हत्यारों का हमला

यह देख कर वह तीनों भी चौक जाते हैं और डर भी जाते हैं जल्द ही गर्व स्टोरेज रिंग के दरवाजे पर जाकर बाहर का नजारा देखने लग जाता है बाहर का नजारा देखकर वह हैरान हो गया बाहर सारे तांडव कबीले के हत्यारे और मकड़ियों के बीच में घमासान जंग छिड़ी हुई थी मकड़ियों के इधर-उधर चलने से वह स्टोरीज भी यहां वहां लूड़कते जा रही थी साथ में वहा पर कालीचरण भी मौजूद था वह सारे हत्यारे मिलकर उन सारी मकड़ियों को मारते जा रहे थे और मकड़ीया भी उन हत्यारों को मारे जा रही थी उस गुफा के अंदर जगह जगह हत्यारों की और मकड़ियों की लाशें बिछी हुई थी और सारे गुफा में कालीचरण अपनी तलवार घुमाते जा रहा था उस के कारण वहा पर बिजली कड़कती जा रही थी उसके तलवार के वार से मकड़ियों के शरीर के चीथड़े उड़ते जा रहे थे मौका देख कर गर्व और देखकर गर्व और मंदार केदार स्टोरेज रिंग से से बाहर आ जाते हैं और गर्व स्टोरेज रिंग पहन कर इस गुफा की छत की छेद में से बाहर निकलने लगता है उनके पीछे-पीछे मंदार केदार भी उस गुफा के छेद में से बाहर निकलने लगते हैं उनको बाहर जाते देख सारे हत्यारों की नजर उन पर पड़ती है और वह उनका पीछा करने लगते हैं इस वक्त कालीचरण का सामना एक बड़ी मकड़ी से चालू होता है वह शायद इन मकड़ियों की झुंड की रानी थी उसकी लंबाई पाच मीटर से अधिक और उसके पैर नौ मीटर से भी ज्यादा लंबे थे इसके पैर के नाखून किसी तलवार की तरह होते है उसकी नाखूनों की वजह से पत्थर में भी दरारें उत्पन्न हो रही थी अगर कालीचरण इस मकड़ी से अपना ध्यान हटा कर गर्व पर कर देता तो उसकी जान भी जा सकती थी इसलिए कालीचरण को छोड़कर बाकी सारे हत्यारे गर्व के पीछे पड़ जाते हैं परंतु इनका सामना करने में गर्व को कोई भी दिक्कत नहीं होती और वह उनको जल्द से जल्द मौत के घाट उतार कर उस गुफा से बाहर निकल जाते हैं बाहर भी नजारा कुछ अलग नहीं होता है बाहर निकल कर वह पाते है कि एक चार किलो मीटर ऊंचे पर्वत पर होते हैं यहां पर सब करीब सौ मीटर के करीब ऊंचे पेड़ होते हैं और यहां पर चारों तरफ मकड़ियों और हत्यारों के बीच में जंग चल रही होती है यह मौका देखकर वह भी बहुत सारे तांडव कबीले के हत्यारों की हत्या कर देते हैं और मौका देखकर वह घने जंगलों की तरफ भाग जाते हैं वह लोग दूसरे पर्वत पर जाकर दूर से ही इस नजारे को देखते हैं उन लोगों की जंग के कारण रात में पूरे पर्वतों की शांति का माहौल अशांति में बदल जाता है हर तरफ आदमी और मकड़ियों की चीखें फैली हुई होती है जल्द ही कालीचरण भी गुफा के बाहर निकल कर गुफा के बाहर की मकड़ियों पर हमला बोल देता है वह गुफा के अंदर की सारी मकड़ियों को मारकर गुफा के बाहर निकला होता है उसके पूरे शरीर पर मकड़ियों का नीला खून लगा होता है उसके तलवार के हर एक वार से तीन से चार मकड़िया मारी जा रही थी उसके बाहर आते ही सारे जंग का नजारा एकदम से ही बदल गया बस कुछ ही घंटों के भीतर भीतर सारे मकड़ियों का खात्मा हो जाता है और सारे तरफ कालीचरण के नाम का एक ही जय घोष होने लगता है सारी खाई सारी जंगलों और पर्वतों के बीच में से उसके नाम की जय जयकार होने लगती है पहले तो वहां पर कुछ सैकड़ों हत्यारे होते हैं परंतु जल्द ही गुफा के अंदर में से हजारों हत्यारे वहां जमा होते हैं और वह सारे मिलकर कालीचरण के नाम का जयघोष करने लग जाते हैं कालीचरण भी अपनी दोनों तलवार उठा कर उनका अभिवादन स्वीकार