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इस वक्त गर्व केंद्रीय अधिकारियो के कार्यालय में जाने के लिए बहुत ही उत्सुक था अगर उसे अभी वहां पर जाने के लिए कहा जाता तो वह उसके लिए अभी भी तैयार हो जाता क्योंकि वह केंद्रीय कार्यालय उसके लक्ष्य के करीब जाने की पहली सीढ़ी होती है उसी के जरिए गर्व केंद्रीय अधिकारियों के बारे में और केंद्रीय सत्ता के बारे में ज्यादा से ज्यादा जान सकता है पर उसने इस वक्त अधिकारी आकाश सिंह की बातें सुनते हुए अपने चेहरे पर गंभीर भाव को कायम रखा हुआ होता है अपनी बातों को जल्द ही खत्म कर दिया आकाश सिंह ने गर्व को अपने कमरे में जाने के लिए कह दिया और कल दोपहर तक पूरा तैयार रहने के लिए भी कह दिया फिर गर्व राज महल में अपने कमरे की तरफ जाने लगा उसके साथ इस वक्त पांच अधिकारी मौजूद होते हैं जिन्होंने गर्व को चारों बाजू से घेर लिया था उनको अधिकारी आकाश सिंह ने कल दोपहर तक गर्व की रक्षा करने का आदेश दिया था और साथ में उनको यह भी आदेश दिया था कि किसी भी हालत में गर्व अपने कमरे से कल दोपहर तक बाहर नहीं निकलना चाहिए इसलिए उन्होंने गर्व के चारों तरफ पहरा बना लिया था राजा वीर प्रताप सिंह के कमरे के बाहर निकलते ही वह राजमहल की गलियारों से जाने लगे पर वहां मौजूद किसी की भी इतनी हिम्मत नहीं होती है कि वह गर्व की तरफ और उन लोगों की तरफ अपनी आंख भी उठा कर देख सकें वह वहां से जाते हि वहां मौजूद सारे लोग उनको जाने के लिए रास्ता बनाते जा रहे थे यह देख गर्व को अपने पिछले जन्म की याद आ गई पिछले जन्म में भी वह आपने राजमहल में या फिर राज्य में कहीं पर भी जाता तो वहां मौजूद लोग उसको रास्ता देते जाते सबके मन में गर्व के प्रति एक आदर युक्त डर होता है वह भलेही अच्छा काम करता हो पर अगर कोई उससे बुरा बर्ताव करता या फिर उससे बुरा बर्ताव करने का प्रयास करता तो वह उनके साथ इतना बुरा बन जाता की बुराई भी उससे शर्मा जाति पर उसे जैसे ही नया जन्म और नया शरीर मिला तो लोगों का उसे प्रति रवैया पूरा बदल गया वह सारे लोग गर्व की तरफ तुच्छता से देखते थे उनका गर्व के साथ ऐसा बर्ताव रहता था कि जैसे वह इस दुनिया में हो ही ना उन लोगों के लिए गर्व जिंदा होकर भी एक मरे हुए आदमी की तरह ही था गर्व समझ गया कि राज्य कौन सा भी हो वक्त कौन सा भी हो इस दुनिया के सारे लोग सिर्फ ताकत और शक्ति का आदर करते हैं पहले तो उसमें ताकत नहीं थी तो उसका अनाथ आश्रम में कोई भी कुछ भी कहते हुए मजाक उड़ाते जाते यहां तक कि वहां के छोटे-छोटे लड़के लड़कियां भी गर्व का मजाक उड़ाते जाते उनको अपनों से बड़ों से कैसी बात करनी चाहिए और अपनों से उम्र में बड़े लोगों को कैसे सम्मान देना चाहिए इस बात की भी कोई परवाह नहीं होती है पर वह जैसे ही अपनी शक्ति बढ़ाने लगा अपनी ताकत को नई ऊंचाई तक लेकर गया उसके सामने पूरे भरतपुर राज्य के लोगों ने अपना सिर झुका दिया यहां तक कि राजा वीर प्रताप सिंह वीर प्रताप सिंह को भी अपने पद से इस्तीफा देकर गर्व को अपनी राजगद्दी सौंपकर संन्यास लेने वाले थे गर्व को तो अपने पिछले जन्म की सच्चाई जानने में दिलचस्पी होती है ना की किसी राजा के या फिर केंद्रीय अधिकारी के पद की लालसा होती है राजमहल में चलते चलते गर्व अपने कमरे में पहुंच गया यहां पर दो अधिकारी गर्व के कमरे के बाहर ही रुके थे वह गर्व के कमरे की रक्षा कर रहे थे और बाकी के दो अधिकारी गर्व के साथ उसके कमरे के अंदर चले गए उनको अपने कमरे के अंदर आता देख गर्व चिल्ला पड़ा ओ ओ ओ ओ तुम कहा चले आ रहे हो यह मेरा कमरा है तुम्हारा नहीं अगर तुम्हें कमरा चाहिए तो राजा वीर प्रताप सिंह के पास जाकर उन्हें खुद के लिए नया कमरा देने के लिए कहो तुम लोग मेरे कमरे में नहीं रह सकते हो यह अधिकारी आकाश सिंह का आदेश है कि हम तीनों को तुम्हारे कमरे में अंदर रहकर तुम्हारी सुरक्षा करनी है और तुम्हें कल दोपहर तक इस कमरे के बाहर जाने के लिए सख्त मना है अगर तुमने आदेश नहीं माना तो हमको तुम्हारे साथ जबरदस्ती करने की पूरी आजादी है यहां पर कुछ भी हो जाए कल दोपहर तक हम तीनों इस कमरे के बाहर जाने वाले नहीं रहे और ना ही हम तुमको इस कमरे के बाहर जाने देंगे तो तुम्हारे लिए यही ठीक होगा कि तुम चुपचाप शांति से बैठ जाओ और कल दोपहर का इंतजार करो इस वक्त गर्व उनकी बात मानने के अलावा कुछ भी नहीं कर सकता था उसने अपने टूटे पलंग की तरफ देखा तो इस टूटे हुए पलंग को ठीक कर दिया गया था गर्व उस पर जाकर बैठ गया वह तीनों अधिकारी इस वक्त इस कमरे के तीन कोणों में खड़े हो गए थे और वह गर्व पर अपनी नजर बनाकर रखे हुए थे उन्हें पहले से यह पता होता है कि गर्व बहुत ही चालक और चतुर इंसान है वह नाक के नीचे से किसी भी आदमी के मुंह को साफ करता है और वह भी उस आदमी को बिना पता लगाए हुए वह तीनों कोणों में ऐसे खड़े हुए थे कि वह किसी मूर्ति की तरह दिखाई दे रहे थे और साथ ही वह गर्व पर अपनी आंखों से नजर बनाए रखे हुए थे ऐसा लग रहा था कि कोई लाल रंग का भूत उसके ऊपर नजर रखे हुए हैं और वह उसको कच्छ ही खा जाएंगे उनको नजरअंदाज करते हुए अपने पलंग पर बैठता है वह उन अधिकारियों के रहते हुए अपनी स्टोरेज रिंग में से जड़ी बूटियां भी नहीं निकाल सकता है उसे उन तांडव कबीले की गुफा से जमा किताबों को भी पढ़ना होता है पर वह भी इस वक्त गर्व की स्टोरेज रिंग में होती है और वह उसे भी अपनी स्टोरेज रिंग से निकालकर नहीं पढ़ सकता है इस वक्त गर्व को नींद लेने से बड़ा ही डर लग रहा था उसे डर लग रहा था कि अगर वह फिर से गहरी नींद में चला गया तो उसे फिर से किसी दूसरे वक्त में किसी दूसरे कमजोर इंसान का शरीर में चला जाएगा और उसके सामने और कठिनाइयां पड़ जाएगी फिर वह वहा पर रखे हुए भोजन के ऊपर टूट पड़ा चोपड़ा वहा पर 1 मीटर लंबे बर्तनों में कई सारी शाकाहारी और मांसाहारी खाने को रखा हुआ था गर्व ने दस मिनट के अंदर 15 थलियो को खत्म कर दिया वहां पर एक घड़े में बाघिन का दूध भी रखा हुआ था उस घड़े के ऊपर साफ-साफ बाघिन का दूध लिखा होता है इस बाघिन के दूध का तापमान बहुत ही ज्यादा होता है आकाश मंडल के अच्छे से अच्छे योद्धा इस बाघिन के एक दूध के गिलास का भी सेवन नहीं कर सकते हैं पर गर्व ने गति मंत्र का इस्तेमाल किया हुआ था उसने गति मंत्र को अपनी पूर्ण क्षमता पर प्रयोग किया होता है और साथ ही वह भरतपुर राज्य के शहर के हर कोने में घुमा होता है इसलिए उसके पेट में बहुत बड़ा खाली कुआं बन गया था उसने उस घड़े को उठाया और अपने मुंह पर लगा दिया और 1 मिनट के भीतर उसको अपने पेट के अंदर खत्म कर दिया यह देखकर वह मौजूद अधिकारी चौक गए उनमें भी उस घड़े को 1 मिनट में खत्म करने की क्षमता होती है पर वह किसी भी किशोर युवक से इस बात की अपेक्षा नहीं कर सकते थे उन्होंने पहले कभी भी किसी की किशोर युवक को यह काम करते हुए नहीं देखा था वह वहां पर मूर्ति बने