Episode - 12तुम अपने हाथों से कार्तिक को खाना खिलाओं ।

अब तक

अपनी गलती का एहसास होते ही अक्षय एक नज़र केबिन की तरफ देखता है फिर कनक की तरफ देखते हुए अपनी बत्तिसी दिखा देता है जो उसे ही देख रही थी ।

उसके बत्तिस दाँत देख कनक खूद मैं बड - बडाते हुए कहती है,

" बेवकूफ " 😒 ।

अक्षय उसकी बात को इग्नोर करते हुए कहता है ।

अक्षय - कनक मेम मेरा साथ यहीं तक था अब मैं चलता हूं।

अपनी बात खत्म कर अक्षय बिना कनक की बात सुने वहां से ऐसे भागता है जैसे उसके पीछे कोई पिशाच पड गया हो ।

अब आगे

अक्षय इसलिए भागा था, क्यौंकि जिस तरह से सभी कार्तिक से डरते थें, उसी तरह से अक्षय भी अपने बॉस से बहुत डरता था, और उसके अंदर बिल्कुल भी हिम्मत नहीं थी की वो अपने उस यमराज बॉस का सामना भी कर सके ।

अक्षय को इस तरह से भागते देख कनक खूद से खिसियाते हुए कहती है ।

कनक 😬 -ऐसे तो उसका चमचा बना फिरता है , लेकिन इसमें इतनी हिम्मत नही की उसका सामना भी कर सके ,मुझे उस भूखे शेर के सामने डाल कर खूद भाग गया ।

" हे भगवान बस आज बचा लेना " इतना खूद से कहते हुए कनक दरवाजे पर नॉक करते हुए कहती है "क्या मैं अंदर आ सकती हूं "

कनक के इतना कहने पर अंदर से कार्तिक की एक बहुत ही प्यार भरी अवाज आती है ।

" डार्लिंग तुम्हें मेरे केबिन मैं आने के लिये परमिशन लेने की जरूरत नहीं है, तुम बिना मेरी परमिशन लिये केबिन मैं आ सकती हो । क्यौंकि ये केबिन जीतना मेरा है उतना ही तुम्हारा भी है, हम दोनों का इस पर बराबर का हक है " ।

कार्तिक की ये बात सुनते ही कनक सदमें मैं चली जाती है, और वो खूद से ही कहती है ।

" ये जंगली शेर अचानक चुहा कैसे बन गया " और मु,, मूझे डार्लिंग कह कर बूला रहा है, अपने सबसे बडे जानी दुश्मन को ,कहिं पागल - वागल तो नहीं हो गया । फिर खूद के कान को खूजलाते हुए " शायद मेरे कान के परदे फट चुके हैं ,इसलिए मुझे कुछ ज्यादा ही उंचा सुनाई दे रहा है । "

खूद मैं ही बडबडाते हुए कनक ,कार्तिक के केबिन का डोर ओपन करती है और टिफिन बोक्स अपने हाथ मैं पकडे हुए अंदर जाती है । तो उसे कार्तिक अपनी चेयर पर बेठा नज़र आता है जो अपने मोबाइल मैं देखते हुए कह रहा था ।

" हाँ माँ मेरी बीवी आ चुकी है मेरे लिये खाना लेकर " इतना कह कार्तिक अपनी नज़र अपने मोबाइल से हटा कर कनक को एक तीखी नज़र से देखते हुए कहता है " डार्लिंग लो तुम भी बात कर लो " इतना कह कार्तिक अपने मोबाइल को उसकी तरफ मोड देता है । "

कनक की नज़र फोन की स्क्रीन पर जाती है और उसे सारा माजरा समझ आ जाता है की क्यों कार्तिक उसे इतने प्यार से डार्लिंग कह कर बूला रहा था, कार्तिक के फोन पर एक विडियो कॉल चल रही थी, जिसके दुसरी तरफ कार्तिक के दादा - दादी और राधिका जी मौजूद थें । "

कार्तिक चाहे उससे कितनी ही नफरत क्यों ना कर ले ,कनक जानती थी की कार्तिक चाहते हुए भी अपनी फेमिली के सामने उसकी बेज्जती नहीं कर सकता था , क्यौंकि वो अपनी फेमिली से बहुत प्यार करता था, और उसकी फैमिली कनक से बहुत प्यार करती थी, बस इसलिए वो कनक के साथ कुछ गलत करके अपने दादा - दादी और राधिका जी को नाराज नहीं करना चाहता था ।

दादा जी - कन्नू ( कनक का निक नेम ) तुम्हें पता है तुमने जो गूलाब जामून खास करके मेरे लिये बनाए थें ना ,इस औरत ( दादी जी की तरफ इशारा करते हुए ) ने मुझे खाने ही नहीं दिए ।

