पर अगर वह ज्यादा बार लोगों के सामने आना चालू कर देगा तो उसके भक्तों की संख्या और बढ़ जाएगी गर्व ऐसा कतई नहीं चाहता था कि सारे लोग अपने दिमाग को बंद करके बस उसके ही भक्त बने रहे इसलिए उसने उन लोगों के सामने नहीं आने का निर्णय लिया क्योंकि गर्व की बालकनी राजमहल के प्रवेश द्वार से बहुत ज्यादा दूरी होती है इसलिए राज महल के बाहर खड़े किसी भी आदमी की नजर गर्व पर नहीं पड़ रही होती है और उन लोगों की संख्या ज्यादा होने के कारण गर्व उन लोगों को साफ-साफ देख पा रहा था उन लोगों को नजरअंदाज करते हुए गर्व अपने कमरे के अंदर आ गया उसने जैसे ही अपने कमरे के अंदर अपना पैर रखा आसमान में एक तेज घनघनाहट की आवाज आई गर्व ने फिर से पलट कर बालकनी में जाकर आसमान में देखा वहां मौजूद लोगों ने भी उस दिशा में आसमान में देखा वह देखते हैं कि आसमान में एक 20 मीटर लंबा युद्धपोत तैर रहा है वह युद्ध पोत गोल आकार का होता है और वह राजमहल के ऊपर मौजूद सुरक्षा कवच के बाहर आसमान में तैर रहा होता है वह गोलाकार होता है वह हवा में ही एक जगह पर स्थिर हो गया था गर्व को इस बात का बड़ा ही आश्चर्य हुआ उसके वक्त में उसने कभी भी ऐसा होते हुए नहीं देखा था उसके पिछले जन्म में भी युद्धपोत हुआ करते थे पर वह हवा में एक जगह पर स्थिर नहीं रह सकते थे उसके वक्त में तंत्रज्ञान में और इस वक्त के तंत्रद्यान में जमीन आसमान का फर्क है अगर सिर्फ केंद्रीय अधिकारियों के पास ही ऐसे ऊंचे दर्जे का तंत्रज्ञान है तो केंद्रीय सत्ता के मुख्य राजा जा महाराज अश्वद के पास कितनी ताकत होगी यह तो वह सोच भी नहीं सकता उस युद्धपोत का आवाज सुनते ही उसके कमरे में मौजूद एक अधिकारी बोल पड़ा इतनी जल्दी यह कैसे हो गया यह तो केंद्रीय अधिकारियों का ही युद्धपोत है पर यह इतनी जल्दी कैसे पहुंच गया यह कोई साजिश तो नहीं उस अधिकारी ने कहा उसकी बातें सुनकर गर्व ने उस अधिकारी से कहा आपको जाकर तुरंत ही अधिकारी आकाश सिंह को इस बात की जानकारी दे देनी चाहिए वह रहे अधिकारी आकाश सिंह उस अधिकारी खड़े रहते राज महल के सामने खुली जगह पर इशारा करते हुए कहां गर्व ने फिर से राज महल की बालकनी में जाकर राज महल के बगीचे की तरफ देखा उसने देखा कि अधिकारी आकाश सिंह अपने साथ पाच अधिकारियों को लेकर बाहर आ चुके थे उनके साथ राजा वीर प्रताप सिंह भी मौजूद थे तभी गर्व के कमरे के दरवाजे पर किसी की दस्तक हुई उसके कमरे में एक अधिकारी अंदर आ गया और उसने गर्व के नाम को पुकारा गर्व तुरंत बालकनी से अपने कमरे के अंदर की ओर गया उस अधिकारी ने अपने साथ एक लोह मानव के कवच को भी साथ लाया हुआ था उस अधिकारी ने गर्व को कहा तुम्हें इस कवच को पहनने की जरूरत है क्या अब इसकी क्या जरूरत है गर्व ने उस अधिकारी से सवाल पूछा उस अधिकारी ने कहा यह मेरा नहीं अधिकारी आकाश सिंह जी का आदेश है तुम्हारी इस राज महल के बाहर जाने के बात को गुप्त रखना है राजमहल में मौजूद लोगों के साथ-साथ राज्य की जनता को भी इस बात का पता नहीं लगना चाहिए कि तुम राजमहल में नहीं हो बल्कि तुम केंद्रीय सत्ता के अधिकारी की परीक्षा देने के लिए जा रहे हो अगर यह बात राज्य के लोगों को पता चल गई कि तुम इस राज्य से जा चुके हो तो राज्य की जनता राजा वीर प्रताप सिंह के खिलाफ विद्रोह कर देगी राजा वीर प्रताप सिंह को नए केंद्रीय सत्ता के अधिकारियों के साथ मिलकर धीरे-धीरे करते हुए राज्य की जनता का मन फिर से जीतना होगा इसलिए तुम्हारी राजमहल से जाने की बात को गुप्त रखना