हड्डिया

वह दावत खतम होने के बाद भी गर्व अपने चारपाई पर सोता नही है उसे यह डर रहता है की कही कुछ तांडव कबीले के छात्र उसकी रात के वक्त ही हत्या ना कर दे पर पूरी रात में ऐसा कुछ भी नही हुआ सुबह पांच बजे एक घंटी बजाकर सभी सैन्य प्रशिक्षण परीक्षा के छात्रों को उठाया गया और गुरु मनोहर पंडित के साथ सभी छात्र परीक्षा के चौथे दौर के लिए निकल पड़े वह छात्र जैसे ही परीक्षा वाले मैदान पर पहुंचे उन्होंने देखा  सारे मैदान का रूप ही बदल चुका है उस मैदान को एक स्टेडियम जैसा आकार दे दिया गया है उस स्टेडियम में सुबह से ही राज्य के निवासी इस स्टेडियम को देखने के लिए टिकिट निकलकर जमा हो रहे है क्युकी स्वयं राज्य के राजा इस प्रतियोगिता को देखने के लिए यहां पर आने वाले थे इसीलिए राज्य की जनता के मन में भी इस प्रतियोगिता के बारे में उत्सुकता बढ़ गई थी राजा तो कभी राज्य के युद्धशाला की प्रतियोगिता को भी देखने के लिए नही जाते है पर आज वह एक आश्रम की प्रतियोगिता को देखने के लिए आने वाले थे इसीलिए सबको यह समझ गया था की इस प्रतियोगिता में कुछ तो खास होने वाला है इसीलिए सुबह से ही स्टेडियम में लोग जमा होने लगे थे स्टेडियम के अंदर भी आश्रम के छात्र छात्राएं जमा होने लगे थे यह देखकर गर्व को शक हो रहा था की राज्य के सैनिकों को यह बात पता तो नही चली की तांडव कबीले के हत्यारों के साथ आश्रम के छात्रों की लड़ाई हो गई है क्या वह लोग उस जगह पर तो नही गए जहा मेरी उस कालीचरण के साथ लड़ाई हुई थी और इसी बात को जानने के लिए स्वयं राजा यह देखने के लिए यह आए की किसने तांडव कबीले के कालीचरण के साथ लड़ाई की है कुछ भी हो जाए गर्व पर तुम्हे अपनी असली ताकत का प्रदर्शन इस प्रतियोगिता में नही करनी है जितने ज्यादा लोगो की तुम पर नजर होगी उतनी ही ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा गर्व अपने मन ही मन में यह बात सोचता है तभी मैदान के ऊंचाई पर बने एक जगह पर भरतपुर राज्य के राजा वीर प्रतापसिंह का आगमन होता है तभी इस प्रतियोगिता के समालोचक घोषणा करते है बोलो महाराज वीर प्रतापसिंह की जय तभी पूरा स्टेडियम महाराज वीर प्रतापसिंह की जय महाराज वीर प्रतापसिंह की जय के नारों से गूंज उठता है इसके बाद समालोचक प्रतियोगिता के बारे में छात्रों को बताना चालू करते है यह पर उपस्थित सभी डेढ़ सौ छात्रों के दो दो समूह बना लिए जाएंगे जो भी अपने समूह में जीतेंग वह अगले दौर में जाएगा ऐसा करते करते आखिर में जो दो ही लोग बचेंगे उन लोगो में से जो जीतेगा वह इस प्रतियोगिता का विजेता माना जाएगा और उसे राजा वीर प्रतापसिंह और सेनापति यशोधन से मिलने का मौका मिलेगा और उसे राजा अपनी तरफ से एक खास इनाम भी देंगे यह सुनकर वहा मौजूद सारे प्रतिभागियों की आंखे चमक उठी उनके मन में राजा से मिलने की इच्छा जाग उठी जो राजा कभी आश्रम के दर्शन करने भी आते नही इस राज्य के बड़े बड़े लोग भी जिनसे मिलने के लिए उत्सुक रहते है उनको मिलने का मौका आशाराम के छात्रों को मिलने वाला था इसके उल्टा गर्व के मन में खुद के लिए असुरक्षितता का भाव उत्पन्न हुआ की राज्य के सैनिकों के दल को आश्रम के छात्रों के लिए शक तो उत्पन्न नही हो गया है उन्हे पता चल चुका है की किसी आश्रम के छात्र ने तांडव कबीले के कई सारे हत्यारों की हत्या कर दी है और उसी चीज का पता लगाने के लिए राज्य के राजा और सेनापति स्वयं