रात का वक्त,
वात्सल्य अपने पूरे परिवार के साथ बैठ कर रात का डिनर करता है। उसके पापा की तबीयत अब ठीक थी, लेकिन डॉक्टर ने पूरी तरह से उन्हें बेड रेस्ट दे रखा था। वो कोई काम नहीं करेंगे और ना ही ज्यादा टेंशन लेंगे. हालांकि उनकी हालत तो अब पहले से ठीक थी, पर फिर भी वात्सल्य को अपने पापा की फिक्र थी।
उसके पापा ने वात्सल्य को भरोसा दिया कि अब वो ठीक है और किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है। सारा परिवार एक साथ बैठकर रात का डिनर कर रहा था और हंसी मजाक के साथ उन लोगों ने केतन रावी और नैना के साथ अपनी जान पहचान भी बढ़ाई।
डिनर करने के बाद वो लोग छत पर चले जाते हैं, हवेली के छत से बहुत खूबसूरत नजारा दिख रहा था, दूर-दूर तक उन्हें सुंदर हरे भरे जंगल नजर आ रहे थे और उस के बीच में कहीं-कहीं पर छोटे-छोटे घरों के हिस्से दिखाई दे रहे थे, क्योंकि ये एक रिहायशी इलाका था, इसलिए आस पास बंगले थे।
रावी और नैना एक तरफ बैठे थे और वो लोग संध्या भाभी के साथ बात कर रहे थे। पिंकी सो चुकी थी, तो कविता जी उसे अपने साथ नीचे ले गई थी।
बड़े भैया को ऑफिस में सुबह कुछ काम था, इसलिए वो रात में इन लोगों के साथ बातें करने के लिए नहीं बैठ सके, उन्हें जल्दी सोना था ताकि सुबह जल्दी उठ कर ऑफिस जा सक।
संध्या भाभी, रावी और नैना एक साथ बैठकर मस्ती कर रहे थे और केतन छत के दूसरी तरफ में था, दरअसल उसे सिगरेट की आदत थी.. हालांकि वात्सल्य को ऐसी कोई आदत नहीं थी लेकिन क्योंकि नैना को सिगरेट के धुएं से प्रॉब्लम हो जाती है, इसीलिए केतन को जब भी स्मोकिंग करनी होती है तो वो दूसरी तरफ जाकर ही करता है.
केतन जब वहां पर स्मोक कर रहा था, तब उसने देखा कि हवेली के पीछे के हिस्से में एक दूसरा बंगला है और इसके पीछे के हिस्से में एक पेड़ है। उस पेड़ के आस पास वो किसी लड़के को देखता है और उस लड़के की अजीब हरकतें देख कर केतन उसे ही देखता रहता है।
दो मिनट बाद वहां पर वात्सल्य आता है और काटें की ओर देखकर कहता है "रावी तेरी स्मोकिंग की आदत से ही परेशान है, अगर तू स्मोक करना छोड़ दे, तो शायद रावी तुझे छोड़ कर भी नहीं जाएगी।"
केतन जल्दी से कहता है "अरे वो सब छोड़, ये बताओ ये क्या सीन है, वो कौन हे ? ये क्या कर रहा है..
वात्सल्य ने जब उस तरफ देखा तो सच में एक कम हाइट के पेड़ पर एक लड़का चढ़- चढ़ कर कुछ कर रहा था। उस लड़के को देखकर वात्सल्य हंसने लगता है और हंसते हुए कहता है "टोपी, ये साला अभी तक नहीं सुधरा!"
केतन हैरानी से कहता है "टोपी ये कैसा नाम है.?"