है उस अधिकारी की बात सुनकर गर्व प्रभावित हो गया सच में यह अधिकारी लोग बहुत दूर की सोचते हैं और बहुत चालाक होते हैं उसके लिए उसके आगे का सफर बहुत ही मुश्किल साबित हो सकता है उसने तुरंत ही उस लोह मानव के कवच को पहन लिया और अपने कमरे में आए उस अधिकारी के साथ वहां से जाने लगा पर वह जो पांच अधिकारी थे जो कि गर्व के कमरे में पहरा दे रहे थे वह अभी भी वही पर खड़े थे क्योंकि राजमहल के लोगों को लगे की गर्व अभी भी वहां पर मौजूद है और वहां से कहीं पर भी गया नहीं है यह अधिकारी लोग सच में बहुत ही दूर कि योजना बनाकर चलते हैं वहां पर रुके हुए अधिकारियों की तरफ देखकर गर्व ने मन ही मन में सोचा इस वक्त गर्व अपने शरीर पर लोह मानव का कवच पहना हुआ होता है जिसके कारण वहां मौजूद कोई भी लोग उसके चेहरे को नहीं देख पा रहे थे उनको देखकर ऐसा लग रहा था कि कोई राज्य का सैनिक केंद्रीय सत्ता के अधिकारी के मदद करने के लिए तैनात किया गया है गर्व के इस राज महल से जाने की बात को पूरी तरह से गुप्त रखा जा रहा था इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा था कि किसी को भी गर्व के बारे में थोड़ा सा भी शक ना हो गर्व उस अधिकारी के साथ जल्द ही राज महल के प्रांगण में आ गया राजमहल के प्रांगण में इस वक्त किसी को भी आने की इजाजत नहीं होती है राज महल में मौजूद सारे लोग बालकनी में खड़े होकर राज महल के प्रांगण की तरफ् देख रहे थे साथ ही राज महल के बाहर मौजूद लोग इस वक्त आश्चर्य से उस केंद्रीय सत्ता के अधिकारियों के युद्धपोत की तरफ जा रहे थे उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी भी ऐसा युद्ध पोत नही देखा नहीं था गर्व देखता है की उसके ही जैसे दस लोह मानव प्रांगण में मौजूद होते हैं और वह भी किसी अधिकारी के साथ खड़े होते हैं क्योंकि किसी को शक ना हो कि गर्व राज महल के बाहर चला गया है जल्द ही राज महल की सुरक्षा कवच में आसमान की ओर एक छेद हो जाता है यह इतना बड़ा होता है कि वहां से वह युद्धपोत आराम से अंदर आ सके उस सुरक्षा कवच के छेद से वह 20 मीटर लंबा युद्धपोत आराम से अंदर आ गया और वह हवा में तैरते तैरते धीरे-धीरे करके जमीन में उतर गया इस युद्धपोत का तंत्रज्ञान गर्व के समझ के परे होता है जल्द ही इस युद्धपोत के एक जगह पर रोशनीया दिखने लगी और वह रोशनीयो का प्रकाश तेज होता गया और उस रोशनीयों के बीच में से धीरे-धीरे करते हुए एक दरवाजा खुल गया जैसे ही वह दरवाजा खुलता गया उसके आजू बाजू की रोशनी है का उजाला कम होता गया और वह रोशनीया जैसे ही पूरी तरह से गायब हो गई वह दरवाजा पूरी तरह से खुल गया वह दरवाजा जैसे ही खुला वहां से बाप बाहर आने लगी गर्व के लिए यह सब कुछ नया था उसने अपने पिछले जन्म में भी ऐसा कभी नहीं देखा था उसे तो उस दरवाजे के अंदर जाने से भी डर लग रहा था उस पूरे युद्धपोत का उसके आजू बाजू से चक्राकार आकार होता है उसकी लंबाई 20 मीटर से भी ज्यादा होती है पर उसकी ऊंचाई 5 मीटर ही होती है उसका दरवाजा जैसे ही खुला उसके अधिकारी आकाश सिंह के साथ साथ राजा वीर प्रताप सिंह भी जाने लगे उनके पीछे-पीछे वहां मौजूद अधिकारियों के साथ लोह मानव भी बारी बारी अंदर जाने लगे उनके बीच में से ही गर्व और उसके साथ खड़ा अधिकारी भी उसी अद्भुत दरवाजे के अंदर चले गए गर्व जैसे ही उस युद्धपोत के अंदर गया वह अंदर का नजारा देखकर दंग रह गया उसे लग रहा था कि वह किसी दूसरी दुनिया में आ गया हो यहां पर चारों तरफ धातु के बने सामान रखे