अब तक
कुछ देर बाद
कृती अपने सामने बेठें ,मजे से मैगी खाते हुए, राघव को लाल टपकाते हुए देख रही थी, 🤤
राघव जिसने मैगी को अनहेल्दी और अनहाएजेनिक कहा था, वही राघव अब तक मैगी की दो कटोरी खा चुका था, और अब वो तीसरि कटोरी खत्म करने मैं लगा हुआ था ।
कृती खूद मैं बडबडाते हुए " आया बडा ,,, मैं ऐसी अन्हेल्दी और अंहाएजेनिक चीजे नहीं खाता हूं, अभी देखों उसी
अन्हेल्दी और अंहाएजेनिक चीज को कैसे ठूस - ठूस कर खा रहा है "
मैगी की तीसरी कटोरी खत्म करने के बाद राघव अपने हाथ मैं मौजूद कटोरी को कृती की तरफ बडाते हुए उससे पूछता है " और है "
अब आगे
कृती तंज कस्ते हुए " और है " आपकों शर्म नहीं आती, जब मैने आपसे पूछा था, की क्या आप मैगी खाना चाहेंगें, तब आपने मैगी की बेज्जती कर उसे खाने से मना कर दिया था, और अब देखों कैसे चाट - चाट के खा रहें हैं, मन कर रहा है इसी कटोरि ( राघव के हाथ मैं मौजूद कटोरी की तरफ इशारा करते हुए) से आपका सर फोड दूं 😤😭
" मैने पूछा और है " राघव ,कृती को कहिं खोया देख अपनी एक आई ब्रो ऊपर करते हुए उससे पूछता है, जिस्से कृती अपनी ख्यालों की दुनिया से बाहर आती है, और तब जा कर उसे समझ आता है की ,राघव को उसने जितनी भी बातें सुनाई थी वो सब उसकी अपनी इमेजिनेशन मैं सुनाई थी ।
कृती ,राघव के हाथ से कटोरी लेते हुए, " मैने जो मैगी बनाई थी ,वो तो खत्म हो चुकी है, लेकिन कोई बात नहीं सर मैं दुबारा बना के लाती हूं " 😁 कहते हुए कृती एक बार फ़िर किचन की तरफ चली जाती है और मैगी बनाते हुए खूद से कहने लगती है " मन कर रहा इसमें दो चम्मच चूहे मारने की दवाई मिला दूं, ताकी इस जंगली चिम्पेंजी के पेट के जंगली चूहों की भूख हमेशा के लिये शांत हो जाए, क्यौंकि इसके चूहों ने मेरे चूहों के हिस्से की मैगी जो खाई है " ☹
मैगी के बनने के बाद, उसे कटोरी मैं निकाल जब कृती हॉल मैं आती है तो उसकी नज़र जीत पर पडती है जो राघव से कह रहा था " मैने सिंघानिया मेंशन से दुसरी कार मँगवा ली है सर, अब हमें चलना चाहिए "
जीत की बात पर राघव सर हाँ मैं हिलाता है लेकिन वो अपनी जगह से टस से मस नहीं होता है, उसकी नज़र तो कृती के हाथों पर मोजूद मैगी की कटोरी पर थी, उसे अपने हाथों की तरफ घूरते देख कृती खूद से कहती है " कितना लाइल्ची है ये, इतना ठूस - ठूस के खाने के बाद भी इसे और खाना है 😒 , और यहाँ एक मैं जिसे अभी तक एक चम्मच भी नसीब नहीं हुई है ☹ ।
" तुम वहां पर खडी क्या कर रही हो, लाओं और इसे मुझे दो " केहते हुए राघव मैगी की तरफ इशारा करता है, जिसके बाद मुँह बनाते हुए ही सहिं लेकिन कृती उसे मैगी दे देती है, जिसे जल्दी - जल्दी खा कर, राघव जीत के साथ जाने के लिये उठ जाता है । जाने से पहले जीत कृती को बाए कहता है, जिसके बदले मैं कृती भी मुस्कुराते हुए उसे बाए कहती है, जिसे राघव अपनी आंखें तीरछी कर देख रहा था ।