यह पर आए हुए है तभी समालोचक घोषणा करता है की कोई भी प्रतिभागी अपने प्रतिद्वंदी की हत्या नही कर सकता है वह सिर्फ अपने प्रतियोगी को हर मानने के लिए मजबूर कर सकता है अगर किसीने अपने प्रतियोगी की हत्या कर दी तो उसी वक्त उसकी राज्य के सैनिकों के द्वारा हत्या कर दी जाएगी इतना कहता ही सैन्य प्रशिक्षण संस्था के अधिकारी सारे डेढ़ सौ छात्रों के दो दो के समूह बनाने लगे और जल्द ही यह प्रतियोगिता आरंभ हो गई गर्व अब पहले के मुकाबले ज्यादा शक्तिशाली हो गया था उसको अपने प्रतियोगी को हरने के लिए ज्यादा मुश्किल नहीं हो रही थी कभी कभी तो उसके सामने तांडव कबीले के छात्र भी आ रहे थे यह वही थे जिनका गर्व ने जंगल में सामना किया था वह गर्व के साथ लड़ाई शुरू होने से पहले ही अपनी हार मान लेते थे गर्व भी उन्हे कहता था की उन्हे ऐसे ही मुझसे डरना चाहिए गर्व यह इसीलिए कर रहा था था की उनके मन में उसके बारे में डर लगा रहे और वह उसके तरफ हमले करने से पहले दस बार सोचे जल्द ही एक एक करते हुए सारे मुकाबले खतम होने लगे और गर्व के साथ अक्षय आखिरी मुकाबले में पहुंच गया अक्षय के सामने गर्व और गर्व के सामने अक्षय खड़ा था उन दोनो को देखकर स्टेडियम में मौजूद लोगो की आपस में ही चर्चा शुरू हो गई कोई कह रहा था की अक्षय अपने राज्य के युवा योद्धाओं में सबसे प्रतिभाशाली योद्धा हैं उसी के लिए स्वयं राजा इस प्रतियोगिता को देखने के लिए यह पर आए हुए है तो कोई गर्व का समर्थन करते जा रहे थे वह कह रहे थे कि यह गर्व एक महीने पहले बिस्तर पर पड़ा हुआ था कोई सोच भी नहीं सकता कि एक महीने के भीतर बिस्तर से उठ कर इतना शक्तिशाली हो जाए कि यह इस परीक्षा की प्रतियोगिता में इतना अच्छा प्रदर्शन करें माना कि इस दुनिया में इस से भी ज्यादा प्रतिभाशाली लोग हैं परंतु यह गर्व हमारे राज्य में आगे चलकर बहुत बड़ा योद्धा बनेगा तभी अक्षय गर्व की तरफ देख कर जोर जोर से हंसने लगता है हां हां तुलतुल तू अब इतना बड़ा हो गया है कि तु मुझसे लड़ेगा तू आखिर रहेगा तो एक तुलतुल ही और मैं ठहरा शेर तू कितना भी कुछ कर ले तुम मुझसे कभी जीत नहीं पाएगा इसीलिए मैं तुझे थोड़ा वक्त देता हूं अपनी हार मान ले और मेरे सामने घुटने टेक दे मैं तुझ पर थोड़ी दया कर लूंगा तुलतुल अक्षय भरे स्टेडियम में इतने सारे लोगों के सामने साथ ही साथ राज्य के राजा के सामने उसकी तुल तुल बोलकर बेज्जती कर रहा था यह देखकर गर्व का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया पर वह अपनी पूर्ण ताकत का प्रदर्शन नहीं कर सकता था क्योंकि वह ऐसा करता तो राजा और सैनिकों को उस पर शक हो जाता और उसकी मुश्किलें बढ़ सकती थी गर्व को अपने विचारों में खोया देखकर अक्षय मौके का फायदा उठाता है और कुछ भी समझने से पहले एक मुक्का गर्व के मुंह पर मार देता है मुक्का इतना जोरदार था कि गर्व 10 मीटर दूर पर जा गिरता है अक्षय इस बात का फायदा उठाकर गर्व को दूसरा मौका नहीं देता और उस पर जमीन पर पड़े पड़े ही मुक्को की बरसात कर देता है इसी कारण गर्व का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है और वह अपनी सारी ध्यान शक्ति को एकत्रित करने लग जाता है उसके एकत्रित होते ही कर अपनी ध्यानशक्ति और शारीरिक शक्ति को एकत्रित करके अपने दोनों हाथों हवा में खड़े करते हुए खड़ा हो जाता है उसकी ऐसा करते हैं उसके शरीर में से एक तेज ध्वनि की तरंग