जय की कहानी

विजयपुर के पास में हिम्मतनगर में साबरमती इस नदी के पास विजमा इस गांव में विक्रम सिंघानिया और गीता सिंघानिया और उनका बेटा जय रहता है जी बहुत होना लड़का है और थोड़ा डरपोक भी है अभी उसकी 12वीं हो चुकी है अबू बीजापुर जाने वाला है जय के घर के पास कॉलेज का दोस्त कहता है जो जय की रैगिंग करता है और उसका नाम भिनगा रख देता है और उसका नाम राज है और उसके दो दोस्त यह तीनों मिलकर जय को परेशान करते राज के पिता एक कंपनी में मैनेजर का काम करते हैं जय और राज दोनों फर्स्ट ईयर के लिए रामोजी यूनिवर्सिटी स्कूल में एडमिशन लेते हैं जय को राज दिखाने के बाद यह अपने मन में कहता है मेरा नसीब ही खराब है जो यह मेरे कॉलेज में आ गया के बाद सोचने लगता है मैं कुछ नहीं करता इसलिए सब लोग मुझे परेशान करते हैं जैसे राज परेशान करता है जय के पिताजी मैसेज कंपनी में एक एंप्लॉय है पिता के पास पैसे कम है इसलिए उसका एडमिशन करने के लिए जय की पिताजी ने सिफारिश की थी जय की माता जी हाउसवाइफ है गीता और विक्रम का अकेला लड़का है