गर्व को इस वक्त सबसे ज्यादा ठीक होने के लिए जड़ी बूटियों की जरूरत होती है उसके शरीर के घाव को ठीक करने के लिए उसने तुरंत ही वहां मौजूद हत्यारों के दिमाग पर अपना कब्जा जमा लिया और अब उनके शरीर का इस्तेमाल करते हुए वह वहां पर जड़ी बूटियों की तरफ गया और उसने वहां पर रखी हुई जड़ी बूटियो को उठाया और एक पानी की बोतल भी उठाए इन जड़ी-बूटियों से किसी भी इंसान के शरीर के घाव तेजी से ठीक होते हैं और उनके शरीर में शक्ति भी आती है यह वही जड़ी बूटी होती है जो कि गर्व ने राजा वीर प्रताप सिंह के पक्षी को दी थी और वह एकदम से जाग गया था फिर उन हत्यारो ने इस जड़ी-बूटी के गर्व के मुंह में डाला और उनोहने गर्व के मुंह पर एक मुक्का भी मार दिया जिसके कारण वह जड़ी-बूटी गर्व के गले के अंदर उतर गई इस वक्त तो गर्व में अपने शरीर के किसी भी अंग को हिलाने की शक्ति नहीं होती है गले को भी नहीं इस वक्त उस हत्यारे के दिमाग को गर्व ही नियंत्रित कर रहा होता है और उसने ही उस हत्यारे के माध्यम से खुद के मुंह पर मुक्का मारा होता है वह जड़ी-बूटी जैसे ही गर्व के गले से उसके कलेजे में गई उसके कलेजे में मानो बम ही फट गया उसका दिल तेज गति से धक धक करने लगा उसके शरीर में खून की मात्रा कम हो गई थी वह अचानक ही बढ़ गई उसके सारे शरीर में खून तेज गति से बहने लगा और उसकी सारी चोटे ठीक होने लगी और उसके शरीर में फिर से पहले की तरह ही शक्ति आने लगी गर्व का दिमाग जो कि इस वक्त उस हत्यारे के दिमाग में होता है वह वापस उसके दिमाग में आ गया और वह एकदम से खड़ा हो गया इस वक्त गर्व की आंखें गुस्से से लाल हो चुकी थी उसे इस वक्त बदला चाहिए होता है वह अपने हर एक दर्द का हिसाब चुकाने वाला होता है उसने फिर वहां पर रखी बाकी जड़ी बूटियों को भी निगल गया जिससे कि उसके शरीर में बहुत ज्यादा शक्ति आने लगी और उसके शरीर की नसें मोटी होने लगी और उसके शरीर का मांस भी फूलने लगा गर्व का शरीर इस वक्त किसी बहुत बड़े पहलवान के शरीर से कम नहीं लग रहा होता है उसने फिर वहां पर रखी सारे स्टोरेज रिंग को एक स्टोरेज रिंग में रख दिया और उनमें से 9 स्टोरेज रिंग को निकाल कर उसने अपने 9 उंगलियों में पहन लिया और अपने बर्फीली तलवार को प्रकट करके स्टोरेज रिंग के बाहर निकाल गया उसने अपने स्टोरेज रिंग से उन हत्यारों को बाहर नहीं निकाला होता है क्योंकि अगर गर्व उन हत्यारों को अपने स्टोरेज रिंग के बाहर निकाल देता तो उनके दिमाग से गर्व का दिमागी संपर्क खत्म हो जाता और वह वापस गर्व के ऊपर ही फिर से टूट पड़ते अचानक गर्व ने जमीन की मिट्टी से बाहर की तरफ छलांग मार दी और उसने उस जमीन में रखे स्टोरेज रिंग को अपनी आखिरी उंगली में पहना लिया और इस वक्त गर्म के 10 उंगलियों में स्टोरेज रिंग मौजूद होती है और इन सारे स्टोरेज रिंग के ऊपर गर्व ने काले जादू की शक्ति को लगाया हुआ होता है गर्व जमीन के बाहर निकल कर एक दम पेड़ की ऊंचाई पर जा पहुंचा इस पेड़ की ऊंचाई 100 मीटर के करीब होती है इस वक्त गर्व ने गति मंत्र को भी चालू नहीं किया होता है जैसे ही गर्व ने जमीन से ऊपर की ओर छलांग मारी थी वहा पर जो भी हत्यारे मौजूद होते हैं वह इधर-उधर के पेड़ों पर टकरा गए कोई कोई हत्यारा तो 50 मीटर