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उनके जरिए यह बात पूरे दुनिया में फैल सकती है कि यह तांडव कबीले के हत्यारे बाकी लोगों को गुलाम बनाते हैं तो फिर जो कोई भी केंद्रीय अधिकारियों के उच्च पद पर काम करता है जो उन तांडव कबीले के लोगों से मिला हुआ हो सकता है वह सतर्क हो गए होंगे वह किसी भी कीमत पर इन बातों को यहां से बाहर की तरफ नहीं जाने देंगे वह इस बात को यहीं पर दबाने की कोशिश भी कर सकते हैं और उन उम्मीदवारों के रिश्तेदारों और दोस्तों को भी मारने की कोशिश कर सकते हैं और साथ ही गर्व का भी आगे का रास्ता इसके कारण मुश्किल हो सकता है वह अधिकारी आकाश सिंह पहले ही देख चुके होते हैं कि वहां पर जंगलों में एक हत्यारे ने अपनी तलवार को हवा में उठाकर वहां पर बर्फ का तूफान लाया था और वहां पर गर्व ही एक ऐसा होता है कि जिसके पास बर्फ को उत्पन्न करने की शक्ति होती है और राज्यवर्धन सिंह को भी यह यकीन हो गया था कि वहा उन सबकी जान को गर्व ने हीं बचाया होता है अगर उसने अपना मुंह वहां अधिकारियों के सामने खोल दिया तो गर्व के सामने वहां अधिकारी लोक सवालों का पहाड़ खड़ा कर देंगे और उस राज्यवर्धन सिंह के पास ऐसा कोई सबूत नहीं होता है कि उन सबकी जान गर्व ने हीं बचाई होती है वह तो गर्व के ही मानसिक नियंत्रण में होता है इसलिए गर्व को अच्छे से पता होता है कि वह उन अधिकारियों को ऐसा कोई भी सबूत नहीं दे सकता है जिससे कि यह बताया जा सके कि गर्व ने हीं उन लोगों की जान को बचाया है यह समझकर गर्व ने राहत की सांस ली उसने अपने विचारों को आराम देकर ध्यान साधना करने का निर्णय लिया वह रात के 10:00 बजे तक चारपाई पर लेटे लेटे ध्यान साधना करते रहा रात के 10:00 बजे तक वह वहां पर मौजूद कई सारे घायल लोगों की तबीयत सुधारना चालू हो गई क्योंकि वह पहले भी एक योद्धा रह चुके थे इसलिए उन लोगों की तबीयत ठीक होने में और उनके घाव जल्दी ठीक होने में ज्यादा वक्त नहीं लग रहा था वहां पर मौजूद कई सारे लोगों की तबीयत ठीक होने लगी और वह वहां से बाहर के तरफ जाने लगे और वहां पर कई सारे लोग अभी भी चारपाई पर लेट कर अपना इलाज करवाते जा रहे थे क्योंकि उनकी तबीयत अभी ठीक नहीं हुई थी तभी गर्व के चारपाई की तरफ राज्यवर्धन सिंह अपने कुछ सैनिकों के साथ में पहुंच गया इस वक्त गर्व की भी हालत ठीक हो चुकी थी और उसने सारे सवालों के जवाब को जवाब को भी तैयार करके रखा हुआ था जो की उस से पूछे जा सकते है इसलिए वह तुरंत ही अपने बिस्तर से उठ गया वहां पड़े पड़े उसकी तो कमर अकड़ गई थी और वैसे भी एक जगह पर कुछ ना करते हुए पढ़ा नहीं रह सकता है वह भी अपनी जगह से उठ गया गर्व को वहां से उठते देखकर राज्यवर्धन सिंह के चेहरे पर चमक आ गई गर्व की तबीयत अच्छी होते हुए देखा कर उसको अच्छा लगा फिर वह सारे के सारे मिलकर वहा से बाहर की तरफ जाने लगे यहां से ऊपर की तरफ जाने के लिए सिड़िया होती है और यह सीडीया अपने आप ही ऊपर की तरफ बढ़ती जाती है वहां पर उन घायल लोगों के लिए चढ़ने उतरने में कोई दिक्कत ना हो इसलिए ही वह सिड़िया वहां पर लगाई हुई होती है वहां पर इस वक्त काफी गर्दी का और भावनिक माहौल होता है वहां पर गर्व भी अपने भरतपुर राज्य को सैनिकों को ढूंढते जा रहा था पर उसे वह कहीं पर भी दिखाई नहीं पड़े उन सीढ़ियों के ऊपर जाते ही गर्व