वात्सल्य ने हंसते हुए केतन को देख कर कहा "अरे इसका नाम सुशांत है, लेकिन हम सब इसे टोपी कह कर बुलाते हैं, ये बचपन से ही हमारा पड़ोसी है। जब हम छोटे थे तो एक साथ खेला करते थे लेकिन तब भी इसकी हरकतें ऐसी ही थी और आज तक ये चमगादड़ ही बना हुआ है"
केतन हैरानी से कहता है "चमगादड़ मतलब! मैं समझ नहीं।"
वात्सल्य और जोर से हंसते हुए कहता है "साला बचपन से चमगादड़ पकड़ने का शौकीन है, हम लोग बचपन में सुपर हीरो के फैंस हुआ करते थे और उनकी चीज कलेक्ट किया करते थे, लेकिन ये चमगादड़ पकड़ने के लिए निकलता है रात में..अपने घर से एक पिंजरा लेकर पेड़ों पर चढ़ जाता है चमगादड़ पकड़ने के लिए! कहता है चमगादड़ इसके दोस्त हैं और तुझे पता है क्या? एक बार तो उसने ये कहा था कि चमगादड़ इससे बातें करते हैं।"
केतन हंसने लगता है और शॉक होते हुए कहता है "क्या दुनिया में ऐसे भी लोग मिलते हैं?"
केतन हंसते हुए उसकी तरफ देख रहा था, जहां पर एक लड़का नॉर्मल से शर्ट और और पैंट पहन कर एक पिंजरा लेकर पेड़ के आसपास चक्कर लगा रहा था और कुछ ढूंढने की कोशिश कर रहा था..
केतन उसे देखकर कहता है "क्या पागल इंसान है? इसे और कोई काम नहीं है क्या?
वात्सल्य को मस्ती सोचती है और वो केतन के कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है "केतन चला आ जा, इसके साथ मजे लेकर आते हैं।"
चल छोड़ ना यार वो तो बेवकूफ वाली हरकतें कर ही रहा है, हम भी उसके साथ शामिल हो जाए क्या? चल चलते हैं यहां से..
केतन ये कहते हुए आगे बढ़ता ही है कि वात्सल्य उसका हाथ पकड़ कर रोकते हुए उसे कहने लगता है "अरे यार चल ना, वैसे भी उसे पता नहीं है कि मैं इंडिया वापस आ गया हूं। चल चल कर उसे सरप्राइज देते हैं और साथ में थोड़ी मस्ती भी करते हैं।"
वात्सलय ने एक नजर उस तरफ देखा, जहां सारी लड़कियां आपस में बैठी हुई थी और हंसी मजाक कर रही थी।
वात्सल्य केतन को लेकर जल्दी से हवेली के पिछले के दरवाजे से नीचे उतर आता है और उस तरफ चला जाता है जहां पर टोपी एक पेड़ के पास छोटा सा पिंजरा लेकर चमगादड़ तलाश करने की कोशिश कर रहा था।
वात्सल्य ने केतन को इशारा किया, तो केतन अपना मोबाइल निकाल कर उनकी वीडियो बनाने लगता है।
वात्सल्य धीरे से पेड़ के दूसरी तरफ चला जाता है और वहां से चेसेसस चेसेसस.. ऐसी आवाज निकालने लगता है, टोपी को लगता है कि उसने किसी चमगादड़ को ढूंढ लिया है, जो यहीं कहीं आसपास है। वो जल्दी से पेड़ के आसपास चमगादड़ को तलाश करने की कोशिश करने लगता है।
लेकिन जब उसे अपनी आंखों से चमगादड़ नहीं मिलता है तो उसने पेड़ पर चढ़ने का फैसला किया। टोपी ने पिंजरे को अपनी कमर पर लगे बेल्ट से लटका दिया और एक हाथ पेड़ की एक टहनी पर रखकर उस पर चढ़ने ही वाला था कि वात्सल्य पीछे से आता है और बहुँ कर कर टोपी को एकदम से डरा देता है।
टोपी संभल नहीं पता है और नीचे गिर जाता ,है लेकिन उसी के साथ उस पेड़ के सबसे ऊपर की टहनी पर मौजूद 2- 4 चमगादड़ वहां से उड़ जाते हैं।
उन्हें उड़ता हुआ देख केतन जल्दी से दूसरी तरफ से हंसता हुआ निकल कर वात्सल्य के पास आता है और वात्सल्य और केतन दोनों टोपी को जमीन पर गिरा हुआ देखते रहते है, जो अब उल्टा जमीन पर गिरा हुआ हैरानी से वात्सल्य को देख रहा था।
