वहां मौजूद सारे लोगों के मन में यह जिज्ञासा जाग उठी कि यह कौन सा फरिश्ता है जिसने आज उनकी जान बचा ली वह उस पर फरिश्ते का नाम जानना चाहते थे गर्व जैसे ही उस सुरंग के अंदर जाने वाला था वहा मौजूद एक आदमी ने चिल्लाकर ऊंची आवाज में गर्व से कहा क्या हम सब को बचाने वाले फरिश्ते का नाम जान सकते हैं गर्व वहां से जाने ही वाला होता है पर जैसे ही उसने यह सवाल सुना वह अपनी जगह पर ही रुक गया और उन लोगों के सामने गया और उनसे पूछा क्या तुम लोगों में अपने फरिश्ते का नाम जानने का साहस है वह मौजूद सारे लोगों ने एक स्वर में कहा हां हम सब हमारे फरिश्ते को जानना चाहते हैं उनके इतना कहते ही गर्व ने अपने लोह मानव के कवच को अंदर से खोल दिया और और वह अपने कवच के बाहर निकल गया गर्व को देखकर वहां मौजूद सारे लोग सन्न रह गए यह वही गर्व था जिसके बारे में उन्होंने मारो मारो गर्व को मारो के नारे दिए थे उन्हें यकीन नहीं हो रहा था इसी गर्व ने उन सब की पूरे शहर में अकेले के दम पर जान बचाई है फिर वहा मौजूद एक आदमी ने ऊंची आवाज में चिल्ला कर कहा जो कोई भी हो पर आप हमारे फरिश्ता है भगवान ने आपको हमारे लिए ही भेजा है जब राज्य के राजा ने हमारी मदद करने से इंकार कर दिया और लोगों को जलाकर मरना चालू किया तो आपने ही पूरे शहर में अकेले घूम कर हम सब लोगों की जान बचाई है हम आपके सामने झुकते हैं इतना कहकर उस आदमी ने अपनी अपना सिर गर्व के सामने झुका कर जमीन पर नीचे टिका दिया उसका अनुसरण करते हुए बाकी के लोगों ने भी गर्व के सामने अपने सिर को नीचे के तरफ करते हुए जमीन पर टिका दिया गर्व के सामने इस वक्त 500000 लोगों की भीड़ जमा हुई थी उन्होंने बारी-बारी करते हुए गर्व के सामने अपने सिर को जमीन पर टिका दिया उस वक्त वहां पर केंद्रीय सत्ता के अधिकारी पहुंच गए वह अपने सामने का नजारा देखकर दंग रह गए वहां पर उन लोगों को मारने आए थे पर उन्होंने देखा कि गर्व उचाई पर रंगमंच पर अपने हाथ को पीछे करके खड़ा हुआ है उसके सामने 500000 की भीड़ अपने सिर को जमीन पर टिका कर बैठी हुई है इस वक्त गर्व किसी भगवान की तरह लग रहा था जिसके सामने उसके भक्त अपना शीश झुका कर बैठे हुए हैं यह नजारा देखकर तो अपनी वह अपनी जगह पर ही रुक गए उनके पीछे-पीछे और भी केंद्रीय सत्ता के अधिकारी पहुंच गए वह भी अपने सामने इस नजारे को देखकर दंग रह गए उन्होंने देखा कि कैसे पूरे राज्य की जनता एक किशोर युवक के सामने अपना शीश झुका कर बैठे हैं उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था कि वह एक किशोर युवक को अपना भगवान मानते हैं और वह उसकी पूजा करते हैं उन सब को अपने सामने शीश झुकाते हुए देखकर गर्व ने उची आवाज में उन लोगों से कहा आप सब को मेरे सामने अपना शीश झुकाने की कोई जरूरत नहीं है मैं कोई भगवान नहीं हु जो आप मेरे सामने अपना सिर झुकाए मैं तो बस एक किशोर युवक हु जिसने आप सब की जान बचाई है आप सबको भगवान का धन्यवाद करने की जरूरी है जिसने आज मुझ में इतना साहस पैदा किया कि मैं उस विषाणु का सामना कर सकूं और तुम सब लोगों की जान बचा सकू यहां मौजूद लोग अपने पैरों पर खड़े हो जाओ और अपने अपने घर जाकर अपना काम करने लग जाओ क्योंकि भगवान हमेशा उन्ही का साथ देता है जो कि कोशिश करना जानता है ना कि उनका जो कि अंधभक्ति करना जानते हैं इसलिए आप सभी