उन दुकानों की जगह पहुंच गया जो कि इस पिरामिड की पहली मंजिल होती है यहां पर अब सारी की सारी दुकाने गायब हो चुकी थी वह दुकान यहां तब तक ही रहती थी जब तक उन परीक्षार्थी उम्मीदवारों को वहां से खरीददारी करनी होती है उसके बाद यहां से उन दुकानों को हटा दिया जाता है यहां पर अब खाली जगह होती है और यहां पर उन घायल लोगों की भीड़ लगी हुई होती है जो कि ठीक होकर ऊपर की तरफ आए थे तभी गर्व को वहां पर 1 लोगों की भीड़ में कुछ जाने पहचाने चेहरे दिखाई दिए यह यह उसके मानसिक नियंत्रण में मौजूद होते थे पर इस वक्त यह उसके मानसिक नियंत्रण से आजाद हो गए हैं और साथ ही उसको भरतपुर राज्य के सैनिक भी दिखाई दिए पर इनमें गर्व को कहीं पर भी केदार नहीं दिखाई दे रहा था गर्व को देखते ही वह सारे के सारे लोगों के चेहरे पर चमक आ गई और वह गर्व के करीब आ गए उन लोगों ने गर्व के साथ बहुत सारी बातचीत की उन्होंने गर्व को खुद को बचाने के लिए धन्यवाद भी दिया यह सुनकर वहां पर मौजूद सारे लोग गर्व की तरफ देखने लगे पर गर्व ने तुरंत ही वहां की बात को संभाल लिया उसने भी उन लोगों को ऐसा दिखाया कि वह भी डेढ़ साल से मूर्छा की अवस्था में पड़ा हुआ है उसे तो इन डेढ़ साल में क्या हुआ इसके बारे में तो कुछ भी पता नहीं है यह देखकर भरतपुर राज्य के सैनिक भी शांत हो गए फिर वहां पर मौजूद सैनिकों ने भी गर्व के और भरतपुर राज्य के सैनिकों से अपनी नजर हटा दी क्योंकि वह यह सोच रहे होते हैं कि इस छोटे से राज्य से कोई इतना शूरवीर हो सकता है कि इतने सारे लोगों को उन तांडव के हत्यारों की गुलामी से आजाद कर दे वह सब जानते थे कि भरतपुर राज्य अभी अभी बना है उसको बने हुए अब 200 साल की हो चुके हैं उन लोगों में इतना दम नहीं है कि वह उनका सामना कर सके जरूर ही किसी बड़े राज्य के किसी शूरवीर योद्धा ने उन लोगों को गुलामी से आजाद करने का कारनामा किया होगा उन लोगों ने भरतपुर राज्य के सैनिकों को खुद की बढ़ाई करते हुए मान कर उनके तरफ से अनदेखा कर दिया गर्व उनके मन के विचारों को अच्छे से समझ गया यह देखकर उसने राहत की सांस ली इस जन्म में उसकी पहली बार किसी को उसको कम समझता देखकर उसको अच्छा लगा था क्योंकि कभी-कभी घोड़े को भी गधा बनना पड़ता है इस वक्त राज्यवर्धन सिंह के साथ साथ उन सिंह मानवो को भी ऐसा ही लग रहा था कि उन सब को गर्व ने ही गुलामी से आजाद करवाया है पर गर्व की बातों को सुनकर वह सब आश्चर्यचकित हो गए सोचने की बात तो यह है कि उनको किसी केंद्रीय अधिकारी ने आजाद नहीं करवाया गर्व ने आजाद नहीं करवाया तो फिर वह लोग उन तांडव कबिले के लोगों की चंगुल से आजाद कैसे हुई आखिर कौन है जिसने उन सब लोगों को आजाद करवाया है वह अब तक सामने क्यों नहीं आया है आखिर उस आदमी या औरत का नाम क्या है यही सब वह लोग सोच रहे होते हैं उस जगह पर इस वक्त बड़ा ही भावनिक माहौल होता है जिन लोगों के बारे में वह सोच रहे होते हैं कि वह लोग अब इस दुनिया में नहीं रहे वह अब लौट आए थे वह सारे के सारे एक दूसरे के गले मिलते हुए रोए जा रहे थे उनको देखकर गर्व के साथ-साथ राज्यवर्धन सिंह के भी आंखों में आंसू आ गए थे इस वक्त गर्व वहां पर केदार को ढूंढ रहा था वह वहां पर हर एक लोगों के चेहरे को देखते जा रहा था पर वहां पर गर्व को केदार कहीं पर भी नजर नहीं आ रहा होता है वह इसके