१०७

पर उस रात पता नहीं क्या हुआ यहां पर जो भी सैनिक मौजूद होते है वह देखते ही देखते मारे जा रहे थे यहां पर चारों तरफ सैनिकों के हाथ पैर टूट कर यहां वहां बिखरने लगे वह हत्यारे हम पर हमला कहां से कर रहे थे हम लोगों को कुछ भी पता नहीं चल रहा था फिर हम सब ने मिलकर उन पहाड़ों की तरफ धावा बोल दिया हमने उन पहाड़ियों के ऊपर चढ़ने की कोशिश की जो भी उन पहाड़ियों पर जाने की कोशिश करता आश्चर्यजनक रूप से वहां से गायब होते जा रहा था हमारे पास जो भी मशाले होती है वह एक पल में बूझ गई हमारे कवच से से जो प्रकाश निकल रहा हो तो वह भी निकलना बंद हो गया पर फिर भी हम लोगों ने बिल्कुल भी हार नहीं मानी फिर हम सारे सैनिकों ने एक दूसरे के हाथ पकड़ लिए और हम एक दूसरे का सहारा लेकर आगे की ओर बढ़ने लगे पर तभी पता नहीं क्या हुआ और मैं बेहोश हो गया और जब मेरी आंख खुली तो मैं इस वक्त तुम्हारे सामने बैठा हुआ हूं मेरी भी तुम लोगों से सिर्फ एक ही सलाह है तुम लोग सभी इसी वक्त केंद्रीय अधिकारी की इमारत में तुरंत ही वापस लौट जाओ यह पूरा जंगल बहुत ही मायावी है अगर यह सच है कि तुम केंद्रीय अधिकारी के परीक्षा के परीक्षार्थी हो तो मुझे शक है की मुझे गायब होकर 1 साल या फिर कई साल बीत चुके होंगे और मुझे इस वक्त क्या हुआ इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है तुम गायब नहीं हुए थे तुम तांडव कबीले के गुलाम बन चुके थे गर्व से रहा नहीं गया और उसने उस विश्वनाथ को बीच में ही रोकते हुए उससे कह डाला अब तक उस विश्वनाथ की बातों को सुनकर वहां मौजूद बाकी के सैनिक भी समझ चुके होते है की ये तांडव कबीले के हत्यारे लोगों को गुलाम बनाते हैं और जिनको गुलाम बनाया जाता है उनको भी मालूम नहीं होता है कि वह गुलाम बन चुके होते हैं और वह उन तांडव कबीले के नेता की बातों का पालन करते जाते हैं क्या? विश्वनाथ चिल्ला पड़ा उसने आगे कहां है ऐसा हो ही नहीं सकता मैं और गुलाम? यह तो नामुमकिन है इस वक्त गर्व किसी को भी कुछ भी समझाने की हालत में नहीं होता है उसने उस विश्वनाथ से अपना ध्यान हटा दिया वह थोड़ी देर तक वहां पर ऐसे ही चिल्लाता रहा और थोड़ी देर बाद उसने गर्व की तरफ देख कर कहा क्या आप मुझे और बाकी के लोगों को वापस केंद्रीय अधिकारी की इमारत में वापस छोड़ सकते हैं अगर आपने ऐसा कर दिया तो मैं अपने राज्य मे जाकर आपको बहुत सारी धन-संपत्ति दूंगा मेरे पिताजी अनंता देश के बहुत बड़े उद्योगपति है वह तो मेरे जाने के बाद कितने दुखी हो गए होंगे मेरी मां की मेरे जाने के बाद रो रो कर बुरी हालत हो गई होगी पता नहीं मैं कितने सालों से जंगलों में भटक रहा हूं आप कृपया करके मुझे वापस केंद्रीय अधिकारियों की इमारत में छोड़ दे मैं आपके इस एहसान को जीवन भर नहीं भूलूंगा उसकी बातें सुनकर गर्व ने उससे कहा तुम्हे आज रात भर प्रतीक्षा करनी होगी इस वक्त यहां से बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं है अगर हम लोग यहां से बाहर गए तो हम सब इस दुनिया के ही बाहर चले जाएंगे वह विश्वनाथ मानने को तैयार नहीं हो रहा था वह लगातार गर्व को केंद्रीय अधिकारी की इमारत में चलने को कह रहा था वह लगातार 5 मिनट तक गर्व से एक ही बात कहे थे जा रहा था फिर गर्व से भी रहा नहीं