chapter ५०

जल्द ही वह तीनो उस वैज्ञानिक के घर के पास आ जाते हैं जिसने कारागार के नीली ऊर्जा के यंत्र को बनाया होता है किसी भी राज्य के वैज्ञानिक राज्य के लिए एक मूल्यवान संपत्ति होती है वह एक सरकारी नौकर भी होते हैं उन्हें निवृत्तिवेतन के साथ-साथ हर महीने में तनखा में भी काफी मोटी रकम मिलती है और उन्हें सुरक्षा भी राज्य के तरफ से प्रदान की जाती है वह काफी बड़े घरों में रहते हैं इस जगह भी वह वैज्ञानिक काफी बड़े घर में रह रहा होता है उसके घर के आजू-बाजू भी काफी सारे सरकारी लोगों के घर बने हुए होते हैं और उनके घर भी काफी सुरक्षा रक्षक तैनात होते हैं वहा लोह मानवों को देखकर वहां मौजूद सारे सुरक्षा रक्षक चौक गए थे और उनकी उन लोह मानवो की तरफ नजर पड़ गई थी केदार उस वैज्ञानिक के घर के सामने जाकर उन सुरक्षा रक्षकों को कहता है क्या इस वक्त वैज्ञानिक विक्रांत घर पर मौजूद है वह सुरक्षा रक्षक हा में जवाब देता है फिर केदार उस सुरक्षा रक्षक से कहता है जाओ जाकर वैज्ञानिक विक्रांत को जल्दी से बुला कर ले आओ क्योंकि यह हमारे राज्य की सुरक्षा का सवाल है यह सुनकर वह सुरक्षा रक्षक तेजी से घर की अंदर की तरफ इस सूचना को देने के लिए जाता है उस सुरक्षा रक्षक को पता होता है कि इस वक्त अपने राज्य पर बहुत बड़ी आपत्ती आई हुई है अगर सच में लोह मानव की टुकड़ी के सैनिक यहां पर आए हैं तो जरूर ही कोई बड़ी बात होगी वह अंदर गया हुआ सुरक्षा रक्षक थोड़ी देर बाद मुंह लटकाके बाहर आता है और केदार से कहता है वैज्ञानिक विक्रांत जी थोड़े काम में है उन्होंने आपको 10 मिनट रुकने के लिए कहा है 10 मिनट बाद वो खुद ही बाहर आ जाएंगे पर उसके चेहरे पर कोई अच्छे भाव नहीं होते हैं गर्व उसके चेहरे के भाव को पहचान गया था इसके बाद केदार कहता है ठीक है हम थोड़ा देर रुकते हैं 10 मिनट बाद भी विक्रांत बाहर नहीं आते हैं फिर भी केदार और गर्व 5 मिनट तक और रुकते हैं उसके बाद वह उस सुरक्षा रक्षक को कहते हैं जाओ 15 मिनट हो गए हैं उनको बाहर बुलाकर लाओ और कहो कि यहां बहुत ही जरूरी काम है इस वक्त बहुत सारे लोगों की जान तलवार की नोक पर अटकी हुई है उनके वजह से कई सारे सैनिकों की जान बच सकती है फिर वह सुरक्षा रक्षक उतरे हुए चेहरे से घर के अंदर जाता है और थोड़ी देर बाद बाहर आकर कहता है उन्होंने कहा है कि बस 5 मिनट और लगेंगे उसके बाद वह खुद ही बाहर आ जाएंगे इतने वक्त तक वहां पर लोह मानव खड़े होने के कारण उनकी बात वहां पर सारे घरों में पहुंच जाती है वह अपने बालकनी और आंगन में खड़े होकर देख रहे होते हैं कि आखिर यहां पर चल क्या रहा है दरअसल यह जो सरकारी नौकर होते हैं यह बहुत ही होशियार और प्रतिभाशाली होते हैं वह अपनी प्रतिभा के दम पर अच्छी नौकरी को हासिल करते हैं पर वह जैसे ही अच्छी नौकरी को हासिल करते हैं वह बहुत ही आलसी हो जाते हैं वह सिर्फ और सिर्फ अपनी नौकरी और महीने में मिलने वाले तनखा की चिंता करते हैं उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि बाहर क्या चल रहा है लोग मरे या जिंदा रहे इस बात से उन्हें कोई मतलब नहीं होता गर्व के पिछले जन्म में भी ऐसे सरकारी नौकर होते थे इसलिए गर्व को उनके बारे में पहले से ही पता होता है और उसने पहले ही उस सुरक्षा रक्षक के चेहरे के भावों को पढ़ लिया था उसे पता चल गया था कि कुछ तो गड़बड़ है केदार फिर से उस सुरक्षा रक्षक के तरफ उस वैज्ञानिक को