वहां युद्धपोत तेजी से केंद्रीय अधिकारियों की इमारत की तरफ बढ़ते जा रहा था और इतनी तेजी से बढ़ते रहने के बावजूद भी गर्व के शरीर को वहां पर लेटे हुए एक भी धक्का नहीं लग रहा होता है इसका गर्व को बड़ा ही आश्चर्य लग रहा था गर्व को तो अब इस युद्धपोत से प्यार होने लगा था ऐसा युद्धपोत उसने अपनी पिछली जिंदगी में भी नहीं देखा होता है उसके पिछले जन्म में भी युद्धपोत का तंत्रद्यान मौजूद होता है पर वह इतना विकसित नहीं होता है गर्व को तो इस युद्धपोत को ही अपने स्टोरेज रिंग में समाने की इच्छा हो रही थी पर इस वक्त इस युद्धपोत पर पूरी तरह से अधिकारी आकाश सिंह का नियंत्रण होता है उनके शरीर पर उन्होंने जो कवच पहना होता है उसके जरिए ही इस पूरे युद्धपोत को नियंत्रित किया जा सकता है फिर गर्व को वापस थोड़ा-थोड़ा होश आते हुए देखकर अधिकारी आकाश सिंह ने सामने की ओर देखते हुए कहा अरे गर्व उठ गए तुम भगवान का लाख-लाख शुक्र है जो कि उन्होंने तुम्हारे प्राण बचा लिए मैं तो यह मान चुका था कि तुम भी तांडव कबीले के हाथों से मारे गए हो वह लोगों को मारते नहीं है बल्कि अपना गुलाम बनाते हैं यही बात अधिकारी आकाश सिंह की बातों को सुनकर गर्व के दिमाग में आई और वह यही बात चीख चीखकर ऊंची आवाज में उनसे कहने वाला था पर क्योंकि इस वक्त वह बेहोश और घायल होने का नाटक कर रहा था इसलिए उसने अपने मुंह से मा ...मा.... धीरे-धीरे कहते हुए उसकी हालत खराब होने का और वह कुछ कहने का प्रयास करते जाने का नाटक किया यह देखकर गर्व के बाजू में जो आदमी खड़ा होता है जो कि एक अधिकारी भी होता है जिसको गर्व ने भरतपुर राज्य में अधिकारी आकाश सिंह के साथ देखा था वह गर्व से कहता है और गर्व तुम्हें अब ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है तुम्हारी हालत खराब है तुम बस आराम करो फिर तुम्हारे ठीक हो जाने के बाद तुम जितनी चाहे उतनी बातें कर सकते हो गर्व की धीमी और तोतली आवाज को अधिकारी आकाश सिंह को अपनी गलती का एहसास हो गया फिर उन्होंने आगे और कुछ भी नहीं कहा गर्व देखता है कि इस युद्ध पोत के अंदर उसके साथ कई सारे और बाकी और भी लोग मौजूद हैं उनको भी यहां पर लाया गया था क्योंकि उनके शरीर पर कोई भी वस्त्र मौजूद नहीं होते हैं इसलिए उनके शरीर कंबल को ओढ़ा गया था गर्व के शरीर पर भी इस वक्त एक कंबल को ओढ़ा गया होता है तभी गर्व की वहा पर एक घायल आदमी के तरफ नजर पड़ती है उसको देखकर गर्व की आंखें चमक उठी यह और कोई नहीं बल्कि उन सिंह मानवों का नेता राज्यवर्धन सिंह ही होता है उसका शरीर पूरा सूख गया होता है साथ ही उसकी छाती की हड्डी अभी पूरी बाहर की तरफ निकली हुई होती है यह देख कर गर्व को बुरा लग रहा था उसने देखा कि वह राज्यवर्धन सिंह कितना ज्यादा ताकतवर होता है वह उससे भी ज्यादा ताकतवर होता है इतने ज्यादा ताकतवर आदमी को कमजोर हालत में देखना गर्व को बुरा लग रहा था वह भले ही गर्व से ज्यादा ताकतवर हो गर्व के मन में उस राज्यवर्धन सिंह के प्रति बिल्कुल भी द्वेष की भावना नहीं होती है क्योंकि गर्व हमेशा ताकत का सम्मान करता है सिर्फ ताकत का इस्तेमाल करने वाले अच्छे या बुरे इंसानों में