shardha's mother

अब आगे

          सिद्धार्थ ने जब देखा कि श्रद्धा वहां से चली गई है तो उसका दिमाग खराब हो गया उसने खुशी का क्या यह लड़की मेरी बात नहीं सुन सकती आप कहां चली गई है,,।

वही श्रद्धा सोनम और अनुज के साथ गाड़ी में बैठी थी, अनुज ने उससे पूछा तुम कहां जाओगी, श्रद्धा ने सिर्फ एक शब्द में जवाब दिया हॉस्पिटल, अनुज ने गाड़ी हॉस्पिटल की ओर ले ली कुछ देर में अस्पताल के सामने थे, श्रद्धा बिना कुछ कहे हॉस्पिटल में के अंदर चली गई, वही सोनम और अनुज वहां से अपने रास्ते चले गए क्योंकि श्रद्धा ने उन्हें अपने पीछे आने से मना कर दिया था।

कुछ देर में श्रद्धा एक वार्ड के बाहर खड़ी थी,श्रद्धा एक गहरी सांस लेती है और उसे वार्ड के अंदर चली जाती है, वहां बेड पर एक  औरत लेटी हुई थी जो की मशीनों से घीरी हुई थी, उसे औरत को देखकर श्रद्धा की आंखें नम हो गई वह जाकर वही पास में टेबल पर बैठकर उसे औरत का हाथ पकड़ कर धीरे से अपनी कपकपाती आवाज में कहती है

माँ.....

वह औरत कोई और नहीं श्रद्धा की मां थी, श्रद्धा अपनी मां का हाथ पकड़ कर कहती है, मां अब तो उठ जाओ 7 साल हो गए 7 साल से आपका इंतजार कर रही हूं क्या आपको अपनी बेटी की याद नहीं आती, आप तो मेरी एक आवाज पर मेरे पास चली आई थी ना तो आज क्यों ऐसे सोई हुई हो क्यों मेरी आवाज नहीं सुन रही हो मां आई नीड यू मां मुझे आपके पास आना है मां। आपकी आवाज सुनाई है मैं आपकी गोद में सर रखकर लेटना है माँ बहुत दर्द हो रहा है, मैं बिल्कुल अकेली हो चुकी हूं मैं कोई नहीं है।

उसकी आंखों से लगातार आंसू बहे जा रहे थे जो उसकी मां की उंगलियों पर गिर रहे थे, वह रोते-रोते अपना सर उनके हाथों पर रखकर वहीं बैठ जाती है।

वह वहां बैठे-बैठे सुकून की नींद सो जाती है क्योंकि आज वह अपनी मां के सानिध्य में थी भले वह होश में नहीं थी इस हालत में नहीं थे कि उसका साथ दे सके लेकिन एक मां का एहसास की उसके बच्चों के लिए सबसे बड़ी ताकत होती है। श्रद्धा अभी भी अपनी मां के सानिध्य में बैठी हुई थी कि उसे किसी के कदमों की आहट होती है।

श्रद्धा के पीछे मुड़कर देखती है तो वहां पर एक आदमी खड़ा होता है जो कि लगभग 50 की उम्र का होगा। उसे आदमी को देखकर श्रद्धा की भौये जुड़ जाती हैं और वह गुस्से से एक-एक शब्द का चबा के कहती है आपकी हिम्मत कैसे हुई यहां आने की।

वहीं दूसरी ओर सिद्धार्थ अपने ऑफिस में बैठा हुआ था उसे अभी तक नहीं पता चला था कि श्रद्धा कहां है, तभी उसका का धीरज अंदर आता है और कहता है, सर मैं हॉस्पिटल में  है वह अपनी मां के पास है। सिद्धार्थ यह सुनकर थोड़ा शांत होता है कि उसकी उसके श्रद्धा उसके मन के साथ है ना कि किसी और के साथ।

तभी वह सिद्धार्थ के आगे कार्ड रखता है सिद्धार्थ उसे कार्ड को देखकर गुस्से से कहता है यह तो श्रद्धा का कार्ड है यहां क्या कर रहा है। उसके बाद पर धीरज कहता है सर एक्चुअली इस कार्ड की रिपोर्ट आई थी यह श्रद्धा मैंम का कार्ड नहीं बल्कि दूसरा कार्ड है, दूसरा कार्ड है से क्या मतलब सिद्धार्थ ने कहा, उसकी बात पर धीरज कहता है सर यह कार्ड पिछले 2 सालों से इस्तेमाल नहीं हुआ है, कंपनी को लगा कि शायद वह कार्ड खो गया है या कुछ डिस्ट्रॉय हो गया इसलिए उन्होंने दूसरा कार्ड बनाकर भेज दिया है।