बुलाने को कहने के लिए बढ़ता है तभी लोह मानव के अंदर मौजूद गर्व केदार के कंधे पर हाथ रखता है और अपना सर नहीं कहने के इशारे से हीलाता है इसके बाद गर्व अपनी जगह से ही सीधा छलांग कर सीधा उसके घर के आंगन में पहुंच जाता है जिसके कारण उसके आंगन में लगी हरी भरी घास उखड़ जाती है और मिट्टी हवा में फैल जाती है यह देखकर तो वहां मौजूद सुरक्षा रक्षक और केदार के साथ साथ आजूबाजू के घरों से बाहर के नजारे को देख रहे सारे लोगों की आंखें बड़ी हो जाती है वह सारे आंखें फाड़ फाड़ कर गर्व के तरफ देखे जा रहे थे पर वह कुछ भी कर नहीं सकते थे क्योंकि लोह मानव राज्य के सेना की बहुत ही ऊंची टुकड़ी होती है जिनके बारे में राजा वीर प्रताप सिंह भी कुछ बुरा सुन नहीं सकते थे उसके आंगन में जाने के बाद गर्व सीधा उस वैज्ञानिक के तीन मंजिला बने घर के दूसरे मंजिल पर बनी बालकनी में छलांग मारकर प्रवेश करता है उसके छलांग मारते हैं वह बालकनी की दीवार ही टूट जाती है बालकनी के पीछे एक कमरा होता है उस कमरे की दीवार तोड़कर गर्व उस में प्रवेश कर जाता है वह अंदर जाकर देखता है तो वहां पर वह वैज्ञानिक सारे घोड़े बेच कर आराम से सो रहा होता है उसको देखकर तो गर्व को काफी गुस्सा आ गया यहां सारे तरफ लोग अपनी जान बचाने को लेकर इतनी जद्दोजहत में है और इसे अपने सोने की पड़ी है वह उस वैज्ञानिक को किसी बच्चे की तरह अपनी गोद में उठाता है और सीधा दूसरी मंजिल की बालकनी से नीचे छलांग मारता है इसके बाद भी वह वैज्ञानिक अभी तक उठा नहीं था उसके मुंह से शराब की बदबू आ रही थी इस वक्त उस वैज्ञानिक के घर में उसके सिवा कोई नहीं था बाकी के सारे घरों की बालकनी से लोग गर्व के तरफ आंखें फाड़ फाड़ कर देखे जा रहे थे इस वक्त वह वैज्ञानिक सिर्फ अपना कच्छा पहना हुआ ही सोया हुआ होता है दूसरी मंजिल से नीचे कूदने के बाद भी इसकी नींद नहीं खुली थी यह देखकर गर्व को काफी गुस्सा आ रहा था वह उस वैज्ञानिक को उसके आंगन में मौजूद फवारे के पानी में फेंक देता है पानी में जाकर भी वह उठा नहीं यहां पर सारे राज्य की जनता की जान गले में अटकी है और इसकी नींद नहीं खुल रही थी गर्व फिर उस वैज्ञानिक विक्रांत के सिर को पकड़कर फवारे के पानी के अंदर डालता है पानी के अंदर जाते ही बहुत सारा पानी उसके नाक और कान के अंदर जाता है जिससे कि उस वैज्ञानिक की नींद खुल जाती है और वह पानी के बाहर निकलने के लिए अपने हाथ पैर मार रहा होता है उसको तड़पता देख कर गर्व उसके सर को बाहर निकालकर उससे पूछता है क्या तुम ही विक्रांत हो क्या तुम्हारा नाम विक्रांत है वह व्यक्ति हा में जवाब देता है हा हा मैं ही विक्रांत हु मेरा ही नाम विक्रांत है उसके जवाब देते हैं फिर गर्व उसके सर को पानी के अंदर डालता है और वह वैज्ञानिक फिर तड़पता जाता है इस वक्त उस परिसर के सारे लोग सुरक्षा रक्षक के साथ-साथ केदार भी इस नजारे को देखे जा रहे थे उन्हें भी उस वैज्ञानिक पर काफी गुस्सा आ रहा था सच में अपने राज्य पर इतनी बड़ी आपत्ति आने के बाद शराब पीकर सोना कहां तक उचित है गर्व फिर से उसको पानी के बाहर निकालता है और वही सवाल पूछता है क्या तुम ही विक्रांत हो क्या तुम्हारा ही नाम विक्रांत है फिर से वह खासते हुए हा में जवाब देता है हां हां मेरा ही नाम विक्रांत है फिर से गर्व उसके सर को पानी के अंदर डालता है इसकी वजह से उस वैज्ञानिक के शराब का नशा धीरे-धीरे उतरते जा रहा था यही काम