अगर यहां पर गर्व के साथ वीरसेन और बाकी के सैनिक मौजूद ना हो तो वह खुद ही गर्व की तरफ उसकी जान लेने के लिए दौड़ पड़ते केंद्रीय सैनिक विद्यालय के छात्र छात्राओं को यकीन नहीं हो रहा था कि उनमें से कई सारे छात्र ने तांडव कबीले के हत्यारो को मारा है उनमें से कई सारे छात्र तो एक हत्यारे के सामने भी टीक नहीं सकते हैं वह सोचते हैं कि किसी एक हत्यारे को मारने की वजह से तो तांडव कबीले के लोग भड़क नहीं सकते हैं गर्व ने जरूर ही उन हत्यारों के साथ कुछ बड़ा किया होगा इसलिए उन हत्यारों को भड़ककर राज्य पर हमला किया था यह सोचकर उन सब को गर्व के बारे में आश्चर्य होता है कि आखिर इस मे ऐसी कौन सी शक्ति है जिसके कारण इसने तांडव काबिले को बड़ी क्षति पहुंचाई है तांडव कबीला तो बहुत ही ताकतवर और खतरनाक हत्यारों का समूह था उन्हों ने केंद्रीय सत्ता के होने के बावजूद भी इस दुनिया में कई सारे राज्यों को खत्म कर दिया था वह हत्यारे तो केंद्रीय सत्ता से भी नहीं डरते थे गर्व के गुरु सूर्यकुमार भी गर्व को देखकर बड़े आश्चर्यचकित थे उन्होंने भी देखा था कि कैसे गर्व ने प्रवेश परीक्षा में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था पर उन्हें भी यकीन नहीं हो रहा था कि गर्व इन तांडव कबीले के हत्यारों का कोई नुकसान कर सकता है जल्द ही वीर सेन गर्व को लेकर कारागार में पहुंच जाते हैं यह कारागार बहुत ही बड़ा होता है इसकी 100 मीटर से भी ज्यादा उचि दीवारें होती है और उन दीवारों के ऊपर कई सारे तीर धनुष लेकर सिपाही खड़े होते हैं बहुत सारे सैनिक इस जगह की रक्षा कर रहे थे क्योंकि यहां पर बहुत ही बड़े बड़े और खतरनाक कैदी मौजूद होते हैं यहां पर तांडव कबीले के हत्यारे भी मौजूद थे और साथ ही कुछ दूसरे राज्य के गुप्त चरो को भी यहां पर कैद किया गया था इस कारागार में खाली जगहों पर जगह-जगह जाल बिछे हुए थे गलती से यहां से कोई भागने की कोशिश करता तो वह उस जाल में फस कर तुरंत ही मारा जाता वह जाल दिख नहीं रहे थे पर गर्व उनके बारे में पहले ही जान गया क्योंकि उसने अपने पिछले जन्म में खुद ऐसे कई जालों को बनाया था जिसमें फसकर बड़े से बड़ा योद्धा भी निकल नहीं पाता और वही फस जाता वीर सेन जल्द ही गर्व को लेकर कारागार के अंदर पहुंच जाते है यह कारागार बहुत ही बड़ा होता है यह बाहर से तो ज्यादा बड़ा नहीं लग रहा था परंतु यह कारागार भूमि के तल के नीचे 2 किलोमीटर लंबा बना होता है यहां पर कई सारे खतरनाक कैदियों को रखा गया था और यहां हर कैदी का यहां पर अलग से कमरा होता है वह कमरा पाच मीटर बड़ा होता है और उस कमरे की दीवार एक नीली पारदर्शी उर्जा से बनी होती है अगर कोई भी आदमी उस दीवार को छूता तो वह वहीं पर मारा जाता इसीलिए कोई भी कैदी उस दीवार के करीब नहीं जा पा रहे थे इस ऊर्जा की दीवार में एक 3 सेंटीमीटर का छेद होता है जिससे कि उस कमरे में से हवा अंदर बाहर आ जा सके एक किशोर युवक को वहां पर आता देखकर वहां पर मौजूद कई सारे कैदी खड़े हो जाते हैं कोई कोई उसका हंसते हुए मजाक उड़ाते जा रहे