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उन्होंने अपनी राक्षसी शक्ति से इस पूरे ग्रह का आकार ही बदलना चालू कर दिया पहले तो उन्होंने इस ग्रह का जो सूरज था इसकी वजह से इस ग्रह पर प्रकाश आता था उसको ही नष्ट करने का प्रयास किया था पर वक्त रहते ही गर्व के भाई यानी अश्वद इस युद्ध में उतर गए और उन्हें सूरज की तरफ बढ़ रहे राक्षसों को खत्म कर दिया गर्व को इस बात का बड़ा ही आश्चर्य हुआ कि अश्वद ने उन सारे राक्षसों को कैसे खत्म किया होगा जरा जरूर ही उस वक्त उसके पास उड़ने की शक्ति आ गई होगी जिसकी मदद से उसने उन सारे राक्षसों का खात्मा कर दिया पर महाराज अश्वद इस ग्रह के आकार को पहले जैसे रखने में नाकामयाब रहे जैसे ही वह महाराज अश्वद ग्रह के कक्षा के बाहर गए थे इस ग्रह पर उन राक्षसों ने तांडव मचा दिया था इस पूरे ग्रह में जगह-जगह भूकंप आने लगे इस ग्रह की सतह जगह-जगह से उखड़ना चालू हुई पूरे ग्रह में हजारों की तादाद में ज्वालामुखीया फूटी और साथ में राक्षसों ने दूसरे कई सारे ग्रहों से इस ग्रह पर हमला किया पर फिर भी वह राक्षस लोग नहीं जीत नहीं पाए इसलिए उन्होंने दूसरे पूरे ग्रह को ही इस ग्रह पर टकरा दिया और उन ग्रहों के टुकड़े इस ग्रह पर बिखर गए जिसके कारण पूरी दुनिया की 80% आबादी एक झटके में मारी गई उस वक्त में मौजूद सारे जादुई शक्ति वाले लोगों ने अपनी पूरी जादुई शक्ति का इस्तेमाल किया और इस ग्रह के गुरुत्वाकर्षण शक्ति को बढ़ा दिया जिसके कारण उन दूसरे ग्रहों के टुकड़े अपने ग्रह के गुरुत्वाकर्षण से आकर्षित हो गए और वह दूसरे ग्रह इसी ग्रह का एक भाग बन गए इस वक्त जो लोग बच गए थे उन्होंने फिर से एक राज्य बनाया और वही राज्य केंद्रीय सत्ता कहलाया और आज वही राज्य इस पूरे ग्रह पर राज करता है गर्व के जिंदा रहने के वक्त इस ग्रह का नाम पृथ्वी होता है उसके जाने के बाद इस ग्रह के नाम को बदल दिया गया इसके बाद इस ग्रह को टाइटन नाम दे दिया गया इतनी सारी चीजें उस पुस्तिका की भूगोल के पहले पन्ने पर लिखी होती है यह कोई भूगोल की पुस्तिका नहीं लग रही थी यह तो एक इतिहास की पुस्तिका लग रही थी यह पुस्तिका वहां मौजूद हर कमरे के सामने पुस्तकों की जगह पर रखी हुई थी पर कोई-कोई इस पुस्तिका को पढ़ रहे होते हैं तो कोई इस पुस्तिका को नहीं भी पढ़ रहे थे इस इतिहास को पूरी दुनिया की कोने कोने में पहुंचाया गया होगा और अगर किसी को पता चल गया कि उसका भी नाम गर्व है और वह एक परीक्षार्थी है तो वहां मौजूद सारे लोग उससे नफरत करना चालू करेंगे क्योंकि उसके पिछले जन्म को तो एक खलनायक का रूप दे दिया गया था और उसका नाम भी गर्व ही होता है इसलिए यहां पर कई सारे लोग उससे नफरत करने लगेंगे पर अधिकारी आकर सिंह को उसका नाम पहले से ही पता होता है उन्होंने कभी भी उसको नफरत भरी निगाहों से नहीं नहीं देखा था और ना ही गर्व के साथ कोई नफरत भरा व्यवहार किया था इसलिए उसे आपने नाम को लेकर ज्यादा चिंता करने की कोई जरूरत नहीं होती है अगर अधिकारी आकाश सिंह उससे अच्छा व्यवहार रख सकते है तो बाकी के अधिकारी भी उससे अच्छा बरताव ही रखेंगे अगर प्रतियोगिता की बात आती है तो वह गर्व के साथ थोड़ा बुरा बर्ताव कर सकते है ऐसे ही सिर्फ उसका नाम जानकर उससे कोई बुरा बरताव नहीं करेगा और उसके मरने के बाद इतना कुछ हो गया