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यह उसी की गलती थी कि उसके सारे सिपाही उसके हि आंखों के सामने मारे जाएंगे और गर्व कुछ भी नहीं कर पाएगा उसे अपने आप पर बहुत ही शर्म आ रही थी साथ ही उसकी आंखें गुस्से से पूरी लाल हो गई थी वह गुस्से से उस घसीटने की आवाज की तरफ देख रहा था वह घसीटने की आवाज लगातार बड़ी होती जा रही थी और वह आकृति धीरे-धीरे साफ होते जा रही थी वह आकृति जैसे ही थोड़ी साफ होती है गर्व वह देखकर हैरान रह गया था यह आकृति किसी और की नहीं बल्कि कालीचरण की ही होती है कालीचरण अपने पालतू पक्षी को घसीटते हुए गुफा के दरवाजे की ओर ला रहा था उसने दोनों हाथ में अपने पक्षी के दोनों पंजों को पकड़ कर रखा था और वह घसीटते हुए अपने मरे हुए पालतू पक्षी को गर्व के सामने लेकर जा रहा था यह देखते ही गर्व के जान में जान आ गई उसे लगा कि कालीचरण नहीं या तो लोह मानवो को मारा होगा या तो उसने राजा के पक्षी को मारा होगा पर उसने तो अपने ही पक्षी को घसीटते हुए गर्व के सामने लाया था पर गर्व की आंखें अभी भी गुस्से से लाल होती है क्योंकि कालीचरण में गर्व को पूरी गुफा में कैद कर लिया था और वह गर्व के साथ अभी चाहे तो कुछ भी कर सकता है थोड़ी देर बाद कालीचरण अपने पक्षी को घसीटते हुए गर्व के सामने रख देता है वह भी गर्व की तरफ् बड़ी ही गुस्से भरी निगाहों से देखे जा रहा था वह अपने नजरों से गर्व को यह कह रहा था कि देखो तुमने मेरे प्यारे पक्षी के साथ क्या कर दिया यह सब तुम्हारी ही वजह से हुआ है और मैं इसका तुम से पूरे सूत के साथ हिसाब लेने वाला हूं इस समय गर्व और कालीचरण एक दूसरे की आंखों में आंखें डालकर बड़े गुस्से से एक दूसरे को घूरे जा रहे थे मानो कि वह अपने आंखों से ही एक दूसरे को मार डालेंगे तभी कालीचरण पीछे पलटता है और अपनी तलवार को निकाल कर सीधा उस मरे हुए पक्षी के पेट के अंदर डालता है वह फिर अपनी दूसरी तलवार को भी अपनी म्यान के अंदर से निकालता है और उसको भी उसने उस पक्षी के पेट के अंदर घुसा दिया गर्व तो यह देख कर चौक गया उसे तो लगा कि कालीचरण गर्व को अपने मरे हुए पक्षी की हालत दिखा रहा है और उसने तो अपने ही तलवार को उसके पेट के अंदर डाल दिया यह कालीचरण आखिर करना क्या चाहता है यह अपने ही पक्षी को ऐसे मार तो नहीं सकता है गर्व यह बात समझ रहा होता है कि अगर कालीचरण ने अपने ही पक्षी के पेट के अंदर अपनी तलवार को गुस्सा आया है तो जरूर ही उसने कुछ सोच समझकर यह काम किया होगा वह इतना तो मूर्ख नहीं है कि खुद ही अपने पक्षी की जान ले ले गर्व इस वक्त ध्यान से कालीचरण का निरीक्षण कर रहा होता है तभी कालीचरण अपने थैले में से कुछ जड़ी बूटियां निकालता है और उसको मसलकर वह अपने तलवार को लगा देता है जो कि उस पक्षी के पेट के अंदर घुसी हुई होती है उस पक्षी का पेट काफी बड़ा होता है वह करीब करीब 20 मीटर लंबा होता है और उसी पेट के अंदर कालीचरण ने अपनी तलवार को घुसाया था फिर कालीचरण उसके पेट में घुसी हुई दोनों तलवारों को अपने दोनों हाथों से पकड़ता है और अपनी आंखें बंद करके कुछ मंत्र बडबडाने लगता है पहले तो वह मंत्रों को अपने मुंह में ही बड़बड़ाता रहता है और थोड़ी देर बाद वह उन मंत्रों का जोर जोर से उच्चारण करने लगता