गर्व के दिमाग के घोड़े इस वक्त प्रकाश से भी ज्यादा तेज गति से दौड़ रहे होते हैं उसे समझ में नहीं आ रहा होता है कि वह इस वक्त क्या करें यहां पर बहुत सारी जगह पर करीब 200 जगहों पर उन सैनिकों के समूह ने अपने डेरे जमाए हुए थे तभी वहां पर एक सैनिकों का समूह मौजूद होता है वहां पर अचानक से ठंड बढ़ने लगी और उनके आजू-बाजू के पेड़ों पर अपने आप बर्फ जमा होना चालू हो गई इसके कारण वह सैनिक भड़क गए और उन्होंने अपने अपने हथियार निकाल लिए उनका जो सैनिकों के समूह का मुखिया होता है उसने अपनी तलवार निकालते हुए आजू बाजू देखकर ऊंची आवाज में कहा कौन है वह मूर्ख जिसने हमसे मजाक करने का दुस्साहस किया है वह आज अपनी जान से जाएगा उसकी आवाज बहुत ही बड़ी होती है वह वहां मौजूद सारे के सारे सैनिकों के समूह के तरफ पहुंच गई और वह उसके आवाज के तरफ अपना काम छोड़कर देखने लगे उसकी आवाज की वजह से वहां मौजूद कामराज भी हड़बड़ा गया उसे इस बात की कतई उम्मीद नहीं होती है कि वहां पर पहले ही कुछ हंगामा हो जाएगा दरअसल यह काम गर्व का ही होता है क्योंकि गर्व की काले ध्यान की शक्ति जाग गई थी इसलिए उसके काले जादू की शक्ति भी जाग उठी थी और वह अपने हथियारों पर भी इस काले जादू का इस्तेमाल कर सकता था वह अपने बर्फीले तलवार को 50 मीटर के दायरे में कहीं पर भी कभी भी प्रकट कर सकता है और उसने वहां पर 1 सैनिकों के समूह को पहले ही भाप लिया होता है कि वह यहां पर सबसे ताकतवर सैनिकों का समूह है इसलिए गर्व ने उनके सर पर जो पेड़ मौजूद होते हैं वहां पर अपने तलवार से बर्फ को फैलाना चालू किया और गर्व ने उस बर्फ को उनके खाने के ऊपर भी गिरा दिया जैसे ही वह सैनिक भड़क गए थे गर्व ने अपने तलवार को अदृश्य भी कर दिया क्योंकि वहां पर काम राज की नजर चली गई होती है इसीलिए गर्व के दिमाग में फिर से आवाज आई पीछे हटो और अंधेरे में जाओ इन सैनिकों नजर में नहीं आना है फिर उन हत्यारों ने किसी यंत्र की तरह उनकी आदेश का पालन किया और वह सारे के सारे हत्यारे कदमताल करते हुए किसी यंत्र की तरह पीछे की तरफ जाने लगे और गर्व भी किसी यंत्र की तरह उनके कदमों से अपने कदम मिलाते हुए पीछे की तरफ जाने लगा और वह सारे के सारे हत्यारे पीछे की तरफ अंधेरे में चले गए यह कामराज कुछ भी हो जाए बहुत सिधी लड़ाई लड़ने वाला नही होता है यह गर्व समझ चुका था गर्व भी चालाक होता है उसने सोचा कि अगर यह कामराज अपने दिमाग से बाकी के हत्यारों पर नियंत्रण कर सकता है तो वह क्यों नहीं क्योंकि वह भी कोई गुलाम नहीं होता है जो कि इस वक्त उसके चारों दिशाओं में मौजूद होते हैं गर्व को इस वक्त कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा उसने वहा मौजूद हर हत्यारों को जो कि पत्थरों के बीच में लिपटा होता उनके दिमाग से अपना दिमाग के संपर्क को स्थापित करने की कोशिश करने लगा क्योंकि इस वक्त वह काम हड़बड़ाया होता है इसलिए उसको गर्व कि इस चालाकी का कोई भी पता नहीं लग रहा होता है वह तो इस वक़्त आगे की योजना के बारे में सोच रहा होता है कि कैसे इन सैनिकों के समूह को आपस से अलग किया जाए इसका ही फायदा उठाकर गर्व ने अपनी स्टोरेज रिंग को जाचना शुरु कर दिया वह अभी भी उसी के ही हाथों की उंगलियों में होती है यह देखकर गर्व ने