१०६

बाकी के सैनिकों के समूह गर्व और राज्यवर्धन सिंह के समूहों के दूर खड़े हुए होते हैं वह कोई चर्चा करते जा रहे थे फिर उस सैनिकों के जो मुखिया होते हैं जो कि इस परीक्षा के मुख्य परीक्षार्थी होते हैं वो राज्यवर्धन सिंह के पास चल कर आ रहे थे उन्हें देखकर वहां मौजूद सिंह मानवो ने उनको वहीं पर रोक दिया उन्होंने उनको गर्व के और राज्यवर्धन सिंह के करीब जाने नहीं दिया राज्यवर्धन सिंह ने जैसे ही देखा कि वह मुख्य परीक्षार्थी उनके करीब आते जा रहे हैं उसने उन्हे ऊंची आवाज में कहा अब क्या चाहिए अब क्या हुआ तुम लोगों को उनमें से 1 परीक्षार्थी उम्मीदवार ने राज्यवर्धन सिंह से हाथ जोड़कर कहा हमें माफ कर दो हमारे सैनिकों से भूल हो गई हमारे सैनिकों ने गर्व को पहचानने में भूल कर भी अगर गर्व भैया जी कुछ कर सकते हैं तो वह जरूर ही कुछ सोच समझकर ही कर रहे होगे गर्व भैया जी यह शब्द सुनकर गर्व को तो झटका ही लग गया वह लोग तो तू तड़ाक से एकदम गर्व भैया जी पर आ गए गर्व ने अपने मन ही मन में सोचा उसने उनकी आगे की बात सुनी उन लोगों ने आगे कहा अगर गर्भ भैया जी चाहे तो हम उनके सामने अपने घुटने टीका कर उनसे माफी मांगने के लिए तैयार है इतना कहकर उन लोगों ने अपने सैनिकों का आवाज लगाई और वह तुरंत ही वहां पर पहुंच गए और वहां एक-एक करके अपने घुटने दिखाकर गर्व और राज्यवर्धन सिंह के सामने अपने घुटने टीका कर नीचे बैठने लगे यहां देखकर गर्व तुरंत ही उनके सामने आ गया और उसने उनसे ऊंची आवाज में कहा आप लोगों को हम से माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है मैंने आप लोगों को पहले ही माफ कर दिया है फिर भी आप लोग हमसे सच में माफी मांगना चाहते हैं तो आप लोग मैंने जो बर्फ की जगह बनाई है उसकी रात भर पहरेदारी करें और कभी भी कोई भी खतरा उत्पन्न ना हो तो हमें तुरंत ही उसकी सूचना करें यह सुनकर तो राज्यवर्धन सिंह अपनी आंखें फाड़ फाड़ कर गर्व की तरफ देखने लगा वह तो अपने सपने में भी सोच नहीं सकता था कि गर्व उनको इतनी आसानी से माफ कर देगा अगर वह गर्व की जगह पर होता तो वह सपने में भी उन लोगों को माफ नहीं करता क्योंकि उन लोगों ने गर्व के साथ कितना बुरा सलूक किया होता है वह लोग गर्व की बनाई हुई जगह से ही उसको बाहर निकालने की कोशिश करते जा रहे होते हैं फिर भी गर्व ने उन लोगों को इतनी आसानी से माफ कर दिया होता है इसका उस राज्यवर्धन सिंह को बहुत ही आश्चर्य हो रहा था पर गर्व ने यहां पर किसी को भी माफ नहीं किया होता है वह किसी भी चीज को इतनी आसानी से भूलता नहीं है गर्व को तो इस वक्त इस जगह की सुरक्षा की चिंता होती जा रही थी वह हत्यारे यहां से जाने के बाद कभी भी किसी भी वक्त वापस आ सकते हैं और उन पर हमला कर सकते हैं क्योंकि इस वक्त उन सिंह मानवो का साथ पाकर गर्व का समुह बहुत ज्यादा ताकतवर हो गया था और इस बात को बाकी के समूह ने भी पहचान लिया था कि सिंह मानवों के सैनिकों का साथ पाकर वहा के बाकी के सैनिकों के समूह ज्यादा दिनों तक इन जंगलों में जिंदा नहीं रह सकते है यह बात वह अच्छी तरह से जानते थे इसलिए उन लोगों ने सिंह मानवो के साथ गर्व के सामने अपने घुटने टेक दिए थे उनके