है उसके उच्चारण से उस पूरे गुस्सा में कंपन उत्पन्न होते जा रहा था यहां तक कि उस लाल ऊर्जा की दीवार पर भी कंपन उत्पन्न होते जा रही थी गर्व यह देख कर चौक गया उसने आज से पहले ऐसा मंत्रों का उच्चारण किसी को भी करते हुए नहीं देखा था कालीचरण अपने मंत्रों का लगातार उच्चारण करते जा रहा था थोड़ी देर बाद कालीचरण के पूरे शरीर में से बिजली उत्पन्न हो गई और वह बिजलियां उसके शरीर के बाहर भी निकलती जा रही थी पर कालीचरण ने अभी भी अपने मंत्रों के उच्चारण को बंद नहीं किया था वह उसे आवाज में लगातार मंत्रों का उच्चारण करते ही जाता है थोड़ी देर बाद कालीचरण का पूरा शरीर से बिजलीयो से घिर गया उसके आजू बाजू मौजूद सारे भेड़िया मानव कालीचरण से दूर हो गए क्योंकि वह बिजलियां कालीचरण के शरीर के बाहर भी निकलते जा रही थी और वह लाल ऊर्जा के दीवारों पर भी पडते जा रही थी कालीचरण के आसपास 30 मीटर के दायरे में कोई भी भेड़िया मानव खड़ा नहीं होता है कालीचरण के शरीर में उत्पन्न होते जा रही बिजली उसके तलवार में से प्रवाहित होकर उसके पक्षी के पेट के अंदर तक जा रही थी वह बिजली लगाकर उस पक्षी के पेट के अंदर जा रही थी पर वह पक्षी अभी भी बेहोश ही होता है पर उसका शरीर चमड़ी के अंदर से चमकते जा रहा था वह सारी बिजली उस पक्षी के शरीर से प्रवाहित होती जा रही थी ऐसे लग रहा ताकि उस पक्षी की प्राणशक्ति बिजली में ही बसती हो अचानक ही जहां पर कालीचरण ने अपने पक्षी के पेट पर तलवार गुसाईं होती है उसके आजू बाजू 10 मीटर के दायरे में एक बिजली का प्रवेश बना प्रवेश द्वार बनता है यह प्रवेश द्वार पूरा का पूरा चौकोनी आकार का होता है और यह उस पक्षी के पेट की चमड़ी पर बनता है कालीचरण अपनी नजर उस पक्षी पर से हटा कर भेड़िया मानव की तरफ कर देता है और जोर-जोर से दूसरे अलग मंत्रों का उच्चारण करने लगता है उनकी तरफ देखकर मंत्रों का उच्चारण करने से उन भेड़िया मानव पर एक अलग ही नशा सा छाने छाते जा रहा था वह सारे भेड़िया मानव अपना होश खोते जा रहे थे पहले तो वह सारे भेड़िया मानव चिल्लाते जा रहे थे और वह सारे भेड़िया मानव अपनी जगह पर शांति से खड़े हो गए थे वह ऐसे खड़े हो गए जैसे कि वह कोई एक मूर्ति हो अचानक वह भेड़िया मानव चलना शुरू कर देते हैं और कालीचरण की तरफ दौड़ना चालू कर देते हैं उस गुफा के पिछले दरवाजे के पार भी कई सारे भेड़िया मानव मौजूद थे पर उन पर इन मंत्रों का कोई भी असर नहीं पड़ा था वह पहले की तरह ही चिल्लाते जा रहे थे उस घायल पक्षी के आजू-बाजू खड़े सारे भेड़िया मानव कालीचरण के तरफ दौड़े जा रहे थे और वह सारे घायल पक्षी के पेट पर बने हुए बिजली के प्रवेश द्वार की तरफ भाग रहे थे गर्व को लगा कि उस प्रवेश द्वार पर जाते हैं वह सारे भेड़िया मानव मारे जाएंगे क्योंकि वह पूरा बिजली का बना हुआ होता है पर वह भेड़िया मानव मारे नहीं जाते बल्कि वह भेड़िया मानव उस बिजली से अपने प्रवेश द्वार पर जाकर गायब होते जा रहे थे उस बिजलीयो का उन भेड़िया मानव के शरीर पर तनिक भी प्रभाव नहीं पड़ रहा होता है यह सब कालीचरण के मंत्रों की ताकत का प्रभाव था उसने अपने मंत्रों से उस बिजली में जादू फैला दी थी जिसके वजह से उस बिजली से किसी को भी कोई भी नुकसान नहीं पहुंच रहा था