गर्व तीन चार बार लगातार करता है जिसकी वजह से उसका पूरा नशा उतर जाता है इसकी बाद गर्व उसको पानी के बाहर निकाल कर उससे कहता है जाओ और जाकर कपड़े पहन कर बाहर आओ हमें तुम्हारी जरूरत है इसके बाद वह वैज्ञानिक जल्दी से अपने घर जाकर कपड़े पहन कर आता है इसके बाद गर्व उस वैज्ञानिक के साथ वापस कारागार की तरफ निकल पड़ते हैं रास्ते में वह वैज्ञानिक गर्व के साथ क्या और क्यों जैसे सवाल पूछने की बिल्कुल भी हिम्मत नहीं करता दरअसल उसको भी अपने किए पर बड़ा ही शर्मिंदा महसूस हो रहा था उसे पता था कि अपने राज्य पर बहुत बड़ी आपत्ति आई है और वह इस आपत्ति के समय शराब पीकर कैसे सो सकता है उसकी भी इस राज्य की मदद के लिए जरूरत पड़ सकती थी पर वह आराम से अपने घर में शराब पीकर सोया हुआ था जल्द ही वह वैज्ञानिक और गर्व के साथ केदार कारागार में पहुंच जाते है इतनी रात होने के बावजूद भी हत्यारों ने राज्य पर हमला नहीं किया यह देख कर गर्व को हैरानी होती जा रही थी साथ ही उसे लगातार कुछ तो बड़ा होने की शंका होती जा रही थी उसे लगा कि यह तांडव कबीले के हत्यारे कुछ तो बड़ा करने की फिराक में है पर क्या यह गर्व के समझ में नहीं आ रहा होता है वह उस वैज्ञानिक को लेकर जल्दी कारागार में आ जाता है यहां पर भी सब कुछ ठीक होता है यह देखकर उसके जान में जान आ जाती है फिर वह उस वैज्ञानिक को लेकर कारागार के अंदर लेकर जाता है वहां पर भी सब कुछ ठीक होता है वह सारे लोह मानव अभी भी उस सुरंग की रक्षा कर रहे होते हैं गर्व उन से पूछता है कि उसके जाने के बाद सुरंग से कोई भी भेड़िया मानव आया क्या इसका वह लोह मानव ना में अपना जवाब देते हैं गर्व को सब कुछ अजीब अजीब लग रहा था उसे लग रहा था कि कोई चीज उसके सामने होकर भी उसे दिखाई नहीं दे रही थी इसके बाद गर्व उस वैज्ञानिक को नीली ऊर्जा को नियंत्रित करने वाले यंत्र के तरफ लेकर जाता है अब तक उस यंत्र पर की बर्फ पूरी तरह से पिघल चुकी होती है गर्व विक्रांत को उस यंत्र की जांच करने के लिए कहता है विक्रांत उसकी पूरी जांच करता है और गर्व से कहता है यह यह यंत्र पूरी तरह से ठीक से काम कर रहा है यह यंत्र ऐसे ही 6 महीनों तक आराम से काम कर सकता है क्योंकि इसको मैंने ही बनाया है गर्व उससे पूछता है कि यह जो नीली उर्जा है इसका स्त्रोत कहां पर है यह कहां से यहां पर आ रही है फिर विक्रांत कहता है यह बात एक गोपनीय चीज है पर क्योंकि आप सेना के ऊंचे टुकड़ी के सदस्य हैं इसलिए मैं आपको सब कुछ सच बताता हूं दरअसल यह नीली ऊर्जा का स्त्रोत एक बहुत बड़ा नीला पत्थर है जिसको नीलम कहते हैं और यह कोई साधारण नीलम पत्थर नहीं है यह पत्थर पूरा 10 मीटर लंबा पत्थर है इसकी वजह से पूरे शहर के ऊपर नीले रंग का सुरक्षा कवच बना हुआ है यह नीलम पत्थर राजमहल में रखा हुआ है इसको एक महान संत ने अपने योग बल के द्वारा बनाया था उसको अपने राजा को उनकी सेवा के कारण खुश हो कर दिया था इस पत्थर से ऊर्जा कैसे निकलती है इसका किसी को कुछ ज्ञान नहीं है पर कुछ तकनीकी चीजों की सहायता से हम इस पत्थर की उर्जा को नियंत्रित कर सकते हैं और हम उस ऊर्जा का जैसा चाहे वैसा उपयोग कर सकते हैं फिर गर्व उस सुरंग की तरफ उंगली करते हुए कहता है कक्या तुम उस सुरंग के प्रवेश करने की जगह पर यह नीली ऊर्जा की परत बिछा सकते हो क्योंकि यहां पर से भेड़िया मानव आए थे और वह दूसरों को भी भेड़िया मानव में परिवर्तित कर सकते हैं