विभाजित होते हैं और वह सिंह मानवों का नेता राज्य वर्धन सिंह कोई बुरा इंसान नहीं होता है उसने कभी भी अपनी ताकत के घमंड में किसी को भी चोट नहीं पहुंचाई या फिर उन्हें तंग नहीं किया राज्यवर्धन को देखकर गर्व के मन में एक बात आई अगर यहां पर वह राज्यवर्धन सिंह बच सकता है तो यहां पर उसके कितने साथी बच सकते है क्योंकि गर्व को अच्छे से पता होता है कि उस कामराज की गुफा में अभी भी बहुत सारे काले पत्थर मौजूद हैं जिनके अंदर बहुत सारे गुलाम मौजूद हो सकते हैं क्या उनमें केदार के साथ-साथ बाकी के भरतपुर राज्य के भी सैनिक मौजूद हो सकते हैं या फिर वह उसके साथ घायल लोगों के साथ मौजूद हो सकते हैं क्योंकि गर्व की काले ध्यान की ताकत उतनी नहीं बढ़ी हुई होती है जिससे कि वह अपने मानसिक नियंत्रण के द्वारा उसके गुलामों की पहचान को पता कर सके वह तो सिर्फ उनके दिमाग को नियंत्रित कर सकता था और वह सिर्फ यह मालूम कर सकता था उसके पास कितने गुलाम हत्यारे मौजूद है उसके पास उस कामराज के अड्डे के बाहर निकलते वक्त कुल 2724 की तादाद में गुलाम मौजूद होते हैं यह उसको अच्छे से पता होता है कि उस कामराज की गुफा में उसने दोगुनी मात्रा में भी गुलाम हत्यारे मौजूद हो सकते हैं यह तो उसे केंद्रीय अधिकारी के इमारत में जाकर ही मालूम चलेगा कि उन घायलों में केदार के साथ-साथ भरतपुर राज्य के सैनिक है या नहीं फिर गर्व ने खिड़की के बाहर देखा खिड़की के बाहर जो नीचे जंगल मौजूद होता है वह कामराज के कारण तहस नहस हो चुका था वह पूरा जंगल तो तहस-नहस नहीं हुआ था पर वहां पर 200 300 मीटर की जगह ऐसी होती है जहां का पूरा परिसर ही बर्बाद हो गया होता है इनमें से बहुत सारी ऐसी जगह होती है जहां पर गर्व है बर्फ का बर्फीला तूफान आया होता है और वहां पर बर्फ को अभी भी देखा जा सकता है यह देखकर गर्व के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई उसे इस बात का अच्छा नहीं लगा कि उसने उस जंगल में काफी तबाही मचाई बल्कि उसे इस बात का अच्छा लगा होता है कि उसकी बर्फीली तलवार की ताकत पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है वह युद्ध पोत आखिर मे केन्द्रीय अधिकारी की इमारत के तरफ पहुंच ही गया गर्व ने देखा कि उस इमारत के चारों तरफ सैनिकों का कड़ा पहरा होता है वहा पर घायल लोगों के मिलने की बात पता चलते ही वहां पर मौजूद सारे सैनिक और अधिकारी लोग सतर्क हो गए थे उस पूरी इमारत के परिसर को नीली ऊर्जा की परत से ढका गया होता है वह जो इमारत की ऊंचाई पर काले तेंदुए की बड़ी मूर्ति बैठी होती है उसकी आंखों से नीली ऊर्जा निकलते हुए पूरे केंद्रीय अधिकारी की इमारत के 8 किलोमीटर के घेरे में फैली हुई थी और वह पूरे इमारत की सुरक्षा करते जा रही थी यह जो काले तेंदुए की आंखों में जो हीरे होते हैं वह एक ऊर्जा का केंद्र होता है जहां से बहुत सारी मात्रा में ऊर्जा का उत्सर्जन होते जा रहा था गर्व को लगा कि वह बस एक हीरा है जिसकी चमक बहुत ज्यादा है पर गर्व का अंदाजा गलत हो गया अधिकारी आकाश सिंह का युद्धपोत जैसे ही उस ऊर्जा की दीवार के पास आया उस दीवार में एक छेद बन गया जिससे कि अधिकारी आकाश सिंह का