तभी मंदार अपने दिल पर पत्थर रखकर गर्व से कहता है कि मैं उन हत्यारों के समूह में शामिल होऊंगा इतना कहकर वह उतरे हुए मन से तांडव कबीले के कपड़ो को पहनना चालू करता है उसको देखकर गर्व और केदार को मन ही मन में हंसी आने लगती है पर वह अपनी हंसी अपने मुंह पर आने नहीं देते जल्दी उनको हत्यारों की आहट आने लगती है दूर से ही कई हत्यारों की भागने की आवाज धीरे धीरे तेज होती जाती है यह देखकर वह तीनों भी अलग हो जाते है मंदार एक ऊंचे पेड़ की घनी डालियों में छुप जाता है और गर्व केदार को लेकर ऊंचे पहाड़ों की दिशा की तरफ बढ़ जाता है तभी वह पाते है की कालीचरण के साथ साथ बाकी के उड़ने वाले बाज पक्षी भी उस घने कोहरे के पहाड़ों की सीमा में ही रुक जाते हैं पैदल चलने वाले सारे हत्यारे उस घने कोहरे वाले पहाड़ों पर आसानी से प्रवेश कर जाते हैं सारे बाज पक्षी और कालीचरण बार-बार उस पहाड़ी पर प्रवेश करने की कोशिश करते जा रहे थे और वह बार-बार इसमें असफल होते जा रहे थे यह देख कर के ऊंचे पेड़ की डाड़ियों में छुपे मंदार की सांस अटक जाती है क्योंकि कालीचरण के इस पर्व पर प्रवेश ना करने से पैदल चलने वाले हत्यारे की अपनी जगहपर ही रुक जाते हैं और इन हत्यारों की मंदार पर आसानी से नजर पड़ सकती थी यह देखकर गर्व अपनी तलवार से पहाड़ की ऊंचाई से ही आसपास के वातावरण में बर्फ जमा करने लगता है और वह कुछ पहाड़ों के जंगली जानवरों को मारता है उनकी चीखने की आवाजे पूरी पहाड़ियों पर गूंजने लगती है यह देखकर कालीचरण तुरंत ही अपने पक्षी से नीचे उतरकर उस दिशा में बढ़ने लगता है उसके साथ साथ बाकी के भी बाज पर बैठे हत्यारे नीचे उतर कर उसके पीछे पीछे जाने लगते हैं वह बहुत तेजी से उस दिशा में बढ़ने लगते हैं जहा से जानवरों की चीखने की आवाज आती जा रही थी यह देखकर मंदार के सांस में सांस आ जाती है वह मन ही मन में भगवान का शुक्रिया कर रहा होता है अगर गलती से भी उन हत्यारों की उस पर नजर पड़ जाती तो उसका यही पर राम नाम सत्य हो जाता वह सारे हत्यारे कालीचरण की अगुवाई में उस जगह जाने लगते हैं जहा पर से जानवरों के चीखने की लगातार आवाज आते जा रही होती है इस वजह से उनका उस जगह मौजूद झाड़ियों पर नजर नहीं जाती है इसी का फायदा उठाकर तांडव कबीले के हत्यारों का पोशाख पहनने वाले मंदार धीरे से ही उन हत्यारों में शामिल हो जाता है क्योंकि वह सभी पहाड़ की ऊपरी दिशा में तेज गति से बढ़ रहे होते हैं इसलिए किसी का भी मंदार पर ध्यान नहीं जाता और वैसे भी यहां पर कोहरे की वजह से दो-तीन मीटर दूर का हीं अच्छे से दिख रहा होता है इसीलिए मंदार को उनमें शामिल होने में कोई खास दिक्कत नहीं होती है इसी का फायदा उठाकर मंदार सामने जाने की बजाय धीरे-धीरे करके पीछे जाना चालू कर देता है और दूसरी तरफ कालीचरण और बाकी के हत्यारे भी उसी जगह पहुंच जाते हैं जहां पर जानवरों के चीखने की आवाज आती रहती है और वहां जाकर वह देखते हैं कि किसी ने एक जानवर को पेड़ से बांध दिया होता है और उसके हाथ और पैरों में चाकू कुछ अंदर तक घुसे हुए होते हैं इसलिए वह जानवर तड़पने की वजह से जोर-जोर से चीख रहा होता है उसे पता चल गया कि यह गर्व की ही उन हत्यारों को मूर्ख बनाने की साजिश होती है यह समझकर कालीचरण का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है और जोर से चिल्ला कर कहता है गर्व....... तुम चाहे कहीं भी भाग लो चाहे पाताल में छुप जाओ पर हम तुमको ढूंढ ही लेंगे और तुम को हम बाली चढ़ाएंगे उसकी आवाज बहुत ही तेज होती है और पूरे पहाड़ों पर यह आवाज बार-बार घूमने लगती है तभी पहाड़ों की ऊंचाई पर से