दादी जी आंखें छोटी कर दादा जी को घूरते हुए " कितना झूठ बोलता है ये आदमीं ,कन्नू मैने इसे पूरे 2 गूलाब जामून दिए थें, जिसे इन्होने एक ही बार मैं खा लिया था और अब बोल रहे हैं की मैने इन्हें दिए ही नहीं " ।

दादा जी मुँह बना कर - हा तो दो गूलाब जामून से क्या होता है, उनकों खाने से तो मुझे उनका टेस्ट भी समझ नहीं आया, अगर 10 - 12 गूलाब जामून मिल जाते तो ,,,,इतना कहते हुए दादा जी कनक की तरफ देखते हैं जो उन्हें ही घूर रही थी।

कनक 🤨 - आपकों शुगर है ना, फिर भी आप 10 - 12 गूलाब जामून खाना चाहते हैं । आपकी शुगर के हिसाब से आपके लिये 2 गुलाब जामून काफी थें , और वैसे भी मैने ही दादी को मना किया था की वो आपकों 2 से ज्यादा ना दें ।

कनक की बात पर दादा जी का मुँह गुब्बारे की तरह फूल जाता है और वो मुँह मोड कर बेठ जाते हैं, उनके फुले हुए मुँह को देख कर दादी जी, राधिका जी और कनक जोर - जोर से हंसने लगतें हैं ।

कार्तिक जो कनक के ही साइड मैं आ कर खड़ा हो गया था, और अपनी शोकिंग नजरों से अपने दादा जी को देख रहा था जो अभी किसी छोटे से बच्चे की तरह कनक के सामने ऐक्टिंग कर रहे थें, उसे यकीन नहीं हो रहा था, की ये वहीं दादा जी है जो उसके साथ किसी हिटलर की तरह पेश आते हैं ।

"क्या हुआ स्वीटि चलों खाना खाते है, मम्मा कब से बोल रही है"

कार्तिक जो अपने ख्यालों मैं गूम था वो कनक के अवाज देने पर अपने ख्यालों से बाहर आता है, और उसे अजीब तरह से घूरने लगता है ।

कार्तिक को अपनी तरफ घूरते देख, कनक उसे फोन की तरफ इशारा करती है ।

कार्तिक फोन की तरफ देखता है ,तो विडियो कॉल अब भी चल रही थी और राधिका जी उन दोनों को खाना खाने के लिये कह रही थी ।

कार्तिक का काफी आलिशान और बड़ा केबिन था, वो इतना बडा था की उसमें आसानी से एक पूरा घर आ सकता था, केबिन के अंदर एन्टर होते ही सामने एक किंग साइज डेस्क थी, उस डेस्क के साथ कार्तिक के बेठने के लिये सीईओ चेयर थी, उस डेस्क के लेफ्ट साइड कांच की बडी - बडी विंडोव्स थी, यानी की वो पूरा एरिया क्रिस्टल कांच से कवर था जिस्से निचे आती जाती कार्स को आसानी से देखा जा सकता था, उन कांच की विंडोज़ के थोडे आगे किंग साइज सोफे रखे हुए थें, जिसके साथ एक छोटा टेबल भी था , डेस्क के राइट साइड बेडरूम भी था, जहाँ पर कार्तिक के इस्तेमाल की सारी चीजें मौजूद थी, उस रुम मैं वोश्रूम भी था, जब कभी कार्तिक को किसी पार्टी वगेरा मैं जाना होता था तो वो यहीं से तैयार हो कर चला जाता था उसे घर जाने की जरुरत नहीं होती थी ।

कार्तिक और कनक दोनों डेस्क के लेफ्ट साइड ,कांच विंडोव्स के सामने रखे सोफे पर जा कर बेठ जाते हैं ।

कनक दो प्लेट लेकर उसमें खाना निकालने ही वाली थी की राधिका जी उसे टोकते हुए कहती हैं ।

" कन्नू तुम दोनों एक ही प्लेट मैं खाना खाओं, एक ही प्लेट मैं खाने से प्यार बडता है "

राधिका जी की हाँ मैं हाँ मिलाते हुए दादी जी कहती हैं ।

"हाँ , और तुम अपने हाथ से कार्तिक को खिलाओगी"

दादी जी की बात पर कनक का चेहरा देखने लायक हो ,जाता है।

वहीं कार्तिक भी कनक के हाथ से नहीं खाना चाहता था, पर वो कुछ कर भी नहीं सकता था ।

कनक ,पालक पनीर की सब्जी मैं रोटि को डीप कर ,कार्तिक के फेस की तरफ बड़ाती है, जिसे ना चाहते हुए भी कार्तिक को खाना पडता है, लेकिन जैसे ही वो एक बाइट लेता है की अचानक उसके फेस के एक्सप्रेशन्स चेंज हो जाते हैं ।

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