की ऊंचाई पर पहुंच गया या तो वहां पर मौजूद पेड़ से टकरा गए थे या फिर वह वापस नीचे जमीन पर गिर गए इस वक्त गर्व के शरीर में बहुत ज्यादा शक्ति होती है वह जैसे ही पेड़ों की ऊंचाई पर जा पहुंचा उसने वापस से जमीन की तरफ छलांग लगा दी और उस ऊंचाई पर जो कोई भी हत्यारे मौजूद होते हैं उन सबको उसने अपनी स्टोरेज रिंग में भेज दिया और उन पेड़ों से दौड़ते दौड़ते वह जमीन के तरफ नीचे आने लगा उसने वहां पर मौजूद सैनिकों की तरफ देखा तो उसको झटका ही लग गया क्योंकि उन सैनिकों की संख्या पहले के मुकाबले आधी ही हो गई थी वहां पर हत्यारों का पगड़ा भारी लग रहा था इस वक्त वह वीरेश के शरीर पर भी कई सारे छोटे लगी हुई थी और उन में से खून बहे जा रहा था पर उसने अभी भी हार नहीं मानी होती है वह जिस जगह पर बर्फ बनाई होती है उस जगह का सहारा लेकर वह उस कामराज से लड़ते जा रहा होता है उस कामराज ने जैसे ही देखा कि वहां पर कोई मिट्टी के बीच में से बाहर निकला है उसकी नजर उस तरफ चली गई और साथ ही वीरेश की भी नजर गर्व के ऊपर चली गई इस वक्त गर्व पेड़ों की ऊंचाई से नीचे आकर वहां मौजूद हत्यारों को अपनी स्टोरेज में भेजना चालू करता है देखते ही देखते गर्व ने वहां पर मौजूद 100 से ज्यादा हत्यारों को स्टोरेज रिंग के अंदर भेज दिया यह यह देखकर वहां मौजूद का कामराज को गुस्सा आ गया उसने अपने बाजू खड़े वीरेश के मुंह पर एक मुक्का मार दिया और वह दूर जाकर 50 फीट हवा में उड़ गया वह तो पहले से बहुत घायल होता है अगर वह इतनी ऊंचाई से नीचे गिर गया तो वह तुरंत ही मर जाएगा गर्व की नजर तुरंत ही उसके ऊपर नजर चली गई उसने तुरंत ही वीरेश की तरफ छलांग लगाई और उसने वीरेश को बचाकर पेड़ की डाली के ऊपर बिठा दिया यह पेड़ की डाली जमीन से 30 मीटर की ऊंचाई पर होती है यहां बैठकर वह नीचे का सारा नजारा देख सकता था इस वक्त वह नीचे जाकर उस कामराज के साथ लड़ना चाहता था क्योंकि वहां पर नीचे उसके कई सारे सैनिक मौजूद होते हैं और वहां पर नीचे बाकी के सैनिकों के समूह भी होते हैं भले ही उसका उनसे पहला थोड़ा झगड़ा हो गया हो पर वह उसके असली दुश्मन नहीं होते हैं उनके असली दुश्मन तो वह तांडव कबीले के हत्यारे होते हैं पर वह इस वक्त कुछ भी नहीं कर सकता था क्योंकि वह इस वक्त बहुत ही घायल अवस्था में होता है और उसे यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि वह जिसने उसे बचाया हुआ होता है वह एक तांडव कबीले का हत्यारा होते हुए भी उसको क्यों बचाया होता है उसे तो उसे मार देना चाहिए था तभी गर्व के पीछे कामराज छलांग मारते हुए गर्व के तरफ बढ़ते जा रहा था उसी वक्त गर्व ने पीछे की तरफ छलांग मार दी और तुरंत ही अपने स्टोरेज रिंग से रस्सीया निकालकर इसे उसने वीरेश की तरफ बढ़ रहे कामराज के गले पर बांधी और इस रस्सी को पकड़कर गर्व ने जमीन की तरफ छलांग लगा दी वैसे ही वह कामराज ऊपर की तरफ बढ़ते हुए अचानक नीचे की तरफ जाने लगा गर्व उसे रस्सियों में जकड़कर नीचे की तरफ लेकर जा रहा था तुमने मुझे बहुत तकलीफ दी है ना अब मैं तुमसे अपने एक एक दर्द का हिसाब चुकता करने वाला हूं गर्व ने नीचे जाते हुए अपने मन ही मन में कहा जल्द ही गर्व और कामराज नीचे जमीन की तरफ आ गए गर्व जैसे ही जमीन