यादें

सोच ले जिंदगी बचने का अंजाम जो बोला से आदमी बोला ये तुझे भूल जे गई आदमी सब सुन रहा था।

तेरी कोई याद नहीं रहे गई जिस दिन तेरी जान होश मै आई तेरा प्यार खत्म आदमी सब सुन रहा था।

तेरी कुर्बानी नहीं उसका श्राप से औरत सब सुन रही थी। कौन से ये तू अच्छे से जनता से आदमी सब सुन रहा था।

औरत सब सुन रही थी। कुछ भी कर ले तुझे उस बेचारी के श्राप का सामना करना ही पड़े गा

भाई जो मैने बोला इसे अच्छे से पता से आदमी सब सुन रहा था।

अगर ये जागी तेरा प्यार तेरे से दूर आदमी सब सुन रहा था। किस के लिए किसे खो रहा से तुझे अच्छे से पता से आदमी सब सुन रहा था।

कर तू बाबा बंगारू से बोला पीला मुझे क बंगारू अपने आदमी से बोला

जिस दिन महराज की प्रेमिका होश मै आई महराज अपनी बीवी को हमेशा के लिए खो दे गए जी सब पता से जान उनको वो भाभी से कभी प्यार नहीं किए

औरत सब सुन रही थी। सब पता से आपके जमी सा को के करूं मे तुझे भी श्राप देती हु औरत के बापू सा सब सुन रहे थे।

जिस दिन मेरी बेटी इस दुनिया से गईं मे भी नहीं राहु गई और मे तेरी हो भी गईं तो तू मुझे खो देगा भाभी मां सा लड़का बोला

जिस के लिए तूने मेरी बेटी की कुर्बानी दी वह तेरे कुल का सर्वनाश कर देगी बापू सा सब सुन रहे थे।

मां चुप हो जिए इस जनम तो मे औरत हु अगले जन तू औरत बनेगा बापू सा सब सुन रहे थे।

औरत रो रही थी। दोनों नहीं रहे बापू सा सब सुन रहे थे। करम का फल तुझे और तेरे दोस्त को मिले गा बंगारू उसी दी से अपनी गुफा मे रहने के लिए महल से चले गए