कारण बेचैन हो गया था एक वही केदार होता है जिस पर गर्व है इस वक्त भरोसा रख सकता है पर वह तो गर्व को कहीं पर भी दिखाई नहीं दिए जा रहा था गर्व को वहां पर ऐसे बेचैन देखकर वहां पर कई लोगों ने गर्व को एक पागल समझना शुरू कर दिया होता है यह देखकर गर्व को गुस्सा आने लगा था मैंने ही तुम लोगों को आजाद किया और तुम लोग मेरा ही मजाक उड़ाते जा रहे हो गर्व तो उन पर फिर से काले पत्थरों का प्रयोग करके उनको अपना गुलाम बनाने के विचार उसके मन में आने लगे पर तभी वहां पर राज्यवर्धन सिंह के साथ बाकी के भरतपुर राज्य के सैनिकों ने गर्व को संभाल लिया उन्होंने गर्व से कहा हमें सारी चीजों के बारे में नर्स ही अच्छे से बता सकती है उनके पास सारे सैनिकों के नाम पहले से ही मौजूद है तुम्हें इतनी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है यह सुनकर गर्व का होश ठिकाने पर आ गया उसे तो पहले से पता होता है कि वहां की सारी नर्सों ने पहले ही उन सैनिकों के नाम को दर्ज करवा लिए थे फिर भी उसको इतना भावनिक होने की जरूरत नहीं है वहां पर उन लोगों को इतना भावनिक होते हुए देखकर गर्व का भी अपनी भावनाओं पर से नियंत्रण छूट गया था वह तो अच्छा हुआ कि वहां पर सिंह मानवों ने और भरतपुर राज्य के सैनिकों ने उसको संभाल लिया नहीं तो वह इस वक्त क्या करता है यह उसको भी पता नहीं चलता वहां मौजूद सारे लोगों के लिए फिर रात्रि भोज का आयोजन किया गया था और वह उसी इमारत की पहली मंजिल पर आयोजित किया गया होता है वहां से कई सारे राज्यों के सैनिक वापस अपने राज्य में लौटने लगे उन्हें लग रहा था कि यहां पर कभी भी कोई भी खतरा आ सकता है जल्द ही उन लोगों की तांडव कबीले के लोगों से लड़ाई भी शुरू हो सकती है वहां पर कई सारे राज्य के लोग अपने-अपने राज्यों के युद्धपोत और पालतू पक्षियों की सहायता से वहां पर आए हुए थे वह वहां से रात को ही अपने राज्य में प्रस्थान कर गए फिर गर्व ने वहां पर नर्स को ढूंढा और उसने उनको केदार के बारे में पता करने को कहा और वहां पर उन सैनिकों की किताब को पूरा पढ़कर भी उनको भरतपुर राज्य के किसी भी केदार नाम के सैनिक का नाम नहीं था वहां पर बाकी के राज्यों से आए हुए केदार व्यक्ति के नाम होते हैं पर वहां पर कोई भी केदार नाम से भरतपुर राज्य का व्यक्ति नहीं होता है यह सुनकर गर्व निराश हो गया वह केदार तो वहीं पर कामराज की गुफा में ही रह गया उसको गर्व बचा नहीं पाया तभी अधिकारी आकाश सिंह गर्व के पास आ गए और उन्होंने गर्व को अपने साथ चलने को कहा साथ में उन्होंने राज्यवर्धन सिंह को भी अपने साथ चलने को कहा वहां पर वह सारे सैनिकों के मुखिया मौजूद होते हैं जो कि गर्व के परीक्षा के दिन उसके साथ जंगल की पश्चिम दिशा में गए थे गर्व समझ गया कि अब उसका वक्त आ चुका है केंद्रीय सत्ता के वरिष्ठ अधिकारी लोग उससे काफी सवाल जवाब करने वाले हैं और गर्व को उन सारे सवालों का जवाब काफी ध्यान से और सावधानीपूर्वक को देना पड़ेगा नहीं तो यहां पर गर्व की पोल खुल जाएगी और उसे उसकी भारी कीमत भी चुकानी पड़ सकती है फिर वह अधिकारी आकाश सिंह गर्व को लेकर उसी गोल कमरे की तरफ लेकर गए जहां से इस इमारत के ऊपर नीचे की मंजिल पर जा सकते हैं वहां पर गर्व के साथ में उसके भरतपुर राज्य के सैनिक और बाकी के सैनिकों के मुखिया भी मौजूद होते हैं