एपिसोड 3: रहस्यमयी आवाज़ (The Mysterious Voice)
अर्जुन ने छाया दैत्य को हराकर राहत की साँस ली, लेकिन यह बस शुरुआत थी। जंगल अभी भी गहरा और डरावना लग रहा था। हवा में हल्की ठंडक थी, और अजीब-सी सरसराहट अब भी सुनाई दे रही थी।
"मुझे आगे बढ़ना होगा।" अर्जुन ने खुद से कहा।
वह कुछ कदम ही चला था कि अचानक होलोग्राफिक स्क्रीन फिर से चमकी—
[नई सूचना: आपकी ऊर्जा कम हो रही है। आराम करने की सलाह दी जाती है!]
अर्जुन ने महसूस किया कि उसका शरीर भारी हो रहा था। दैत्य से लड़ाई के बाद वह थक चुका था। उसे आराम करने के लिए कोई सुरक्षित जगह ढूंढनी थी।
रहस्यमयी झील
कुछ दूर चलने के बाद अर्जुन को पानी बहने की आवाज़ सुनाई दी। वह तेजी से आवाज़ की दिशा में बढ़ा और कुछ ही देर में उसने खुद को एक खूबसूरत झील के किनारे पाया। झील का पानी चमक रहा था, और इसकी सतह पर हल्की नीली रोशनी तैर रही थी।
"यह कोई आम झील नहीं लग रही..." अर्जुन ने सोचा।
जैसे ही उसने झील के पानी को छूने की कोशिश की, होलोग्राफिक स्क्रीन चमकी—
[चेतावनी! यह जादुई झील है। इसे छूने से अनजान प्रभाव हो सकते हैं!]
अर्जुन थोड़ा पीछे हटा। लेकिन तभी, झील के बीच से एक धीमी, रहस्यमयी आवाज़ आई—
"यात्रा करने वाले... तुम कौन हो?"
अर्जुन का दिल जोर से धड़क उठा। उसने चारों ओर देखा, लेकिन कोई दिखाई नहीं दिया।
"यह कौन बोल रहा है?" अर्जुन ने हिम्मत करके पूछा।
कुछ पल तक कोई जवाब नहीं आया, लेकिन फिर वही आवाज़ गूँजी—
"अगर तुम इस दुनिया में जीवित रहना चाहते हो, तो तुम्हें अपने अंदर की शक्ति को पहचानना होगा..."
अर्जुन चौंक गया। यह आवाज़ किसी जादुई शक्ति की लग रही थी।
पहली परीक्षा
तभी अचानक, झील की सतह पर हलचल हुई, और वहाँ से एक नीली रोशनी निकलकर अर्जुन के चारों ओर घूमने लगी।
होलोग्राफिक स्क्रीन चमकी—
[नई परीक्षा शुरू: 'मन की शक्ति' का परीक्षण!]
अर्जुन को समझ नहीं आया कि यह क्या हो रहा है। लेकिन अगले ही पल, उसके सामने झील से एक विशालकाय जल-दैत्य प्रकट हुआ।
"अब तो सच में मुसीबत में फँस गया!" अर्जुन ने बुदबुदाया।
दैत्य की आँखें चमक रही थीं, और वह अर्जुन की ओर बढ़ रहा था। अर्जुन ने अपनी तलवार निकाली और तैयार हो गया।
दैत्य ने एक ज़ोरदार गर्जना की और झील से पानी का एक बड़ा गोला उठाकर अर्जुन की ओर फेंक दिया।
अर्जुन तेजी से एक तरफ कूदा, लेकिन पानी का गोला ज़मीन से टकराते ही ज़ोरदार धमाका हुआ।
"यह इतनी ताकतवर है?" अर्जुन हैरान रह गया।
होलोग्राफिक स्क्रीन चमकी—
[नया कौशल अनलॉक: 'तेज़ गति' (Agility Boost)!]