बड़े-बड़े पेड़ लुढ़क कर नीचे गिरना चालू होते हैं और उन बड़े दो तीन मीटर चौड़े पेड़ों के नीचे आकर कई सारे हत्यारों की जगह पर ही मौत होने लगती है यह सारी गर्व की ही चाल थी उसे पता था कि खुद को मूर्ख बनते हुए देखकर कालीचरण सहन नहीं पाएगा और उसके स्वभाव के अनुसार वह चीखना चिल्लाना चालू कर देगा गर्व ने पहले से ही केदार की मदद से बड़े पेड़ों को काटकर उनको पहाड़ की ऊंचाई पर बांध दिया था और उसने जैसे कि कालीचरण की चिल्लाने की आवाज सुनी वह दूर से ही तीर चला कर बंधे हुए पेड़ों को खोल देता है और वह सारे पेड़ लुढ़कते हुए पहाड़ों की नीचे की तरफ बढ़ने लगते हैं और उनकी नीचे आकर कई सारे हत्यारों की जान जाने लगती है इसके वजह सारे हत्यारों में भगदड़ मच जाती है स्थिति को बिगड़ते देख कर कालीचरण अपनी तलवार का इस्तेमाल करना चालू कर देता है और सारे नीचे गिरने वाले पेड़ों को काट डालता है इसका फायदा उठाकर मंदार जल्द ही उन हत्यारों के समूह से बाहर निकलकर घने जंगलों की तरफ बढ़ जाता है यहां पर बिजली से पेड़ों के कटने की वजह से हवा में पेड़ों की कई सारे टुकड़े बिखर जाते हैं और इसी की वजह से कई सारे हत्यारों की जगह पर ही मौत हो जाती है इसके वजह से उन हत्यारों के समूह को बहुत ही भारी नुकसान होता है उनके कई सारे हत्यारे मारे जाने के बावजूद कालीचरण और बाकी के हत्यारे चिंता नहीं करते हैं बल्कि वह पहाड़ की ऊंचाई की तरफ बढ़ना चालू करते हैं भले ही वहा पर कोहरे की वजह से ज्यादा दिखाई नहीं दे रहा हो परंतु गर्व अपने पिछले जन्म में कई युद्ध तकानिको में माहिर था उसने कई सारे जादुई विद्याएं भी सीखी थी और वह उसको इस जन्म में भी वह सारी विद्याएं याद थी इनमें से कई सारे विद्याओं का वह ताकत कम होने के कारण प्रयोग नहीं कर सकता था पर वह कुछ चीजों का जरूर इस्तेमाल कर सकता था इनमें से एक विद्या घने कोहरे और घने अंधेरे में देखने की थी और इसी विद्या का इस्तेमाल करके वह उन हत्यारों का सारा निरीक्षण कर रहा होता है पर वह इसे पाच सौ मीटर से ज्यादा दूर की चीज नहीं देख सकता था वह देखता है कि कालीचरण के साथ बाकी के हत्यारे सारे पर्वतों की ऊंचाई पर से तेजी से बढ़ रहे होते हैं इस कोहरे में वह भटक न जाए इसलिए वह एक दूसरे के हाथ में हाथ डालकर ऊंचाई पर बढ़ते जा रहे थे यह देखकर गर्व को उनके साथ खेल खेलने का मन हो रहा था वह सारे हत्यारे कोहरे में देख नहीं सकते थे यहां तक कि कालीचरण भी अपने आगे चार पांच हत्यारे रखता है और उनके पीछे पीछे वह चल रहा होता है गर्व को एक तरकीब सुझती है और वह एक जंगली जानवर को पकड़कर उसको पहले ही की तरह ही पेड़ पर बांध कर उसके हाथ और पैरों पर पर चाकू कुछ अंदर तक घुसा देता है इसके वजह से वह जोर-जोर से चीखने लगता है इस बार कालीचरण सतर्क था वह पहले ही एक बार मूर्ख बन चुका था इसलिए वह वहां पर कूद जाने के बजाए अपने चार पांच साथियों को उस जगह भेजता है वहां पर पहुंचते ही जानवरों के साथ साथ उन हत्यारों की भी चीखे आना चालू होती है और एकदम से वह सारी चीखे बंद हो जाती है यह देखकर वहां मौजूद हत्यारों के मन में एक अजीब सा डर बैठना चालू होता है वहां पर कई बार बहुत सारी जगहों से जानवरों के चीखने की आवाज आती रहती है और हर बार वहां पर कालीचरण अपने कुछ साथियों को भेजता है और हर बार उन जानवरों के साथ साथ उन हत्यारों की भी चीखे वहां पर सुनाई आने लगती है और थोड़ी देर में एकदम से सन्नाटा छा जाता है इसकी वजह से सारे हत्यारों के मन में एक अजीब सा डर बैठना चालू होता है यह खेल गर्व कई हफ्तों तक उनके साथ खेलते रहता है इसके वजह से कई