chapter 10- राक्षस की जान तोते मे !

"प्रूफ है।", मेरे कहते ही सैंडी मूड गया।

मैंने अपना फ़ोन निकाला और उसकी ओर भाग पड़ा। मेरी और मयूर की फोटो उसे दिखाने लगा।

"ये देखिये सर, फोटो। "

वो उन फोटो को देखकर चौंक गया।

"ये देखिये, ये रहा मै और ये मयूर मतलब आप। ऐसी बहुत सी फोटो है मेरे पास", मै फोटो swipe करते हुए उसे बताने लगा। उसने मेरा फ़ोन लिया और फोटो को घूरने लगा, बड़े हैरानी से।

सैंडी का एक आदमी पीछे आके उन फोटो मे झाँकने लगा।

"ये मै हूँ?", सैंडीने अपने आपसे पूछा।

"हाँ हाँ बॉस, आप ही हो। बस बाल थोड़े से बड़े है।", पीछे खड़े आदमि ने जवाब दिया।

मेरे दिल को तसल्ली मिल गयी। मैंने सैंडी से पूछा,

"अब तो आपको यकीन हो गया ना, की मै विष नहीं हूँ।"

"... no!", उसने थोड़ी देर बाद जवाब दिया।

"क्या!", मैने शॉक होके बोला, "अभी तो आपको सारी फोटो दिखाई। उसमे सब साफ साफ है।"

"ऐसा भी हो सकता है की तूने एडिट की हुयी फोटो दिखाई हो। हो सकता है की नहीं?", फोटो को देखते हुए सैंडी ने पिछे खड़े आदमि से पूछा।

"हा हा बॉस, हो सकता है।", पिछे खड़े आदमी ने जवाब दिया।

"ये एडिट वाले फोटो नहीं है", मैं उसे समझाते हुए बोला.

"वो मुझे नहीं पता। ", ऐसा बोलके सैंडी उसकी चेयर पे बैठ गया। मेरे मोबाइल मे दूसरी चीज़े देखने लगा।

उसके पीछे उसके 4-5 आदमी ओर आ खड़े हुए, फ़ोन मे झाँकने केलिए।

पीजे ने सैंडी से कहा, "सर, अगर ये विष होता तो, ये थोड़ी ही आपकी फोटो एडिट करते बैठता। सोचने वाली बात है ना सर।"

"बात मे दम तो है मगर i am not convinced. मुझे दूसरा प्रूफ चाहिए।", सैंडी ने बिना पीजे की ओर देखते हुए बोला।

मै और पीजे सोच मे पड़ गए। और क्या प्रूफ दिखाए।

उधर सैंडी मेरे फ़ोन मे लगा पड़ा था। उसने एक कॉल रिकॉर्डिंग ओपन की। मेरी और मयूर की कॉल रिकॉर्डिंग। सब गौर से सुनने लगे। उसमे से मयूर की आवाज आयी-

[मयूर -"भाई, बस दो मिनट मे पहुँचनेवाला हूँ। सच्ची।"]

"ये तो मेरी आवाज जैसी लग रही है।", सैंडी ख़ुशी होके बोला।

"हा हा बॉस, बिलकुल आपकी आवाज के जैसी है।", पीछे खड़े आदमीयों ने एक सुर मे जवाब दिया।

[मै-"अबे साले किधर है तू हरामी। 1घंटे से रुका हूँ इधर..."]

सैंडी ने फट से रिकॉर्डिंग बंद कर दी और पीछे देखा। पीछे खड़ा झुण्ड फट से भाग गया।

तभी पीजे ने सैंडी को आवाज लगायी,

"एक सबूत है सर।"

"देख अगर कोई फालतू सबूत रहा तो सबसे पहले तुझे ही मार दूंगा।", सैंडी ने गुस्से से कहा।

"अरे सर, ऐसी बात मत कीजिये plz। ये वाला सबूत आपको पक्का पसंद आयेगा।" पीजे ने थोड़ा डरते हुए बोला।

"बता प्रूफ। "सैंडी बोला।

"आपको पता है, 6महीने पहले विष पर हमला हुआ था। उसके कंधे पे गोली लगी थी। और उस गोली का निशान जाना नामुंकिन है। है ना?"

