इसके बाद राजा तुरंत ही नीली ऊर्जा की सुरक्षा कवच की दीवार को बंद करने का आदेश देता है और वह दरवाजा तुरंत ही 1 सेकंड के अंदर बंद हो जाता है अभी यहां पर राजा के साथ कालीचरण भी शहर के अंदर फस गया था गर्व ने इस वक्त जमीन के ऊपर मौजूद हर भेड़िया मानव को मार दिया था और उन सैनिकों को भी मार दिया था जो कि भेड़िया मानवों में परिवर्तित हो गए थे यह देखकर कालीचरण को बहुत ज्यादा गुस्सा आ गया था गुस्से के मारे उसने अपने दांत पीस लिए थे उसे गर्व के साथ जंगल के दिन याद आ गए थे कि कैसे गर्व ने मुश्किल परिस्थितियों के रहते भी उसने कई सारे हत्यारों का सामना किया था वह हर बार मुश्किलों में फसता पर अपनी सूझबूझ और चतुराई से वह हर मुश्किल परिस्थितियों से बाहर आ जाता है इस बार भी कालीचरण को लगा कि वह जीत गया है सारे भरतपुर राज्य के लोग अब भेड़िया मानव में परिवर्तित होकर तांडव कबीले की सेना में शामिल हो जाएंगे तभी सारी परिस्थितियां एकदम से बदल गई इस बार भी सारी परिस्थिति को गर्व ने अपने दम पर पूरा पलट दिया था अब वह भरतपुर राज्य की सीमा के अंदर सिर्फ कुछ ही हत्यारों के साथ फस गया था इस बार राजा ने अपनी पूर्ण शक्ति के साथ कालीचरण पर हवा में ही हमला कर दिया इस बार राजा बहुत ही जोश में आ गया था और वह अपनी पूरी शक्ति के साथ कालीचरण पर हमला किए जा रहा था राजा अपनी पूर्ण शक्ति से कालीचरण पर वार कर रहा था उसकी ताकत पहले से कहीं ज्यादा हो गई थी यह देखकर की जमीन पर मौजूद हर तांडव कबीले का हत्यारा मारा जा रहे है सारे सैनिक गर्व के नाम का जयघोष करते जा रहे थे और वह तीरों से कालीचरण पर हमला करते जा रहे थे परिस्थिति को ऐसा पलटते हुए देखकर कालीचरण को बहुत ज्यादा गुस्सा आ गया था पर वह इस वक्त गर्व का कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता था इस वक्त तो उसकी ही जान खतरे में आ गई थी फिर कालीचरण अपने पक्षी की पीठ को थप थपाता है वह पक्षी कालीचरण के इशारे का मतलब समझ जाता है फिर उस पक्षी का पूरा शरीर काले नीले रंग में चमकना चालू होता है उसकी आंखों में से बिजलियां चमकती जा रही थी और उसकी आंखों में से बाहर चिंगारियां निकलती जा रही थी कालीचरण अपने तरफ आने वाले सारे तीरो को आकाश से ही अपनी तलवार से बिजलीया उत्पन करके उनको काटे जा रहा था वह हवा में ही अपनी दोनों तलवारो को घुमाते जा रहा था जिसके कारण कालीचरण के साथ-साथ उसके पक्षी के आसपास एक बिजली से बना सुरक्षा कवच उत्पन्न हो जाता है यहां तक कि राजा का वार भी उस सुरक्षा कवच से टकराकर विफल होते जा रहा था फिर अचानक कालीचरण अपनी तलवारों को घुमाना रोक कर उनको अपनी पक्षी की के ही सिर पर मारता है उसके ऐसा करते ही उसकी तलवार में से तेज बिजलीया उस पक्षी के सिर में प्रवाहित होते जा रही थी इसके बाद उस पक्षी का पूरा शरीर काले रंग से बदलकर पूरी नीले बिजली के रंग का हो जाता है और वह पक्षी अचानक ही आसमान में अपने दोनों पंखों को उठा कर चिंघाड़ता है उसके चिंघाड़ने की वजह से उस पक्षी के शरीर में से हवा की आठों दिशाओं में बिजली की लहर फैल जाती है यह बिजली की लहर आवाज की गति से भी तेज आसमान में आठों दिशाओं में फैलती है यह बिजली की लहर आठों दिशाओं में 5 किलोमीटर तक फैल जाती है इस बिजली की लहर में बहुत ही ज्यादा शक्ति थी इसके कारण राजा भी अपने पक्षी के ऊपर से लड़खड़ा गया गर्व ने भी इससे बचाव करने के लिए अपने सामने