Chapter 11- सीरम???

सुनसान रास्ते पे हमारी गाड़ी दौड़ रही थी। हम उस मुसीबत से सही सलामत निकल गए थे। मै चुपचाप गाड़ी चला रहा था। पीजे भी बिलकुल चुप था। पूरी गाडी मे सन्नाटा छाया था।

"तुझे क्या जरुरत थी उसे बताने की। के मै मरूंगा तो वो भी मरेगा करके।", गुस्से से पीजे बोला।

"अरे गलती से निकाल गया मुँह से। इसमें मेरी क्या गलती है !", मैंने भी जवाब दिया।

"गलती से जान भी ले ले मेरी। मेरा दिमाग़ घास चरने गया था, जो तुझे मदद का वादा किया। उस साले ने पुरे 2 राउंड चला दिए मेरे पे। अगर एक भी गोली लगती तो... ! ये सब तेरी वजह से हुआ है।", मुझपे इल्जाम लगाते हुए उसने कहा।

"बात बात पे मुझ पे क्यू भड़क रहे हो। और वैसे भी, हम दोनों मेरी वजह से ही बचे है। अगर मै उसे गधा नहीं बोलता, तो वो हमें कबका मार चूका होता। बस ट्रिगर दबाने की देरी थी।"

"लेकिन फसे भी तो तुम्हारी वजह से ही। "

"हम लोग फसते ही नहीं थे, अगर तुमने गाडी तेज भगाई होती तो। "

"एक तो मेरी गाड़ी की वाट लगा दी तुमने और ऊपर से मुझे ही... चल। मेरे गाडी के पैसे दे। मुझे कुछ नहीं पता।"

"हां तो... ये... ये गाडी है ना। ", हम जिस गाड़ी मे बैठे थे, उसे देखके मैंने बोला, "ये तुम ही रख लो। मुझे नहीं चाहिए।"

और finally, हमारा बातो का युद्ध ख़तम हो गया।

पीजे गाड़ी को देखने लगा और उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गयी। मेरे देखते ही उसने मुस्कुराना बंद कर दिया।

थोड़े समय के ख़ामोशी के बाद पीजे ने पूछा,

"वो सैंडी सच मे तुम्हारा दोस्त है क्या? "

"अरे दोस्त नहीं, भाई है अपना। तभी तो उसे देखके एकदम से बहक गया था मै।"

"कितनी अजीब बात है ना। तू और तेरा दोस्त इस दुनिया मे एक दूसरे के जानी दुश्मन है। "

"अजीब तो है। ये मयूर इस दुनिया मे जितना डेरिंगबाज़ है। उतना ही मेरे यहाँ फटटू है। ", मैंने हसते हुए कहा।

फिर से कुछ देर की ख़ामोशी छा गयी। उसके बाद मैंने कहा,

"यार मुझे तो समझ नहीं आ रहा की कैसे react करू? किसी भलती ही जगह पे फस गया हूँ।"

"अरे तू बहुत लकी है की तुझे ये सब experience करने का मौका मिला है।", उसने हसते हुए कहा।

"अरे काहे का लकी। कभी मेरी तरह फसे हो? नहीं ना। तो भाई, तुम नहीं समझोगे। मै दूसरी दुनिया मे फसा हूँ। its not a joke। कभी घर जा पाउँगा या नहीं, ये भी नहीं पता। logically सोचने पर बड़ा डर लगता है इस बात को लेकर।"

मै बातो बातो मे थोड़ा भावुक हो गया। आँखे हलकी सी गीली हो गयी। तभी पीजे ने मुझसे पूछा,

"वैसे तुमने उसको गधा कहा था, उसका मतलब क्या है?"

"Ohhh, तुम्हे नहीं पता!", मैंने हसते हुए कहा।

"नहीं पता इसलिए तो पूछ रहा हूँ।"

"गधा मतलब... गधा। अरे वो होता है ना गधा। अब कैसे बताऊ।",

तभी मैंने गधे की आवाज की नक़ल कर दी। वो समझ गया।

"अरे पागल। अगर उसे पता चलता तो !", वो अपनी हसीं को रोकते हुए बोला।

"अच्छा हुआ जो उसे पता नहीं था। और मैंने भी बोल दिया। गधा मतलब पावरफुल आदमी।"

"और वो भी बोलने लगा, only i am गधा।"

और हम दोनों जोर जोर से हसने लगे।

"पता नहीं यार पर बहुत मजा आ रहा है।", पीजे कहने लगा,"पहले डर लगा था, पर अब एकदम मस्त लग रहा है।"

"हा ना। मतलब हमने चेज किया, शूटआउट किया, दुश्मन के घर से भाग निकले। किसी पिक्चर की तरह।"

हम दोनों काफ़ी ज्यादा excited हो गए।

"यार तू कभी मुझसे मिला है तेरी दुनिया मे? ", पीजे ने पूछा।

"अब तक तो नहीं। पर एक दिन जरूर मिलूंगा।"