मन में गर्व के लिए अभी भी नफरत होती है और इस बात को गर्व उनकी आंखों में देख कर अच्छे से बता सकता था गर्व को उनकी इस हालत का फायदा उठाना होता है उसे तो इस दुनिया में किसी पर भी भरोसा नहीं होता है ना ही उन सिंह मानवो के ऊपर ना ही उसके साथ मौजूद सैनिकों के ऊपर उसका तो इस जिंदगी में बस एक ही लक्ष्य होता है कि अपनी पिछली जिंदगी की सच्चाई को जानना अगर उसे जरूरत पड़ी तो वह यहां पर सब को छोड़कर अपनी जान बचाने के यह से भाग भी सकता है उसे कोई मतलब नहीं कि वह जिंदा रहते हैं या फिर मरते हैं उसे तो बस इस परिस्थिति का फायदा उठाना होता है इसीलिए उसने उन लोगों को माफ करने का नाटक किया और उन्हें इस बर्फीली जगह की सुरक्षा करने के काम कर लगा दिया उन लोगों के पास वैसे भी गर्व की बात मनाने के अलावा कोई चारा नहीं होता है वहां अपनी जगह से नाखुशी से ही उठ गए उनकी नजर में तो यहां की चौकीदारी करने का काम तो गर्व का ही होता है उनका नहीं पर वह इस वक्त कुछ भी कर नहीं सकते थे वह अपनी जगह से उठे और इस बर्फीली जगह के किनारों की सुरक्षा करने के लिए चले गए जाते हुए गर्व ने उनको ऊंची आवाज में कहा अच्छे से निगरानी करना और चारों तरफ अपनी नजर रखना और कोई हत्यारा दिखे तो हमको तुरंत ही सूचना दे देनायह सुनकर उन सैनिकों के समूह को गुस्सा आ गया और उन्होंने अपनी हथियारों पर अपनी पकड़ को मजबूत कर दिया पर इस वक्त वह कुछ भी कर नहीं सकते थे वह लोग चुपचाप इस बर्फीली जगह कि किनारों की सुरक्षा करने के लिए चले गए यहां पर उन घायल लोगों को थोड़ा थोड़ा होश आने लगा उनके शरीर पर अभी भी कपड़े नहीं होते है उन लोगों की ऊंचाई लगभग साडे 5 फीट की होती है उनमें से सारे के सारे पुरुष होते हैं गर्व ने पर अपने थैले में हाथ डाला और उसने अपने स्टोरेज रिंग से कई सारे कपड़े निकाले और उनको पहना दिए वह सारे के सारे काफी डरे हुए दिखाई दे रहे होते हैं गर्व ने वहां मौजूद सैनिकों को अपने हथियार नीचे करने को कहा गर्व ने उन घायल लोगों से कहा घबराओ मत यहां पर कोई भी तुम्हें चोट नहीं पहुंचा सकता या फिर तुम पर हमला नहीं कर सकता है इस वक्त वह बेहोश लोगों को होश में आने के बात वहां मौजूद सारे सैनिकों में जंगल की आग की तरह फैल गई और वह सब वहां पर जमा होने लगे यह देखकर गर्व ने राजवर्धन सिंह के कानों में कुछ कहा और फिर राजवर्धन सिंह ने उन सैनिकों को उनके मुखिया को यहां पर बुलाने को कहा और बाकी के सैनिकों को वापस पहरेदारी पर लौटने का आदेश दिया राज्य वर्धन सिंह के आदेश को अनदेखा करना उन सैनिकों के बस में नहीं होता है उन्होंने पहले ही देखा होता है कि कैसे उस राज्यवर्धन सिंह ने किसी की परवाह न करते हुए उनकी एक सैनिक को किसी मक्खी की तरह मार डाला था वह सैनिक तुरंत वहां से वापस चले गए और उन्होंने उनके मुखिया को इस बात की जानकारी दी और वह सारे राज्यवर्धन और गर्व के पास जमा हो गए फिर गर्व ने उन घायल लोगों को उन सैनिकों के मुखियाओं की तरफ उंगली करते हुए कहा देखो यह सब यहां पर तुम लोगों की सुरक्षा करने के लिए ही मौजूद है हम तुम लोगों से वादा करते हैं हम तुम लोगों को कुछ भी नहीं होने देंगे पर सबसे पहले तुम लोगों को