अपने घर जा सकते हैं नहीं नहीं वह भगवान कोई भी हो हमें फर्क नहीं पड़ता हमारे लिए तो आप ही भगवान है वहां मौजूद एक आदमी ने कहा गर्व समझ गया कि इन लोगों को वह कितना भी समझाएं पर यह लोग उसकी एक भी बात को मानने वाले नहीं है इसलिए वह वहां पर मौजूद केंद्रीय सत्ता के अधिकारियों की तरफ बढ़ने लगा और उनके बीच में शामिल हो गया उन अधिकारियों ने अपने हाथों में तलवार पकड़ी हुई थी उनके तलवार में से अग्नि प्रज्वलित होते जा रही थी उन अधिकारियों के बीच में जाने के कारण वहां मौजूद कोई भी लोग गर्व के करीब नहीं आ पा रहे थे क्योंकि उनके मन में उन अधिकारियों का डर बैठा हुआ था फिर भी वह गर्व के पीछे पीछे अधिकारियों का पीछा करते जा रहे थे वह सारे राजमहल की तरफ गए राज महल के नीचे सुरक्षा कवच के घेरे के अंदर चले पर उस घेरे के पर वह अभी भी हाथ जोड़े खड़े हुए थे गर्व उन अधिकारियों के साथ राजमहल के अंदर चला गया राजमहल में मौजूद सारे लोग को गर्व को घूर घूर के देखे जा रहे थे उनको देखकर ऐसा लग रहा था कि वह इस वक्त गर्व को खा ही जाएंगे गर्व इस वक्त लोह मानव के कवच के अंदर नहीं था इसलिए गर्व के चेहरे को वहां मौजूद सारे लोग घूर घूर के देखे जा रहे थे यह बात राज महल में भी सारे लोगों को पता चल गए कि गर्व ने ही पूरे भरतपुर राज्य की जनता को उस घातक विषाणु से बचाया है जिसको मंदार ने वहां पर फैलाया था उनको इस बात की खुशी नहीं थी कि सारे राज्य की जनता की प्राण बच गए थे बल्कि उनको इस बात का दुख होता है कि यह काम राजा वीर प्रताप सिंह ने नहीं किया बल्कि इस काम को एक किसी किशोर युवक ने कर दिया है खास करके जो कोई भी महाराज के रिश्तेदार लोग मौजूद थे वह तो बहुत ही गुस्सा हुई थे वह राजा के रिश्तेदार होते हैं इसलिए उन्हें उन्हें राज्य के बड़े पद पर आराम से बैठ गए थे और सुखविलास और चैन की जिंदगी बिता रहे होते हैं पर क्योंकि इस वक्त गर्व ने राज्य के पूरे लोगों की जान बचाई होती है इसलिए जाहिर था कि राजा वीर प्रताप सिंह को अपने राजा के पद से केंद्रीय सत्ता के द्वारा जबरदस्ती हटा दिया जाएगा और उनकी जगह राजा के पद पर इस किसी मामूली आश्रम की किशोर युवक को दे दिया जाएगा और अगर ऐसा होता तो उन्होंने जो पद बिना किसी योग्यता और मेहनत के मिला हुआ था वह उनसे एक झटके में ही इस किशोर युवक के हाथों से छीन लिया जाता उन्हें इस बात की बिल्कुल भी फिकर नहीं होती है कि राज्य के लोगों के प्राण बचे या जाए उन्हें से सिर्फ अपने पद की और सुखचैन की फिक्र पड़ी होती है वह तो अभी इस वक्त गर्व को मार डालना चाहते थे इस वक्त गर्व के आजू-बाजू चारों तरफ ताकि केन्द्रीय सत्ता के अधिकारियों का सुरक्षा घेरा बना हुआ होता है और कोई भी गर्व के करीब नहीं जा सकता था पर वहां मौजूद राजा के कुछ रिश्तेदारों का अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रहा और वह तलवार लेकर गर्व की तरफ दौड़ पड़े पर वहां मौजूद एक अधिकारी ने अपनी तलवार की नोक उनके ऊपर घुमा दी और उसकी तलवार की नोक में से आग निकल कर उन रिश्तेदारों के ऊपर गिर गई और वह चिल्लाते हुए अपनी जगह पर ही मार गए उसके बाद वहां मौजूद किसी की भी गर्व की तरफ बढ़ने की हिम्मत नहीं हुई पर उन अधिकारियों के साथ एक आदमी भी उनके बाजू से चलते जा रहा था वह गर्व की तरफ देखता है ऊची आवाज में गर्व