हमारी गाडी रास्ते को काट रही थी।

मै कोई एक गाना गुनगुनाने लगा।

"ये क्या है?", पीजे ने पूछा।

"गाना है। अरे गाना मतलब क्या होता है ना...", मै उसे समझने वाला ही था तभी,

"उतना पता है मुझे। हमारी दुनिया मे भी गाने होते है। एक काम करते है। बहुत मस्त आईडिया है मेरे दिमाग़ मे।"

"कैसा आईडिया? "

"तू तेरे इधर के सारे गाने मुझे बता दे। मै उन्हें यहाँ पर मेरे नाम से बेचूँगा।"

"सही है यार। तू भी मुझे इधर के गाने बता दे।"

पीजे ने अपना फ़ोन निकाला और voice recording शुरू कर दी।

"अब तो पैसे मे खेंलेंगे।", लालची हसीं के साथ पीजे फुदकने लगा।

और मै भी शुरू हो गया।

"मेरे सपनो की रानी कब आयेगी तू... आयी रूत मस्तानी कब आएगी तू... "

गानों की महफिल के साथ हमारी गाड़ी गुजर रही थी... सुनसान रास्तो पे... सडक को पीछे डालते हुए... हमारी मंजिल की ओर।

कुछ समय के बाद हमने अपनी गाड़ी एक जगह पर रोक दी, रास्ते के साइड मे। हमारे सामने एक बंगला नजर आ रहा था। बँगले के बाहर गेट पे दो आदमी खड़े थे, हाथ मे बड़ी सी गन लिए।

"यही है विष का घर। तुम्हे तुम्हारा सीरम यहाँ मिलेगा।", पीजे ने बँगले की ओर देखते हुए कहा।

मै बंगला देखके हक्काबक्का रह गया।

"Wow। मै इस बँगले मे रहता हूँ? "

"तू नहीं, विष रहता है।"

"वो और मै एक ही तो है।"

"तू अंदर जाके सीरम लेके आ। मै तेरा यहाँ इंतजार करता हूँ।"

मैंने झट से पीजे की ओर देखा और कहा,

"क्या? तुम नहीं आओगे?"

"मुझे दोबारा नहीं फंसना!", वो अपनी नज़रे चुराते हुए बोला।

"अरे क्या बात कर रहे हो। मै अकेला थोड़ी ही जा सकता हूँ।"

"मुझे फिरसे मौत के मुँह मे नहीं फसना है। "

"लेकिन अभी अभी तो कह रहे थे की तुम्हे बड़ा मजा आ रहा है। और अभी एकदम से पलट गए।"

"वो सब मुझे नहीं पता। तू जाके आ। मै यही पर रुकता हूँ।"

"अबे अकेले जाने मे डर लग रहा है यार। तू भी चल। ", मैंने उसे पकड़ते हुए कहा।

"अरे ड... डरता क्यू है। मै हूँ ना। और वैसे भी, तू और विष एक ही तो हो। फिर डरने की क्या बात। बिंदास जा। मै तबतक गाडी चालू ही रखता हूँ। चल चल, हमारे पास टाइम नहीं है ब्रो। come on fast।" कहके उसने मेरी ओर का दरवाजा खोल दिया।

मै उसे रोते हुए देखने लगा।

"अरे मै हूँ ना। तू डर मत। कुछ नहीं होगा। "

कहते हुए उसने मुझे जीप से बड़े प्यार से बाहर निकाला।

मैंने बँगले की ओर देखा और बाद मे पीजे की ओर देखा। वो कमीना मुझे thumbs up दिखा रहा था...गाड़ी के अंदर से। मै धीरे से गेट की ओर बढ़ने लगा।

"डर मत सूरज। कुछ नहीं होगा। you can do it।", मै अपने आप को हिम्मत देने लगा।

मै चलते जा रहा था। गेट पे दो आदमी खड़े थे। उनकी नजरें मुझ पर पड़ी। मै डर गया। माथे से पसीना छुटने लगा। वो आदमी मुझे घूरने लगा और उसके बाद उसने मुझसे कहा,

"क्या हुआ बॉस? कुछ प्रॉब्लम है? "

मैंने झट से मेरे पीछे देखा की बॉस कहाँ है ! और फिर समझ आया है की मै ही बॉस हूँ। मै उनके सामने ठीकसे खड़ा हो गया। एकदम confident.

"नहीं तो।", जवाब देके मै बिंदास्त गेट के अंदर चला गया। मै उस बँगले के अंदर आ गया। बडा आलीशान महल था वो। वहां पे कई आदमी थे। वो मुझे विष समझ रहे थे तो मुझे उनसे डर नहीं लग रहा था। अब यहाँ पर सीरम कहाँ ढूँढू? मै इधर उधर देखने लगा।

"ऐसी कीमती चीज तो कोई लॉकर मे ही छुपायेगा।", मैंने अपने आप से कहा।

मैने लॉकर तलाशने केलिए अपने कदम आगे बढ़ाये तभी... एक आवाज ने मुझे रोका।

"रुको!"

वो एक लड़कि की आवाज थी। आवाज मे गर्मी थी तो मै सीधा अपनी जगह पे रुक गया...पुतले के तरह। मै धीरे से पीछे मुडा। (वो रीना थी).