सब कुछ सच-सच बताना पड़ेगा वह घायल लोग वहां मौजूद सैनिकों की तरफ और गर्व की तरफ देख कर थोड़ी देर तक घूरते रहे फिर उनमें से एक ने गर्व की तरफ देखकर कहा देखो मैं भी अनंता देश का निवासी हूं मुझे पता है कि तुम लोग केंद्रीय अधिकारियों की परीक्षा देने वाले उम्मीदवार हो यह सुनकर वहां मौजूद सारे के सारे लोग हक्के बक्के रह गए इसे कैसे पता है कि हम केंद्रीय अधिकारी की परीक्षा के परीक्षार्थी है और यह तो उन तांडव कबीले का हत्यारा है ना उसे हमारे बारे में कैसे पता है वह लोग मन ही मन में सोचने लगे गर्व भी इस वक्त यही सोच रहा होता है कि इस आदमी को उनके बारे में इतनी सारी चीजों के बारे में कैसे पता है गर्व से रहा नहीं गया और उसने उससे पूछ लिया कि तुम्हें हमारे बारे में कैसे पता है यह सुनकर उसके चेहरे पर हंसी आ गई वह तो यह सवाल सुनकर जोर जोर से हंसने वाला होता है पर उसकी शारीरिक शक्ति इतनी नहीं होती है कि वह जोर जोर से हंस सके वह तो ज्यादा बोल भी नहीं पा रहा होता है यह उसको देखकर साफ साफ पता चल रहा होता है उस आदमी ने आगे कहा मेरा मेरा नाम विश्वनाथ है और मैं भी तुम्हारी तरह ही केंद्रीय अधिकारी की परीक्षा देने के लिए जंगल में आया हुआ था यह सुन कर वहां मौजूद सारे के सारे सैनिकों के मुखिया को झटका ही लग गया क्योंकि वह सारे उनके सैनिकों की मुखिया होती है अगर यह आदमी जो बता रहा है कि उसने भी केंद्रीय अधिकारी की परीक्षा दी थी और वह मुखिया होते हुए भी हत्यारों का गुलाम बन गया था इससे उनको खुद के बारे में डर लग रहा था पर गर्व को इस बारे में पहले से ही पता होता है उसे मालूम होता है कि अगर कोई भी एक बार उस तांडव

कबीले के लोगों में शामिल हो गया तो वह एक आजाद आदमी नहीं होता है वह अपने खुद के निर्णय खुद नहीं कर सकता है उसके निर्णय दूसरे करते हैं और वह जो निर्णय करते हैं तुम चाहो या फिर ना चाहो तुम वही करते जाते हो फिर विश्वनाथ ने थोड़ा रुक कर और थोड़ी लम्बी सांसे लेकर आगे बताया सब लोग सुनो मेरा नाम विश्वनाथ है और मैं अनंता देश का रहवासी हूं मैं भी एक तुम्हारी तरह ही केंद्रीय अधिकारी बनने का सपना लेकर इस जंगल में यहां पर आया था मुझे ठीक से याद नहीं कि मैं और मेरे साथी सैनिक जंगल में कब आए थे उस दिन हम शाम को केंद्रीय अधिकारी के कार्यालय के बाहर पश्चिम दिशा में जंगल की तरफ निकले थे उस दिन मेरे सैनिकों में और मुझ में बड़ा ही जोश था हम सब इस जंगल में मौजूद सारे तांडव कबीले के हत्यारों को मारने के इरादे से निकले थे हमारे साथ बाकी के सैनिकों के समूह भी थे और वह इस दुनिया के कोने कोने से यहां पर आए हुए थे उस रात हम सब सैनिकों के समूह एक हो गए हम सब ने मिलकर उन हत्यारों को सबक सिखाने का और उनको परलोक में भेजने की योजना बनाई थी मुझको इस वक्त कुछ खास याद नहीं आ रहा पर उस वक्त हम सारे मिलकर कुछ 5000 की तादाद में सैनिक और उनके मुखिया थे हम सब ने सारी तैयारियां की और हमने पहाड़ियों की नीचे चारों तरफ अपना डेरा डाल दिया हम जो भी यहां पर मौजूद होते हैं वह सारे के सारे पृथ्वी मंडल के सैनिक होते हैं हमें पूरा यकीन होता है कि हम उन हत्यारों को पूरी तरह से खत्म कर देंगे