पर उसकी मुस्कुराहट को देखकर वहां मौजूद बाकी के सैनिकों को आश्चर्य हुआ साथ ही गर्व के भरतपुर राज्य के सैनिक भी आश्चर्यचकित हो गए उन सब ने आश्चर्यचकित होकर गर्व की तरफ देखा इस वक्त गर्व थोड़ा नीचे झुके हुए अपनी तलवार पर अपनी पकड़ को मजबूत करके खड़ा हुआ था उन्होंने जैसे ही देखा कि गर्व पूरी तरह से लड़ाई के लिए तैयार है उन्हें अपनी भूल समझ में आ गई फिर उन्होंने भी अपनि नजर उस हत्यारों के नेता कामराज की तरफ घुमा दी वह कामराज गर्व की तरफ देखकर थोड़ा मुस्कुराया और वह पीछे पलट कर जाने लगा यह देखकर तो वहां मौजूद गर्व के साथ भागी के सैनिक भी हक्के बक्के रह गए उन्हें तो लगा कि उस कामराज के साथ उन्हे लड़ाई करनी पड़ेगी पर वह तो तेजी से वहां से गायब हो गया और उसके साथ उसके हत्यारे लोग भी यहां से चले गए हो वह तो फिर से उन सैनिकों पर हमला कर सकते थे पर उन्होंने ऐसा नहीं किया पर क्यों नहीं यही गर्व के साथ बाकी के सैनिक भी सोच रहे होते हैं तभी गर्व को कुछ महसूस हुआ उसने अपने सामने की जो जमीन थी उस पर बर्फ को फैलाना चालू किया उसने वहां तक एक बर्फीला रास्ता बनाया जहां पर वह कामराज खड़ा होता है उसने वहा पर जो देखा उसको देखकर वह हक्का-बक्का रह गया उसका शक यकीन में बदल गया इस वक्त गर्व के पीछे पीछे कुछ कुछ सैनिक भी जमा हो गए वह भी अपने सामने का नजारा देखकर आपके हक्के बक्के रह गए थे वहां पर जिस जगह पर कामराज खड़ा हुआ होता है वहा पर 5 लोगों के शरीर नीचे जमीन पर पड़े हुए थे और उनके शरीर पर वस्त्र नहीं होते हैं और उनके शरीर पर जगह-जगह चोटों के निशान बने हुए होते हैं और उन चोटो से लगातार खून बहते जा रहा था गर्व ने फिर अपने सैनिकों को उन लोगों को उठाने का आदेश दिया और अपने साथ लाने को कहा उन्होंने उन लोगों को उठाया और वहां उनको अपने साथ लेकर वापस बर्फीली सतह पर जाने लगे पर यह देखकर वहां मौजूद बाकी के सैनिकों को अच्छा नहीं लग रहा था उनकी नजर में वह एक रोगी होते हैं जो कि तांडव कबीले के हत्यारे होते हैं उनके जरिए उन सैनिकों में भी रोग का फैलाव हो सकता है इसके कारण वहां पर मौजूद बाकी के सैनिकों ने गर्व को और उसके सैनिकों के समूह को चारों तरफ से घेर लिया और उनका विरोध करने लगे वहां पर मौजूद कुछ-कुछ सैनिकों ने अपने हथियारों को भी बाहर निकाल लिया था वह गर्व के साथ उसके सैनिकों को उन लोगों को बाहर फेंकने के लिए कह रहे थे पर गर्व अपने निर्णय पर अडिग होता है वह इन सैनिकों की बात को बिल्कुल भी मानने वाला नहीं होता है गर्व के चारों तरफ सैनिकों का समूह जमने लगा और उन्होंने गर्व का रास्ता ही रोक दिया उसे वह आगे एक कदम भी बढ़ने नहीं दे रहे थे पहले ही गर्व ने साबित कर दिया था कि और उसके साथी सैनिक उनके समूह से ज्यादा शूरवीर है यह बात उन्हें हजम नहीं हो रही थी इसलिए वह इस वक्त कुछ ना कुछ सोचे समझे गर्व का विरोध करते जा रहे थे इस वक्त उन लोगों के शरीर जिन्हे गर्व के सैनिकों ने उठाया होता है उनके शरीर से खून लगातार बाहर की तरफ बहते जा रहा होता है उनका इलाज गर्व को जल्द से जल्द करना होगा नहीं तो वह मारे भी जा सकते हैं वहां पर मौजूद कुछ सैनिकों ने अपने हथियारों को भी बाहर निकाल दिया था और वह हथियारों को गर्व की तरफ करते हुए खड़े हो गए यह देखकर गर्व के सैनिकों ने भी अपने हथियारों को बाहर निकाल दिया गर्व ने भी अपनी बर्फीले तलवार