वो मुझे निचे से ऊपर तक परखने लगी। क्या इसे मुझ पे शक तो नहीं हुआ? उसके जेब मे रखी गन देखके मै हिल गया। मै माचो की तरह खड़े रहने कों try करने लगा। वो मेरी ओर धीरे से बढ़ने लगी। मेरी आँखों मे एकटक देखते हुए। मै उसकी नजर से नजर नहीं मिला पा रहा था।

वो मेरे करीब आ गयी... बहुत करीब। मुझे देखे जा रही थी। ऐसी हालत मे मेरा पसीना छूटना लाजमी था।

मुझे काफ़ी देर परखने के बाद उसने मुझसे कहा,

"तुमने लुक कब चेंज किया?"

Thank god! इसे पता नहीं चला।

"लुक?... हा हा लुक! वो... वो थोड़ी देर पहले कर लिया। सोचा कुछ नया try कर लू।", मै झूठमुठ की हसीं के साथ बोलने लगा।

"इतना परेशान क्यू हो?", उसकी नजरें अभी भी मेरे ऊपर से हटी नहीं थी।

"परेशान?... न... नहीं तो!"

"फिर ये पसीना क्यू आ रहा है?"

"अरे ये ऐसे ही। पानी पिया था ना ज्यादा तो...", मैंने पसीना पोंछते हुए बोला।

"तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना", कहके उसने अपना हाथ मेरे माथेपे लगाया, "डॉक्टर को बुलाऊ? "

"अरे नहीं नहीं। उसकी कोई जरूरी नहीं है। मै एकदम ठीक हूँ।"

मेरी नजरें सीरम को ढूंढ़ रही थी। विष अभीतक यहाँ नहीं आया था। उसके आने से पहले मुझे सीरम ढूंढना था।

"तुम कुछ ढूंढ़ रहे हो?", उसने मुझसे पूछा।

"अरे वो अपना लॉकर रूम है ना... यहाँ पे...कहाँ पे... ", मै फेक एक्टिंग करने लगा।

मेरी बात को उसने पूरा कर दिया, बोली, " ऊपर।"

"हाँ ऊपर। मै भी आजकल कुछ ज्यादा ही भूलते जा रहा हूँ।",फिर से झूठी हसीं के साथ मैंने कहा।

"लॉकर रूम मे क्या है? "

"कुछ नहीं। एक छोटासा काम है।"

"चलो तो मै भी साथ मे चलती हूँ", एक प्यारी सी मुस्कान के साथ वो बोली।

"अरे नहीं नहीं। तुम क्यू फालतू मे तकलीफ ले रही हो। मै हूँ ना। मै जाके आता हूँ। "

"तूम विष ही हो ना? ", वो मुझे घूरने लगी।

उसकी बात ने मुझे हार्ट अटैक दे दिया।

"हां हां, मै ही विष हूँ। क्यू? "

"कुछ नहीं। चलो चलते है।", फिर से उसी मुस्कान के साथ उसने कहा।

मैंने अपना सर घुमाया और हम दोनों लॉकर रूम की ओर चले गए।

हम दोनों लाकर रूम मे आ गए। मेरे सामने एक बडासा लॉकर था। जो सिर्फ thumb scanning से खुलता था। मेरे पीछे रीना खड़ी थी। मैं डर गया। अगर मेरा अंगूठा स्कैन नहीं हुआ तो? पीछे मुड़के रीना को देखने की मुझमे हिम्मत नहीं थी।

"क्या हुआ?", रीना ने पूछा।

"कु... कुछ नहीं।", मैंने कहा।

आखिरकार मैंने अपना अंगूठा स्कैनर पे रख दिया।

[Unlocked]

मशीन के अंदर से आवाज आयी। मैंने लम्बी सांस छोड़ दी। मैंने लॉकर खोला। अंदर पैसा, सोना बहुत कुछ था... मगर... सीरम, फ्यूल जैसा कुछ नहीं था। मैंने देर ना करए हुए सीधा रीना से पूछा,

"वो कहापे है?"

"क्या? "

"वो सीरम? "

"कोनसा सीरम?... अच्छा वो पानी जैसा दिखने वाला!"

"हां हा वही।"

"पागल हो गए हो क्या? 4 साल पहले तुमने ही तो वो रिसर्च लेब्रोटरी को बेचा था।", रीना ने बताया।, "अब उसकी क्या जरूरत पड़ी तुम्हे? "

मै बिना कुछ बोले वहां से बाहर निकला। जल्दी से सीढ़िया उतर गया। रीना भी मेरे पीछे ही थी। उसे समझ न आया की मै इतना परेशान क्यू हूँ। सीढ़िया उतरके मै हॉल मे आ गया। मै बाहर निकलनेही वाला था तभी... दरवाजे से विष अंदर आ गया। हम दोनों की नजरें एक दूसरे से मिली और हम वही पर रुक गए। रीना भी हम दोनों को हैरानी से देखने लगी। हम दोनो मे विष कौन है, ये पता लगाना मुश्किल नहीं था। और एक पल के अंदर रीना के साथ साथ सारे लोगो ने मेरे ऊपर गन तान दी।

-go to next chapter...