सुबह के 6:00 बज रहे थे। कोई मां को बाहर से आवाज दे रहा था हमने जल्दी से दरवाजा खोला तो वहां मिस पार्क और कुछ आदमी खड़े थे, वह शायद उनके बॉडीगार्ड थे मैंने मन में यह सोचा। मिस पार्क ने हमें मुस्कुराते हुए गुड मॉर्निंग कहा और मेरे हाथों में कॉलेज की यूनिफॉर्म दे दी।
मां ने उन्हें घर के अंदर आने को कहा लेकिन उन्होंने मना करते हुए कहा मुझे थोड़ा काम है मैं बाहर जा रही हूं तो बाद में कभी मैं फुर्सत से आपके यहां आऊंगी और चाय भी पीऊंगी ।
हाथों में यूनिफॉर्म को देखकर बहुत खुशी हो रही थी लेकिन मन उदास भी था क्योंकि मां को इसके लिए बहुत मेहनत करना पड़ रहा था। यह सोचते हुए मैंने मां कि तरफ देखा मां भी बहुत खुश थी। मां ने मुझे जल्दी से नहा कर तैयार होने को कहा और अच्छे से पढ़ाई करने को कहा।
मैं जल्दी से बाथरूम की तरफ नहाने के लिए भागी। मैं तैयार होकर नाश्ता ही कर रही थी कि फिर से मुझे दरवाजा खटखटाने की आवाज आई। मैंने दरवाजा खोला तो आंटी का बेटा मुझे अपने साथ कॉलेज ले जाने के लिए आया था।
मैंने अभी तक अपना नाश्ता भी पूरा नहीं किया था लेकिन मैंने सोचा इंतजार करवाना सही नहीं होगा और तो और आज मेरा पहला दिन है।
मैंने जल्दी से अपना बैग उठाया और उसके पीछे चलने लगी हमें बस से जाना था और बस स्टैंड थोड़ी दूर में थी तो हम पैदल चल रहे थे मैंने उससे पूछा की यहां से कॉलेज कितनी दूर में हैं उससे मुझे कोई जवाब नहीं मिला । मैं चुप हो गई और हम बस स्टैंड की तरफ चलने लगे। मैंने जिंदगी में कभी इतने शांति महसूस नहीं की होगी जितनी शांति मुझे उसके साथ 10 मिनट के दूर बस स्टैंड तक आने में नजर आईं। मुझे डर से कुछ पूछा ही नहीं जा रहा था क्योंकि वह मेरी कोई भी बात का जवाब देना सही नहीं समझ रहा था । हमारी बस आ गई थी हम बस में बैठे और कॉलेज की तरफ चल पड़े। लगभग 20 मिनट के बाद हम बस से नीचे आए और कॉलेज की तरफ आगे बढ़ने लगे। थोड़ी घबराहट महसूस हो रही थी क्योंकि कॉलेज में बहुत से स्टूडेंट थे और सारे बहुत ही अमीर और ऊंचे दर्जे के नजर आ रहे थे बहुत सारी ब्रांडेड गाड़ियां भी कॉलेज के पार्किंग में लगी हुई थी। शायद सारे बच्चे यही गाड़ियों से कॉलेज आना-जाना करते हैं ।
मैं यही सोच रही थी कि उसने मुझे कहां मैं अपने क्लास में जा रहा हूं इतना ही कह कर - वह बहुत जोर से दौड़ कर कॉलेज के अंदर चला गया।
रूको।। रूको ।।
मैंने आवाज दी वह नहीं रुका ।
मुझे ही सारे अजीब गरीब इंसान क्यों मिलता है मैंने खुद से कहा।
मुझे तो यह भी नहीं पता कि मेरा क्लास कहां है और मुझे कहां जाना है।
मैं यही बोले जा रही थी कि तभी एक बड़ी सी बॉल मेरी तरह जोर से आ रही थी और वह मेरे सर पर लग गई जिसके वजह से मैं बहुत जोर से नीचे गिर गई।।
हां अब बस यही होना बाकी था यही बोल कर जब मैं खड़े होने की कोशिश कर रही थी तभी मुझे एक आवाज आई की देख कर नहीं चल सकती हो।
मैंने ऊपर देखा तो एक 5.7 का लड़का बिल्कुल मेरे सामने खड़ा था उसने मुझे अपना हाथ दिया मैंने उसके थोड़ी देर पहले कहीं बातों को नजर अंदाज करते हुए अपना हाथ आगे बढाया तो उसने अपना हाथ जल्दी से पीछे की तरफ हटा लिया और हंसते हुए कहा मैं तुम्हारा हाथ नहीं बल्कि अपना बॉल लेने आया हूं जो तुम्हारे गोद में बैठ कर सो रहा है मुझे लोगों की मदद करने में कोई भी इंटरेस्ट नहीं है और तो और तुम इतनी जोर से भी नहीं गिरी की खुद से खड़े ना हो सको।।
इतना ही कह कर वह मेरे सामने बैठ गया और धीरे से बॉल उठा कर चला गया।
मैंने अपने ड्रेस से धूल झाड़कर खड़ी हो गई और कॉलेज के अंदर जाने लगी वहां बहुत सारे क्लासरूम थे और बहुत सारे रास्ते भी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था मैंने सामने से गुजर रही लड़की से पूछा कि आज मेरा पहला दिन है तो आप बता सकते हो की मेरे क्लासरूम कौन सा है।।।
उसने मुझे देखकर जोर जोर से हंसो और वहां से चली गई मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था यहां मुझे सारे लोग पागल नजर आ रहे थे।
सामने मुझे लेडीस वॉशरूम दिखाई दिया कहीं मेरे चेहरे में कुछ लगा तो नहीं है जिसके वजह से वह इतनी जोर से हंस कर चली गई यह सोचते सोचते मैं वॉशरूम के अंदर चले गई मुझे सामने रोने की आवाज आ रही थी मैंने दरवाजा खटखटाया और कहा क्या हुआ कोई दिक्कत है क्या???