का आवाहन करते हुए उसे प्रकट कर लिया और उसने उन सैनिकों की तरफ देखकर ऊंची आवाज में कहा तुम लोग इस वक्त मेरी ही बनाई जगह पर खड़े हो और तुम मुझ पर ही तलवार तान कर खड़े हो तभी उसके बीच में एक सैनिक ने भी उसे आवाज में गर्व से कहा भले ही इस जगह को तुमने बनाया है पर इस वक्त यह जगह हमारी है अगर तुम मेरे से कोई भी हमारी जगह पर आगे बढ़ने की कोशिश करोगे तो मारे जाओगे यह मत सोचो कि तुमने उस कामराज के साथ अकेले लड़ाई करके बहुत बड़ा तीर मार लिया है तुम लोग अभी भी हमारे सामने बच्चे ही हो अपनी औकात को मत भूलो और अपनी औकात में रहना सीखो औकात गर्व ने ऊंची आवाज में कहा उसने आगे कहा औकात की ही बात है तो मैं तुम्हें आज अपनी औकात भी दिखा देता हूं अगर मैं इस जगह को बना सकता हूं तो मेरी औकात है कि मैं इस जगह को मिटा भी सकता हूं इतना कहकर उसने अपनी तलवार नीचे लगे बर्फ के अंदर घुसा दी उस बर्फ के अंदर वह तलवार घुसते ही वहा जमा हुई बर्फ तेजी से गायब होने लगी और वह वापस गर्व की बर्फीली तलवार में वापस जाने लगी क्योंकि गर्व का युद्ध मंडल बढ़ चुका होता है इसलिए उसकी जादुई शक्ति भी पहले से बढ़ चुकी होती है वह पहले तो सिर्फ अपनी तलवार से बर्फ को उत्पन्न कर सकता था पर वह बर्फ को वापस अपने तलवार के अंदर भेज भी सकता है वह बर्फ जैसे ही वहां से गायब होने लगी तभी वहां पर अंधेरे में फिर से उन हत्यारों की किटकिट करने की आवाज आने लगी उन हत्यारों की आवाज सुनकर उन सैनिकों में जो गर्व का विरोध कर रहे होते हैं उनके पसीने छूटने लगे उन हत्यारों ने पहले ही उनके आधे लोगों को मार दिया होता है और वह अभी भी वहां से गए नहीं थे वह उस गर्व की बनाए हुई बर्फीली जगह के थोड़ी दूरी पर मौजूद थे वहां पर वह सारे सैनिक इसीलिए सुरक्षित होते हैं क्योंकि गर्व ने हीं यहां पर जमीन पर पूरी तरह से बर्फ की चादर बिछा दी थी उन सब ने देखा होता है कि कैसे वह हत्यारों के नेता कामराज ने बाकी के हत्यारों के शरीर को खुद के अंदर सोख लिया था वह तो उन सिंह मानवों के बनाए किले पर भी सुरक्षित नहीं होते हैं उस जगह पर इतना हंगामा होते हुए देखकर उन सैनिकों के जो मुखिया होते हैं वह भी वहां पर आ गए और सिंह मानवो के मुखिया राज्यवर्धन सिंह भी वहां पर आ गए राज्यवर्धन सिंह को देखकर वहां मौजूद सारे सैनिकों की बोलती बंद हो गई उन्होंने गर्व से पूछा यहां पर क्या हो रहा है इससे पहले गर्व कोई जवाब देता वहां पर मौजूद एक सैनिक ने राज्यवर्धन सिंह से ऊंची आवाज में कहा देखो ना यह मूर्ख आदमी गर्व खुद को पता नहीं..….... वह सैनिक अपने आगे के वाक्य को पूरा नहीं कर सका उसके हाथ में वह जो तलवार को पकड़े हुए था और उस तलवार की नोक वह गर्व के तरफ करते हुए बोले जा रहा था यह देखकर राज्यवर्धन सिंह ने उसके गले को अपने एक हाथ से पकड़ा और हवा में उठा दिया उसके सिंह मानवो ने भी अपने हाथों में गर्व की दि हुई गदा को थाम लिया और वह गर्व के सैनिकों के आजू-बाजू खड़े हो गए जिस सैनिक को राज्य वर्धन सिंह ने अपने हाथों से उठाया होता है उसकी सांसे पूरी तरह से अटक चुकी होती है उसके हाथों से उसकी तलवार छूट कर नीचे गिर गई होती है और उसकी पूरी बोलती बंद हो चुकी थी राज्यवर्धन सिंह ने वहां मौजूद सारे सैनिकों की तरफ देखकर ऊंची आवाज में कहा और किसी को कुछ बोलने की इच्छा है तभी कट की आवाज आई वह हड्डी के टूटने की