वो जोरावर था। उसकी आँखें गहरे काले रंग की थीं, छह फुट लंबा, मांसल शरीर और टैटू वाला आदमी। उसका चेहरा खुरदुरा, खुरदरी भूरी दाढ़ी और छोटी मूंछें थीं। जोरावर ने राजा पर हमला किया लेकिन वह चकमा दे गया। एक बार फिर जोरावर ने राजा पर तलवार चलाई। लेकिन, उन्होंने इससे निपट लिया। अचानक, हत्यारों ने उसके पास उग्र बम फेंके। गाँव जलने लगा लेकिन गाँव वाले अभी भी खुशी से सो रहे थे। जोरावर ने उस पर बम फेंका और चंद्रवर्धन चिल्लाया, "नहीं!" उसका शरीर जलने लगा, उसका मांस पिघलने लगा...
"नहीं!" वह फिर से चिल्लाया। उसकी आवाज पूरे गांव में गूंज उठी। "ऐसा मत करो बेटा! पाप है, मत करो..!" लेकिन, जोरावर ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया। वह एक-एक करके गांव वालों की झोपड़ी को अपनी मशाल से जलाता रहा ! "तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? मुझे बताओ, जोरावर!" चंद्रवर्धन चिल्लाया, क्योंकि उसके पैर आंशिक रूप से जल रहे थे। आग उसके घुटनों तक और फिर उसके सीने तक पहुंच गई। "क्यों? यह आसान है। क्योंकि आपने मुझे सिंहासन नहीं दिया! यह सिंहासन मेरे चाचा और फिर मेरे पिता का था। लेकिन तुमने इसे छीन लिया! अलविदा ... अलविदा!"
जोरावर ने अपनी मशाल को चंद्रवर्धन ओर फेक दिया। चंद्रवर्धन चिलया, "नहीं!" मगर बहुत देर हो चुकी थी। उसका हिस्सा करीब-करीब रख में बदल चुका था। उसकी आवाज फिर भी भैरव गाव में गुंज रही थी। जोरावर और उसके 4 आदमी वहा से भाग निकले। "अब भैरव गाव पर अपना राज है। और सिंहनगरी का राजा! महाराजा जोरावर में हूं! हा-हा-हा!" जोरावर छिपकर हंसता है। "अब काल भैरव हम से बहुत प्रसन्न होंगे!" जोरावर अपना मुखोटा पेहेन लेता है और भागना जारी रखता है।
ग्रामीण अपनी जलती हुई झोपड़ियों से बाहर निकल आए और इधर-उधर चिल्लाने लगे। इसी बीच जोरावर काल नगरी पहुंचे। काल की भूमि काली, डरावनी और भयानक थी। हवा चलने के साथ ही ऊँचे-ऊँचे पेड़ बाएँ और दाएँ तेज़ी से हिलने लगे। चाँदी की मंद रोशनी में चाँदी का एक कंटीला सिंहासन चमक उठा। उस पर एक लम्बा मांसल आदमी बैठा था। उसकी उंगलियां तालबद्ध रूप से उसके घुटनों पर टैप कर रही हैं। "महामहिम! हमने महाराजा चंद्रवर्धन को मार डाला है। राज्य में हमारा झंडा फहराया गया है और हम जीत गए हैं ..."
"बहुत अच्छा मेरे योद्धा, जोरावर! आपने हमारे लिए बहुत अच्छा काम किया है। अब आपने खुद को साबित कर दिया है। मैं आपको काल लोक का सर्वोच्च सेनापति घोषित करता हूं। अब हमारे भव्य भोज की तैयारी शुरू करें! इसमें सभी जम्बूद्वीप को आमंत्रित करें। ग्रीक , फारसी, हर कोई!" उस आदमी ने कहा, उसकी लाल आंखें गर्व से चमक रही थीं। वह दुर्भावना से हँसा। "अब! मैं एक ही बार में पूरे जम्बूद्वीप पर शासन करूंगा। एक-एक करके ये छोटे राज्य मेरे होंगे! एक बार ऐसा हो जाने पर? मैं सम्राट, जम्बूदीप का सम्राट बनूंगा! मैं खुश हूं..."