रोने की आवाज और तेज हो गई मैंने उसे चुप होकर बाहर निकलने को कहा मुझे लगा तो नहीं था कि कोई बाहर आएगा जैसा मैंने सुबह से हर इंसान को देखा लेकिन थोड़ी देर में दरवाजा खुला एक लड़की थी जिसकी आंखों में चश्मे लगे हुए थे वह रो रो कर कहने लगी क्या गरीब होना कोई गुनाह है?
मैं गरीब हूं तो इसमें मेरा क्या दोष ।। मुझे उसकी बातें कुछ समझ नहीं आ रही थी मैंने उससे पूछा क्या हो गया तो फिर उसने मुझे अपनी सारी बातें बताई -
कॉलेज में आज उसका मैं पहला दिन था उसने क्लास रूम में जाकर अपना बैग पहले बेंच पर रख दिया था और वहां बैठ गई क्योंकि वह खाली था।
थोड़ी देर में वहां एक लड़की आई और उसने कहा कि यह जगह उसके और उसके बायफ्रेंड की है और उसके हाथों में कॉफी थी उसने कॉफी से स्ट्रो फेंककर सारी कॉफी मेरे बालों में डाल दिया और मेरा बैग वहां से नीचे फेंक दिया।।
इतना बोलकर वह रोने लगी । यह सुनकर मुझे एक बात तो समझ आई कि यह कॉलेज गरीबों के लिए तो नहीं है।
हम साथ वॉशरूम से बाहर निकले और क्लास रूम के तरफ जाने लगे ।
वहां सारे लोग बहुत ही अमीर दिखाई दे रहे थे और वह हमें ऐसे देख रहे थे जैसे हम कोई इंसान नहीं एलियन हैं जो दूसरी दुनिया से इस कॉलेज में आए हैं।।
एक सीट जो खाली थी हम दोनों वहां जाकर बैठ गए और टीचर के आने का इंतजार करने लगे। थोड़ी देर में दरवाजे के पास बहुत भीड़ होने लगी और सभी लोग जोर-जोर से सुहो -सुहो- सुहो चिल्लाने लगे।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था तो तभी मेरे बगल से आवाज आई की सुहो कॉलेज का सबसे हैंडसम और सबसे अमीर लड़का है जिसकी दीवानी कॉलेज की सारी लड़कियां है सब उससे बात करने को तरसती है।
इतने तारीफ सुनने के बाद मुझे बस मन कर रहा था कि मैं उस लड़की का मुंह पकडु और सिलाई कर दूं।
यहां लोग पढ़ने नहीं बल्कि यह देखने आते हैं कि कौन कितना सुंदर है और किसका बैंक बैलेंस कितना है और कौन किससे बात करता है या नही।
मैंने तो सोच लिया था कि मैं मां को कॉलेज में पढ़ाई नहीं करने की बात आज शाम को ही बता दूंगी क्योंकि मुझे नहीं लगता कि मैं इस कॉलेज में ज्यादा दिन टिक पाऊंगी।
थोड़ी देर में शोर शांत हुआ और मुझे तीन लड़कों का झुंड अंदर आते हुए दिखा।
मैंने एक लड़के को पहचान लिया था वह वही था जो सुबह मेरे पास बॉल लेने आया था । और मुझे पता चला कि सुहो यही जिस इंसान के पास बात करने की तमीज ना हो उसे लोग इतना पसंद कैसे कर सकते क्योंकि बहुत पैसे वाला है या सुंदर ।।
जो भी हो मुझे बस आज जैसे तैसे करके अपना दिन निकालना है मैं कल से यहां के किसी भी इंसान को देखना पसंद नहीं करूंगी।
यह सोच कर मैं हल्के से मुस्कुराई तभी मैंने देखा की वह मेरी तरफ से देख रहा था और मेरी तरफ आ रहा था वह मेरे सामने आया और कहां
हे... मिस फुटबॉल तुम यहां
हैरान हो गई क्या मुझे देखकर उसने कहा मैंने कुछ कहना सही नहीं समझा और उसे इग्नोर करके चुपचाप बैठ गए।