जो बर्फ की दीवार बनाई थी वह भी 1 सेकंड के अंदर भाप बन गई जिसके कारण उस भाप के आजू-बाजू मौजूद 5 सैनिक जल कर मर गए इसकी वजह से सारे भरतपुर राज्य के सैनिक लड़खड़ा गए और उनका ध्यान विचलित हो गया इसी का फायदा उठाकर कालीचरण अपने बाज पक्षी के साथ हवा में उड़ जाता है और वह अपने पक्षी के साथ सीधा उस जमीन के गड्ढे के अंदर चला जाता है जहां पर से भेड़िया मानव जमीन पर आते जा रहे थे गर्व कालीचरण के बाज पक्षी की असली ताकत देखकर हैरान रह गया था उसके वजह से सारे सैनिक लड़खड़ा कर नीचे गिर गए थे राजा भी कालीचरण की ताकत को देखकर हैरान हो गया था वह उस उस गड्ढे के नीचे जाते हुए कालीचरण को घूरते जा रहा था गर्व किसी का भी इंतजार नहीं करते हुए सीधा उस गहरे गड्ढे में छलांग मार देता है उसके पीछे पीछे वह तेरह लोह मानव भी उस गड्ढे में छलांग मार देते हैं राजा वीर प्रताप सिंह तो यह देखकर हैरान रह गया था वह आखिर एक राजा था अगर गर्व ने कालीचरण को मार दिया तो उसे मारने का पूरा श्रेय गर्व को मिल जाता राजा खुद सारे श्रेय को अपने पास रखना चाहता था वह सेनापति यशोधन को जमीन के ऊपर रहने का आदेश देता है अगर किसी जगह से उन हत्यारों ने फिर हमला किया तो वह उनसे निपटने के लिए कहता है वह उप सेनापति वीरसेन के साथ जो कि अब लोह मानव के कवच के अंदर होता है उसके साथ उस गड्ढे में छलांग मार देता है राजा पूरे हजार लोह मानवों को गहरे गड्ढे में राजा का पीछा करने के लिए कहता है वह सारे लोह मानव गड्ढे की दीवार पर अपने तलवार की मदद से फिसलकर नीचे जा रहे थे राजा को इस वक्त गर्व साफ-साफ दिख रहा होता है जो कि अपने हाथों में रस्सिया लेकर था और वह गहरे गड्ढे में नीचे की तरफ जा रहा था उसके आजू बाजू तेरह चौदह लोह मानव अपनी तलवार की मदद से दीवार से नीचे फिसलते जा रहे थे उनके बीच में कोई भी भेड़िया मानव आता तो उनको वह काट कर रखते जाते वीर प्रताप सिंह अपने पक्षी पर बैठकर गर्व का पीछा कर रहा होता है तभी राजा देखता है कि गर्व कुछ लोह मानवों के साथ एक सुरंग में घुस गया था यह सुरंग बहुत ही बड़ी और चौड़ी होती है यह सुरंग 70 मीटर जितनी बड़ी होती है उस सुरंग में से राजा का पक्षी आराम से जा सकता था इस वक्त गर्व कालीचरण का पीछा कर रहा होता है और गर्व का पीछा राजा वीर प्रताप सिंह कुछ भी हो जाए राजा वीर प्रताप सिंह गर्व को कालीचरण को मारने का श्रेय नहीं लेने दे सकता था राजा वीर प्रताप सिंह के साथ उप सेनापति वीरसेन के साथ-साथ करीब हजार के करीब लोह मानव थे राजा के पक्षी की गति बहुत ही ज्यादा थी राजा इस पक्षी की मदद से गर्व के करीब पहुंच ही जाता है गर्व को भी राजा वीर प्रताप सिंह दिख जाते हैं सामने की ओर दौड़ते दौड़ते राजा वीर प्रताप सिंह और गर्व की नजर आपस में मिल जाती है राजा गर्व को कुछ कहता नहीं है बस उसके तरफ देखकर अपने पक्षी के साथ तेज गति से सामने की ओर अकेला ही उड़ जाता है सामने सुरंग में दूर पर एक बिजली जैसी आकृति साफ-साफ उड़ते हुए दिख रही थी वही कालीचरण होता है जिसके पीछे राजा अपने पक्षी के साथ तेज गति से सामने की ओर उड़ गए थे गर्व भी अपनी पूरी गति का इस्तेमाल करता है पर वह राजा की गति से अपनी गति को मिला नहीं पाता और वह पीछे ही रह जाता है गर्व के साथ-साथ करीब तेरह लोह मानव थे जो गर्व के साथ दौड़ रहे थे उनके पीछे भी हजार के करीब लोह मानव दौड़े चले आ रहे थे वह सारे करीब आधे घंटे तक