इससे गर्व को बड़ा ही आश्चर्य हो रहा था उसे सब कुछ एक बहुत बड़ी साजिश लग रही थी उसने उस किताब को अपनी जगह पर वापस रख दिया और अपनी जगह पर आकर बैठ गया और सोचने लगा उसके मरने के बाद कितना कुछ बदल गया है यहां तक की इस पूरे ग्रह का आकार भी बदल चुका है उसे तो इसके बारे में युद्ध पोत के अंदर रहकर ही शक हो गया था जब उस युद्ध पोत को अपने स्थान पर पहुंचने को बहुत ज्यादा देर हो रही थी अब उसका शक यकीन में बदल गया है वह यह सोच कर देखता है कि उसका अपने पिछले जन्म में किसी भी राक्षस के साथ गलती से भी कोई संबंध तो नहीं आया था पर उसे ऐसा कुछ भी याद नहीं आ रहा था उसने तो पिछले जन्म में कई सारे राक्षसों को मौत के घाट उतारा था उसने कई राज्यों को भी राक्षसों के हाथों खत्म होने से बचाया होता है वही उसके राज्य का अगला राजा बनने वाला होता है पर तभी अचानक से उसकी मौत हो गई और वह एक खलनायक बन गया इतनी सारी चीजों के बारे में पता लगाकर गर्व को इस वक्त बुरा लग रहा था सच में सच बहुत ही कड़वा होता है कभी-कभी तो वह जहर से भी कड़वा होता है गर्व को अपना हल्का करने के लिए कुछ चाहिए था तो उसने अपने सामने बैठे हुए आदमी को देख कर अपना हाथ हिला दिया उस आदमी ने भी गर्व को देखकर अपना हाथ हिला दिया और अपने सर पर लगे कवच को खोल दिया गर्व ने इस आदमी के बारे में जो सोचा था वही हुआ इस आदमी ने जैसे ही अपने सिर का कवच खोला गर्व को उसका चेहरा दिखाई दे दिया इस आदमी का चेहरा तो शेर के चेहरे के जैसा होता है जिसके बड़े-बड़े सुनहरे रंग के बाल होते हैं और सुनहरे रंग की दाढ़ी भी होती है उसके बड़े बड़े दांत भी होते हैं पर वह आदमी की पूरी भाषा बोल सकता था उसने गर्व की तरफ देख कर अपना हाथ हिलाया और कहा मेरा नाम राज्यवर्धन सिंह है और तुम्हारा गर्व को इस वक्त अपना नाम बताने में हिचकिचाहट हो रही थी फिर भी उसने परिणाम की परवाह ना करते हुए अपना नाम बता दिया मेरा नाम गर्व राठौर है गर्व को लगा कि उसका नाम जानकर वह कुछ प्रतिक्रिया देगा पर उसने कुछ भी खास प्रतिक्रिया नहीं दी वह शेर जैसा आदमी भले ही आदमियों की भाषा में बोलता हूं पर उसकी आवाज एकदम ऊंची और भारदस्त होती है उसके बोलने में एक अलग ही वजन लग रहा था ऐसा लग रहा था कि वह कोई विद्वान महापुरुष हो उसने गर्व से आगे कहा क्या हुआ तुम कुछ ठीक नहीं लग रहे हो तबीयत तो ठीक है तुम्हारी उसने गर्व से कहा उसने गर्व के चेहरे के भाव को पहले ही पढ़ लिया था सच में इस जगह पर बहुत सारे प्रतिभाशाली और विद्वान लोग यहां पर परीक्षा देने के लिए आते हैं गर्व ने वह किताब पढ़ते हुए अपने चेहरे के भाव को अच्छी तरह से नियंत्रित किया होता है पर फिर भी राज्यवर्धन सिंह ने गर्व के मन में क्या चल रहा है इसका पता लगा लिया गर्व ने उससे कहा केंद्रीय अधिकारियों की इमारत और उसके चमत्कारों को देख कर मैं थोड़ा सदमे में चला गया हूं इसलिए! यह सुनकर वह राज्यवर्धन सिंह जोर से हंस पड़ा थोड़ी देर तक हंसता रहा उसके बाद उसने गर्व से कहा तुम पहली बार इस परीक्षा को दे रहे हो पहली बार मतलब कोई बार-बार भी इस परीक्षा को दे सकता है क्या गर्व ने आश्चर्यचकित होते हुए राज्यवर्धन सिंह से कहा यह सुनकर राज्यवर्धन संघ सिंह के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई उसने गर्व से कहा जब तक तुम जिंदा