करता है तभी कालीचरण उन सब को शांत करके उनको ऊची आवाज में कहता है गर्व मैंने कहा था ना तुम कहीं भी चले जाओ तुम हम लोगों से बच नहीं सकते हम लोगों ने तुम्हारा स्वर्ग का टिकट पक्का कर दिया है तुम क्या सोचते हो हमारे कुछ साथियों को खत्म करके तुम जीत जाओगे तुम एक मूर्ख आदमी हो तुम हमसे कभी बच नहीं सकते हमारे सामने तुम अपना आत्मसमर्पण कर दो तो तुम्हें आसान मौत मिलेगी अगर नहीं करोगे तो तुम्हें सालों तक चौराहे पर तड़पा तड़पा कर मार दिया जाएगा उसकी यह आवाज सारे पहाड़ों के बीच में से गूंज उठती है यह देखकर तो मंदार केदार को पसीना आने लगता है वह अपना हाथ गुस्से से पेड़ पर पटकने ही वाले होते हैं कि गर्व झट से उन दोनों को पकड़कर पीछे कर देता है जिससे कि उनका हाथ पेड़ पर ना लग कर वह हवा में ही घूम जाता है गर्व उनके तरफ देख कर कहता है कि पागल हो गए हो क्या फिर से तुम लोग वही गलती करने जा रहे हो इस गलती की वजह से हम पहाड़ों के इतना अंदर तक आ गए हैं पहले तो हमारा इन पर्वतो से बाहर जाने की कुछ संभावनाएं भी थी पर अब हमारा रास्ता बहुत ही कठिन हो गया है तो हम अब क्या करें क्या हम ऐसे ही हमारे मौत को धीरे धीरे कर कर इंतजार करते रहे ऐसा लगता है कि इस दुनिया में बुराई ही ज्यादा ताकतवर होती है अच्छाई तो बस हमेशा से अपने घुटने ही टेक कर रह जाती है मंदार बहुत ही निराश होकर गर्व से कहता है सारी परिस्थितियों गर्व को बहुत ही अच्छी तरह से समझ में आ रही थी वह हर वक्त इन लोगों से भागते हुए नहीं रह सकते थी जल्द ही क्षितिज पर से सूरज उगने लगता है आसमान में हल्का-हल्का उजाला हो रहा था सारे तांडव कबीले के हत्यारे गर्व और उसके साथीयो की खोजबिन  करने की तैयारी में जुट जाते है आसमान में बहुत सैकड़ों बाज पक्षी मंडाराना चालू हो जाते हैं सारे हत्यारे अपने हथियारों को धार लगाना चालू करते हैं तभी पहाड़ के निचले हिस्से में मौजूद हत्यारों के समूह में खलबली मच जाती है सारे हत्यारो की चीख-पुकार पहाड़ों में गूंज पड़ती है और कोई नहीं बल्कि गर्व और मंदार केदार थे जिन्होंने भागने और छूपने के बजाय सीधा उन हत्यारों पर हमला कर दिया था यह देखते ही सारे के सारे हत्यारे वो भी हजारों की तादाद में उन पर टूट पड़ते हैं पूरे पहाड़ के ऊपर से सारे हत्यारे उनकी तरफ दौड़ पड़ते हैं और आकाश में बाज पक्षियों पर मौजूद सारे हत्यारे उन पर तीरो की एक दम से वर्षा कर देते हैं यह देखते ही वह तीनों उन हत्यारों के समूह में एकदम से शामिल हो जाते हैं और एक ढाल के माध्यम से अपने पूरे शरीर को ढक लेते हैं इसकी वजह से उन तीरो से उन तीनों पर तो कुछ असर नहीं पड़ता पर उन तीरो की वजह से कई तांडव कबीले के हत्यारे जरूर मारे जाते हैं पर फिर भी वह हत्यारे एक सेकंड भी रुकते नहीं बल्कि और त्वेष से उन तीनों पर टूट पड़ते हैं वह सारे हत्यारे एक वायुमंडल के प्रथम चरण के लड़ाके थे परंतु मंदार केदार और गर्व आकाश मंडल के योद्धा थे और उन तीनों की ताकत और गति में बहुत ज्यादा अंतर था भले ही वह संख्या में ज्यादा हो परंतु वह तीनों भी उनका कुछ देर तक आसानी से सामना कर सकते हैं वह तीनों भी एक ही झटके में पाच छह हत्यारों के सर काट के अलग कर रहे थे उनके सामने जो कोई भी आता वह  मौत के घाट उतरते जा रहे थे और जब जब आसमान से तीर उनकी तरफ आते जा रहे थे वह एक बड़ी ढाल से अपने पूरे शरीर को ढक लेते हैं जिनसे कि उनको