समीर सलमा और सलमान जैसे ही हवेली में आए, मुनीम जी उनके पास में आए और बोले, मालकिन, छोटे मालिक को मालिक पीछे के गार्डन में बुला रहे हैं।
इतना सुनने के बाद समीर पीछे के गार्डन में चला गया।
समीर ने पीछे के गार्डन में देखा की कुछ नौकर लकड़ीयों से बनी चीजों को इधर से उधर कर रहे थे।
उसके पिता दूर से गार्डन के किनारे पर खड़े सब कुछ देख रहे थे, समीर उनके पास गया और बोला, पिता जी आपने मुझे बुलाया था क्या।
बेटा, क्या तुम हरे आयाम की प्रतियोगिता के बारे में जानते हो, हामिद ने प्रश्न पूछा।
समीर ने जवाब दिया, हां जानता हूं कल जब मैं झील के किनारे पर घूम रहा था, तो कई लोगों से इसके बारे में मैंने सुना था, फिर मैंने सलमान से इसके बारे में पूछा था।
तो सलमान ने मुझे बताया था, कि हर कुछ सालों में हरे आयाम की प्रतियोगिता होती है, इसमें नए लड़ाकू योद्धा भाग लेते हैं, और आध्यात्मिक जानवरों का शिकार करते हैं, और अपना कौशल दिखाते हैं, हरे आयाम की प्रतियोगिता खत्म होने के बाद, अकादमी के गुरु बच्चों का चयन करते हैं और उन्हें अपना शिष्य बनाते हैं।
तुम्हें भी इस हरे आयाम की प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का निमंत्रण मिला है, हामिद ने निमंत्रण पत्र समीर की ओर बढ़ाते हुए कहा।
समीर ने अपने पिता के हाथ से पत्र लिया और उसे पढ़ने लगा।
जैसे ही समीर ने पत्र पढ़कर लिफाफा बंद किया, हामिद ने बोला, बेटा तुम्हें हरे आयाम में आध्यात्मिक जानवर का शिकार करना होगा, और अकेले अपनी दम पर वहां पर रहना होगा, इसलिए मैंने तुम्हारे लिए एक लड़ाकू योद्धा ढूंढा है जो तुम्हें आध्यात्मिक जानवर का शिकार करना सिखाएगा।
फिर हामिद ने उसके हाथ से पत्र लिया, और समीर को अपने साथ लेकर, गार्डन के बीच में आ गया।
हामिद ने सभी नौकरों को वहां से चले जाने के लिए कहा, सभी नौकर वहां से चले गए, फिर हामिद ने कहा, बेटा इनसे मिलो, इनका नाम अनवर है, यह तुम्हें आध्यात्मिक जानवरों का शिकार करना और हरे आयाम मैं कैसे अपने आप को सुरक्षित रखना है यह सिखाएंगे।
इस समय अनवर एक लड़ाकू योद्धा की तरह दिख रहा था, कोई भी उसे देखकर यह नहीं कह सकता था, कि यह आदमी आज ही के दिन कंचन जंगा शहर के चौराहे पर भीख मांग रहा था।
यह कहने के बाद हामिद वहां से चले गए, इस समय गार्डन में समीर और अनवर दोनों ही थे, अनवर ने गौर से समीर को देखा, समीर अभी केवल 18 साल का था, लेकिन वह शारीरिक रूप से बहुत मजबूत और ताकतवर था, इसीलिए वह 21 या 22 साल के लड़के जैसा लग रहा था।
अनवर ने समीर को देखते हुए कहा, तुम्हारे पिता ने मुझे तुम्हारी ताकत के बारे में बताया था, मुझे उन पर विश्वास है पर मैं अपनी आंखों से यह देखना चाहूंगा, जिससे मैं तुम्हारी ताकत का सही सही अनुमान लगा सकूं, और मुझे तुम्हें कम समय में सीखाने में आसानी होगी।
क्या तुम वह सामने रखे लकड़ी के दो बॉक्स को एक एक कर के इधर ला सकते हो।
समीर ने उन लकड़ी के बॉक्सो को देखा और उन्हें उठाने के लिए वहां से चला गया, अनवर ने उसे यही बॉक्स लाने के लिए इसलिए कहा था, क्योंकि वह जानता था इन बॉक्सो में इतना वजन है, कि इसको उठाने के लिए कम से कम इस हवेली के चार नौकरों की जरूरत होती है, क्योंकि उसी ने वह बॉक्स वहां रखवाए थे।
पर अनवर ने देखा समीर ने बड़ी आसानी से एक एक करके उन दो बॉक्सो को उस जगह रख दिया जिस जगह उसने कहा था।
यह सब देखकर अनवर बहुत खुश हो गया, फिर उसने समीर को अपनी ओर देखते हुए उस बॉक्स पर पालथी मारकर बैठने को कहा।
समीर ने अनवर के कहे अनुसार काम किया, फिर अनवर भी दूसरे बॉक्स पर पालथी मारकर उसके सामने बैठ गया।
फिर अनवर ने समीर से पूछा कि तुम्हें लड़ाकू योद्धाओं और उनसे जुड़ी चीजों के बारे में क्या पता है, समीर को जो कुछ भी पता था, उसने वह सब कुछ अनवर को बता दिया।
समीर के मुंह से यह सुनने के बाद कि उसे क्या-क्या पता है अनवर को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, वह इस बात पर हंसे या रोए।
फिर अनवर ने एक गहरी सांस ली और समीर को देखते हुए कहा, तुमने जो कुछ भी सुना है तुम्हें उसे भूलना होगा अब मैं तुम्हें जो बताने जा रहा हूं उसे याद रखना।