वो जल्दी से अपनी कमर पकड़ कर खड़ा होता है और खुद के कपड़े साफ करते हुए कहता है.. "तुम वापस आ गए, क्यों वापस आए तुम? अच्छा होता अगर तुम वापस ही नहीं आते तो, देखा तुमने क्या किया है? मेरे सारे दोस्तों को उड़ा दिया है।"
वात्सल्य और केतन हंसने लगते हैं। वात्सल्य हंसते हुए टोपी को देखकर कहने लगा "अबे टोपी तू अब तक नहीं सुधरा, पूरी दुनिया चांद पर पहुंच गई है। तू अभी तक पेड़ पर ही नहीं पहुंच पा रहा है.और कहां से लाता है ये नॉनसेंस वाली बातें, चमगादड़ मेरे दोस्त हैं .. छिपकली मेरी रिश्तेदारी है .. और गिरगिट तो मेरे साथ घर पर ही रहता है।"
अपनी बात कहने के बाद वात्सल्य और भी ज्यादा हंसने लगता है और उसके साथ-साथ केतन भी हंसने लगता है।
टोपी गुस्से में उन दोनों को घूर कर देखता है और वात्सल्य से कहता है "चुप रहो! अपनी बकवास बंद करो, तुम जानते ही क्या हो चमगादड़ के बारे में? तुम्हें पता है कितने शांत रहते हैं यह, किसी को परेशान नहीं करते हैं। तुमने उन्हें परेशान कर दिया है, कहीं ऐसा ना हो कि एक दिन ये चमगादड़ तुम्हें ऐसे परेशान करें कि फिर तुम्हें समझ में आएगा कि जब हम किसी से उलझते हैं ना, तो कैसा लगता है?"
वात्सल्य को उसकी बात में और मजा आ रहा था, उसने हंसते हुए कहा "अच्छा तो ये चमगादड़ मुझे परेशान करेंगे, क्योंकि मैने उन्हे परेशान किया है। सच में तुझे लगता है कभी ऐसा होगा टोपी?"
टोपी उन पेड़ की शाखाओं को देख कर कहता है "पता नहीं होगा या नहीं होगा? लेकिन तुम ने इन चमगादड़ों को परेशान करके अच्छा नहीं किया है, ये किसी को परेशान नहीं करते हैं! एक जगह शांति से बैठे रहते हैं. अपने पंखों को अपने शरीर पर लपेट कर। देखो कितने सुंदर लगते हैं दिखने में
केतन टोपी की ऐसी अजीब अजीब सी बातें सुनता है और चुपके से वात्सल्य के कानों में कहता है "चल यहां से वरना कहीं ऐसा न हो, इस चमगादड़ का ज्ञान सुन कर हमने जो ऑस्ट्रेलिया से ज्ञान लिया है ना वो सारा चमगादड़ों के पास ही चला जाएगा.
वात्सल्य ने उस की बात सुन कर हां में अपना सिर हिलाया और चुपचाप हंसते हुए वो दोनों वहां से निकल जाते हैं और टोपी पेड़ों को देखकर अपने आप में ही कुछ ना कुछ बोले जा रहा था और चमगादड़ों की तारीफ किया जाता है।
अब तक नैना और रावी भी अपने कमरे में आ गए थे और भाभी पानी का जग लेने के लिए किचन में आई थी, जब वो वात्सल्य और केतन को आते हुए देखती है, तो जल्दी से वात्सल्य से कहती है "वात्सल्य तुम्हारे पापा, तुम्हें स्टडी रूम में बुला रहे है, मैं तुम्हारे कमरे में गई थी लेकिन तुम वहां पर नहीं थे, जाओ जाकर पापा से मिल लो।"
वात्सल्य ने कहा "जी भाभी मैं मिल कर आता हूं।
उसके बाद वात्सल्य ने केतन को कमरे में जाने के लिए कहा, तो केतन वहां से कमरे में चला जाता है और वात्सल्य स्टडी रूम में चला जाता है।
मोहन जी स्टडी रूम में बैठे हुए थे और किसी फाइल को देख रहे थे। उन्हें ऐसे काम करता देख वात्सल्य उनके पास आता है और उनके हाथ से फाइल छीनकर टेबल पर रख देता है, ओर मोहन जी पर नाराज होते हुए कहता है "क्या पापा आप फिर से काम में उलझ गए हैं? डॉक्टर ने कहा है ना कि आपको काम का बिल्कुल भी स्ट्रेस नहीं लेना है, सिर्फ आराम करना है तो फिर आप इतना स्ट्रेस ले क्यों रहे हैं?"
