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साथ में उन्होंने गर्व केंद्रीय सत्ता का अधिकारी बनने के कैसे योग्य है यह भी उन अधिकारियों को बताना चालू किया उन्होंने यह भी बताया कि कैसे बिकट और मुश्किल परिस्थितियां होने के बावजूद भी गर्व ने हार नहीं मानी जैसे कि बाकी सैनिकों ने मानी थी और अपने शूरवीर और पराक्रम से गर्व ने सारी मुश्किलों का सामना किया इस वक्त गर्व अपनी तारीफ सुनते हुए काफी खुश हो गया था पर वह सैनिक लगातार गर्व की तारीफ करते ही जा रहे थे वही वही एक ही एक चीजों के बारे में सुनते सुनते गर्व काफी पक चुका था ऐसा नहीं था कि गर्व खुद की तारीफ सुनना पसंद नहीं है पर वह एक ही एक चीज को हजार बार नहीं सुन सकता है उसने झट से विषय को बदलते हुए अधिकारी आकाश सिंह से कहा अगर अपने राज्य के लोगों को पता चला कि राजा वीर प्रताप सिंह उन हत्यारों के साथ लड़ाई में घायल हो चुके थे और मैंने यानी गर्व ने लड़ाई करने का नेतृत्व किया है तो उन लोगों की प्रतिक्रिया अच्छी नहीं हो सकती है सारे लोगों का मेरे बारे में पहले से ही बुरी सोच है वह मानते हैं कि मैं एक तांडव काबिले का हत्यारा हू और मेरे ही कारण इन हत्यारों ने हमारे राज्य पर हमला किया है और इसके बाद हमारे राज्य में दंगे भी हो सकते हैं यह सुनकर राजा वीर प्रताप सिंह के कान खड़े हो गए यह तो उनके लिए एक बेज्जती के जैसे था पर यही सच होता है अगर गर्व वहां पर मौजूद नहीं होता तो राजा वीर प्रताप सिंह अभी जिंदा नहीं होते उनकी जान को तो कालीचरण से गर्व ने हीं बचाया था साथ ही वहां मौजूद सारे लोह मानव के साथ राजा के पक्षी की भी जान को गर्व ने हीं अपनी अच्छी योजनाओं से बचाया था यह सुनकर राजा वीर प्रताप सिंह अधिकारी आकाश सिंह के पास आ गए और उन्होंने उससे कहा यह सच है अगर राज्य की जनता को यह बात पता चल गई तो वह सारे इस बात को हजम नहीं कर पाएंगे और हमारे राज्य में अभी भी बहुत सारे तांडव कबीले के जासूस है जिनके बारे में हमे अभी भी पता नहीं है वह सब मिलकर हमारे राज्य में दंगों को जानबूझकर भड़का सकते हैं यह सुनकर वहां मौजूद सारे के सारे लोग गंभीर हो गए वहां मौजूद सारे के सारे सैनिकों ने गर्व की तारीफ करना बंद कर दिया था अब जाकर गर्व को सुकून मिला उसको शांति मिल गई नहीं तो यहां मौजूद सारे सैनिक उसकी जिंदगी भर तारीफ ही करते रह जाते अपनी तारीफ सुनते सुनते गर्व को चक्कर ही आ जाती और वह चक्कर आ कर बेहोश हो जाता है ऐसा नहीं था कि गर्व को अपनी तारीफ सुनना पसंद नहीं है पर एक ही बात को वह हजार बार नहीं सुन सकता था किसी का भी भक्त होना बुरी बात नहीं है पर अगर भक्ति एक सीमा के पास चली जाए तो भक्ति नही अंधभक्ति कहलाती है और ऐसे अंधभक्त लोग सच्चाई को आसानी से देख नहीं सकते हैं यह बात तो सच होती है कि भरतपुर राज्य में अभी भी कई सारे तांडव कबीले के जासूस मौजूद है जो कि राज्य में गर्व के बारे में नकारात्मक विचारों को फैला सकते हैं और दंगों को भी भड़का सकते हैं उसे तो पता भी नहीं था कारागार में भी कोई जासूस मौजूद हो सकता है और वह और कोई नहीं बल्कि मंदार ही होता है जिस पर गर्व ने अपनी आंखें मूंदकर भरोसा किया था कारागार के बाद तो वह मंदार गर्व को कहीं पर भी दिखाई नहीं दिया था था गर्व को लगा कि मंदार उसे उस तांडव कबीले के हत्यारों की गुफा में मिलेगा और वह तो वहां भी कहीं पर भी दिखाई नहीं दिया वह जरूर ही राज्य में