खड़े हुए थे वह अधिकारी अपनी जगह से हिल गए और उनको अपनी आंखों पर पहले उन्हें यकीन नहीं हो रहा था की वो जो देख रहे हैं वह सच में असलियत में हो रहा है पर तभी उन्हें अधिकारी आकाश सिंह के आदेश की याद आ गई कि किसी भी हालत में गर्व पर कल दोपहर तक अपनी नजर को बनाए रखना है उन्हे पहले ही बताया गया था की गर्व एक चालाक और चतुर इंसान है उसके किसी भी तरकीबो में उन्हें फसना नहीं है यह याद आते ही वह वापस अपनी जगह पर किसी लाल मूर्ति की तरह खड़े हो गए और अपनी खुली आंखों से किसी तरह भूत की तरह गर्व पर अपनी नजर गड़ा दि इस वक्त गर्व उन अधिकारियों के साथ कोई भी खेल नहीं खेल रहा था इस वक्त वह सिर्फ अपनी पेट की आग को शांत कर रहा था उसने बाघिन कां दूध खत्म करने के बाद वहां मौजूद दूसरे घड़ों की तरफ भी अपना मोर्चा बढ़ाया वहां मौजूद अधिकारियों को यकीन नहीं हो रहा था कि इस किशोर युवक की इतनी ज्यादा क्षमता है इस वक्त वह अपनी जगह से तनिक भी नहीं हिले और उन्होने किसी भूत की तरह गर्व पर अपनी नजर गड़ा दी गर्व ने जल्द ही वहा पर रखे सारे घड़े खत्म कर दिए और अपनी पेटपूजा होने के बाद वह ध्यान साधना करने के लिए पद्मासन की अवस्था में बैठ गया उसको अपने ध्यान करने की कला में अपने अगले लक्ष्य को हासिल करना था अगर गर्व ने ध्यान करने में अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया तो उसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाएगी वह खड़े-खड़े किसी को भी मूर्ख बना सकता है उसके कमरे में खड़े tino अधिकारियो को लगा की कुछ देर तक ध्यान साधना करने के बाद गर्व सो जाएगा पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ गर्व लगातार 2 घंटे तक ध्यान साधना करता रहा उनको लगा की इतनी देर हो जाने के बाद गर्व अपनी ध्यान मुद्रा से उठ जाएगा पर उनका अंदाजा गलत निकल गया गर्व सिर्फ दो-तीन घंटे हो नहीं बल्कि पूरी रात ध्यान साधना करता रहा वह सुबह के 9:00 बजे तक पद्मासन की अवस्था में बैठा रहा गर्व की ध्यान शक्ति वह अधिकारी भौचक्के रह गए थे गर्व को इतनी देर तक ध्यान मुद्रा में बैठा हुआ देखकर वह लोग आश्चर्यचकित हो गए थे पर जिसकी भी अधिकारी की परीक्षा के लिए चयन हुआ हो उसके अपेक्षा भी क्या कर सकते हैं उन्हें पता था कि केंद्रीय अधिकारियों के दल में एक से एक जादुई योद्धा और ताकतवर लोग होते हैं उनके साथ प्रतियोगिता करने के लिए गर्व को कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी सुबह 9:00 बजे गर्व ने अपनी आंखें खोल दी और वह उठकर खुली हवा में सांस लेने के लिए अपने कमरे में बालकनी में चला गया उसके पीछे-पीछे दो अधिकारी भी बालकनी में आ गए क्युकी उन्हें डर था की गर्व बालकनी से कूदकर यहां से भाग सकता था गर्व का वहा से भागने का कोई इरादा नहीं होता है वह तो बस खुली हवा में सांस लेने के लिए बाहर आया हुआ था इधर-उधर तल्देखाते हुए उसकी राजमहल के मुख्य प्रवेश द्वार की तरफ नजर चली गई राजमहल के चारों ओर अभी भी उर्जा का सुरक्षा कवच बना हुआ था और उसके पार हजारों लोग खड़े हुए थे यह लोग कल से लेकर आज तक वहीं पर खड़े थे भले ही वहां के कई सारे लोग अपने अपने घर पर चले गए हो पर फिर भी वहां पर हजारों की तादाद में लोग खड़े होते है वह सारे के सारे गर्व के जबरा भक्त बन चुके थे इसलिए वह वहा पर खड़े होते हैं कि उनकी गर्व की एक झलक मिल सके गर्व तो उनको वापस अपने घर भेजना चाहता था