राहत की सांस ली क्योंकि यह स्टोरेज रिंग भले ही एक रिंग होती है पर इसका बहुत ही बड़ा काम होता है क्योंकि इस वक्त गर्व काले जादू का उपयोग कर सकता था इसलिए उसने अपने हाथों पर लगे पत्थर को हटाया और उसमें से उसने स्टोरेज रिंग को निकाल दिया स्टोरेज रिंग को भी गर्व 50 मीटर के दायरे में कहीं पर भी रख सकता था या फिर इसका उपयोग कर सकता था पर वह स्टोरेज रिंग को अदृश्य नहीं कर सकता था इस वक्त वह जो सैनिकों का समूह भड़का हुआ होता है उसके आजू-बाजू बाकी के सारे सैनिक जमा हो गए थे और वह उनसे उनकी परेशानी का कारण पूछ रहे होते हैं वो जो भड़के हुए सैनिकों के समूह थे उसके मुखिया का नाम वीरेश होता है वह सारे बाकी के सैनिक उन्हें विरेश भैया विरेश भैया कहकर पुकार रहे होते हैं वीरेश उन सबसे ऊंची आवाज में बातें करते जा रहा था उसने उनसे कहा कौन है वह कमीना जिसने हमारे सैनिकों पर बर्फ ऊंचालने का दुस्साहस किया वह आज जिंदा नहीं बचेगा फिर वहां मौजूद सारे सैनिकों ने एक दूसरे के चेहरे की तरफ देखा और फिर उनोहने विरेश की तरफ देखा उन सैनिकों में से एक ने वीरेश को सवाल पूछा बर्फ पर यहां पर बर्फ आई कहां से उस सैनिक ने तो उत्सुकता वश वीरेश से सवाल पूछा होता है क्योंकि यहां पर चारों तरफ बर्फ का कोई भी नामोनिशान नहीं होता है उस सैनिक का सवाल सुनकर वीरेश को गुस्सा आ गया और उसने अपनी तलवार निकाल दि उसको देख कर उसके बाकी के सैनिकों ने भी अपने-अपने हथियार निकाल दिए जैसे ही वीरेश के सैनिकों ने अपने अपने हथियार निकाले वहां पर जो दूसरे सैनिकों के समूह होते हैं उन्होंने अपने मुखिया के आदेशों की परवाह किए बिना अपने हथियार निकाल दिए जैसे ही वहां पर मौजूद सैनिकों ने अपने हथियारों को निकाल दिया गर्व के कानों में आवाज आई मार डालो टूट पड़ो इन सैनिकों पर इन मूर्खों को आज हम अपना गुलाम बनाएंगे यह सुनते ही वहां मौजूद सारे के सारे हत्यारे उन सैनिकों पर टूट पड़े सच में यह कामराज बहुत ही चालक होता है उसे पता होता है कि कब उनका शिकार करना होता है और कब उन पर हमला करना होता है जैसे ही वह हत्यारे उन सैनिकों की तरफ दौड़ पड़े वह सारे के सारे सैनिक हड़बड़ा गए और हड़बड़ाहट में वह यहां वहां देखने लगे गर्व के अंदाजे के मुताबिक उन सैनिकों की संख्या बहुत ज्यादा होती है उनकी संख्या करीब हजार के आस पास हो सकती है और वहां मौजूद हत्यारों की संख्या लगभग 500 के करीब हो सकती है पर इस वक्त वह सारे के सारे सैनिक हत्यारों के हमला करने की वजह से हड़बड़ा गए थे और यहां वहा देखने लगे वहां मौजूद हत्यारे उन सैनिकों की तरफ अपनी पीठ पर लगी रस्सिया फेंकने लगे और वह रस्सिया उन सैनिकों के शरीर पर लिपट जाती और वह हत्यारे उन सैनिकों को अंधेरे में खींच लाते गर्व देखता है वह हत्यारे उनके शरीर को अपने खुले हाथों से चीर डालते यह देखकर वहां मौजूद सारे के सारे सैनिक एक हो गए और उन्होंने तादाद में कम हत्यारों की तरफ हमला बोल दिया और उनकी तरफ अपने हथियारों को लेकर दौड़ पड़े इस वक्त गर्व के दिमाग में कई सारे आवाजे चल रही होती है और यह आवाज है उसी हत्यारों के नेता कामराज की होती है उसने जैसे ही देखा कि वहां मौजूद सारे के सारे सैनिक उन हत्यारों की तरफ अपने हथियारों को लेकर टूट पड़े हैं उसने उन