वहा मौजूद किसी को भी कुछ समझ में नहीं आया और ना ही किसी को कुछ दिखाई दिया जब तक उनको कुछ समझ में आता या फिर दिखाई देता उससे पहले ही वहा की सारी यंत्र सामग्री गायब हो चुकी थी और साथ में उस पक्षी का सिर भी गायब हो चुका था गर्व ने उन सब को चुरा के जल्दी से राज महल के बाहर आ गया वह देखता है कि इस वक्त पूरे राजमहल को फिर से नीली ऊर्जा के सुरक्षा कवच से ढकने की तैयारी हो रही है और साथ ही केंद्रीय सत्ता के अधिकारी भी अपने तीर धनुष और तलवार लेकर तैयार हो गए हैं क्योंकि वह विषाणु पूरे शहर में फैलते जा रहा था और वह राजमहल की तरफ भी बढ़ते जा रहा था राजमहल में पहले से ही राजा के सारे रिश्तेदार और राज्य के अमीर लोग और सारे ऊंचे पद के लोग पहले से ही जमा हुए थे साथ में राजा वीर प्रताप सिंह इस वक्त राजमहल में पहुंच गए थे वह केंद्रीय सत्ता के अधिकारी अगर जरूरत पड़े तो राजमहल को छोड़कर पूरे भरतपुर राज्य को अग्नि की भेंट में चढ़ा देंगे वह राजमहल का सुरक्षा लगातार करते जा रहा थे इससे पहले कि वह सुरक्षा कवच पूरा बन जाए इससे पहले ही गर्व को इसके बाहर निकल जाना चाहिए नहीं तो वह यही फस कर रह जाएगा और उसे खड़े-खड़े कई निष्पाप और मासूम लोगों को मरते हुए देखना पड़ सकता था गर्व को भले ही इस जन्म में अपने लक्ष्य को पाने के अलावा कोई दूसरा लक्ष्य नहीं था पर वह किसी निष्पाप और मासूम लोगों को मरते हुए नहीं देख सकता है उसने फिर से अपने गति मंत्र का इस्तेमाल किया और राज महल के बाहर निकल गया उसकी गति इस समय इतनी तेज थी कि उसे कोई भी वहां मौजूद लोग देख नहीं पाए सिर्फ उन्हें एक आकृति आज राज महल के बाहर जाते हुए दिखाई दी थी पर वह क्या था यह वह समझ नहीं पाए ताजमहल के बाहर आकर गर्व एक ऊंची इमारत की छत पर आ गया उसने चारों तरफ नजर दौड़ाई तो उसने देखा पूरे भरतपुर राज्य में भगदड़ का माहौल फैला हुआ था इस शहर में मौजूद हर आदमी शहर के बाहर भागने की कोशिश करते जा रहा था और इसी की वजह से वह विषाणु पूरे शहर में हर तरफ फैलते जा रहा था फिर गर्व ने उस ऊंची छत पर अपने स्टोरेज रिंग में से उस पक्षी के सिर को निकाला इस पक्षी का सिर 4 मीटर बड़ा था और यहां पर मृत पड़ा होता है फिर गर्व ने अपने स्टोरेज रिंग में से कुछ यंत्रों को बाहर निकाला इनको उसने राजमहल से चुराया था इन यंत्रों की मदद से बिजली को उत्पादित किया जा सकता था कि इन यंत्रों को गर्व ने उस पक्षी की सिर के अंदर ऐसा लगाया कि इन यंत्रों के उर्जा उस पक्षी के सिर में प्रवाहित होती जाए और वह ऊर्जा ऐसे प्रवाहित हो रही थी कि उस पक्षी का सिर्फ गला ही काम करें सिर का बाकी हिस्सा शांत रहे फिर गर्व ने उन यंत्रों को चालू कर दिया उनके चालू होते ही उस पक्षी के कटे सिर ने बहुत जोर से चिल्लाया गर्व को उसके कारण उसके सिर के पीछे छिपना पड़ा इस वक्त भरतपुर राज्य के राजधानी के शहर की एक चौथाई आबादी मृत्यु को प्राप्त हो चुकी थी कई सारे लोग राजमहल की तरफ भी अपनी जान बचाने के लिए भागे जा रहे थे राज महल के बाहर खड़े केंद्रीय सत्ता के अधिकारियों ने उन्हें मार डाला जो कोई भी राज महल के करीब आने की कोशिश करना करता उन्हें वह अधिकारी अग्नि देवता की भेंट चढ़ा देते राजमहल के चारों तरफ अग्नि का साम्राज्य फैला हुआ था फिर गर्व ने किसी भी चीज का इंतजार नहीं करते हुए उस इमारत की छत से नीचे छलांग लगाई उसने अपने दोनों हाथों में उस पक्षी के सिर को उठा कर रखा था गर्व को कहीं पर भी भगदड़ मची हुई थी तो दिखती तो उस जगह के