थे एक कैदी ने कहा अरे देखो देखो आज हमारे घर में कौन आया है यह एक नन्हा सा बालक यह कहकर वह हंस पड़ा दूसरे कैदी ने कहा अरे सिपाहियों तुमको अब ये किशोर युवक ही मिला था कारागार में डालने को अरे किसी मादक हसीना को लेकर आते हम सबका दिल बहल जाता यह सुनकर सारे कैदी जोर जोर से हंसने लगे तभी एक कैदी ने वीरसेन की तरफ हाथ उठाते हुए कहा अरे इस नन्हे बालक ने ऐसा क्या किया है जो तुम लोग इसे कारागार में बंदी बनाने के लिए लाए हो यह सुनकर वह हंसने वाले कैदी शांत हो गए क्योंकि उस कैदी ने सवाल एकदम सही पूछा था की आखिर गर्व जैसे एक किशोर युवक ने ऐसा क्या किया है जिस को पकड़कर उप सेनापति वीरसेन खुद ही पकड़कर कारागार में आए हैं उन सारे क़ैदियों को तो सिर्फ सैनिकों ने ही पकड़ा था और यहां पर कैद किया था परंतु इस किशोर युवक को वीरसेन खुद बंदी बनाने के लिए आए थे यह सोचकर वह सारे जोर जोर से हंसने वाले कैदी शांत हो गए और वीरसेन की तरफ गंभीरता से देखने लगे उन सारे कैदियों को अपनी तरफ गंभीरता से देखते हुए देख कर विरसेन उनसे कहता है राजा वीर प्रताप सिंह को भड़काने की वजह से यह सुनकर तो मानो उन सबको झटका ही लग गया था उन्हे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था कोई कोई तो लड़खड़ाकर जमीन पर ही गिर पड़े क्योंकि राजा खुद किसी बात में स्वयं ध्यान नहीं देता था वह सारा काम अपने मंत्रियों से और महल के कर्मचारियों से करवाता था अगर राजा ने खुद होकर इस आदेश को दिया होगा कि इस किशोर युवक को बंदी बना लो तो इसने जरूर ही बहुत बड़ा कांड किया होगा जिस को पकड़कर उप सेनापति वीरसेन खुद ही बंदी बनाने के लिए चले आए वीर सेन जल्द ही गर्व को एक बंदी बनाने के कमरे की तरफ लेकर जाते हैं यह कमरा बाकी के कमरे से बहुत दूर पर होता है क्योंकि बाकी कोई भी कई गर्व से बात नहीं कर सके वहां पर जाते ही वीर सेन उस कारागार के एक कोने में मौजूद सिपाही को इशारा कर देता है इशारा मिलते ही वह सिपाई उसके सामने मौजूद यंत्र पर कुछ काम करता है जिससे गर्व के सामने मौजूद नीली ऊर्जा से बने कमरे में एक साडे पाच फीट लंबा छेद हो जाता है यह छेद गर्व की ऊंचाई के इतना ही बड़ा होता है गर्व उस छेद के जरिए उस कमरे में चला जाता है उसके अंदर जाते ही कोने में मौजूद सिपाही फिर से यंत्र पर कुछ काम करता है जिससे कि वह साढ़े पांच फीट लंबा छेद गायब होकर वहां से फिर से नीली ऊर्जा की रोशनी की चादर बिछ जाती है गर्व को देखकर वीरसेन को बहुत ही दुख हो रहा था क्योंकि गर्व एक बहुत ही प्रतिभाशाली योद्धा होता है जिसकी युद्ध कला को वीरसेन ने पहले ही देख चुकी होती है वह गर्व की तरफ देख कर कहता है मुझे तुम्हारे बारे में सोच कर बहुत ही बुरा लग रहा है तुम् ने तो उल्टा उस तांडव कबीले के पक्षियों के नेता को मारने में हमारी मदद की है उस पक्षियों को तो मेरे जैसे दस विरसेन भी मिलकर नहीं मार सकते थे मुझे नहीं लगता कि तुमने जंगल में ऐसा कोई काम किया हो जिसकी वजह से तुम्हें कारागार में रहना पड़ेगा तुम तो बस राजा के गुस्से