पर वह सारे भेड़िया मानव बिजली की दीवार पर जाकर गायब होते जा रहे थे गर्व को समझ नहीं आ रहा था कि वह आखिर कहां गायब होते जा रहे थे तभी थोड़ी देर बाद घायल पक्षी का पूरा शरीर काले नीले रंग में चमकते जा रहा था जैसे कि वह पहले चमकते जा रहा होता है गर्व समझ गया कि कालीचरण अपने पक्षी को वापस जिंदा कर रहा है इन तांडव कबीले के लोगों का तंत्रज्ञान जादू शक्ति और जीवशास्त्र का ज्ञान देकर गर्व की आंखें आश्चर्य से बड़ी हो गई थी ऐसा उसने पहले कभी भी नहीं देखा था ना ही उसके पिछले जन्म में अगर भरतपुर राज्य जैसे छोटे से राज्य के हत्यारों के पास ऐसी ताकत हो सकती है तो इस दुनिया के बड़े राज्यों के पास कितनी ताकत हो सकती है इसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकता है तभी उसे चंद्रमुखी की बातें याद आती है यह तो बस शुरुआत है तुम्हारी असली परीक्षा तो यहीं से शुरू होती है इसके बाद वह अपनी तलवार पर अपनी पकड़ को बना लेता है अपना पूरा ध्यान कालीचरण के तरफ लगा देता है कालीचरण के पालतू पक्षी के शरीर में अभी भी बिजलीया लगातार प्रवाहित होते जा रही थी और उसका पूरा शरीर काले नीले रंग से चमक रहा होता है और वहां मौजूद सारे भेड़िया मानव उस बिजली के प्रवेश द्वार के अंदर लगातार जा रहे होते हैं जैसे-जैसे उस प्रवेश द्वार के पार जा रहे थे उस पक्षी के शरीर पर काले नीले रंग बढ़ते जा रहे थे ऐसा लग रहा था कि उन भेड़िया मानव के शरीर की शक्ति उस पक्षी को मिलते जा रही है अचानक उस पक्षी का शरीर हिलने लगता है उसके पंख धीरे-धीरे हिलने लगते हैं और वह अपने आंखों को खोलने का प्रयास करता है थोड़ी देर बाद वह जैसे ही अपनी आंखों को पूरा खुलता है उसकी आंखों में से फिर पहले की तरह बिजली प्रवाहित होते हुए दिखाई दे रही थी और वह पक्षी अब पूरी तरह से अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है पर कालीचरण ने उसके पेट में से अपनी तलवार को अभी भी नहीं निकाला था वह अपने दोनों तलवारों को पकड़कर लगाकर मंत्रों का जाप करते ही जा रहा था उसके आजू बाजू मौजूद सारे भेड़िया मानव उस बिजली के प्रवेश द्वार पर जाकर गायब होते जा रहे थे उनकी संख्या लगातार कम होती जा रही थी उस गुफा में मौजूद सारे भेड़िया मानव वहां से गायब होकर उस पक्षी के शरीर के अंदर समाते जा रहे थे और उस पक्षी की शारीरिक शक्ति लगातार बढ़ते ही जा रही थी उसके पैरों के नाखून पहले से काफी बड़े हो गए थे उसने जिस जगह पर अपने पैर रखे हुए थे वह जगह लोहे से बनी हुई थी और उसके पैर के नाखून खड़े-खड़े ही उस लोहे के अंदर चले गए थे उसके पंखों का आकार लगातार बड़ा हो रहा था और वह भी काले नीले रंग में चमकते जा रहे थे वहां मौजूद सारे भेड़िया मानव प्रवेश द्वार में जाकर वहां से गायब हो गए थे वहां एक भी भेड़िया मानव नहीं बचा था इसके बाद कालीचरण ने मंत्रों के उच्चारण करना बंद कर दिया और अपनी पूरी शक्ति से अपने दोनों तलवारों को उसके पेट के बाहर निकाल दिया जिसके कारण वह बिजली का प्रवेश द्वार भी एक सेकंड में गायब हो गया अब उस पक्षी का पूरा शरीर बिजलियो से चमकते जा रहा था उसका पूरा शरीर काले नीले रंग से चमकते जा रहा था यहां तक कि उसके शरीर से से बिजली की चिंगारियां उड़ते हुए बाहर आ रही थी