अगले दिन
खिड़की से आती धूप जब कनक के चेहरे पर पडती है तब जा के उसकी नीन्द खूलती है, वो अपने आस - पास देखती है लेकिन उसे कोई नज़र नहीं आता है ।
खूद को रुम मैं अकेले पा कर वो खूश हो जाती है की पिछले रात जो उसने कार्तिक को खूद से दूर रखने का प्लैन बनाया था, वो सक्सेसफूल रहा ( अब प्लैन कितना सक्सेसफूल रहा ये तो सब जानते हैं 😂 😂 )
" लेकिन मुझे ( अंगडाई लेते हुए ) ऐसा क्यों लग रहा है, की पिछली रात किसी ने एक भारी पत्थर मेरे ऊपर रख दिया था, इतना दर्द क्यों हो रहा है, ( अपनी आंखें छोटी कर ) पक्का कोई तो था रुम मैं, क्यौंकि मुझे याद है, मेरा दम भी घूट रहा था, जैसे कोई तकिए से मेरा मुँह दबा रहा हो, जरूर इस रुम मैं कोई तो है , क्या ऐसा हो सकता है की इस रुम मैं कोई सिरियल किलर हो, जो मुझे मारना चाहता हो, " 🙄
कनक एकदम धीमी चाल से बैड से निचे उतरती है और उसी धीमी चाल से किसी जासूस की तरह पूरे रुम की तलाशी लेने लगती है, कभी बैड के निचे , कभी सोफे के निचे तो कभी कर्टन्स के पीछे, लेकिन अफसोस इतनी छान- बिन के बाद भी उसे कोई नज़र नहीं आता है ,
अब भला उसे कौन समझाए, जिसे वो इतनी देर से ढूंढ रही है, जिसकी कीस को उसने ,तकिया दबा कर मारना समझ लिया था, वो उसी के पीछे खडे होकर उसे और उसकी अजीब हरकतों को घूर रहा था ।
" क्या ढूंढ रही हो तुम "
अपने पीछे से आई इस अवाज पर बिना गौर किये कनक कबर्ड के अंदर झाकते हुए, " इस रुम मैं एक सिरियल किलर छूपा हुआ है, मैं उसे ही ढूंढ रही हूं, पता है उसने कल रात मेरे मुँह पर पिल्लों रख कर मुझे मारने की कोशिश की थी, एक बार वो मिल जाए मुझे , मैं मार - मार कर उसका भरता बना दूँगी 😤
अचानक कनक का ध्यान इस बात पर जाता है, की अभी - अभी किसी ने उससे बात की, जिस्से वो सतर्क हो जाती है, और सामने की तरफ घूरते हुए कहती है " ओए सिरियर किलर के बच्चू चूप - चाप सामने आ जाओं, वरना अगर मैने तुम्हें ढूढ लिया ना, तो फ़िर तुम्हारी खैर नहीं 😬
कनक के हिसाब से जो गन्दगी उसने रुम मैं फैलाई हुई थी, उसके बाद कार्तिक का इस रुम मैं आना नामूमकिन था, इसलिए उसने बिल्कुल भी नहीं सोचा की जिस सिरियर किरल को वो ढूंढ रही है वो कार्तिक भी हो सकता है, उसे तो यही लग रहा था की कोई जरूर बाहरी इंसान उसके रुम मैं छूपा बेठा है ।
वहीं कनक की बातों से उसके पीछे खड़ा कार्तिक समझ जाता है की इतने देर से वो उसे ही ढूंढ रही थी, 😂 😂
अचानक कनक को अपनी कमर पर किसी की मजबूत पकड मेहसूस होती है, जब वो अपनी नजरे निचे करती है तो उसे दो बडे हाथ नज़र आते है, जो उसके कमर के इर्द - गिर्द मौजूद थें, साथ ही वो अपने कन्धों पर किसी की गहरी सांसों को मेहसूस कर पर रही थी, इन सब से कनक अपनी जगह पर ही जम जाती है, उसने तो अपनी सांसों को भी रोक लिया था क्यौंकि अब वो सिरियल किलर के कबजे मैं जो थी
😂 😂 ।