हत्यारों को दाएं और बाएं जाने का आदेश दिया और फिर से अंधेरे में गायब होने का आदेश दिया उन्होंने वैसा ही किया और वह सारे के सारे उन सैनिकों से दूर फिर से अंधेरों में गायब हो गए वह सैनिक जैसे ही हत्यारों की जगह पर आए उन्होंने देखा कि वहां पर उनके साथी सैनिकों के क्षिप्त विक्षिप्त शरीर पड़े हुए हैं वह सारे के सारे सन्न रह गए और अपने मरे हुए सैनिकों के शरीरो को देखकर सदमे में चले गए फिर से गर्व के दिमाग में आवाज आई टूट पड़ो सैनिकों पर और उनके हाथ पैर तोड़ डालो फिर से वही हुआ फिर से उन्होंने उन गम में डूबे सैनिकों को अपनी तरफ खींचा और उनके शरीर को क्षिप्त विक्षिप्त कर दिया इस बार वह हत्यारे पहाड़ों की दिशा में जमा हुए थे और उन हत्यारों ने उन सैनिकों को पहाड़ों की दिशा में अंधेरे में खींचा हुआ था तो यह उनका असली मकसद है गर्व ने अपने मन ही मन में सोचा दरअसल यह हत्यारों का नेता कामराज इन सैनिकों को मारना नहीं चाहता है वह तो उन सैनिकों को अपना गुलाम बनाना चाहता है वह उन सैनिकों को मजबूर करना चाहता है कि वह सारे के सारे सैनिक पहाड़ों की तरफ जाए और पहाड़ों में फसकर उन तांडव कबिले के हमेशा हमेशा के लिए गुलाम बन जाए वैसे तो गर्व भी इस वक्त गुलाम बन गया होता और उसे पता भी नहीं चलता कि वह किसी का एक साल से गुलाम बन चुका है वह तो शुक्र है कि पता नहीं गर्व के दिमाग में क्या बात आ गई उसने उन तांडव कबिले की गुफा से चोरी की हुई इतनी सारी किताबों में से सिर्फ काले ध्यान की ही किताब चुनी और पूरे 2 महीनों तक उसका दिन रात तक अभ्यास किया नहीं तो वह भी वहां पर उन हत्यारों की तरह किसी का गुलाम बन चुका होता और उसे पता भी नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है वैसे तो गर्व के शरीर पर भी पत्थर लिपटे हुए हैं पर उसका अपने दिमाग पर पूरा नियंत्रण है वह कामराज की चाल को समझ गया होता है और उसकी यह इच्छा नहीं होती है कि यहां पर जैसे उसके लोग इन तांडव कबीले के हत्यारों के गुलाम बन गए वैसे भी यह भी लोग इनके गुलाम बन जाए अगर वहां पर लोग ऐसे ही गुलाम बनते रहेंगे तो इन तांडव कबीले के हत्यारों की तादाद बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी और वह एक दिन केंद्रीय सत्ता के अधिकारियो की इमारत पर अपना हमला बोल देंगे गर्व को इस वक्त कुछ सोचना होगा नहीं तो वह सारे के सारे सैनिक इन तांडव कबीले के गुलाम बन जाएंगे तभी गर्व ने अपनी बर्फीली तलवार को वह सैनिक जहां पर खड़े होते हैं उनको ऊपर पेड़ों की डालियों के बीच में प्रकट कर दीया और वहां पर चारों तरफ बर्फ को फैला दिया उस झाड़ियों के बीच में गर्व ने पूरे 15 झाड़ियों की डालियों को बर्फ से ढक कर पूरा सफेद कर दिया जैसे ही वहां पर चारों तरफ बर्फ फैलने लगी वीरेश की नजर उस पर गई और उसने उन झाड़ियों के तरफ देखा और वह समझ गया कि वह काम वहां मौजूद किसी भी सैनिकों का नहीं है यह जरूर ही उन हत्यारों का काम है जो कि यहां पर मौजूद है उसने बर्फीली जगह की तरफ देखा और ऊंची आवाज में कहा कौन है वह कायर जो अंधेरे में रहकर खेल खेल रहा है अगर दम है तो सामने क्यों नहीं आते वीरेश की बातें सुनकर नीचे खड़े सारे सैनिकों की नजर ऊपर जहां पर चारों तरफ बर्फ को भी बिछाया होता है उस पर चली गई