आवाज होती है राज्य वर्धन सिंह ने उसके गले को दबा दिया होता है उसके गले की हड्डी टूट गई होती है साथ ही उसकी आंखें उसकी जगह से पूरी तरह से बाहर आ चुकी होती है वहां मौजूद सारे सैनीक राज्य वर्धन सिंह की तरफ बड़ी बड़ी आंखों से देखते ही रह गए राज्य वर्धन सिंह ने उसके शरीर को एक हाथ से ही इस बर्फीली जगह के बाहर भेज दिया बर्फीली जगह के बाहर भेज दिया वह सीधा 30 फीट हवा में उड़ता हुआ इस बर्फीले जगह के बाहर जंगल के अंधेरे में चला गया और बाद में उसके शरीर के तोड़ने फोड़ने की आवाज आने लगी फिर राज्यवर्धन सिंह ने वहां मौजूद सारी सैनिकों की तरफ देख कर कहा हां तो और किसी को गर्व के बारे में कुछ कहना है तो वह सैनिक या उसका मुखिया मेरे सामने आ सकता है मैं उसके साथ अच्छे से प्यार से बातें करूंगा यह देखकर वहां मौजूद सारे सैनिकों ने अपनी नजरें नीचे झुका दी वहां पर किसी की भी राज्यवर्धन सिंह की तरफ देखने की हिम्मत नहीं होती है फिर राज्यवर्धन ने गर्व की तरफ देखा और उसने गर्व के कंधों पर अपने हाथ रख कर उससे कहा आज तुमने मेरी जान बचाई है मैं तुम्हारे एहसान को बदला अपनी पूरी जिंदगी भर नहीं चुका सकता हूं अगर मुझे आज हत्यारों के साथ यहां मुझे बाकी के सैनिकों के साथ भी लड़ना पड़े तो मैं लडूंगा पर मैं तुम्हारी रक्षा करूंगा इसके बाद राज्यवर्धन गर्व को लेकर सामने की तरफ जाने लगा गर्व ने वहा पर अपनी तलवार को जमीन से निकाल दिया उसने अभी तक 50 मीटर में जमी हुई बर्फ को अपनी तलवार में वापस भेज दिया था उसको वहीं पर रोककर गर्व अपनी तलवार के साथ साथ राज्य वर्धन सिंह के पीछे पीछे जाने लगा इस वक्त राज्यवर्धन सिंह के रास्ते में आने का किसी मे साहस नहीं होता है और वह उसको रास्ता दिए जा रहे थे गर्व को और उनके सैनिकों को राज्यवर्धन सिंह के सैनिक चारों तरफ से उन्हें बाकी के सैनिकों से सुरक्षा दिए जा रहे थे जल्द ही राज्य वर्धन सिंह एक बड़े पेड़ के नीचे आया इस पेड़ के नीचे गर्व ने उन घायल लोगों को जमीन पर रख दिया उसने फिर अपने थैले में हाथ डालकर कुछ जड़ी बूटियों को बाहर निकाला और इसे उसने उन लोगों को खिला दिया उनके घाव वहा पर तमाशा होने के कारण बढ़ते जा रहे थे और वह जल्दी मरने वाले होते हैं अगर उन्हें और देर हो जाती तो वह घायल लोग जिंदा नहीं रह पाते और मर जाते पर गर्व ने तुरंत ही उनको जड़ी बूटियां खिला दी इससे उनसे घाव ठीक होने लगे पर उनकी शारीरिक शक्ति खत्म हो गई थी और वह बेहोश हो गए उनके शरीर को पोषण की आवश्यकता होती है और वह भोजन से पूरी हो सकती है फिर वहां पर उन सिंह मानवो के पास जो खाना बचा होता है उसको ही उन्होंने गर्व को दे दिया गर्व ने उनके मुंह को जबरदस्ती खोल कर उनके मुंह में पानी और खाने को डाला गया और फिर थोड़ी देर बाद उन घायल लोगों को शक्ति आने लगी और वह थोड़ी-थोड़ी होश में आने लगे यह देखकर राज्य वर्धन सिंह आश्चर्यचकित हो गया क्युकी जड़ी बूटियों का विषय दुनिया में बहुत ही कठिन विषयों में से एक होता है उसको भी उसके राज्य में सबसे कठिन यही विषय लगता है उसे लगा नहीं था कि गर्व को युद्ध कला के साथ साथ जड़ी बूटियों का भी गहरा अभ्यास होगा उसको भी इन बड़े घाव को ठीक करने के लिए कौन सी जड़ी बूटियों की जरूरत होती है यह अच्छे से याद नहीं आ रहा होता है इस वक्त वहा पर गर्व और राज्यवर्धन सिंह के साथ साथ कोई भी मौजूद नहीं होता है