मोहन जी हल्की परेशानी के साथ लेकिन वात्सल्य को बेफिक्र करता हुआ कहते हैं.. "बेटा जब तक दुनिया में है काम तो करना ही पड़ेगा ना, बिना काम के कैसे काम चलेगा?"
पापा काम के लिए अभी अंकित भैया है ना, वो सारा बिजनेस संभाल तो रहे हैं और आपको काबिलियत पर शक है क्या? देखिए वो सारा बिजनेस और सब कुछ कितने अच्छे से संभाल रहे हैं, आपको शिकायत का कोई मौका नहीं देते हैं.
वात्सल्य मोहन जी से कहता है, तो मोहन जी ने मुस्कुराते हुए हां के अपना सिर हिलाया और वात्सल्य से कहा "हां मुझे अंकित की काबिलियत पर कोई शक नहीं है, वो सच में बहुत अच्छा बिजनेसमैन है और सारे बिजनेस को बहुत अच्छे से संभालता है, लेकिन तुम तो जानते ही हो ना, हमारा एक बिजनेस रियल स्टेट में भी है। हम प्रॉपर्टी के सेल और परचेज में भी काम करते हैं।"
वात्सल्य ने हां में अपना सिर हिलाते हुए कहा "पापा मैं जानता हूं कि हमारे रियल स्टेट का भी बिजनेस है तो फिर आप इतना परेशान क्यों है?"
मोहन जी एक गहरी सांस छोड़ते हैं और फिर उस फाइल को जो वात्सल्य ने टेबल पर रखी थी, उसे उठाते हुए कहा "दरअसल हमारे एक क्लाइंट है मिस्टर पूनावाला .. उन्हें फॉरेस्ट एरिया में एक रिसॉर्ट बनवाना था, जिसके लिए उन्होंने हमारी रियल स्टेट कंपनी में हमसे कांटेक्ट किया था और हमने कई सारी जमीने भी दिखाई, लेकिन उन्हें जो जमीन पसंद आ रही थी, वो दरअसल मुंबई से बाहर है।
मेसाना नाम का एक कस्बा है, उसी के पास में एक जंगल है, जहां पर एक पुरानी से खंडहर हवेली है . मिस्टर पूनावाला को वही पुरानी हवेली चाहिए। वो इस हवेली को तोड़कर वहां पर अपना रिजॉर्ट बनाने वाले हैं..
वात्सल्य थोड़ा हैरान होते हुए कहता है "कमाल है पापा! मुंबई में इतने अच्छी - अच्छी जगह होने के बावजूद मिस्टर पूनावाला को, ऐसी गांव देहात में अपना रिजॉर्ट बनाना है।
मोहन जी की हैरानी से परेशानी के साथ अपना सिर हिलाते हुए कहते हैं "हां बेटा अब हम इस में कर भी क्या ही सकते है? वो हमारे क्लाइंट है उन्होंने हमारे बिजनेस में भी पैसे लगाए हैं..इस प्रॉपर्टी के बारे में बात करने के लिए मुझे मेसाना जाना था.. मैं उसी दिन मेसाना के लिए निकलने वाला था, जिस दिन मुझे हार्ट अटैक आया।
सब कुछ सही था, कोई प्रॉब्लम भी नहीं थी, लेकिन फिर अचानक से पता नहीं क्यों मेरे सीने में दर्द उठा और जब मेरी आंख खुली तो मैं हॉस्पिटल में एडमिट था। डॉक्टर ने बताया कि मुझे हार्ट अटैक आया है, वात्सल्य मैं तो उस हवेली के मालिक से मिलकर बात नहीं कर पाया हूं, पर मैं चाहता हूं कि तुम वहां जाओ और उस हवेली के मालिक से उसे बेचने की बात करो।