गया और उसने उसको एक खींच के चांटा मार दिया और वह बेहोश हो गया यह देखकर वहा मौजूद सारे सैनिकों के मुखिया और राज्यवर्धन सिंह गर्व की तरफ़ आंखें फाड़ फाड़ कर देखे जा रहे थे फिर गर्व ने वहां पर मौजूद बाकी के 4 घायल लोगों की तरफ देख कर पूछा और किसी को जाना है तो बताओ हम तुमको कल सुबह ही केंद्रीय अधिकारी की इमारत में छोड़ देंगे किसी का कोई सवाल गर्व ने उनसे ऊंची आवाज में कहां गर्व को देखकर वह चारों के चारों काफी डरे हुए लग रहे थे गर्व का सवाल सुनकर उन्होंने अपनी गर्दन ना में हिला दी वहां मौजूद बाकी के सैनिकों के साथ राज्यवर्धन सिंह को भी यकीन नहीं हो रहा था कि गर्व ने जिन लोगों की जान बचाने के लिए इतनी मेहनत की यहां तक कि वहां मौजूद बाकी के सैनिकों से भी झगड़ा मोल लिया वह उन्ही लोगों को चाटा मार देगा और वो व्यक्ति फिर से बेहोश हो गया दरअसल इस वक्त गर्व किसी चीज के बारे में सोच रहा होता है और वह विश्वनाथ उसे बार-बार एक ही वाक्य को दोहराकर कर परेशान करते जा रहा था वैसे भी उसे उसके जरिए कुछ काम की बात को जानने नहीं मिली उसे तो उसने इसके लिए बचाया होता है कि उनके जरिए उसको कोई काम की बात पता चले पर उसने गर्व को कुछ भी नया नहीं बताया यह तो गर्व को पहले से ही पता होता है कि वह तांडव कबीले के हत्यारे लोगों को अपना गुलाम बनाते हैं और यही बात उस विश्वनाथ ने भी गर्व को बताई होती है उसने तो सिर्फ एक ही नई बात को गर्व को बताई होती है कि वह जैसे ही उन पहाड़ों की तरफ बढ़ने लगे उनकी मशाले अपने आप बूझ गई गर्व बस इसी बात की बारे में गंभीरता से सोच रहा होता है पर तभी उस विश्वनाथ ने गर्व को परेशान करना चालू कर दिया और गर्व ने उसको फिर से बेहोश कर दिया गर्व ने उस विश्वनाथ को इतनी ही जोर से चाटा मारा होता है कि कि वो बेहोश हो जाए मरे नहीं अगर गर्व खुद इन लोगों को केंद्रीय अधिकारियों के पास सोप दे तो उसका केंद्रीय अधिकारियों के बीच में अच्छा नाम हो जाएगा और उसके केंद्रीय अधिकारी बनने की संभावनाएं बढ़ जाएगी फिर गर्व ने वहां पर जमा हुए सारे सैनिकों के समूह के मुखिया लोगों से कहा इस रात कुछ भी हो जाए पर कोई भी अपने बहादुरी के घमंड में उन पहाड़ों की तरह बिल्कुल भी नहीं जाएगा अगर जो भी वहां पर गया तो उसकी इसी विश्वनाथ की जैसी हालत होगी और वह हमेशा के लिए गुलाम बन जाएगा उसको कोई भी बचा नहीं पाएगा इतना कहकर वह रुक गया और उसने उन सैनिकों के मुखिया को अपनी जगह पर वापिस भेज दिया इस वक्त गर्व को उनके आदेश देता हुआ देखकर सैनिकों के मुखिया को गुस्सा आते जा रहा था पर उन्होंने भी उस विश्वनाथ की बातों को ध्यान से सुना होता है की कैसे वह उन पहाड़ों पर जाते ही उन लोगों ने अपने ऊपर से नियंत्रण खो चुका होता है और वह उन तांडव कबीले के हत्यारों के गुलाम बन गए होते हैं और उन्हें मालूम भी नहीं होता है कि वह कब तक गुलाम बने हुए होते हैं उन्होंने उन लोगों के दिमाग पर अपना पूरा नियंत्रण बना लिया होता है