रहकर गर्व के खिलाफ कुछ ना कुछ साजिश रच रहा होगा या फिर वह राज्य में से भाग भी गया होगा राजा की बातों को सुनकर अधिकारी आकाश सिंह गंभीर हो गया यह बात तो सच है कि राज्य के लोगों के लिए इस बात को पचा पचा पाना बहुत ही मुश्किल होगा कि गर्व ने राजा के साथ साथ बाकी के सैनिकों की जान बचाई है और उन तांडव कबीले के हत्यारों का रात भर सामना भी किया वह थोड़ी देर सोचे रहता है और फिर से कहता है हमें किसी को भी कुछ भी बताने की कोई जरूरत नहीं है यह बात हम तक ही रहेंगे चाहिए कि गर्व ने युद्ध के मैदान में सब की जान बचाई है हम सारे लोग किसी को भी कुछ भी नहीं बताएंगे और हम इस युद्ध की जीत के सारे श्रेय को राजा वीर प्रताप सिंह को दे देंगे यही भरतपुर राज्य की जनता के लिए भला है क्या इससे तुम्हें कोई आपत्ति तो नहीं है गर्व अधिकारी आकाश सिंह ने गर्व की तरफ देखते हुए पूछ इस वक्त वहां मौजूद सारे अधिकारी सैनिक राजा वीर प्रताप सिंह गर्व की तरफ देखे जा रहे थे क्योंकि एक नाइंसाफी होती है पूरे युद्ध को अपनी जगह पर किसी दूसरे को देना यह सच में बहुत बड़ी नाइंसाफी होती है जब आकाश सिंह ने गर्व से पूछा था तब गर्व ने 1 सेकंड का विलंब नहीं करते हुए झट से हां में जवाब दे दिया गर्व को इतनी जल्दी जवाब देते हुए देखकर वहां मौजूद सारे लोगों को गर्व के प्रति आश्चर्य होने लगा क्योंकि कोई भी आदमी इतने बड़े श्रेय को दूसरे को नहीं देता और वह भी इतनी आसानी से यह देखकर उन सारे लोगों के मन में गर्व के प्रति आदर भी बढ़ गया भरतपुर राज्य की जनता की भलाई के लिए गर्व ने पूरे श्रेय को राजा वीर प्रताप सिंह को दे दिया इसके लिए सच में काफी बड़े दिल की जरूरत होती है राजा प्रताप सिंह को भी बुरा लग रहा था क्योंकि उन्हें सारे श्रेय को अपने ऊपर ले कर अच्छा नहीं लग रहा था उनकी गर्व ने ही जान बचाई होती है और उनके साथ साथ उन सारे लोह मानवो के साथ-साथ राजा के पक्षी की भी गर्व ने जान बचाई थी फिर राजा प्रताप सिंह ने गर्व के कंधों को थपथपाया और उससे कहा गर्व मुझे मालूम है कि तुम्हारे साथ बहुत बुरा हो रहा है पर तुम उसकी चिंता मत करो मेरे ही कारण राज्य की जनता के मन में तुम्हारे बारे में गलत विचार उत्पन्न हुए हैं अब मेरे ही कारण राज्य की जनता में तुम्हारे बारे में अच्छे विचार उत्पन्न हो जाएंगे बहुत सारे लोग तुम्हें खलनायक की नहीं बल्कि नायक के तौर पर देखेंगे हमारे राज्य में पहुंचते ही मैं दूसरे दिन एक भव्य सत्कार समारंभ आयोजित करूंगा और मैं यह घोषणा करूंगा तुमने उन हत्यारों के साथ लड़ते हुए सर्वोच्च वीरता का प्रदर्शन किया है और तुम्हें पूरे राज्य की जनता के सामने सम्मानित भी करूंगा यह सुनकर गर्व ने राजा वीर प्रताप सिंह के सामने अपना सिर झुका लिया धन्यवाद राजा वीर प्रताप सिंह मैं आपका एहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगा गर्व को अपने सामने सिर को झुका दे झुकाता देख राजा ने गर्व को कंधे से पकड़ कर उठा लिया कहां अरे तुम्हारी जगह नीचे नहीं ऊपर है इतना कह कर उन्होंने गर्व को अपने सीने से लगा लिया यह देखकर वहां मौजूद सारे सैनिकों के आंखों में आंसू आ गए कुछ देर तक राजा ने गर्व को अपने सीने से लगाए रखा और थोड़ी देर बाद उन्होंने उसे अलग अलग कर दिया राजा प्रताप सिंह के प्रति मन में गर्व के प्रति सच में आदर के भाव निर्माण हो गए थे सच कहो तो गर्व को श्रेय लेने में कोई भी मतलब नहीं होता