का शिकार हो गए इतना कहकर उनकी आंखें नम हो गए तभी गर्व ने वीरसेन से कहा अरे वीर सेन जी इसके लिए आपको बुरा मानने की कोई जरूरत नहीं है जो भी हुआ है इसमें आपकी कोई भी गलती नहीं है आप तो बस अपने राजा की आज्ञा का पालन कर रहे हैं और इसके इसके सिवा आप ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकते है इस वक्त अपने राज्य में बहुत बड़ा संकट आया हुआ है आपको इस वक्त उसके बारे में सोचना चाहिए आज रात को वह हत्यारे फिर से हमला करने वाले हैं आपको उसके लिए अभी से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए अगर आप ही बुरा मानेंगे तो हमारे राज्य की सुरक्षा कैसे कर पाएंगे कारागार में बंद होकर भी राज्य की जनता के बारे में गर्व को सोचता हुआ देख कर वीर सेन को गर्व के लिए गर्व महसूस होता है वह गर्व से कहता है अभी तो मैं यहां से जा रहा पर मैं वक्त देखकर मैं राजा के मन को बदलने का अवश्य प्रयास करूंगा क्योंकि मुझको नहीं लगता कि तुमने जंगल में कोई भी गलत काम किया होगा मैं तो अभी यहां से जा रहा हूं पर मैं मंदार और केदार को इसी कारागार की सुरक्षा के लिए तैनात करके जाऊंगा अगर तुम्हें किसी भी चीज की कोई भी जरूरत हो तो तुम इनको बुला सकते हो और मैं अपनी पूरी कोशिश करके राजा के मन को बदलने का प्रयास करूंगा और यह भी बताऊंगा कि तुमने कैसे अकेले ही उस पक्षियों की हत्या की है और तुम हत्यारों से लड़ने में हमारे राज्य के भी बहुत काम आ सकते हो इतना कहकर वीर सेन तेज गति से वहां से जाने लगे गर्व को उन्हें धन्यवाद करने का कभी वक्त नहीं मिलता क्योंकि वह तेजी से वहां से चले गए थे सच में वीरसेन के मन में गर्व के प्रति काफी अच्छे विचार होते हैं गर्व के कारागार में बंदी होने पर भी वह उसके प्रति काफी अच्छा विचार कर रहे थे उनको बाहर जाते समय गर्व देखता है कि यहा मौजूद कई सारे कैदी उसकी तरफ देखकर उसे घूरे जा रहे थे वह भले ही उस से दूरी पर थे पर वह दूरी से ही उनके भाव को समझ जाता है उसे याद आ जाता है कि यहां पर कई सारे तांडव कबीले के हत्यारे भी मौजूद है पर उन्हें कैसे इस कारागार के बाहर होने वाली घटना की जानकारी मिलती होगी और उन्हें कैसे पता कि मैं यानी की मैं यहा पर बंदी बनने के लिए आने वाला हु तभी उसे याद आता है कि कैसे आश्रम में कैसे अक्षय एक तांडव कबीले का जासूस बन कर घूम रहा था और और कोई भी उसके बारे में पता भी नहीं लगा पाए अगर आश्रम में वह जासूस मौजूद हो सकते हैं तो इस राज्य के लोगों के बीच में क्यों नहीं उन जासूसों ने मिलकर ही यह बात राज्य के लोगों में फैलाई होगी यह गर्व ने ही तांडव कबीले को भड़काया है और उसी के वजह से हमारे राज्य पर इतनी बड़ी आपत्ति आई है और गर्व के नाम से सारी जनता रास्तों पर उसका मौरदाबाद करने उतर गई और यह जासूस इस कारागार में भी मौजूद हो सकता है जिसने यहां पर तांडव कबीले के हत्यारों को यह जानकारी दी होगी कि मैं यहां पर आने वाला हूं इसलिए यहां पर इतने सारे कैदियों में से सिर्फ कुछ ही मेरे तरफ देख कर लगातार घूरे जा रहे हैं