तो कोई नुकसान नहीं हो रहा था पर उनके जो बाजू बाजू में हत्यारे मौजूद थे वहीं उन तीरो से मृत्यु को प्राप्त होते जा रहे थे इतने सारे अपने हत्यारे साथियों को मरता देख वह हत्यारे तनिक भी हिचकिचाते नहीं है और उन तीनो की तरफ हमला करने के लिए बढ़ते जा रहे थे थोड़ी ही देर में कालीचरण को भी इसकी जानकारी मिल जाती है और वह अपने पक्षी को लेकर आसमान में एक जगह जाकर स्थिर हो जाता है और जोर से हंस कर कहता है अरे वाह आज तो खुद शिकारी अपने शिकार करवाने के लिए शिकारियों के पास खुद चले आए हैं मारो इनको यह बचकर जाने ना पाए इतना कहकर वह आसमान में ही अपनी तलवार को घुमाने लग जाता है उसके पूरे तलवार में से बिजली की चिंगारियां उत्पन्न होने होते लगती है इधर इन हत्यारों से लड़ते-लड़ते एकदम से उन तीनों के आसपास हत्यारो की संख्या एकदम से बढ़ जाती है वह हत्यारे अपने मरे हुए साथियों के शरीर का कोई भी लिहाज नहीं करते हैं और उनके ऊपर से ही चल कर उन तीन लोगों को मारने के लिए उनके पीछे पड़ते हैं सारे तरफ से एकदम से हत्यारों की संख्या बढ़ते हुए देखकर उन तीनों को लड़ाई करना कठिन होते जा रहा था वह तीनों आकाश मंडल के होने के बावजूद भी वह चारों तरफ से गिरे हुए अवस्था में लड़ नहीं सकते थे वह ऐसे ही लड़के रहे तो उनकी कवच पर कई सारे हमले होकर उनका कवच जल्द ही टूट जाएगा और उनके प्राण संकट में आ जाएंगे अपने आप को घिरा हुआ देखकर वह जल्द ही पेड़ों पर चढ़ जाते हैं यह पहाड़ों पर मौजूद पेड़ सौ मीटर की ऊंचाई वाले होते हैं इनकी बड़ी-बड़ी शाखाएं होती है और वह सारे ऊपर जाकर एक दूसरे से मिल रही होती है इसकी वजह से उन तीनों को भागने के लिए बहुत सारी जगह मिल जाती है यह देखकर कालीचरण आसमान में ही तिलमिला उठता है वह इन तीनो पर हमला करने ही वाला होता है तभी वह तीनो ऊंचे पेड़ों पर चढ़ जाते हैं अगर उसने इन बड़े पेड़ों पर बिजली गिराई तो यह सारे के सारे पेड़ टूटकर पहाड़ों के ऊपर से नीचे गिरने लगेंगे और उन पेड़ों के नीचे दबकर कई हजार हत्यारे मारे जाएंगे वह आवेश में आकर आसमान से ही गरज पड़ता है मारो कमीनों को यह आज यहां से जिंदा ना जाने पाए इतना कहकर वह आसमान में एक तेज बिजली को उत्पन्न कर देता है कालीचरण को देख कर सारे हत्यारे जोश में आ जाते हैं और आजू बाजू के पहाड़ों पर मौजूद सारे हत्यारे एकदम से उनकी तरफ बढ़ने लगते हैं वह सारे के सारे पेड़ों पर चढ़ना शुरू कर देते हैं और साथ ही बाज पर बैठे हत्यारे भी अपने पक्षियों को आसमान में ना उड़ा कर पेड़ों के आजू-बाजू की जगह पर उड़ाने लगते हैं और वह सब इन तीनों का अपने तीरो से निशाना लगाते जाते हैं एक साथ इतने सारे हत्यारे साथ में हमला करने से इन तीनों के लिए परिस्थिति मुश्किल बनती जा रही थी तभी गर्व उनको संकेत करके पेड़ों के आपस में जुड़ी डालियों के माध्यम से पहाड़ों के ऊपर की तरफ बढ़ने के लिए कहता है और मंदार केदार वैसा ही करते हैं वह तीनो भी पेड़ों की डालियों पर से कूद फांद कर पहाड़ों की ऊंचाई की तरफ बढ़ने लगते हैं वह हत्यारे सारे वायुमंडल के होने के कारण उनकी पेड़ों की डालियों पर दौड़ने की ज्यादा गति नहीं होती है इसलिए वह हत्यारे इन तीनों से काफी पीछे रह जाते हैं चिंता तो इस बात की होती है कि पेड़ों के आजू-बाजू बहुत सारे पक्षियों पर हत्यारे मौजूद होते हैं और वह लगातार तीरो से उन तीन लोगों की तरफ अपना निशाना लेते जा रहे थे