2 साल से इस्तेमाल नहीं हुआ है लेकिन एक कार्ड तो श्रद्धा का है जब श्रद्धा इस कार्ड को उसे नहीं करती है तो सारे एक्सपेंस कहां से करती है, लेकिन तभी उसे याद आता है कि कभी भी अगर श्रद्धा शॉपिंग पर गई है तो उसी के साथ गई है नहीं तो नहीं गई है, उसे जो कुछ भी चाहिए होता था वह  उसे हिला कर देता था भले वह उसे डायरेक्टली नहीं यह सब जाहिर होने देता था लेकिन वह उसके लिए हमेशा नई ब्रांडेड कपड़े गहने जूते सब उसके घर पर पहुंचा दिया करता था इसलिए श्रद्धा जल्दी कभी शॉपिंग पर गई ही नहीं थी।

तभी उसके दिमाग में कुछ क्लिक करता है और वह कहता है जब श्रद्धा इस कार्ड को उसे ही नहीं करती है तो उसकी मां की एक्सपेंस जो हॉस्पिटल में होते हैं वह कहां से आते हैं।

सिद्धार्थ ने धीरज को देखा और कहा जल्द से जल्द पता करो कि उसकी मां के इलाज की जो पैसे हैं वह कहां से आ रहे हैं कि कार्ड से आ रहे कि अकाउंट से मुझे पूरी डिटेल 1 घंटे के अंदर चाहिए।

धीरज जी असर कहकर चला जाता है और सिद्धार्थ अपना सिर पकड़ कर बैठ जाता है उसे तो समझ में ही नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है क्योंकि श्रद्धा के मां के अस्पताल के एक्सपेंस बहुत ज्यादा थे, वह पिछले 7 सालों से कोमा में थी, और एक वीआईपी वार्ड में शिफ्ट थी, शादी से पहले तक श्रद्धा अपनी मां की प्रॉपर्टी जो उसके नाम पर थी उसमें उसे करती थी लेकिन शादी के कुछ महीने बाद ही उन सारे प्रॉपर्टी को उसके सौतेले पिता ने हथिया लिया था। इसलिए वह अस्पताल के एक्सपेंस तो वहां से नहीं दे सकती थी तो कहां से दे रही थी यही उसके दिमाग में बातें चल रही थी।

यही सब सो रहा होता है कि लगभग 1 घंटे बीत जाते हैं तभी धीरज उसके काम सामने आता है और एक फाइल रखकर कहता है सर इसमें साइड डिटेल्स है। सिद्धार्थ जब  फाइल उठना है तो वहां पर उसकी मां की इलाज में जो भी पैसे हुए थे वह सारी जी जहां से दिए गए थे  उसे अकाउंट का नाम देखकर  उसकी आंखें बाहर आने को होती हैं।

सिद्धार्थ को अब और ज्यादा गुस्सा आ रहा था क्योंकि वहां अकाउंट होल्डर के नाम की जगह कंपनी का नाम लिखा हुआ था और वह वही कंपनी थी सिग्मा जे कंपनी।

सिद्धार्थ को समझ में ही नहीं आया था कि जिस कंपनी के सीईओ के बारे में कोई नहीं जानता वह कौन है कहां है कैसा है,उस कंपनी का श्रद्धा से क्या लेना देना है आगे श्रद्धा उसे कंपनी के बारे में क्या जानती है आया उसके सीईओ के बारे में क्या जानती है कि वह उसकी इतनी बड़ी मेहनत कर रहा था कि पिछले 2 सालों से इतनी बड़ी रकम उसकी मां के इलाज में लग रहा था।

आंखें क्या मिस्ट्री है सिग्मा जे कंपनी और श्रद्धा के बीच क्या सिद्धार्थ कभी यह जान पाएगा और कौन था वह आदमी जो श्रद्धा की मां की वार्ड में आया था जानने के लिए