की तरफ आया उसने अपने स्टोरेज रिंग से एक दूसरी रस्सी निकालकर जिसको उसने उन भेड़िया मानवो से चुराया होता है उसको वहां पर एक दूसरे पेड़ की डाली पर बांध दिया और इसके सहारे वह उस पेड़ की डाली पर जा पहुंचा और जिस रस्सी को पकड़कर वह नीचे आ रहा था जिस पर कामराज का गला बंधा हुआ था उसको उसने जमीन की तरफ फेंक दिया और वह कामराज सीधे जमीन की तरफ जा टकराया वह जमीन पर जिस जगह पर टकराया वहां पर मौजूद बाकी के हत्यारे उसके शरीर के नीचे दब गए यह देखकर गर्व ने तुरंत ही उस कामराज के शरीर पर छलांग लगा दी वह 10 मीटर की ऊंचाई से कूदने वाला होता है तभी वहां पर पत्थर से बने हुए कई सारे चाबुक गर्व के शरीर की तरफ बढ़े और उन्होंने गर्व के शरीर को पूरी तरह से जकड़ लिया यह चाबुक वहा नीचे जमीन पर खड़े हुए हत्यारों के शरीर से निकले हुए थे यह देखकर वहा नीचे जमीन पर गिरे हुए कामराज के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई वह यह सोच रहा था कि क्यों अब कैसा लग रहा है यह उसके चेहरे के भाव को देखकर साफ साफ पता लग रहा था यह देखकर गर्व को गुस्सा आ गया उसने भी कामराज के चेहरे पर की तरफ देखकर अपने मन ही मन में कहा आज नहीं आज तुम्हारा दिन नहीं इतना कहकर उसने चाकू को की तरफ अपने हाथ की मुट्ठी घुमा दी गर्व ने जैसे ही उन चाबूको के तरफ अपने हाथ की मुठ्ठी घुमा दी गर्व के हाथों से कई सारे तांडव कबीले के हत्यारे बाहर निकले जिनके पूरे शरीर पर इस वक्त पत्थर लपेटे हुए थे और वह हत्यारे सीधा जाकर उन पथरीले चाबूको के ऊपर गिर गए और साथ ही गर्व ने अपने हाथ की मुठिया उस कामराज के मुस्कुराते हुए मुंह के तरफ कर दी और कई सारे हत्यारे उसके मुंह पर भी आकर गिर गए जिसकी वजह से वह कामराज हड़बड़ा गया और उसका अपने दिमाग से थोड़ी देर के लिए संतुलन छूट गया और जो चाबुक गर्व के शरीर पर बंधे हुए होते हैं वह एक क्षण में ही गर्व के शरीर से अलग हो गए और इसी समय का फायदा उठाते हुए गर्व ने वहां पर मौजूद हत्यारो के बीच में दौड़ लगा दी और उनके सामने अपनी स्टोरेज रिंग को कर दिया और इसके वजह से वहां पर जो कोई भी हत्यारे मौजूद होते हैं वह सारे के सारे गर्व के स्टोरेज रिंग के अंदर जाने लगे उसने वहां पर 200 के करीब हत्यारों को उसने अपने स्टोरेज रिंग के अंदर भेज दिया होता है क्योंकि इस वक्त उन हत्यारों के दिमाग को कामराज नियंत्रित कर रहा होता है वही इस वक्त थोड़ा विचलित हो गया होता है इसीलिए वहां पर कोई भी हत्यारा गर्व पर हमला नहीं कर रहा होता है गर्व इस वक्त उन हत्यारों को आराम से अपने स्टोरेज रिंग के अंदर भेज रहा होता है वहां पर जो भी बाकी के सैनिक मौजूद होते हैं वह गर्व और कामराज को देखकर यह नहीं समझ पा रहे होते की यह हत्यारे आपस में ही क्यों लड़ते जा रहे हैं उन सब को तो उन पर हमला करना चाहिए तभी वहां पर कामराज अपने होश में आता है उसके मुंह पर जो हत्यारे गिरे हुए होते हैं उनको दोनों हाथों से अपने मुंह के सामने से अलग कर देता है और वह दूर जाकर गिरते हैं इस वक्त कामराज को भी बड़ा गुस्सा आया हुआ होता है वह तुरंत ही अपने जगह पर खड़ा हो जाता है और आजू-बाजू की तरफ देखने लग जाता है और उसे वहां पर कुछ तो गड़बड़ होने का एहसास होते जा रहा था