हुए थे यह पूरा युद्धपोत अंदर से धातु का बना हुआ होता है और इन धातुओं में कई जगह पर दीवार में छोटे छोटे आकार के बत्तीया लगी हुई थी इससे इस पूरे युद्ध पोत के अंदर नीली रोशनी फैली हुई थी यह नीली रोशनी ज्यादा तेज नहीं होती है यह रोशनी उतनी ही तेज होती है जितनी की सूर्य का प्रकाश जिसमें हम आगे की चीज को साफ-साफ देख सके गर्व चलते चलते इस युद्धपोत के मध्य भाग में आ गया यहां एक बहुत बड़ी खुली जगह होती है और उस जगह के बीच में एक कुर्सी होती है जहां पर एक आदमी बैठा होता है जिसके तरफ इस वक्त राजा वीर प्रताप सिंह के साथ-साथ अधिकारी आकाश सिंह जा रहे होते हैं उस कुर्सी पर बैठे आदमी के पास 15 केंद्रीय सत्ता के अधिकारी होते हैं जिन्होंने इस वक्त नीले रंग के कपड़ों को पहना हुआ होता है जिनके कपड़ों पर काले तेंदुए का निशान होता है जो कि केंद्रीय सत्ता के अधिकारियों का आधिकारिक निशान होता है जैसे ही अधिकारी आकाश सिंह उनके पास गए वह आदमी अपनी जगह पर खड़ा हो गया और आकाश सिंह के गले मिलकर मिल गया आकाश सिंह ने गले मिलते ही उससे कहा अरे विजेंद्र सिंह कैसे हो बहुत दिनों बाद दिखाई दिए तुम्हारी बड़ी याद आई उस आदमी का नाम विजेंद्र सिंह होता है और वह आकाश सिंह जैसा ही है केंद्रीय अधिकारियों के समूह का नेता लग रहा था उसने भी आकाश सिंह से गले मिलते हुए कहा मुझे भी तुम्हारी बड़ी याद आई मैं बता नहीं सकता तुमने कितनी सारी चीजों को नहीं देख पाए तुम बहुत सारे खेलों को देखने से चूक गए फिर वह दोनों एक दूसरे से अलग हो गए विजेंदर सिंह ने आकाश सिंह से कहा वह सब तो ठीक है पर तुम्हारा उम्मीदवार कहां पर है जिसको तुमने अधिकारी की परीक्षा के लिए चुना है जरा मैं भी तो देखूं इस राज्य के लोगों में किसमे इतना दम है की वह केंद्रीय सत्ता के अधिकारी की परीक्षा को दे पाए यह कहते ही विजेंद्र सिंह के साथ आए हुए अधिकारियों का समूह ठहाके लगाकर हंस पड़ा यह भरतपुर राज्य के साथ भरतपुर राज्य के लोगों का अपमान होता है इसी कारण वहां मौजूद राजा वीर प्रताप सिंह के साथ बाकी के लोह मानव को गुस्सा आ गया और मैंने गुस्सा से उन्होंने गुस्से से अपनी मुठिया बीच लि वहां मौजूद एक लोह मानव में मौजूद सैनिक ने उस विजेंदर सिंह से कहा अगर आप में से कोई भी अधिकारी अपने हथियार का उपयोग किए बिना मुझ को हरा सकता है तो मैं तो फिर मैं मान लूंगा कि केंद्रीय सत्ता की अधिकारियों मैं भी दम होता है यह तो केंद्रीय सत्ता के अधिकारियों की ही बेज्जती होती है उसकी बातें सुनकर विजेंदर सिंह को भी गुस्सा आ गया यहां पर तो हाथापाई की नौबत बन सकती है गर्व इस बात को समझ गया उसने तुरंत ही अपने लोह मानव के कवच को अंदर से खोल दिया और वह अपने कवच के बाहर आ गया उसके बाहर आते ही वहां मौजूद सारे लोगों की तरफ की नजर गर्व पर पड़ गई क्योंकि गर्व का केंद्रीय सत्ता का अधिकारी बनना बहुत जरूरी होता है इसलिए वह नहीं चाहता था कि उन अधिकारियों के बीच और लोह मानवों के बीच में कोई बवाल हो और उसका रास्ता मुश्किल हो जाए इसके वजह से ही वह अपने कवच के बाहर आ गया वहां मौजूद सारे लोगों का ध्यान गर्व के तरफ चला गया विजेंद्र सिंह ने देखा कि उस लोह मानव के कवच के अंदर से एक किशोर युवक बाहर निकला है तो वह उसके तरफ देख कर हंस पड़ा पर वहां मौजूद लोह मानव के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई अब आएगा मजा उन्होंने मन ही मन में सोचा पर विजेंदर सिंह गर्व की तरफ देखकर जोर-जोर से हसे जा रहा था