आंश जानवी के गालों को थपथपाते हुए, "होश में आओ जानवी, उठो..."
इस वक़्त आंश जानवी को होश में लाने की पूरी कोशिश कर रहा था। आंश इस वक़्त पूरा डरा हुआ था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि जानवी को कुछ भी हो।
आंश बार-बार जानवी के गालों को थपथपाते हुए, "जानवी, प्लीज़ होश में आओ। मैं तुम्हें कैसे बताऊँ कि कल रात ऐसा कुछ नहीं हुआ था जो तुम सोच रही हो। वो सब एक झूठ था, सिर्फ़ एक दिखावा, जो मैं चाहता था तुम देखो।"
कार ड्राइव करते हुए, एक नज़र जानवी को देखकर, "तुम सुन रही हो जानवी? उसने तुम्हें सच में छुआ भी नहीं था। वो इंसान तो सिर्फ़ तुम्हें बिस्तर पर लिटाकर वहाँ से चला गया था क्योंकि पूरी रात तो मैं था तुम्हारे साथ। सच में उसने तुम्हारे साथ कुछ नहीं किया।"
आंश जानवी को होश में रखने के लिए उसे सारी सच्चाई बताता जा रहा था क्योंकि उसे इतना पता था कि किसी इंसान को होश में रखने के लिए उसे बात करते रहना चाहिए ताकि वह बेहोश न हो जाए।
वो सब तो सिर्फ़ मेरा प्लान था ताकि मैं तुम्हें सबक सिखा सकूँ। सच में जानवी, उसने तुम्हें छुआ भी नहीं था और कल रात तुम्हें कोई ड्रग्स भी नहीं दिया गया था।
जो तुमने कल रात पिया, वह सिर्फ़ एक आम नशा था जिससे तुम बेहोश हो जाओ और तुम्हें कुछ याद भी न हो।
यह कहते हुए आंश की आँखों में आँसू आ जाते हैं। "सच में जानवी, मैं सिर्फ़ तुमसे सबक सिखाने के लिए यह सब किया था। यह सिर्फ़ एक झूठ है, नाटक किया था ताकि तुम्हें एहसास हो कि तुमने मेरे साथ क्या किया था। पर प्लीज़ जानवी, अपनी आँखें मत बंद करना।"
ऐसे ही बात करते हुए, आंश की कार अस्पताल के आगे रुकती है। आंश जल्दी से जानवी को कार से बाहर निकालता है। इस वक़्त जानवी आंश की बाहों में झूल रही थी। उसके हाथों के कपड़े बंधे होने के बावजूद भी, खून उसके कलाई से रिसकर ज़मीन पर बूंदों सहित गिर रहा था।
जानवी की ऐसी हालत देख आंश को खुद पर गुस्सा और घबराहट हो रही थी कि अगर वह जानवी को सबक सिखाने की वजह से यह सब न करता, तो जानवी भी ऐसा कदम न उठाती क्योंकि उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी किसी को मरता हुआ देखने की, वह भी उसकी वजह से। और फिर उसी तरह जानवी को अपनी गोद में ले अस्पताल के अंदर चला जाता है और फिर चिल्लाते हुए, "डॉक्टर्स!"
आंश की आवाज़ सुन सभी डॉक्टर्स आंश के पास आ जाते हैं। आंश डॉक्टर को अपने सामने देख उन डॉक्टर्स पर चिल्लाते हुए, "इसका जल्दी से इलाज करो, इसने अपनी नस काट दी है!"
डॉक्टर्स आंश की गुस्से भरी आवाज़ से डर जाते हैं और फिर जल्दी से जानवी को स्ट्रेचर पर ले जाकर इमरजेंसी वार्ड में ले जाते हैं।
इमरजेंसी रूम के बाहर आंश खुद में ही बर्बादाया जा रहा था। "कि जानवी को कुछ नहीं हो सकता, मैं एक और मौत नहीं देख सकता।" उसका दिल जोरों से धड़क रहा था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जानवी ऐसा कुछ भी कर सकती थी।
और फिर खुद से बोलते हुए, "मेरे एक छोटे से झूठ की वजह से जानवी ऐसा कुछ करेगी, मैंने कभी सोचा भी नहीं था। जानवी को ऐसा नहीं करना चाहिए था। जितना मैं जानवी को जानता हूँ, जानवी इतनी कमज़ोर नहीं थी कि उसे कोई रास्ता न मिले तो खुद को ही खत्म कर ले। वह तो लड़ने वालों में से है, मरने वालों में से नहीं।" यह सोचते हुए उसे वह पल याद आने लगता है जब आंश जानवी को इम्प्रेस करने के लिए उसके पीछे गुंडे लगा देता है।
फ़्लैशबैक
आंश काफ़ी समय से जानवी का पीछा कर रहा था, लेकिन जानवी अपने ही धुन में बाइक चला रही थी, कहीं जा रही थी कि तभी कुछ गुंडे जानवी को घेर लेते हैं।
और वह सभी गुंडे बाइक के साथ जानवी की चारों तरफ़ गोल-गोल घूमते हुए। इनमें से एक गुंडा बोलता है, "वोये शेखर, यार ये क्या माल है! इस्से तो मैं तेरी भाभी बनाऊँगा।" फिर दूसरा गुंडा बोलता है, "नहीं नहीं, मैं इस्से तेरी भाभी बनाऊँगा।"
और इधर जानवी उन गुंडों को देख और उनकी बातें सुन अपनी जलती हुई आँखों से घूरती हुई बड़े स्टाइल से अपनी बाइक से उतरती है और फिर अपने चेहरे से हेलमेट को हटाती हुई, बड़े शांति से अपनी बाइक से टेक लगा उन गुंडों को देखने लगती है जैसे वह चुटकियों में ही उन्हें मसल कर रख देगी।
कि तभी उन गुंडों को आपस में बातें करते देखना, "ये तेरी भाभी होगी, ये तेरी भाभी होगी..." कि तभी जानवी बड़े ही ऐटिट्यूड से गुंडों को देख, "ऐसा करो, तुम पहले डिसाइड कर लो कि मैं किसकी भाभी हूँ और किसकी नहीं, तब तक मैं खा-पीकर आती हूँ।"
जानवी के ऐटिट्यूड और बातें सुन खुद से, "क्या इस लड़की को डर नहीं लग रहा हमसे?" और फिर वह अपना चेहरा बाइक के मिरर में देखने लगता है। खुद को देख वो गुंडा, "आरे डरावना तो हूँ, तो फिर इस्से क्यों नहीं लग रहा?"