सामने पक्षी के सिर को घुमा देता और उसमें लगे यंत्रों को चालू कर देता यंत्रों के चालू होते ही उस पक्षी के सिर में से बिजली प्रभावित होती और उस पक्षी का सिर्फ का मुंह का हिस्सा काम करता है और वह जोर से चिल्लाता था उसकी चिल्लाने की आवाज बहुत ही तेज होती है उसकी आवाज के सामने वह दूषित रक्त आते ही जो की हवा में चारों तरफ फैलते जा रहा था उस पक्षी की आवाज के तरंगों के कारण साफ होते जा रहा था और इस दूषित रक्त में मौजूद विषाणु मारे जा रहे थे और अगर साफ हुआ खून किसी दूसरे के शरीर के त्वचा में गिरता तो उस आदमी को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचता वह सुरक्षित रहता उसके शरीर में कोई भी बदलाव नहीं होता जिंदा रहता गर्व को तो पहले यकीन नहीं था की उसकी यह तरकीब काम करेगी पर यह आखिर में काम कर गई वह राज्य की जनता जैसे ही देखते कि उनके शरीर पर दूषित खून गिरने के बाद भी वह जिंदा है तो वह भगवान का शुक्रिया करने लग जाते उनको लग रहा था भगवान ने खुद ही उनकी जान बचाने के लिए किसी फरिश्ते को उनके पास भेजा है गर्व फिर पूरे शहर में घूम घूम कर इस पक्षी के आवाज को शहर में मौजूद हर एक लोगों के शरीर पर डाल रहा था इस वक्त पूरे शहर के आधे लोग मारे जा चुके थे पर गर्व ने अपनी पूरी शक्ति का इस्तेमाल कर दिया उसने गति मंत्र के साथ-साथ उसने अपने शारीरिक मानसिक और जादुई शक्ति भी डाल दी और वह उस पक्षी के सिर को लेकर पूरे शहर में घूमने लगा वह शहर के हर इमारत की हर कोने में शहर के चप्पे-चप्पे में इस पक्षी की आवाज को पहुंचाने लगा पूरे शहर में मौजूद लोगों को जैसे ही पता चला कि इस पक्षी की आवाज की सीमा में आते ही विषाणु नष्ट हो जाता है वह सारे इस आवाज का खुद से पीछा करने लगे और इससे गर्व का काम और आसान हो गया वह सारे के सारे एक जगह पर जमा होने लगे और गर्व ने उस पक्षी की आवाज को वहां मौजूद सारे लोगों के शरीर के ऊपर गिराता क्योंकि गर्व इस वक्त लोह मानव के अंदर मौजूद होता है इसलिए उसके शरीर पर खून का कोई भी असर नहीं पड़ रहा था राज महल की ओर अपनी जान बचाकर भागने वाले लोग राजमहल की तरफ नहीं जाकर उस पक्षी की आवाज की तरफ भागने लगे राज महल के बाहर मौजूद केंद्रीय सत्ता के अधिकारियों को इस बात का आश्चर्य होने लगा कि यहां मौजूद सारे लोग कहा भागे जा रहे हैं राजमहल में मौजूद राजा वीर प्रताप सिंह भी सारी परिस्थिति पर अपनी नजर बनाए हुए थे इस वक्त उनकी आंखों में आंसू आ गए थे इतने सारे लोगों की एकदम से हत्या होते हुए देखकर उनका दिल टूट गया था यह किसी और की नहीं बल्कि उन्हीं के राज्य के लोग थे जो कि मारे जा रहे थे पर वह इस वक्त सब कुछ देखने के अलावा कुछ भी नहीं कर नहीं सकते थे क्योंकि केंद्रीय सत्ता से ऐसा सख्त आदेश होता है कि इस दुनिया में कहीं पर भी किसी भी जगह पर महामारी फैलती है तो उन लोगों पर कोई भी दयामया नहीं दिखाते हुए मार दिया जाता है पर वह इस वक्त अपने राज्य के लोगों की मदद करना चाहते थे पर वह केंद्रीय सत्ता के आदेश मजबूर थे यहां का पूरा जिम्मा अधिकारी आकाश सिंह के साथ बाकी के केंद्रीय सत्ता के अधिकारियों ने संभाला हुआ था अधिकारियों ने जैसे ही देखा कि यहां पर मौजूद लोग राजमहल में ना आकर उल्टी दिशा में भागे जा रहे हैं उन्हें इसका बड़ा ही आश्चर्य हुआ उन्होंने तुरंत ही इस बात की सूचना अधिकारी आकाश सिंह को दे दी और साथ ही राजा प्रताप सिंह को भी इस बात की सूचना मिली अधिकारी आकाश सिंह ने अपने दो अधिकारियों को उन लोगों