14 साल की उम्र के बाद जिन बच्चों में आध्यात्मिक शक्ति उत्पन्न होती है, वही बच्चे लड़ाकू योद्धा बन सकते हैं, और जिन बच्चों में आध्यात्मिक शक्ति उत्पन्न नहीं होती है, वह कभी भी लड़ाकू योद्धा नहीं बन सकते हैं वह एक सामान्य जिंदगी जिएंगे।
जिन बच्चों के अंदर आध्यात्मिक शक्ति उत्पन्न होती है वह बच्चे उन आध्यात्मिक शक्ति का इस्तेमाल अपने शरीर से बाहर नहीं कर सकते हैं, उसके लिए उन्हें आध्यात्मिक हथियारों की जरूरत होती है, केवल आध्यात्मिक जानवर ही अपनी शक्ति को बिना हथियार के अपने शरीर से बाहर निकाल सकते हैं, लेकिन कुछ विशिष्ट जीव होते हैं जो दोनों प्रकार से यह काम कर सकते हैं।
लड़ाकू योद्धा को अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए साधना करनी पड़ती है, साधना के 10 चरण होते हैं, पहले चरण से लेकर दसवें चरण की साधना को अलग अलग नामों से पुकारा जाता है।
पहले चरण की साधना के लड़ाकू योद्धा को लघु लड़ाकू योद्धा, या उसके स्तर के आधार पर भी पुकारा जा सकता है, साधना के हर चरण में 10 स्तर होते हैं।
साधना के दूसरे चरण के लड़ाकू योद्धा को उच्च लड़ाकू योद्धा, साधना के तीसरे चरण के लड़ाकू योद्धा को लड़ाकू सम्राट, साधना के चौथे चरण के लड़ाकू योद्धा को महा लड़ाकू सम्राट, साधना के पांचवे चरण के लड़ाकू योद्धा को शक्तिमान, साधना के छठवें चरण के लड़ाकू योद्धा को महा शक्तिमान ।
साधना के सातवें चरण के लड़ाकू योद्धा को शक्ति पूर्वज, साधना के आठवें चरण के लड़ाकू योद्धा को महा शक्ति पूर्वज, साधना के नवें चरण के लड़ाकू योद्धा को शक्ति संत, साधना के दसवें चरण के लड़ाकू योद्धा को महा शक्ति संत कहा जाता है।
अपने शरीर में आध्यात्मिक ऊर्जा को तेजी से बनाने के लिए एक मंत्र का इस्तेमाल किया जाता है, उस मंत्र का नाम आध्यात्मिक ऊर्जा संशोधन का मंत्र है।
जितने भी जीव जंतु आध्यात्मिक ऊर्जा को ग्रहण करते हैं, और अपनी आध्यात्मिक शक्ति बढ़ाते हैं, वह इस मंत्र का इस्तेमाल करते हैं, यह बहुत ही सामान्य मंत्र है जो हर कोई योद्धा आसानी से सीख सकता है।
अब बात करते हैं शरीर की, सामान्य मनुष्य का शरीर और एक लड़ाकू योद्धा के शरीर में कोई अंतर नहीं होता है, दोनों के शरीर में बस एक ही अंतर होता है, सामान्य मनुष्य के शरीर का डेंटीयन सक्रिय नहीं होता है, और लड़ाकू योद्धा के शरीर का डेंटीयन सक्रिय हो जाता है।
किसी भी लड़ाकू योद्धा के डेंटीयन के तीन हिस्से होते हैं, पहला हिस्सा उसके पेठ पर होता है, दूसरा हिस्सा उसके सीने पर होता है, और तीसरा हिस्सा उसके मस्तिष्क (सर) में होता है।
हम जिस किसी भी आध्यात्मिक जानवर का मांस खाते हैं, वह मांस हमारे पेठ वाले डेंटीयन में जाता है, वहां से परिष्कृत होकर आध्यात्मिक ऊर्जा शरीर के अन्य हिस्सों और सीने वाले डेंटीयन और मस्तिष्क वाले डेंटीयन में जाती है।
सीने वाले डेंटीयन और मस्तिष्क वाले डेंटीयन की आध्यात्मिक ऊर्जा का इस्तेमाल ही, हम आध्यात्मिक हमले में करते हैं।
सीने वाले डेंटीयन से आध्यात्मिक ऊर्जा को निकालकर अपने हाथों में लाते हैं और उस आध्यात्मिक ऊर्जा को हाथ में पड़े आध्यात्मिक हथियार के अंदर डालते हैं, और उस आध्यात्मिक हथियार से हमला करते हैं।
मस्तिष्क वाले डेंटीयन से आध्यात्मिक ऊर्जा को मानसिक चेतना के रूप में निकालकर, दूसरे प्राणी के मस्तिष्क पर हमला किया जाता है, लेकिन इस हमले का इस्तेमाल आप तभी कर सकते हैं जब तक आप कम से कम एक शक्तिमान योद्धा ना हो।
शक्तिमान योद्धा से नीचे के लड़ाकू योद्धा इस हमले का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं, लेकिन कुछ ऐसी तकनीके होती हैं जिनसे ये हमले किए जा सकते हैं, पर इसमें खतरा भी बहुत होता है।
शक्तिमान योद्धा से नीचे का लड़ाकू योद्धा मानसिक चेतना का हमला तो नहीं कर सकता है, लेकिन कुछ तकनीक की सहायता से मानसिक चेतना के हमलों से अपना बचाव कर सकता है।
अनवर द्वारा दी जा रहे ज्ञान से समीर को कुछ फायदा होगा या यह सारा ज्ञान उसके लिए बेकार है यह जानने के लिए आप सुनते रहिए इस कहानी को।