"हाँ पता है उस गोली का निशान नहीं जाता। आगे!"

पीजे झट से मेरे पास आया और मुझे कहा,

"उतार!"

"क्या? "

"कपडे"

उसने मुझे मौका ही नहीं दिया। पीजे ने झटसे मेरी जैकेट उतारी और मेरी टीशर्ट को भी उतार दिया। और सैंडी को देखते हुए बोला,

"कहाँ है निशान!"

ये बात ! ये था असलि सबूत। सैंडी कुर्सी से उठके मेरे पास चला आया और मेरे बदन को घूरने लगा। off course, मुझे शरम आना लाजमी था।

"ओह्ह माय गॉड ! Its unbelievable!", वो मुझे घूरते हुए बोलने लगा।

मैंने जल्द ही अपने कपडे पहन लिए।

"तो तुम सच मे दूसरी दुनिया से आये हो ! How is it possible? ", सैंडी ने बड़ी हैरानी से पूछा। अब जाके उसे हमारी बातो पे यकीन हुआ था।

*-*-*

अब सारा मामला साफ था। हम दोनों एक सोफे पर बैठे थे। पीजे खाने मे व्यस्त था। हमारे सामने थोड़ी दुरी पर कुर्सी पे सैंडी बैठा था। मेरी सारी कहानी उसे पता चल गयी।

"और मै यहाँ आके फस गया। ", मैंने मेरी कहानी खतम कर दी।

"ये तो बिलकुल किसी जादू की तरह लग रहा है। मैंने इसके बारे मे सिर्फ सुना था मगर आज देख भी लिया।", सैंडी ने कहा।

"इसलिए तो हमें वो सीरम चाहिए। सिर्फ वही एक चीज है, जो मुझे मेरी दुनिया मे ले जा सकती है। ", मैंने कहा।

"अच्छा ये सब ठीक है पर अगर मै तुम्हे यहाँ से जाने दू तो, इसमें मेरा क्या फायदा?"

"अरे क्या बात कर रहे हो सर आप। आप तो मेरे जिगरी दोस्त हो। भला दोस्त थोड़ी ही फायदा देखता है।", मैंने एक मुस्कुराहट के साथ कहा।

"अच्छा। तू मेरा दोस्त है ना?", सैंडी ने पूछा।

"हाँ बिलकुल।"

"तो दोस्ती के नाते तू... विष को... मार दे।"

एक जोर की खांसी पीजे को लग गयी। मै भी हड़बड़ा गया।

"क्या? मै?", मैंने कहा।

"देख, तू बिलकुल विष के जैसा दीखता है। तू उसे बहुत आसानी से मार सकता है।"

"सर, ये मारने वाला काम मुझसे नहीं होगा। मैंने तो आज तक एक मक्खी तक नहीं मारी। मै भला विष को कैसे?"

"अरे ये काम तू बहुत आसानी से कर सकता है। तुझे तो उसके आदमी भी कुछ नहीं करेंगे।"

"नहीं सर। ये काम तो मुझसे नहीं हो पायेगा।", मैंने मेरा फैसला सुना दिया।

सैंडी शांति से उठ गया। अपने टेबल के पास जाके और एक पेग बनाने लगा। हमारी ओर पिठ करके। उसने पेग बनाते हुए बोलना शुरू किया,

"देख सूरज, मुझे तेरी दुनिया का तो नहीं पता पर यहाँ पे मारो या मरो, ये वसूल चलता है। "

"सर plz ऐसा मत कीजिये। मै और विष तो एक ही है फिर..."