के पीछे पीछे जाकर उनका सावधानी से पीछा करने की आज्ञा दी उन अधिकारीओ ने तुरंत इस बात का अमल किया और 2 अधिकारियो ने तलवार लेकर उन दोनों का पीछा करन चालू कर दिया फिर अधिकारी आकाश सिंह ने गर्व के आंगरक्षक अधिकारी को बुलाने का आदेश दिया क्योंकि इस वक्त गर्व की सुरक्षा करना बहुत ही जरूरी था जिसको भी केंद्रीय सत्ता के अधिकारियों की परीक्षा के लिए चुना जाता उसकी सुरक्षा करने की जिम्मेदारी केंद्रीय सत्ता के अधिकारियों की ही होती अगर वह अधिकारी उस उम्मीदवार की सुरक्षा करने में असफल हो जाता तो उस अधिकारी को दंडित भी किया जाता किसी किसी अधिकारियों को तो केंद्रीय सत्ता की तरफ से मृत्युदंड दिया गया है उस अंगरक्षक ने रोते-रोते कहा वह तो राज्य के प्रांगण में ही था और वह हमारे अधिकारी के छोड़े हुए तीर के पीछे भागा था अगर मैं वहां से जल्दी से सुरंग में प्रवेश नहीं करता तो मैं वही पर मारा जाता ओ शीट अधिकारी आकाश सिंह ने चिल्लाते हुए कहा फिर उसने वहां मौजूद सारे के सारे केंद्रीय सत्ता के अधिकारियों को जमा किया और उनमें 5 लोगों को राज महल में रखकर बाकी के सारे लोगों को भरतपुर राज्य में गर्व को ढूंढने के लिए भेज दिया और उसने यह भी कहा कि जरूरत पड़े तो राज्य के सारे लोगों को मार दो पर किसी भी हालत में किसी भी परिस्थिति में उन्हें गर्व जिंदा सही सलामत चाहिए उनके साथ राजा वीर प्रताप सिंह भी मौजूद थेवह इस वक्त कुछ भी नहीं कर सकते थे क्योंकि इस वक्त उनके राज्य की पूरी रक्षा करने की जिम्मेदारी उन केंद्रीय सत्ता के अधिकारियो के हाथ में थी उन्होंने जैसे ही सुना कि राज्य में मौजूद सारे लोगों को मार दिया जाए वह तो रोते हुए गिर पड़े उनको उनके रिश्तेदारों ने संभाला पर वह इस वक्त कुछ भी नहीं कर सकते थे वह अधिकारी आकाश सिंह बाकी के अधिकारियों के राजमहल में मौजूद होते हुए राजा से भी कहीं ज्यादा ताकतवर थे वह चाहे तो इसी वक्त राजा के साथ इस राज महल में मौजूद सारे लोगों को मार डाल सकते हैं दूसरी तरफ गर्व लगातार उस पक्षी की आवाज को शहर के हर गली मोहल्ले रास्ते पर घुमाते जा रहा था भले ही उसकी आवाज से कई सारे लोगों के कान खराब हो चुके थे पर वह जिंदा बच गए थे सारे लोग फिर से शहर के प्रांगण में जमा होने लगे थे वह प्रांगण जैसे ही लोगों से भर गया गर्व ने उन लोगों पर उस पक्षी की आवाज को फैला दिया और कई सारे लोग मरते मरते बच गए वहा मौजूद कई सारे लोगों की नसे फूल चुकी थी पर उनकी नसें फटने के पहले ही गर्व ने उनपर पक्षी की आवाज को गिरा दिया इस वक्त पूरे शहर की आधी जनता मारी गई थी और जो भी आधी जनता बची थी वह सारी शहर के प्रांगण में जमा हो गई थी गर्व इस वक्त प्रांगण के रंगमंच पर खड़ा होता है वह पूरे शहर के गली मोहल्ले में घूम कर बहुत थक चुका था इस शहर की पूरी आधी जनता मंदार के छोड़े हुए विषाणु की वजह से मारे गए थे और जो कोई भी बचे हुए थे वह सारे के सारे इस वक्त इस प्रांगण में जमा हुए थे वह सारे गर्व के तरफ देखे जा रहे थे गर्व इस वक्त रंगमंच पर खड़ा होता है जो कि इस प्रांगण की आगे की तरह बना होता है उसने उस पक्षी के सिर को अपने बाएं बाजू में फेंक दिया था और वह उसी सुरंग से बाहर से वहां से बाहर जाने की तैयारी में था जिस सुरंग से राजा वीर प्रताप सिंह और बाकी के केंद्रीय सत्ता के अधिकारी यहां से बाहर सुरक्षित निकल चुके थे क्योंकि गर्व इस वक्त एक लोह मानव के कवच के अंदर मौजूद होता है इसलिए वहां मौजूद कोई भी गर्व का चेहरा नहीं देख पा रहे थे