अर्जुन को महसूस हुआ कि उसका शरीर अचानक हल्का हो गया था। वह अब पहले से तेज़ी से हिल सकता था।
"अब देखते हैं, कौन ज्यादा तेज़ है!" अर्जुन मुस्कुराया।
अर्जुन की जीत
अर्जुन ने अपनी तलवार को कसकर पकड़ा और बिजली की गति से दैत्य की ओर बढ़ा। उसने 'एनर्जी स्लैश' का इस्तेमाल किया, लेकिन इस बार दैत्य ने अपनी ढाल बनाकर वार को रोक लिया।
"इतना आसान नहीं होगा..." अर्जुन ने सोचा।
तभी, उसे होलोग्राफिक स्क्रीन पर एक नया संदेश दिखा—
[संकेत: जल-दैत्य की शक्ति उसके दिल में केंद्रित है। उस पर वार करो!]
"अब समझ आया!" अर्जुन ने मुस्कुराते हुए कहा।
जैसे ही दैत्य ने दोबारा हमला किया, अर्जुन बिजली की गति से उछला और सीधा उसके दिल पर वार किया।
"एनर्जी स्लैश!"
एक ज़ोरदार रोशनी फैली, और दैत्य ज़ोर से चिल्लाया। कुछ ही सेकंड में वह पानी में घुलकर गायब हो गया।
होलोग्राफिक स्क्रीन चमकी—
[बधाई हो! आपने जल-दैत्य को हराया। 100 एक्सपी प्राप्त हुए।]
अर्जुन ने राहत की साँस ली।
"यह आसान नहीं था, लेकिन अब मैं समझ गया कि यह दुनिया मुझे हर कदम पर परखने वाली है!"
झील फिर से शांत हो गई, और अर्जुन ने महसूस किया कि उसकी थकान भी कुछ हद तक कम हो गई थी।
लेकिन वह नहीं जानता था कि यह सिर्फ शुरुआत थी।
अर्जुन ने जल-दैत्य को हराकर राहत की साँस ली, लेकिन उसे महसूस हुआ कि यह दुनिया जितनी रहस्यमयी थी, उतनी ही खतरनाक भी। वह झील के किनारे बैठकर गहरी साँसें लेने लगा।
"यह कोई साधारण दुनिया नहीं है... यहाँ हर कोना मेरे लिए एक परीक्षा जैसा है।"
जैसे ही उसने पानी में अपनी परछाई देखी, झील की सतह पर हल्की तरंगें बनने लगीं। अचानक, झील के पानी से नीली रोशनी निकली और अर्जुन के सामने हवा में एक नई होलोग्राफिक स्क्रीन प्रकट हुई।
रहस्यमयी संदेश
होलोग्राफिक स्क्रीन पर चमकता हुआ संदेश था—
[आपने पहली परीक्षा पास कर ली है। आगे बढ़ने के लिए उत्तर की ओर जाएं। लेकिन ध्यान दें—अगली बाधा आपकी शक्ति नहीं, बल्कि आपके धैर्य की परीक्षा लेगी।]
"धैर्य की परीक्षा?" अर्जुन ने स्क्रीन की ओर देखा।
तभी, वही रहस्यमयी आवाज़ एक बार फिर गूँजी—
"सिर्फ तलवार की ताकत से कोई योद्धा नहीं बनता। तुम्हें अपनी आत्मा की शक्ति को भी पहचानना होगा..."
अर्जुन अब और भी उलझन में पड़ गया था।
अनजान रास्ते की ओर
वह झील के पास कुछ देर और रुका, फिर अपनी ऊर्जा इकट्ठा करके उत्तर की ओर बढ़ने लगा।
रास्ते में जंगल घना होता जा रहा था। पक्षियों की आवाज़ भी धीरे-धीरे कम हो रही थी, जैसे वे किसी खतरे को भाँप चुके हों। अर्जुन ने अपनी तलवार को कसकर पकड़ा और सतर्क होकर आगे बढ़ता रहा।
कुछ दूर चलने के बाद उसे एक बड़ा, पत्थरों से बना द्वार दिखाई दिया। द्वार के दोनों ओर विशालकाय मूर्तियाँ खड़ी थीं, जो पुराने योद्धाओं की लग रही थीं।
होलोग्राफिक स्क्रीन फिर से चमकी—
[नई बाधा: आत्म-भ्रम का कक्ष (Hall of Illusions)]
अर्जुन ने थोड़ा आगे बढ़कर द्वार को छूने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उसने उसे छुआ, वह तुरंत अंदर खिंचता चला गया!