उसने फिर कहा तुम गिर गई थी ना क्या तुम्हें चोट तो नहीं लगी ज्यादा, मैं समझ गई थी कि वह मुझे परेशान कर रहा था मैंने फिर कुछ जवाब नहीं दिया।
फिर उसने मेरा हाथों को पकड़ा और कुछ पैसे मेरे हाथों में देख कर कहा कि मिस फुटबॉल सुबह तुम्हारा ड्रेस मेरे वज़ह से खराब हो गया था लो ये पैसे रख लो और नया ड्रेस खरीद लेना।
मैंने खुद को बहुत संभालने की कोशिश की लेकिन शायद मुझे चुप बैठ ना सही नहीं लगा तो मैंने उसके पैसे उसके मुंह पर मारा और सामने रखी एक पानी की बोतल उठाकर उसका पानी है उसके ऊपर डाल दिया।
मुझे यह करना जरूरी लगा और मुझे कोई पछतावा भी नहीं था।
उसने मुझे गुस्से भरी आंखों से देखा मैं भी उसे देखती रही। और अगल बगल के लोग मुझे से देखने लगे जैसे मैंने किसी पर पानी नहीं एसिड फेंक दिया हो।
इतने में ही टीचर हमारे क्लास में आए और सबको अपनी अपनी जगह पर बैठ जाने को कहा । सब अपनी अपनी शीट पर जा रहे थे इतने में सुहो मेरे कानों के पास धीरे से कहा "मैं तुम्हें देख लुंगा" मैने मन में कहा अभी अंधे हो क्या जो मैं नहीं दिख रही हूं लेकिन फिर मैंने सोचा आज के लिये इतना काफी है कोलेज के पहले दिन ही मां के पास मेरी कोई शिकायत जाए ये सही नही है और मैं चुप चाप अपने शीट पर बैठ गई वो भी अपने जगह पर बैठ गया । एक पल को मुझे लगा कि वो मेरी शिकायत टीचर से करेगा लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।हमारी सारी क्लास खत्म हो गयी उसने किसी को नहीं कहा ।लगता है वो सही मौके का इंतजार कर रहा था मैं यही सोचकर बाहर निकलने लगी।कॉलेज की छुट्टी हो चुकी थी।
मेन गेट के पास मैं आंटी के बेटे का इंतजार कर रही थी तभी मुझे वह दिखाई दिया कि वह किसी स्टूडेंट के गाड़ी का दरवाजा खोल कर उसे बैठा रहा था।
मैं वहीं उसका इंतजार करने लगी। क्योंकि वहां उसके पास जाना सही नहीं है वह वैसे भी बहुत अजीब है यह बोलकर मैं वहीं उसका इंतजार करने लगी। थोड़ी देर में वह मेरे पास आया और मुझे चलने को कहा ।
हम घर पहुंच गए थे वह अपनी घर की ओर चल गया मैं भी अपने घर की तरफ चल दी।
मैंने कपड़े बदले , खान खाया और आराम करने चली गई क्योंकि आज मैं सचमुच बहुत थक चुकी थी । मुझे मां से कॉलेज ना जाने की भी बात करनी थी लेकिन वह रात को काम से घर वापस आएगी।
बस मां मेरी बातों को समझ जाए।
रात हो चुकी थी मां भी वापस आ चुकी थी। मैंने मां को डिनर कर लेने को कहा।
मां ने मुझसे पूछा कि आज कालेज का पहला दिन कैसा रहा ।
मां बहुत उत्सुक थी जानने को मां को खुश देखकर मुझे उन्हें कुछ बताने का मन नही किया।
सब ठीक था मां कोलेज बहुत बड़ा था वहां बहुत सारे लोग दोस्त बने मेरे मैंने मां को जवाब दिया ।
वह सच में बहुत खुश थी उनके आंखों में आसूं थे उन्होंने मुझे अच्छे से मन लगाकर पढ़ाई करने को कहा और जल्दी से सो जाने को कहा । क्योंकि सुबह मुझे कोलेज जाना था ।
मैं मां को कुछ नही बोल सकीं और चुप चाप सोने के लिए चली गई।।।।