वह उन पहाड़ों के ऊपर थोड़ा चढ़ ही चुके होते हैं उनकी किस्मत अच्छी होती है कि उन्होंने सिंह मानवो को पहाड़ो के नीचे डेरा डालते हुए देख लिया था और उन्होंने भी उन सिंह मानवों का अनुकरण करते हुए उन पहाड़ों के नीचे अपना डेरा जमा दिया वह लोग तुरंत ही अपने अपने सैनिकों के समूह में चले गए उन सैनिकों ने इस ५०० मीटर की जगह को हर तरफ से घेर लिया था और वह यहां की पहरेदारी करते जा रहे होते हैं उनके बीच में सिंह मानवो के साथ-साथ गर्व के सैनिकों का समूह होता है वह सैनिकों के मुखिया तुरंत ही अपने अपने सैनिकों की तरफ गए और उन्हें सख्त हिदायत दी की कुछ भी हो जाए कि आज रात उन्हे उन पहाड़ों की तरफ् बिल्कुल भी जाना नहीं है अगर कोई भी ऐसी हिम्मत करता है तो वह उसके लिए खुद ही जिम्मेदार होगा साथ ही उन्होंने उन लोगों को यह भी बताया कि वह हत्यारे कैसे लोगों को अपना गुलाम बनाते हैं और उनसे अपना काम करवा लेते हैं यह समझ कर उनके मन में एक अजीब सा डर बैठ गया उनमें से कोई भी किसी का गुलाम नहीं बनना चाहता था और वह इस बर्फ की जगह से बाहर जाने का तो सपने में भी सोच नहीं सकते थे और साथ ही उन्होंने गर्व के बारे में अपने मन में चल रहे नकारात्मक भावनाओं को भी बाहर निकाल दिया यह गर्व ही होता है जिसके वजह से आज रात उनके प्राण बच गए थे नहीं तो आज रात को तो वह यही पर मारे जाते या फिर तांडव कबीले के हत्यारों के गुलाम बन जाते और उनका गुलाम बनकर वह क्या करते इनके बारे में उनको खुद को भी पता नहीं चलता वह सैनिक पूरी रात भर जागते रहे और उस जगह की पहरेदारी करते रहे पर उस जगह पर पूरी रात भर कुछ भी नहीं हुआ जैसे ही वहां पर सुबह हुई वहां मौजूद लोगों की जान में जान आ गई क्योंकि वह हत्यारों का समुदाय अपने काले रंग का फायदा उठाकर रात में ही हमला कर सकते थे और अब चारों तरफ उजाला हो जाने के कारण वह इस वक्त उन पर हमला नहीं कर सकते हैं वहां पर जैसे ही सुबह हुई गर्व ने राज्यवर्धन सिंह से कहा कि हमें इन गुलाम लोगों को वापस छोड़ देना चाहिए अगर हम लोग वापस केंद्रीय अधिकारी की इमारत में गए तो हमें अनुत्तीर्ण कर दिया जाएगा इसके कारण वह राज्यवर्धन सिंह ज्यादा चिंतित नहीं दिखाई दे रहा था उसने गर्व से कहा नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है जो केंद्रीय अधिकारी की इमारत है हम उन्हें उसकी थोड़ी ही दूरी पर छोड़ देंगे क्योंकि उस इमारत के 2 किलोमीटर के जंगल के दायरे में केंद्रीय अधिकारी के लोग गस्त लगाते हैं अगर यह उनको दिख गए तो फिर हमारा काम भी बन जाएगा और हम अपनी परीक्षा में अनुत्तीर्ण भी नहीं होंगे हम्मम तो ठीक है मैं और मेरे साथी इन लोगों को सुरक्षित उस जगह तक छोड़ आते हैं तब तक तुम लोग इस जगह से कहीं जाना नहीं मैं वापस आऊंगा तब हम आगे की योजना बनाएंगे इतना कह कर गर्व ने अपने सैनिकों को बुलाया और उन घायल लोगों को थोड़ा खिला पिला अपने कंधों पर चढ़ा दिया और और वह फिर केंद्रीय अधिकारी की इमारत की तरफ निकल गए इस वक्त राज्यवर्धन सिंह ने गर्व के साथ अपने सिंह मानवों को भी भेजा अगर रास्ते में उन पर कोई खतरा आए तो यह लोग उनकी मदद करेंगे गर्व ने राज्यवर्धन सिंह को बहुत मना किया पर राजवर्धन सिंह ने गर्व की एक भी बात नहीं मानी और गर्व के साथ अपने दस सिंह मानवों को भी भेजा गर्व कुछ भी नहीं कर सकता था और उसे उन दस सिंह मानवो की मदद लेनी ही पड़ी यहां से केंद्रीय अधिकारी की इमारत की दूरी 40 किलोमीटर होती है पर वह सब लोग दौड़ते दौड़ते आधे घंटे के अंदर ही उस इमारत के नजदीक पहुंच गए