युद्ध पोत अंदर आ सके उस छेद के जरिए वह युद्धपोत जल्द ही अंदर चला गया और वह युद्धपोत सीधा केंद्रीय अधिकारी की इमारत की तरफ बढ़ गया यह देखकर गर्व चौक गया क्या अधिकारी आकाश सिंह अपने युद्ध पोत को इमारत पर टकराने वाले तो नहीं है यह देख कर गर्व डर गया वहां पर ऐसा कुछ भी होने वाला नहीं होता है वह युद्धपोत जैसे ही उस इमारत की दीवार पर गया उस दीवार पर भी एक छेद हो गया जिससे कि वह आकाश सिंह का युद्धपोत उस इमारत के अंदर जा सके यह तो गर्व के सोच के भी बाहर का होता है कि उसे तो पता भी नहीं होता है कि इस इमारत के अंदर इतना सब कुछ है इस इमारत में क्या-क्या हो सकता है यह उसके सोच के भी बाहर का होता है यह युद्ध पोत उस इमारत के अंदर जाकर एक सुरंग के अंदर घुस गया वह सुरंग काफी लंबी होती है थोड़ी देर तक आगे की तरफ जाने के बाद उसका रास्ता आगे की तरफ से 40 के कोन से नीचे की तरफ हो गया और वह युद्धपोत उस रास्ते से नीचे की तरफ जाने लगा थोड़ी देर तक वहां से जाने के बाद वह फिर रुक गया और वह फिर से आगे की तरफ जाने लगा और जल्द ही एक बड़े कमरे में आ गया और नीचे की तरफ उतर गया इस कमरे में चारों तरफ भाग दौड़ का माहौल होता है गर्व समझ गया कि वह अब केंद्रीय अधिकारियों के इमारत में आ गया है उसे यह समझ में नहीं आ रहा होता है कि इस अस्पताल को जमीन के नीचे क्यों बनाया गया है जमीन के नीचे तो तहखाना बनाया जाता है फिर उस जगह पर आमतौर पर हथियारों को रखा जाता है फिर यहां पर ऐसा क्यों किया गया है तभी उस युद्धपोत से एक-एक करके घायल लोगों को उतारने का काम चालू हो गया और उन घायलों को उपचार के लिए ले जाने लगा उन कमरों की दीवार का रंग सफेद होता है गर्व अभी इस वक्त एक चलते हुए चारपाई पर लेटा हुआ था भले ही वह इस वक्त ज्यादा घायल ना हो फिर भी उसके शरीर पर कई सारे चोटे आई हुई थी यह छोटे उसे उस कामराज के साथ लड़ते वक्त आई हुई थी उसके कई सारे मुक्को को गर्व को सहना पड़ा होता है उसके मुक्के गर्व के शरीर पर लगे पत्थरों को तोड़ते हुए गर्व के शरीर पर बढ़ते जा रहे होते हैं उसके कोई कोई मुक्के गर्व के शरीर को छूने में कामयाब हो गए थे पर उस वक्त गर्व ने अपनी पूरी मानसिक शक्ति को लगा दिया था जिसके कारण ही उसकी जान कामराज के हाथों से बच पाई थी और जब कामराज अपनी पूर्ण शक्ति से गर्व पर हमला करने वाला होता है तभी गर्व और कामराज उस काली मिट्टी के ढेर से बाहर निकल चुके थे और इसी के कारण गर्व की जान बच गई थी गर्व को तुरंत ही इलाज के लिए उसके शरीर पर कई सारे पट्टीयो को बांध दिया गया क्योंकि उसके शरीर पर भी कई सारे घाव होते हैं और साथ में कई सारे घाव के निशान भी होते हैं यह देखकर वहा जो नर्स होती है उनकी आंखें बडी हो गई उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि कोई इंसान इतने सारे घावों को सहते हुए भी कैसे जिंदा रह सकता है उसके शरीर पर हर 1 सेंटीमीटर के बाद खरोच के निशान होते हैं उनके चेहरे के भाव को देखकर गर्व ने अपने मन ही मन में कहा अरे यह तो कुछ भी नहीं है अब तो मुझे अपने काम के लिए और ज्यादा चोटों का सामना करना है पर उसने उस नर्स के सामने कुछ भी नहीं कहा