हत्यारों की तो दिल के दौरे से ही मौत हो जाती है उन कोहरे वाले पहाड़ों पर दिन के साथ-साथ रात में भी घना कोहरा छाया रहता था उन सारे हत्यारों के मन में उस कोहरे के कारण एक अजीब सा डर बैठ गया था कालीचरण तो रात में सोने के वक्त सौ से भी ज्यादा हत्यारों को अपनी सुरक्षा में तैनात रखता था यहां तक कि कालीचरण के मन में भी अब डर बैठने लगा था वह समझ नहीं पा रहा था कि वह आखिर करे तो क्या करें इतने सारे कोहरे के कारण व गर्व को ढूंढ भी नहीं पा रहा था उल्टा उसके ही कई सारे हत्यारे मारे जा रहे थे यहां पर असली हत्यारा तो गर्व साबित हो रहा था और कई सारे हत्यारों की हत्या करते जा रहा था वह वापस जा भी नहीं सकता था क्योंकि अगर वह ऐसा करता तो उसकी तांडव कबीले के श्रेष्ठो के सामने क्या इज्जत रह जाती इतने सारे हत्यारे लेकर वह सिर्फ तीन लोगों को मारने में नाकामयाब रहे यह तो बहुत ही शर्म की बात होती है सारे कबीले में उसकी नाक कट जाती बल्कि उसको तांडव कबीले के श्रेष्ठ लोग हमेशा के लिए कालकोठरी में भी डाल देते उसके लिए यह परिस्थिति आगे कुआं तो पीछे खाई जैसे हो गई थी उसे कुछ भी करके गर्व को ढूंढना ही पड़ेगा और उसे मारना होगा क्योंकि यह अब उसकी इज्जत की बात हो गई थी वह सुबह होते ही सारे हत्यारों के हाथ में एक-एक जलती लकड़ी पकड़ा देता है जिससे कि पहाड़ों के ऊपर मौजूद सारा कोहरा गायब होने लगता है जैसे ही वहां का कोहरा गायब होना चालू होता है वैसे ही उन लोगों को उन पहाड़ियों का सारा नजारा साफ साफ दिखने लगता है और वह देखते हैं कि गर्व और केदार एक पेड़ की डाली पर आराम से सोए हुए हैं वह तो उन हत्यारों को आराम से मारते जा रहे थे उन्हें लगा कि वह ऐसे ही सारे हत्यारों को मार देंगे परंतु इस वक्त तो उनकी ही जान खतरे में पड़ गई थी और उन्हें ही इस बात का पता भी नहीं था उन दोनों को देखकर कालीचरण का दबा हुआ गुस्सा एकदम से फूट पड़ता है और वह चिल्लाकर कहता है मारो सालों को यह बचके जाने ना पाए और उसकी दहाड़ सुन कर गर्व और केदार की नींद खुल जाती है वह तो इस बात से हैरान थे कि यहां का एकदम से घना कोहरा छट कैसे गया और वह वह इन हत्यारों को कैसे दिखे तभी उन्हें उन हत्यारों के हाथ में जलती हुई लकड़ीया दिखती है और उन्हें सारा माजरा समझ में आता है इस वक्त तक आते-आते गर्व और केदार तो भागते भागते थक गए थे आखिर कब तक वह इन हत्यारों से भागते रहेंगे वह दोनों भी इस बार वहां से भागने के बजाय उन हत्यारों से लड़ने का निर्णय लेते हैं वह दोनों भी अपने दोनों हाथों में दो तलवार और शरीर पर 100 किलो का कवच लगाकर तैयार हो जाते हैं वह दोनों भी पेड़ से छलांग मार दी नीचे आ जाते हैं और हत्यारों की तरफ बढ़ना चालू करते हैं सारे हत्यारे भी उन दोनों की तरफ बढ़ने लगते हैं इतने सारे हत्यारों के मरने के बावजूद भी अभी भी हजारों की तादाद में वहां मौजूद होते हैं यह बड़ी ही आश्चर्य की बात थी गर्व मंदार और केदार ने इतने सारे सैकड़ों हत्यारों को मारा फिर भी वह अभी भी बिल्कुल भी कम नहीं हो रहे थे वह हत्यारे हजारों की तादाद में थे और वह सिर्फ दो ही लोगों के पीछे पड़े थे यह दिखने में बड़ा ही अजीब लग रहा था देखते ही देखते वह आपस में टकरा जाते हैं इस बार कालीचरण सीधे ही गर्व से भिड़ गया था उनकी तलवारे आपस में टकरा जाती है और फिर से वहां पर बिजली और बर्फ के बीच में घमासान लड़ाई चालू हो जाती है जिसकी वजह से वहां का तापमान एकदम से बढ़ जाता है सारे पेड़ों और पत्थरों में उनकी लड़ाई के वजह से कंपन उत्पन्न हो जाता है केदार भी उन दोनों की लड़ाई की भीषणता देखकर चकित था