उत्पन्न होकर वह सारे दिशाओं में फैल जाती है और अक्षय इस वजह से दूर हवा में उड़ कर फिर से जमीन पर धम्म की आवाज करते हुए गिर पड़ता है इस ध्वनि की वजह से अक्षय के कपड़ों में जगह-जगह छेद हो जाते हैं और साथ ही इस ध्वनि के कारण हवा में एक जोरदार कंपन उत्पन्न हो जाता है जिसके कारण वहां पर उपस्थित प्रेक्षकों के कान सुन्न पड़ जाते हैं और वह अपने कानों को ढक देते हैं यह तक की राजा जिस जगह पर बैठे होते हैं उस कुर्सी में भी थोड़ी कंपन आ जाती है अक्षय यह देखकर हक्का-बक्का रह जाता है फिर भी वह सारे शक्ति को एकत्रित कर फिर से खड़ा हो जाता है और और गर्व की तरफ गुस्से की निगाहों से देखने लग जाता है गर्व और अक्षय एक दूसरे की तरफ पुर में शक्ति से दौड़ लगाते हैं और वह पास आते ही एक दूसरे की तरफ मुक्का उछाल देते हैं उन दोनों के मुक्के जैसे ही आपस में टकराते हैं वैसे ही वहा पर एक तेज ऊर्जा की लहर चारों तरफ फैल कर आजू बाजू फैल जाती है यह परिस्थिति देखकर समालोचक इस मुकाबले को रोकने के लिए घोषणा करने ही वाले होते हैंतभी राजा उसकी तरफ देखकर इसको उसको इशारे से ही चुप बैठने को कहते हैं यहां पर गर्व और अक्षय की बीच में घमासान जो घमासान जंग जारी रहती है उस युद्ध के कारण मैदान पर जगह जहां गहरे गड्ढे बन जाते हैं तभी अक्षय गर्व को चिढ़ाते हुए धीरे से कहता है तुम्हें क्या लगा क्या तुम हमारे लोगों की हत्या कर कर आसानी से बच जाओगे हम लोग तुम्हारा नर्क के दरवाजे तक पीछा करेंगे और तुम्हारी हत्या कर देंगे तुल तुल यह सुनकर गर्व को गुस्सा आ जाता है और वह एक मुक्का अक्षय के मुंह पर मार देता है इसे अक्षय हवा में दस मीटर तक ऊंचा उड़ जाता है यह देखकर सारे लोग अवाक होकर गर्व के तरफ देखने लग जाते है वह सोचते हैं कि क्या यह वही गर्व है जो कि 1 महीने पहले बिस्तर पर बीमार होकर पड़ा हुआ था अक्षय जैसे हवा से जमीन पर नीचे आने लगता है गर्व एक छलांग मार कर अक्षय को पीछे से पकड़ लेता है और उसको जमीन पर नीचे आते आते उसकी पीठ को जमीन पर पटक देता है उसकी जमीन पर पड़ते हैं अक्षय के मुंह से चीख निकल पड़ती है कुत्ते कमीने तुलतुल यह सुनकर स्टेडियम के लोगों में हंसी छूट जाती है गर्व बाद में झट से अक्षय की कलाई को अपने हाथ में पकड़ कर पूर्ण शक्ति से मरोड़ देता है इसके बाद अक्षय के मुंह से एक कर्णभेदी चीख निकल पड़ती है और पूरे आसमान में यह चीख गूंज पड़ती है इसके बाद वह अक्षय के दाहिने पैर के अंगूठे को हाथ में पकड़ता है और अक्षय से पूछता है बता कौन है तुल तुल वह चीख चीख कर ही बोलता है तू और कौन इसके बाद वह झट से उसके अंगूठे को तोड़ कर रख देता है फिर से अक्षय की चीख आसमान में गूंज पड़ती है उसके बाद वह उसकी पैर की दूसरी अंगूठी हाथ में पकड़ता है और फिर से पूछता है बता कौन है तुलतुल वह बोलता है तू तू तू तू फिर से उसकी दूसरी उंगली टूट जाती है और फिर से उसकी चीख सारे स्टेडियम में गूंज पड़ती है फिर से गर्व उसकी तीसरी उंगली को पकड़ कर फिर से पूछता है इस बार तड़प के कारण अक्षय चीखने के साथ-साथ जोर जोर से रोते भी जा रहा था तभी गर्व जोर की आवाज से चिल्लाकर अक्षय से पूछता है बता कौन है तू टूल वह भले ही रो रहा था उसके शरीर में बहुत पीड़ा हो रही थी और उसके मन में गर्व के लिए नफरत कूट-कूट कर भरी हुई थी और वह फिर से वही जवाब देता है तू ही है तुलतुल तभी गर्व भी

चिलाते हुए कहता है