अलीशा से शादी तुमने अपनी मर्जी से की थी। हमें तो वह कभी पसंद नहीं थी। तुमने जो चाहा किया, मगर हमने तुम्हें कभी नहीं रोका। अब तो मान जाओ मेरी बात। दुश्मन नहीं हूँ मैं तुम्हारा। हमेशा मनमानी करते हो तुम।
राजन सिंघानिया ने अपने बेटे जयराज सिंघानिया से कहा। वह अपने पिता की बात नहीं मान रहा था। उसके अपने पसंद की लड़की से दूसरी शादी करवाना चाहते थे, मगर वह शादी से मना कर रहा था।
"आप क्यों मेरी शादी के पीछे पड़े हैं? मुझे नहीं करनी किसी के साथ शादी। क्यों आप मुझे शांति से रहने नहीं देते? युग की फ़िक्र है मुझे, आप समझते क्यों नहीं? जब उसकी अपनी मां उसकी मां नहीं बन सकी, तो अब कौन युग की मां बनेगा और क्यों?" जय ने जवाब दिया।
"युग की फ़िक्र तो तुम छोड़ो। उसके लिए मैं और तुम्हारी माँ हूँ। वह हमारा बेटा है, उसकी परवरिश की ज़िम्मेदारी हमारी है, तुम्हारी नहीं। मगर मैं तुम्हें इस तरह के लिए नहीं छोड़ सकता, जैसे युग तुम्हारा बेटा है। तुम हमारे बेटे हो, तुम्हारा फ़िक्र करने का हक़ है हमारे पास।" राजन जी काफ़ी गुस्से में थे, मगर उनका बेटा जयराज बहुत ज़िद्दी था।
"एक बात याद रखो, अगर तुम शादी के लिए हाँ नहीं कहोगे तो... मुझे 'डैड' कहने की कोई ज़रूरत नहीं।" वह अपनी जगह से खड़े होकर जाने लगे।
"बहुत हो गया जय, मत मानो मेरी बात..."
"मगर डैड, वो मुझसे इतने साल छोटी है। एक उन्नीस साल की लड़की कैसे निभाएगी मुझसे? और लगता है आपको, मैं एक छोटी बच्ची के साथ एडजस्ट करूँगा। कम से कम उसकी उम्र तो मेरे जितनी हो।" जयराज अपने पिता को समझाने की कोशिश कर रहा था, क्योंकि वह लड़की सिर्फ़ उन्नीस की थी और जयराज बत्तीस साल का था।
"पता है मुझे। तुम्हारी माँ भी मुझे नौ साल छोटी है, भूल रहे हो तुम। इन सब बातों की फ़िक्र तुम मत करो, मैं हूँ ना देखने के लिए।"
"पिछले एक महीने से आप मुझसे इसी टॉपिक पर बात कर रहे हैं। चलिए, मान ली मैंने आपकी बात।" जय ने कहा। वह समझ गया था कि उसके माँ-बाप उसका पीछा नहीं छोड़ने वाले।
"तो ठीक है, शाम को हम लड़की से मिलने जाएँगे।" उसके डैड राजन ने कहा।
"मुझे नहीं जाना लड़की से मिलने। जिस दिन शादी हो, सीधे बता देना। पहुँच जाऊँगा मैं। याद रखना, शादी के बाद मुझे किसी बात के लिए टोकना नहीं। जो मेरी मर्जी हुई, मैं वही करूँगा। किसी भी बात के लिए मुझे ब्लेम करने की ज़रूरत नहीं।" वह गुस्से में चला गया।
तभी जया, जय की माँ, राजन के पास आई। "क्या यह सही होगा? मतलब, वह ऐसा है, इतना गुस्से वाला, तो क्या इसके लिए वह लड़की सही होगी? आप फिर एक बार सोच लीजिए। पिछली बार इसने अपनी मर्जी से शादी की थी, फिर भी कितने दिन चली वह शादी?"
"मैंने सोच-समझकर फ़ैसला किया है। मैं उसे बचपन से जानता हूँ, इसके लिए वैसी ही लड़की चाहिए।" राजन ने मुस्कुराकर कहा, "और उसे भी जय जैसा कोई चाहिए।"