आत्म-भ्रम का कक्ष
अर्जुन ने खुद को एक अजीब जगह में पाया। चारों ओर सफेद धुंध थी, और दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा था।
"यह क्या जगह है?" अर्जुन ने खुद से कहा।
अचानक, धुंध के बीच से एक आकृति उभरी। जैसे-जैसे वह करीब आई, अर्जुन के होश उड़ गए—
वह खुद अर्जुन था!
"तुम... तुम कौन हो?" अर्जुन ने आश्चर्य से पूछा।
"मैं वही हूँ जो तुम हो... लेकिन मैं तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी भी हूँ।"
अर्जुन के सामने खड़ी उसकी ही परछाई मुस्कुरा रही थी, लेकिन उसकी मुस्कान में अजीब-सा डर समाया था।
होलोग्राफिक स्क्रीन चमकी—
[नई चुनौती: खुद के डर का सामना करो!]
अर्जुन समझ गया कि यह उसकी सबसे कठिन परीक्षा थी। वह कितने भी राक्षसों को हरा ले, लेकिन अगर वह अपने ही डर से हार गया, तो यह दुनिया उसे कभी आगे नहीं बढ़ने देगी।
भीतर की लड़ाई
परछाई-अर्जुन ने अपनी तलवार निकाली और अर्जुन पर झपट पड़ा।
अर्जुन ने तुरंत अपनी तलवार से वार रोका, लेकिन उसे महसूस हुआ कि परछाई की ताकत बिल्कुल उसकी ही जैसी थी!
"अगर यह मैं ही हूँ, तो इससे लड़ना नामुमकिन है!" अर्जुन ने सोचा।
लेकिन तभी उसे रहस्यमयी आवाज़ की बात याद आई—
"सिर्फ तलवार की ताकत से कोई योद्धा नहीं बनता... तुम्हें अपनी आत्मा की शक्ति को पहचानना होगा..."
अर्जुन ने अपनी तलवार नीचे कर दी और गहरी साँस ली।
"मैं तुमसे नहीं लड़ूँगा।" उसने परछाई से कहा।
परछाई रुकी। उसकी आँखों में कुछ बदलाव आया।
"अगर तुम मैं ही हो, तो हमें एक-दूसरे से लड़ने की जरूरत नहीं।" अर्जुन ने आत्मविश्वास से कहा।
होलोग्राफिक स्क्रीन चमकी—
[बधाई हो! आपने अपनी आत्मा की शक्ति को पहचाना।]
परछाई मुस्कुराई, और धीरे-धीरे हवा में घुलने लगी।
अर्जुन के चारों ओर की सफेद धुंध छँटने लगी, और वह फिर से जंगल में लौट आया।
अगले सफर की ओर
होलोग्राफिक स्क्रीन पर एक नया संदेश उभरा—
[आपने आत्म-भ्रम की बाधा पार कर ली है। अब आप अगले स्तर पर जाने के लिए तैयार हैं!]
अर्जुन मुस्कुराया।
"अब मुझे समझ आया कि सिर्फ ताकत ही काफी नहीं होती। सही दिशा में सोचने की जरूरत भी होती है।"
जंगल में सूरज की रोशनी हल्के-हल्के फैलने लगी थी। अर्जुन ने अपने सफर को जारी रखने के लिए कदम बढ़ाया।
लेकिन उसे नहीं पता था कि आगे उसका सामना किसी ऐसे दुश्मन से होने वाला था, जिसकी शक्ति अब तक देखे गए सभी राक्षसों से कहीं ज्यादा थी...
(एपिसोड 3 समाप्त! अगले एपिसोड में अर्जुन को एक नया रहस्य और एक नया खतरा मिलेगा!)