"तू मेरा दोस्त है, विष मेरा दोस्त नहीं। तू उसके जैसा दीखता है तो ये काम तेरे बायें हाथ का खेल है। समझा।", काफ़ी शांति से सैंडीने कहा।

पीजे चुपचाप खाने मे व्यस्त था।

"मै ये काम नहीं कर सकता।", मैंने फिरसे मेरा फैसला सुनाया।

"मुझे कुछ नहीं पता। ये काम तू ही करेगा।"

"समझने की कोशिश करो आप। ये काम मै नहीं कर सकता। कभी भी नहीं।"

"क्यों नहीं कर सकता?", उसने अपने पेग को घुमाते हुए पूछा।

"क्योंकि अगर वो मरा तो मै मरूंगा। पैरेलल वर्ल्ड का यही नियम है। अगर हम दोनों मे से कोई भी मरा तो बाकि के सभी मर जायेंगे। और इसलिए मै...", मै बिच मे ही रुक गया।

मुझे एहसास हुआ की, बातो बातो मे मैंने काफ़ी बड़ी गलती कर दी। पीजे ने खाना एकदम से बंद कर दिया। मैंने सैंडी की ओर देखा। उसने अपना ग्लास घुमाना बंद कर दिया था। राक्षस की जान तोते मे। अगर तोता ही हाथ मे हो तो, कोई राक्षस के पीछे क्यों पड़ेगा? मुझे और पीजे को भनक लग गयी। सैंडी हमारी ओर पिठ करके खड़ा था। हमसे दूर था वो। उसने अपना पेग धीरे से निचे रखा। और अपना हाथ टेबल पे रखे गन की ओर बढ़ाया। ओर...

... पलक झपकते ही उसने गन हमारी ओर तानी और FIRE!!! हम पर गोलियों की बरसात होने लगी। नशे की वजह से उसका निशाना हमें नहीं लगा। बल्कि उसी के कुछ आदमी उसका शिकार हो गए। बाकीके सारे आदमी जमीन पर, कुर्सी के पीछे, इधर-उधर छिप गए। सैंडी गन को चलाये जा रहा था। non stop। मै और पीजे एक दूसरे को बिलगके चिल्लाने लगे।

ऊपर हो रहा शोर सुनके निचे के सारे आदमी ऊपर की तरफ भागने लगे।

... सैंडी की बुलेट ख़तम हो गयी। मैंने पीजे की ओर देखा। हम दोनों एक दूसरे का इशारा समझ गए। सैंडी गन को लोड करने लगा, तभी वक्त ना गवाते हुए, मै और पीजे गैलरी की ओर भागने लगे। तभी कुछ लोग हमारे पीछे पकड़ने केलिए भागने लगे। हम दोनों बड़ी तेजी से गैलरी की ओर भाग रहे थे। क्योंकि अगर हम यहा फस गए तो, फिर हमारी मौत तय थी। उनके आदमी हमें पकड़ने वाले ही थे तभी...

सैंडी ने गन लोड करके फिरसे fireing शुरू कर दी और हमारे पीछे लगे आदमी उन गोलियों का शिकार हो गए। हम भागते हुए गैलरी पे पहुँच गए और बिना कुछ सोचे समझें वहासे कूद गए।

हम निचे खड़े एक जीप के ऊपर गिर गए। हमें चोट लगी पर ये समय चोट को देखने का नहीं था। हम तुरंत गाड़ी मे जा बैठे। भगवान की दया से, जीप मे चाबी लगी थी। निचे खड़े आदमी ऊपर चले गए थे। मैंने तुरंत जीप को चालू किया, accelerator पे पैर रखा और हम दोनों वहां से नौ-दो ग्यारह हो गए। हम हवाकि रफ़्तार से उनके चंगुल से बाहर निकल गए।

*-*-*

उधर सैंडी अपने कुर्सी पे बैठ गया। अपना पेग हाथ मे लिया और अपने आप से कुछ कहा,

"साला फिर से निशाना चूक गया।", कहके फिरसे पेग टॉप टू बॉटम मार दिया।

*-*-*

मै गाडी बड़ी तेजी से भगा रहा था। पता नहीं, इस रात मे मेरे साथ और क्या क्या होना बाकि था।

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