए तैयार है वहां पर मौजूद सारे लोगों ने एक स्वर में कहा हां हम तैयार हैं गर्व ने भी उनके सुर में सुर मिलाया था पर उसका आवाज बहुत ही कम होता है एकदम ना के बराबर उसकी ही आवाज उसको ही सुनाई दी या नहीं यह उसको भी पता नहीं चला उस अधिकारी अग्निमित्र के हाथों में एक कागज होता है वह उसी कागज को अपने हाथों में पकड़े हुए होते हैं जैसे ही उन सब ने अग्निमित्र को हां में जवाब दिया फिर उसने उस कागज की तरफ देखकर उन लोगों की तरफ देख कर अपना पहला सवाल पूछा हां तो जंगल में उस अमावस्या की रात को जिस दिन आप की परीक्षा का दिन होता है उस रात में हत्यारों ने सबसे पहले किन सैनिकों के समूह पर हमला किया था फिर वहां पर एक साथ आठ लोग उठ गए यह वही सैनिकों के समूह होते हैं जिन्होंने वहां पर उस रात में अपने सैनिकों के पूरे समूह बनाए होते हैं और उन्होंने फिर अधिकारी अग्निमित्र को उनके वहां पर डेरा डालने से लेकर राज्यवर्धन सिंह के किले की तरफ जाने के हर बात को पूरा पूरा बताया यह सुनकर तो अधिकारी अग्निमित्र जी की आंखें बड़ी हो गई उन्होंने फिर राज्यवर्धन सिंह की तरफ देखा और उन्होंने उसकी चतुरता कि तारीफ की उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय अधिकारियों को ऐसे ही लोगों की जरूरत होती है जो कि कठिन समय में अपने धैर्य को ना खोए और अपने सामने के संकट का अपनी पूरी ताकत से सामना करें यह सुनकर वहां पर जो कोई भी सैनिकों के प्रमुख होते हैं उनकी आंखें इसकी उम्मीद भी नहीं लगा रहे थे कि उनमें से किसी की भी अभी भी केंद्रीय अधिकारियों के पद के लिए चयन हो सकता है इसके बाद अधिकारी अग्नि मित्र ने वहां पर मौजूद जिससे भी सवाल पूछे उन सब ने अपने शौर्य और वीरता का भरपूर बखान किया उनके बातों से तो यह लग रहा होता है कि उनसे बड़ा शूरवीर और साहसी इस दुनिया में कोई कोई भी नहीं है भले ही केंद्रीय अधिकारियों के लिए बहुत ज्यादा खतरे होते हैं और उन पर कहीं से भी कहीं पर भी हमला हो सकता है इसके साथ ही अगर वह केंद्रीय अधिकारी बन गए तो उनको केंद्रीय सत्ता के तरफ से कई सारी सुविधा भी मिलती है वह दुनिया के किसी भी राज्य में गए तो उनको वहां पर उस राज्य के राजा और प्रधानमंत्री से भी ज्यादा मान सम्मान मिलता है और साथ ही उन्हें केंद्रीय सत्ता के द्वारा कई सारे विनाशकारी और खतरनाक हथियार भी दिए जाते हैं और उन्हें खुद का एक युद्ध पोत भी दिया जाता है इसकी वजह से वह अपना राज्य छोड़कर इतनी दूर इस परीक्षा को देने के लिए यहां पर आए हुए थे इतने वक्त में उस अधिकारी अग्निमित्र ने गर्व को एक भी सवाल नहीं पूछा होता है यह देखकर अधिकारी आकाश सिंह को और गर्व को काफी अजीब लग रहा होता है गर्व को पता चल गया कि जो केंद्रीय अधिकारियों के वरिष्ठ होते हैं उनको गर्व पर शक हो गया है और उन्होंने ही अधिकारी अग्निमित्र को उसके लिए कुछ खास सवाल तैयार करने के लिए कहा होगा जिससे कि यह साबित हो जाए कि वह एक तांडव कबीले का आदमी है और ऐसा भी हो सकता है कि उन केंद्रीय अधिकारियों के नजर में गर्व मामूली एक छोटे से राज्य का परीक्षार्थी है और उसमें केंद्रीय अधिकारी बनने के लिए कोई दम नहीं है इसलिए वह उसको कोई सवाल नहीं पूछ रहे होते हैं इस वक्त आकाश सिंह को भी गर्व पर शक हो रहा था क्योंकि उस रात उन्होंने भी जंगल में साफ-साफ देखा होता है कि वहां पर कैसे उस दूसरे हत्यारे ने बर्फ का तूफान बनाकर वहां पर मौजूद दूसरे हत्यारे के ऊपर गिराया होता है क्योंकि वहां पर गर्व के पास ही बर्फीली तलवार होती है जिससे कि गर्व अपनी जादुई शक्ति से बर्फ को उत्पन्न कर सकता है पर अधिकारी आकाश सिंह को गर्व पर पूरा शक नहीं होता है क्योंकि गर्व ही एक अकेला ऐसा नहीं है जिसके पास बर्फ की शक्ति हो इस दुनिया में कई सारे लोगों के पास बर्फ की शक्ति हो सकती है और उस दिन वह उस तलवार को साफ-साफ नहीं देख सके थे क्योंकि वह वहां पर काफी ऊंचाई पर होते हैं और उस तलवार को वह साफ-साफ नहीं देख पाए थे उनके अधिकारियों के दल में भी एक ऐसा दल है जिनके पास बर्फीली तलवारे मौजूद है वह चाहे तो पूरे के पूरे राज्य को बर्फ की चादर में लपेट सकते हैं वह गर्व के बारे में पूरे यकीन से नहीं कह सकते हैं कि वहां पर जो कोई भी होता है वह गर्व ही था उन लोगों के सवाल-जवाब हो जाने के बाद फिर अधिकारी अग्निमित्र गर्व के तरफ बढ़ गए उन सारे सैनिकों की वीरगाथा सुनते सुनते गर्व काफी पक चुका था इसलिए उसको थोड़ी देर नींद थोड़ी थोड़ी नींद आने लगी थी वह सैनिक लोग लगातार 1 घंटे तक अपनी वीरगाथा का बखान करते रहे इस लिए गर्व की आंखें झपकना चालू हो गई थी उस अधिकारी ने जैसे ही गर्व का नाम लिया गर्व हड़बड़ा गया क्योंकि उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं होती है कि वह अधिकारी अग्निमित्र उससे कोई सवाल भी पूछेंगे उसने तो यह मान लिया होता है कि उसका यह समय बिना किसी परेशानी से आराम से कट जाएगा उससे कोई भी सवाल नहीं पूछेगा और उस अधिकारी अग्निमित्र ने गर्व से एकदम सवाल पूछ लिया और वह एकदम से हड़बड़ा गया और उसके ही वजह से गर्व के सामने जो पानी का प्याला रखा होता है उसमें का पानी सामने की अधिकारी अग्निमित्र की तरफ गिर गया इसके कारण वहां पर राज्यवर्धन सिंह को छोड़कर सारे के सारे लोग जोर जोर से हंसने लगे इसकी वजह से अधिकारी आकाश सिंह ने भी मुस्कुरा दिया और दूसरे ही पल में वह प्याले में भरा पानी और वह प्याला गर्व के सामने जैसे का वैसा वापस आ गया और तीसरे ही पल में उस अधिकारी अग्नि मित्र की तलवार वापस अपने म्यान में जाने की आवाज आई और चौथे ही पल में उस अधिकारी अग्निमित्र का हाथ वापस अपनी जगह पर आ गया