की तरफ देख कर कहता है यह मत समझो कि तुमने राज्य के लोगों की जान बचा कर बहुत बड़ा तीर मार लिया है या फिर तुम राजा की गद्दी को हथिया लोगे तुम कुछ नहीं बल्कि एक किशोर युवक हो अगर हम लोग चाहे तो तुम्हें चींटी की तरह मसल कर रख देंगे पर तुम राजा के गद्दी पर बैठने के लायक नहीं हो यह सुनकर उसके बाजू खड़े किए केन्द्रीय सत्ता के अधिकारी से रहा नहीं गया उसने अपने एक हाथ से उस आदमी के गाल पर जोरदार चांटा मार दिया चाटा लगते ही उसका मुंह अपने आप ही बंद हो गया और वह 10 फीट ऊपर उड़ते हुए वापस जमीन पर आकर गिर गया चाटा लगने की वजह से उसके गाल का मांस अपने जगह से उखड़ गया था और उसका एक कान पूरी तरह से बहरा हो गया था और उसके चेहरे से लगातार खून बहते जा रहा था उसको तुरंत ही राजा के बाकी के रिश्तेदारों ने उठाया और उसकी मलमपट्टी करने के लिए वहां से लेकर गए इसके बाद वहां मौजूद किसी की भी फिर वह चाहे राजा का रिश्तेदार हो या फिर कोई और किसी की भी गर्व की तरफ आंख उठाकर देखने की और उससे कुछ बातें करने की हिम्मत नहीं हुई गर्व इस वक्त शांति से उन अधिकारियों के बीच रहकर राजा वीर प्रताप सिंह के कमरे की तरफ बढ़ते जा रहा था उसे यहां मौजूद राजा के किसी भी रिश्तेदार या फिर किसी की भी चिंता करने की जरूरत नहीं थी क्योंकि वह इस वक्त केन्द्रीय सत्ता के अधिकारियों के घेरे में मौजूद होता है उनके रहते उसे इस राज्य में किसी की परवाह करने की जरूरत नहीं है और ना ही डरने की जरूरत है खुद राजा वीर प्रताप सिंह से भी नहीं वह जल्द ही राजा वीर प्रताप सिंह के कमरे में आ गए वह जैसे ही राजा के कमरे में आए राजा वीर प्रताप सिंह अपने जगह से खड़े हो गए और उन्होंने गर्व को अपने सीने से लगा दिया और वह जोर जोर से रोने लगे और गर्व से कहने लगे मैं तुम्हारा पूरी जिंदगी आभारी रहूंगा तुमने आज हमारी राज्य की जनता को बचा लिया मैं अपने प्राण देकर भी तुम्हारे इस कर्ज को चुका नहीं सकता वहां मौजूद बाकी के अधिकारियों ने राजा वीर प्रताप सिंह को गर्व से अलग किया और उन्हें अपनी जगह पर बिठा दिया गर्व भी वहां मौजूद एक कुर्सी पर बैठ गया वहां पर अधिकारी आकाश सिंह भी मौजूद थे वह भी अपनी कुर्सी पर बैठे हुए थे और वह भी गर्व की तरफ लगातार देखे जा रहे थे उनके चेहरे पर ऐसा लग रहा था कि उनके मन में कोई सवाल चल रहा है और वही सवाल का जवाब ढूंढ रहे हो राजा वीर प्रताप सिंह की आंखों से अभी भी आंसू बहे जा रहे थे थोड़ी देर बाद में जब उन्होंने रोना बंद कर दिया तो अधिकारी आकाश सिंह ने गर्व से पूछा तुम्हें कैसे पता की उस विषाणु का क्या तोड़ है और उसका क्या इलाज है मुझे नहीं पता था कि उसका क्या इलाज है या फिर उसका तोड़ क्या है मुझे तो बस इतना मालूम था कि हमारे राज्य के लोगों की इस वक्त जान खतरे में है और कुछ भी करके मुझे उन सब लोगों की जान को बचाना है यह मेरा सिर्फ अंदाजा था कि उस पक्षी की आवाज की लहरों से विषाणु खत्म हो सकता है तो मैंने उस पक्षी को प्रयोगशाला से चुराया मुझे जीवशास्त्र के बारे में पहले से कुछ पता था जिसको मैंने उनके तांडव कबीले के हत्यारों की गुफा में एक किताब में पढ़ा था वहां पर की बहुत सारी किताबें रखी थी भगवान का शुक्र है कि मैंने पढ़े हुए चीजों को सही से इस्तेमाल कर पाया और मैंने अपने राज्य की जनता की जान को बचा लिया