chapter 37

उसे लगा कि यह कोई मामूली सैनिक होंगे पर यहां तो उप सेनापति वीरसेन मौजूद थे वीरसेन को देखकर वह सैनिक कमर की ओर से झुक जाता है और कहता है मुझे माफ कर दे मुझे नहीं पता था कि यह आपके अगुवाई वाले सैनिक इतना कहकर वह उस नीली ऊर्जा से बने दरवाजे को खोल लेता है उसके खुलते ही वीरसेन के साथ सारे सैनिक केदार मंदार और गर्व भी उनके साथ राजमहल के अंदर प्रवेश कर जाते हैं वीर सेन वहां पर खड़े एक सैनिक को पक्षियों के राजा की लाश को केंद्रीय विद्यालय के रसायन शास्त्र की शाखा में पहुंचाने के लिए कहता है और वह सैनिक उसकी लाश को बड़े हाथियों के रथ पर जोड़कर वहां से लेकर जाते हैं राजमहल के अंदर राजा के कई सारे रिश्तेदार मौजूद थे साथ ही वहां पर राज्य के बड़े बड़े अधिकारी मौजूद होते हैं और साथ ही में यहां पर राज्य के सबसे ताकतवर और शक्तिशाली सैनिक मौजूद होते हैं वहां पर मौजूद लोगों की जैसे ही वीर सेन पर नजर पड़ती है वह सारे आदर से अपना सर झुका लेते हैं इस वक्त सारे सैनिकों के बीच घिरे होने के कारण गर्व पर किसी की भी नजर नहीं पड़ रही थी तभी गर्व केदार को अपने पास बुलाता है और उसे पहाड़ियों के बीच में मौजूद हीरो से बनी पहाड़ियों के बारे में किसी को भी कुछ भी नहीं बताने को कहता है क्योंकि धन-संपत्ति ही इस दुनिया में आधे से ज्यादा झगड़ो की वजह होती है वह केदार को कहता है कि अगर दुनिया को पता चल गया कि यहां पर क्या है तो सारे दुनिया के योद्धाओं की नजर इस धन संपत्ति पर पड़ जाएगी और वह इस संपत्ति के लिए वह यहां पर बहुत खून खराबा करेंगे और इस वजह से हमारे राज्य के लोगों की भी जान जा सकती है वह इन सारी बातों को केदार के कान में बताता है जिसको बाकी के कोई भी सैनिक सुन ना सके केदार गर्व के इस बात से सहमत हो जाता है और वह इस बात को किसी को भी नाम बताने का वचन देता है दरअसल गर्व ने केदार को यह बात इसीलिए छुपाकर रखने के लिए कही थी क्योंकि गर्व नहीं चाहता था कि किसी की भी उन पहाड़ों पर चंद्रमुखी से मुलाकात हो क्युकी वह चंद्रमुखी बहुत ही शक्तिशाली होती है वह पूरे हीरे से बने पर्वतों को काबू कर सकती थी अगर वह चाहे तो पूरी दुनिया का नक्शा रातोंरात बदल सकती थी गर्व नहीं चाहता था कि इस चंद्रमुखी की शांति में कोई भी खलल पड़े वह चंद्रमुखी तो कोई बड़ी योगीनि लग रही थी और वहां पर सैकड़ों सालों से ध्यान साधना में लीन थी अगर उसे गुस्सा आ गया तो इस दुनिया के लिए काफी बड़ा खतरा उत्पन्न हो जाएगा जल्द ही वह सारे सैनिक और गर्व राज सभा में आ जाते हैं गर्व देखता है कि राजसभा पूरी तरह से खचाखच भरी हुई होती है राज सभा में जाते ही सारे सैनिकों के साथ साथ गर्व भी राजसभा के एक कोने में खड़े हो जाते है गर्व देखता है कि यह राज सभा बहुत ही विशाल थी यहां पर 300 से भी ज्यादा लोग मौजूद होते हैं साथ ही में राजा भी एक बड़े सिंहासन पर विराजमान होता है उन्होंने मिश्र धातु से बनी हुई एक बड़े वजनदार कवच को पहना हुआ होता है और वह बहुत तेज रोशनी से चमक रहा होता है