हो तब तक तुम बार-बार इस परीक्षा को कितने बार चाहो ऊतनी बार दे सकते हो अगर केंद्रीय सत्ता का अधिकारी चाहे तो अगर उसको लगे कि तुममे सच में इतना दम है कि तुम अधिकारी बन सकते हो तो तुम बार बार इस परीक्षा को दे सकते हो पर यह परीक्षा बहुत ही कठिन होती है तुम्हारा अनगिनत बार उन तांडव कबीले के हत्यारों से सामना हो सकता है और तुम इस परीक्षा के दौरान मारे भी जा सकते हो इस परीक्षा में कई सारे परीक्षार्थी मारे भी जा चुके हैं इसलिए इस परीक्षा को गंभीरता से लेने की जरूरत होती है नहीं तो तुमको इस दुनिया में कोई नहीं बचा सकता है भगवान भी नहीं वैसे तुम किस राज्य से ताल्लुक रखते हो राज्यवर्धन सिंह ने सवाल पूछा गर्व ने कहा भरतपुर राज्य से यह सुनकर तो उसकी आंखें बड़ी हो गई क्योंकि उसे पता था कि भरतपुर राज्य को निर्माण हुए ज्यादा वक्त नहीं हुआ है उस राज्य से बहुत कम लोगों की अधिकारी की परीक्षा देने के लिए चयन हुआ था और जीसने भी इस परीक्षा को दिया वह तो पहले ही दिन मारे गए थे गर्व ने उसके चेहरे के भाव को पढ़ लिया था और उसने उससे कुछ नहीं कहा जल्द ही राज्यवर्धन सिंह का बुलावा आ गया और वह अपने कमरे में चला गया और थोड़ी देर बाद गर्व के लिए भी बुलावा आ गया और वह भी जिस कमरे में आकाश सिंह गए थे उस कमरे में वह चला गया वहा जाते ही उसने देखा कि इस कमरे में आकाश सिंह के साथ मेज पर एक दूसरा आदमी बैठा हुआ होता है वह दूसरा आदमी ऊंचाई में आकाश सिंह की तरह ही होता है पर उसकी शारीरिक बनावट किसी पहलवान की तरह होती है साथ ही उसके हाथों की नसें ऊपर तक फूली हुई थी उसकी उम्र गर्व के हिसाब से 30 के करीब हो सकती है गर्व के अंदर जाते ही आकाश सिंह ने गर्व को अपने पास बुलाया और उसे उस दूसरे आदमी से पहचान कराई यह है अधिकारी मजनू सिंह और यही तुम्हारी शारीरिक क्षमता की जांच करने वाले हैं तो तुम्हें अपनी पूर्ण शक्ति लगाकर इस परीक्षा को देना है आकाश सिंह की बातें सुनकर गर्व ने अपना सिर हिला दिया और वह हमेशा के लिए परीक्षा के लिए तैयार हो गया यह परीक्षा वही ताकत और हथियारों की तकनीकों के बारे में होती है गर्व ने इस बार अपनी पूरी शक्ति लगा दी थी उसकी ताकत आकाश मंडल के चौथे चरण के बराबर ही थी इस परीक्षा को पास करने में आकाश मंडल के चौथे चरण की जरूरत होती है और वह जरूरत गर्व ने पूरी कर दी थी पर इस वक्त उसने गति की परीक्षा के दौरान अपनी गति मंत्र का इस्तेमाल नहीं किया था अगर वह किसी चीज को आराम से कर सकता है तो उसके लिए उसे कोई ज्यादा ताकत लगाने की जरूरत नहीं है अधिकारी आकाश सिंह ने भी उसे गति के बारे में सवाल पूछा पर गर्व ने विजेंदर सिंह के साथ हुए बवाल का बहाना दे दिया गर्व की परीक्षा के नतीजों से वह मजनू सिंह पूरी तरह से संतुष्ट हो गया पर उसने गर्व की तरफ देख कर गर्व से कहा भले ही तुम इस परीक्षा में पास हो गए हो पर इसके अगले चरण की परीक्षा तुम्हारी सोच से भी ज्यादा कठिन हो सकती है क्योंकि तुम्हारी ताकत सिर्फ आकाश मंडल की ही है इसलिए तुमको तुम्हारे युद्ध मंडल में प्रगति करने का सुझाव दूंगा इससे पहले भी भरतपुर राज्य के कई सारे उम्मीदवारों ने केंद्रीय सत्ता के अधिकारियों की परीक्षा दी थी पर बुरी किस्मत के कारण वह दूसरे चरण को पास नहीं कर पाए और इसी चरण में वह मारे गए जिसका मुझे बहुत दुख है