दौड़ते रहते हैं वह सुरंग बहुत ही लंबी होती है और उसके साथी लोह मानव करीब 200 किलोमीटर तक दौड़ चुके होते इस सुरंग में कहीं भी किसी भी भेड़िया मानव का अस्तित्व नहीं दिख रहा होता है गर्व को यह चीज काफी अजीब लग रही थी और थोड़ा रुकता है और अपने पीछे भागते हुए आ रहे लोह मानव का इंतजार करता है वह सारे लोह मानव उप सेनापति वीर सेन के साथ गर्व के पास पहुंच जाते हैं वह गर्व को देखकर उससे सवाल पूछता है अरे राजा वीर प्रताप सिंह कहां पर है वह तो तुम्हारे पीछे ही थे ना तो गर्व उनसे कहता है वह बाज पक्षी पर बैठे हुए थे उनकी गति मुझसे भी ज्यादा थी और वह इसी सुरंग में सामने की ओर गए हैं यह सुरंग बहुत ही लंबी है इसकी लंबाई का अंदाजा नहीं लग रहा फिर वीर सेन गर्व से कहते हैं हमें राजा को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए हमें उनकी हमेशा रक्षा करनी चाहिए उस कालीचरण ने अपनी शक्ति का पूर्ण प्रदर्शन नहीं किया था उसने आखिर में अपनी पूर्ण शक्ति का प्रदर्शन करते हुए युद्ध भूमि से भाग गया था पता नहीं उसके पास और कौन कौन सी शक्ति होगी गर्व को वीर सेन कि यह बात सही लगी सच में कालीचरण के पास और भी कई सारी शक्तियां हो सकती है जिसका प्रदर्शन उसने अभी तक किया नहीं है यह सोचकर गर्व वीरसेन और बाकी के लोह मानवो के साथ-साथ इस सुरंग की सामने की ओर आगे बढ़ने लगे थोड़ी दूर जाते ही वह देखते हैं कि यह सुरंग सामने मिट्टी और पत्थर की बजाए यहां सारे तरफ धातु ही धातु होती है आगे की पूरी सुरंग धातु की बनी हुई होती है ऐसा लग रहा था कि इस सुरंग को किसी ने जानबूझकर बनाया हो यहां पर जैसे ही उन लोह मानव के कवच के पैर पड़ते जा रहे थे वहां से टन टन की आवाज निकलती जा रही थी और वह पूरे सुरंग में फैलते जा रही थी गर्व और बाकी के लोह मानव सुरंग में आगे की तरफ थोड़ी देर बढ़ते जाते हैं उन्हें जल्द ही उस सुरंग में दूर पर एक लाल ऊर्जा की दीवार दिखाई दे रही थी फिर वह तेजी से उस लाल ऊर्जा की दीवार के तरफ बढ़ते हैं वहां पर पहुंचते ही उनकी आंखें खुली की खुली रह गई थी वह देखते है कि यहां जहां पर यह सुरंग खत्म हो रही थी वहां पर ही यह लाल ऊर्जा की दीवार बनी हुई होती है उसके पार वहा बहुत बड़ी गुफा दिखाई दे रही थी यहां पर कई सारी इमारतें बनी हुई थी यहां पर चारों और तांडव कबीले के हत्यारे दिखाई दे रहे थे जो कि काले कपड़ों को पहने हुए थे और उस गुफा में ऊपर की तरफ कालीचरण और राजा वीर प्रताप सिंह युद्ध करते जा रहे थे पर इस वक्त राजा वीर प्रताप सिंह घायल अवस्था में लग रहे थे अगर वह थोड़ी देर और कालीचरण के साथ लड़ते तो उनकी मृत्यु निश्चित थी साथ ही राजा वीर प्रताप सिंह का पक्षी भी बहुत बुरी तरीके से घायल हो चुका था उसके शरीर से खून नीचे जमीन पर टपकते जा रहा था पर वह राजा का बाज पक्षी बिल्कुल भी हार नहीं मान रहा था यह गुफा बहुत ही बड़ी होती है यहां पर कई सारे ऊंची ऊंची इमारत बनी हुई थी और उन इमारतों पर हल्की लाल रंग की ऊर्जा का प्रकाश फैलते जा रहा था और गुफा के पूरे जगह दीवारों पर चारों तरफ लाल ही लाल रंग लगा हुआ था मानो की कोई खून के समुंदर में रह रहा हो इन सारे इमारतों में सारी जगह में हत्यारों के साथ-साथ भेड़िया मानव भी मौजूद होते हैं वह सारे कालीचरण के नाम का जय घोष करते जा रहे थे यहां पर राजा वीर प्रताप सिंह की हालात बहुत ही गंभीर थी उनके शरीर पर कई सारे चोटे आई हुई थी