जिसका प्रकाश राजा के इर्द-गिर्द फैल रहा था वीरसेन को देखते ही राजा वीर प्रताप सिंह खुशी से कहता है अरे वीर सेन आओ आओ हम सबको तुम्हारी ही प्रतीक्षा थी हमें तो लगा था तुम मंदार पहाड़ियों की तरफ गर्व को ढूंढने जाओगे पर तुम्हारे यहां से जाते ही अचानक हमारे राज्य पर इन तांडव कबीले के हत्यारों की आफत आ पड़ी अगर तुम कल यहां पर मौजूद होते तो हम सब ने इन हत्यारों को अच्छा सबक सिखाया होता पर तुम इतनी जल्दी जंगल में से वापस कैसे आ गए इसकी जरूरी कोई वजह होगी क्या हुआ है यह सुनकर वीर सेन एक लंबी सांस लेता है और कहता है आपने मुझको जिस काम के लिए जंगल में भेजा था वह काम मैने पुरा किया है महाराज में गर्व और केदार को मैने सही सलामत वापस ले आया हूं क्या राजा चौक कर विरसेन से कहता है पर इतनी जल्दी कैसे राजा वीर सेन से पूछता है वीर सेन बताता है कि वह सारे सैनिकों के साथ मंदार पहाड़ियों पर जाने वाला था पर गर्व और केदार उनको रास्ते में ही जंगल में है मिल गए और वह इस वक्त सैनिकों के साथ ही यही पर है यह सुनते ही वहां मौजूद सारे लोग उन सैनिकों की तरफ देखने लगे वीर सेन कहता है गर्व बाहर आओ तभी गर्व उन सैनिकों की भीड़ में से बाहर आता है और वीर सेन के करीब जाने लगता है वह जैसे ही राजसभा के गलियारे में चलते जाता है वहां मौजूद सारे लोग उसकी तरफ गुस्से की निगाहों से देखने लग जाते हैं मानो वह उसे इसी वक्त मार डालेंगे गर्व वहांपर मौजूद सारे लोगों के भाव को समझ गया था वह अभी तक इसीलिए जिंदा होता है क्योंकि वहां पर राजा मौजूद होता है अगर वहां पर राजा मौजूद नहीं होता तो वह सारे कब के गर्व को मार चुके होते गर्व को देखकर वहां मौजूद सारे लोगों में एकदम से कानाफूसी शुरू हो जाती है गर्व के यहां पर होने की बात राजमहल में जंगल की आग की तरह फैल जाती है गर्व राजसभा के बीच में वीर सेन के करीब जाकर खड़ा हो जाता है अब तक तो राजा को भी यह बात पता चल चुकी थी गर्व के कारण ही वह तांडव कबीले के हत्यारे भड़के हुए थे और उसी की वजह से उन्होंने शहर पर हमला किया था राजा को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि वीर सेन गर्व को जिंदा बचा कर वापस महल में लाया होगा पर गर्व यहां पर जिंदा खड़ा था और वह भी सही सलामत गर्व को देखकर राजा को भी गुस्सा आ जाता है पर वह अपने राजा के पद का सम्मान रखता है और अपने चेहरे पर आने वाले गुस्से के भाव को दबा देता है और शांति से गर्व से पूछता है आखिर तुमने जंगल में ऐसा क्या किया है इसकी वजह से यह हत्यारे इतना भड़क गए हैं और इन्होंने सीधा हमारे शहर पर ही हमला कर दिया कुछ नहीं महाराज मैंने तो सिर्फ उस कालीचरण को जख्मी कर के उसको बेहोश कर दिया था वह तो अपना बचाव भी नहीं ना कर सका बड़ा हत्यारों का नेता बन कर घूमते फिरता है पर उन्होंने ही जंगल में हम पर पहले हमला किया था अपनी रक्षा के लिए ही मैंने उन हत्यारों पर हमला किया था क्या मुझे स्वयं की सुरक्षा करने का भी कोई भी अधिकार नहीं है महाराज गर्व शांत स्वर में जवाब देता है