और फिर पलटकर जानवी को ऊपर से नीचे देखने लगता है और फिर उसे देख अपने मन में, "देखने में तो ये नाज़ुक कमली की तरह है। अगर इसकी जगह कोई दूसरी लड़की होती, तो हमें देख चीखती-चिल्लाने लगती। लेकिन ये तो हमें खुद इनवाइट कर रही है। हमारी तो बन गई! हमें पैसे भी मिलेंगे और लड़की भी।" और फिर सोच उसके चेहरे में स्माइल आ जाती है।
और फिर अपनी घटिया स्माइल करते हुए जानवी से, "हमने डिसाइड कर लिया कि तुम इसकी भाभी हो।" कि तभी दूसरा गुंडा, "नहीं नहीं, तुम इसकी भाभी हो।" और ऐसे ही दूसरा और तीसरा भी कहने लगता है।
और इधर आंश गुंडों की हरकतें देख खुद से, "ये गुंडे ही हैं ना, ये कैसी बकवास कर रहे हैं। जिस काम के लिए भेजा है, वो तो काम ही नहीं कर रहे। और इस लड़की को क्या हुआ है? ऐसी बेतुकी-बेतूकी बातें क्यों कर रही है?" और फिर आंश चिल्लाते हुए, "अरे यार, अपना काम स्टार्ट करो ताकि मैं भी अपना काम करूँ।"
कि तभी जानवी उन गुंडों को लड़ता देख, अपनी खतरनाक स्माइल करते हुए, "अगर तुम सबका हो गया, तो मैं बताऊँ कि मैं किसकी भाभी हूँ और किसकी नहीं।"
यह कहते हुए जानवी अपने कदम उन गुंडों की तरफ़ बढ़ा देती है। जानवी पहले गुंडे के पास पहुँच और फिर बगैर अपनी इमोशनलेस आँखों से उस गुंडे को घूरते हुए अपना हेलमेट उठा उस गुंडे के सर पर मारते हुए, गुस्से से उस पर चिल्लाते हुए, "बहुत शौक है ना, मुझे दूसरों की भाभी बनाने का! अब तुझे बताती हूँ कि मैं किसकी भाभी हूँ और किसकी नहीं।" यह कहते हुए जानवी दूसरे गुंडे को बगैर कोई मौका दिए उसके बालों को पकड़ उसे थोड़ा नीचे झुका, अपने पैर को उठाकर उसके पीठ पर एक किक मारती है जिससे वह गुंडा दर्द से तड़पते हुए वहीं बैठ जाता है।
और तीसरे को भी बगैर कोई मौका दिए जानवी अपने पैरों का इस्तेमाल कर उसके पर्सनल पार्ट पर जोर से लात मारती है जिसमें वह आदमी भी दर्द से तड़पता है।
और फिर जानवी उस गुंडे को उन दोनों को ऊपर धक्का दे देती है जिससे वो तीनों साथ में ज़मीन पर गिर जाते हैं। क्योंकि पहला गुंडा तो जानवी के हेलमेट मारने द्वारा नीचे ज़मीन पर गिरा था और उठने की कोशिश कर रहा था कि तभी दूसरा गुंडा जिसे जानवी ने एक लात मार के उसे पहले वाले गुंडे के ऊपर गिरा देती है जिसमें पहला वाला गुंडा दुबारा ज़मीन पर गिर जाता है।
इस वक़्त तीनों ज़मीन पर गिरे हुए थे और जानवी गुस्से से पूछ रही थी। जानवी का दिल कह रहा था कि वह इन्हें ऐसा सबक सिखाए कि दोबारा कभी किसी लड़की को छेड़ने से पहले सौ बार सोचे।
और इधर गुंडों को जानवी पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि एक पतली सी लड़की से वे कैसे मार खा सकते हैं। इसलिए गुंडे जल्दी से उठते हैं और जानवी को पकड़ने के लिए उसकी तरफ़ कदम बढ़ाते हैं कि तभी जानवी अपने कदम पीछे लेते हुए जंगल की तरफ़ भागती है।
और उसके पीछे भागते हुए गुंडे, "अभी तो बहुत शेरनी बन रही थी, अब क्या हुआ? डर लग रहा है?"
और यह सब नज़ारा वहीं पास खड़े आंश देख रहा था। वह तो हैरान था जानवी का ऐटिट्यूड देखकर जिससे देख आंश अपने मन में सोचने लगा, "भागी क्यों और कहाँ जा रही है? चलो छोड़ो, मुझे क्या? जहाँ जाना है जाए, मुझे तो बस अपना काम करना है।" और फिर वह भी गुंडों के पीछे, लेकिन उनसे थोड़ा दूर रहता है।
आज के लिए बस itna