है वह तो सारे श्रेय को तो वह अपने जूते की नोक पर रखकर उसको गेंद की तरह लात मार सकता है उसका असली मतलब तो उसके पिछले जन्म की सच्चाई जानने में होती है अगर वह केंद्रीय सत्ता का अधिकारी बनने में कामयाब रहता है तो उसे केंद्रीय सत्ता के अधिकारियों के साथ साथ केंद्रीय सत्ता कैसे काम करती है इसके बारे में भी जानने को मिल सकता है यह वही केंद्रीय सत्ता होती है जिसको उसके पिछले जन्म का भाई यानी कि अश्वद नियंत्रित कर रहा होता है वह सारे दुनिया में मौजूद केंद्रीय सत्ता को नियंत्रित करता है और उसका ही इस पूरी दुनिया में राज चलता है उसे तो किसी भी श्रेया ब्रिय से कोई मतलब नहीं होता है उसे तो इसी बात से मतलब होता है कि उसे इतना ताकतवर बनना है कि वह इस दुनिया का बड़े से बड़ा खतरों से मुकाबला कर सके वह केंद्रीय सत्ता कार्यकारी बनने जा रहा है यही उसके लिए बड़ी बात होती है फिर गर्व ने के अधिकारी आकाश सिंह से कहा अगर मैं इस वक्त राजा वीर प्रताप सिंह और केंद्रीय सत्ता के अधिकारियों के साथ राज्य की जनता के सामने जाऊंगा तो राज्य की जनता के मन में काफी नकारात्मक विचार उत्पन्न ना हो जाएंगे और इससे गलत संदेश भी जा सकता है इसलिए मुझे लोह मानव के कवच के अंदर चले जाना चाहिए जिससे कि किसी को शक भी नहीं होगा और सारे श्रेय राजा वीर प्रताप सिंह को मिल जाएगा सही बात है तुम तो सच में बहुत दूर की सोचते हो तुम तो आने वाली परिस्थिति का अंदाज लगा लिया इसके बारे में तो मेरे मन में भी ख्याल नहीं आया मुझे तो बाकी सैनिकों की बातों पर अभी तक यकीन नहीं हो रहा था पर अब मुझे उन पर यकीन हो रहा है हम भरतपुर राज्य की सीमा पर पहुंचने वाले हैं इससे पहले कि तुम्हें लोह मानव के कवच के अंदर प्रवेश कर लेना चाहिए इतना कहकर उसने राजा वीर प्रताप सिंह को पक्षी को नीचे जमीन पर लाने को कहा फिर राजा ने अपने पक्षी को जमीन पर लेकर गया उस पक्षी के पीछे पीछे नीचे से लोह मानव अभी भी आ रहे होते हैं उस पक्षी के नीचे उतरते ही उन लोह मानव को आश्चर्य हुआ उन्हें लगा कि राजा को कोई जरूरी काम आ गया हो इसलिए वह पक्षी नीचे जमीन पर आया है उस पक्षी के नीचे उतरते ही वहां से सिर्फ अधिकारी आकाश ही नीचे उतरे और वह उन लोगों की तरफ जाकर लोह मानव की तरफ जाकर उनसे कहा मेरे शूरवीर सैनिकों राजा वीर प्रताप सिंह को तुम लोगों से एक जरूरी काम आ गया है उनको तुम में से सिर्फ एक ही सैनिक की उन्हें जरूरत है बोलो तुम में से कौन राजा वीर प्रताप सिंह की मदद करने के लिए आगे आएगा यह सुनकर सारे लोह मानव एक दूसरे के चेहरे की तरफ देखने लगे राजा प्रताप सिंह को कुछ काम था तो वह खुद भी उनसे कह सकते थे ऐसे अधिकारी आकाश सिंह को उनके पास भेजने की कोई जरूरत नहीं थी उन्हें थोड़ा शक होने लगा तभी उन लोगों में से एक ने अपना हाथ ऊपर उठा लिया और ऊंची आवाज में कहा भरतपुर राज्य के लिए मेरी जान भी कुर्बान है बोलो राजा का मेरे लिए क्या आदेश है यह सुनकर अधिकारी आकाश सिंह खुश हो गया उसने उससे कहा राजा वीर प्रताप सिंह तुम्हें खुद ही बता देंगे तुम राजा के पास जाओ वह तुम्हे खुद ही सब कुछ समझा देंगे और एक बात राजा वीर प्रताप सिंह का यहां मौजूद सारे लोह मानव के लिए आदेश है कि कोई भी सैनिक राज्य में जाने के बाद किसी भी राज्य के नागरिक के साथ बाते नहीं कर सकता है यहां तक कि वह अपने परिवार के लोगों से भी बातें नहीं कर सकता या फिर उनसे मिल नहीं सकता